जमीन घोटाले के खलनायकों में जी न्यूज के पत्रकार श्रीकांत प्रत्यूष भी






खलनायक इसलिए नहीं कि उन्होंने पाटलिपुत्रा इडस्ट्रियल एरिया में बीस हजार स्क्वायर फीट जमीन का एलाटमेंट अपनी मीडिया कंपनी के नाम कराया. खलनायक इसलिए क्योंकि वह जी न्यूज जैसे एक बड़े न्यूज चैनल के बिहार के ब्यूरो चीफ हैं और पत्रकारिता करते हुए,न्यूज का काम देखते हुए उन्होंने सत्ता प्रतिष्ठान से इतना भारी भरकम लाभ उठाया.




श्रीकांत प्रत्यूष सन्मार्ग अखबार, बिहार की फ्रेंचाइजी भी लिए हुए हैं और इसका प्रकाशन पटना से करते हैं. वे जी न्यूज के लिए भी काम करते हैं. जाहिर है, जब एक पत्रकार एक बड़े टीवी न्यूज चैनल के एक राज्य का ब्यूरो चीफ हो और खुद एक अखबार का मालिक हो तो उसका रोल डबल हो जाता है. एक तरफ वह अपने न्यूज चैनल, जहां काम करता है, के लिए खरी-खरी खबरें खोजता है और दूसरी तरफ अपने अखबार के लिए रेवेन्यू तलाशता है. यह डबल गेम आधुनिक पत्रकारिता की ट्रेजडी है. श्रीकांत प्रत्यूष भले कहें कि वह दोनों भूमिकाओं में न्याय करते हैं लेकिन सही बात तो ये है कि वे कतई न्याय नहीं कर सकते.
उनके झूठ का सबसे बड़ा उदाहरण नीतीश सरकार से इंडस्ट्रियल एरिया में लिया हुआ बीस हजार स्क्वायर फुट का प्लाट है. इस जमीन का आवंटन श्रीकांत प्रत्यूष और उनकी कंपनी नव बिहार मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के नाम से प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया की कैटगरी में हुआ है. तो, यह बात साफ है कि श्रीकांत प्रत्यूष ने इतनी बड़ी जमीन अपनी कंपनी के प्रिंट और टीवी प्रोजेक्ट के लिए लिया हुआ है. ऐसे में जब वह नीतीश सरकार से भरपूर ओबलाइज किए जा चुके हैं, कैसे उनसे उम्मीद की जा सकती है कि वे नीतीश सरकार के घपले-घोटालों का पर्दाफाश करेंगे, उनसे कैसे उम्मीद की जा सकती है कि वे जनपक्षधर पत्रकारिता करेंगे.

दरअसल, सही कहा जाए तो श्रीकांत प्रत्यूष उसी राडिया जर्नलिज्म के प्रतीक हैं जिसकी अनुगूंज पिछले दिनों दिल्ली समेत पूरे देश में सुनाई पड़ी थी. राडिया अपने क्लाइंट पत्रकारों को अपनी कंपनियों की तरफ से भांति भांति तरीके से ओबलाइज करती थी और बदले में उन पत्रकारों से अपने हित साधती थी, अपने कारपोरेट क्लाइंट्स के हित साधती थी. जाहिर है, यह सब काम पत्रकारिता की नैतिकता को तिलांजलि देकर बड़े बड़े पत्रकार किया करते थे और अब भी कर रहे हैं.


श्रीकांत प्रत्यूष इसी कैटगरी के पत्रकार हैं. उन्हें खुद ब खुद अब किसी न्यूज चैनल में पत्रकार की नौकरी करने की जगह मालिक की एकल भूमिका को स्वीकार कर लेना चाहिए और अपनी कंपनी के लिए ही पत्रकारिता या डील करनी चाहिए. और, क्या कहा जाए मिस्टर क्लीन नीतीश कुमार को. जिस गंदे तरीके से उन्होंने बिहार में मीडिया को नियंत्रित किया हुआ है, उसी का उदाहरण है श्रीकांत प्रत्यूष की कंपनी के नाम बीस हजार स्क्वायर फीट जमीन का आवंटन.


वे बड़े बड़े अखबारों, छोटे-मोटे अखबारों और न्यूज चैनलों को ओबलाइज करके, डरा धमका के अपने चंगुल में किए रहते हैं. यही कारण है कि फारबिसगंज गोलीकांड जैसी घटनाएं अखबारों में लीड नहीं बना करतीं. नीचे बियाडा (बिहार राज्य औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण) की वेबसाइट से उस लिस्ट के एक हिस्से को प्रकाशित किया गया है जिसमें श्रीकांत प्रत्यूष का नाम है. इस लिस्ट को आप भी देख सकते हैं, आनलाइन होकर...
लिक है.. http://www.biadabihar.in/DataFiles/CMS/file/Patna(1).pdf
श्रीकांत प्रत्यूष अकेले पत्रकार नहीं होंगे जिन्होंने चुपचाप बीस हजार स्क्वायर फीट जमीन अपनी कंपनी के नाम एलाट कर लिया. पूरे बिहार में देखा जाए तो ऐसे दर्जन भर पत्रकार होंगे जिन्होंने नीतीश कुमार से जमीन आवंटित कराया होगा. बिहार के पत्रकारों से अपील है कि वे अपनी तरफ से बियाडा की लिस्ट को चेक करें और देखें कि इसमें कौन कौन से पत्रकारों को जमीन आवंटन का लाभ दिया गया है. आप पूरी लिस्ट को यहां से भी डाउनलोड कर सकते हैं....
इसके पहले प्रकाश झा का नाम आ ही चुका है जो मौर्य टीवी के मालिक हैं. प्रकाश झा ने कई जगहों पर जमीन हथियाया है और माल आदि बना रहे हैं. तो उनसे भी हम क्या उम्मीद कर सकते हैं कि वे मौर्य टीवी के माध्यम से जनहित की पत्रकारिता करेंगे या गुपचुप तरीके से सत्ता-प्रतिष्ठान के हित में खड़े रहेंगे. बिहार में सुशासन और भयमुक्त माहौल की स्थापना के लिए वाहवाही बटोरने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूरी तरह विवादों के घेरे में है.



जेडी (यू)-बीजेपी गठबंधन सरकार में बिहार राज्य औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (बियाडा) पर नियमों की अनदेखी कर मंत्रियों व नौकरशाहों के रिश्तेदारों, फिल्मकारों, पत्रकारों को कीमती जमीनें आवंटित करने के आरोप हैं. इस मसले को लेकर बिहार में विपक्ष ने विधानसभा में जमकर हंगामा किया.
क्या है बियाडा : बिहार इंडस्ट्रियल एरिया डिवेलपमेंट अथॉरिटी बियाडा कहलाती है. यह बिहार की औद्योगिक नीति के मुताबिक, 'पहले आओ-पहले पाओ' के आधार पर 90 साल के लिए जमीन लीज पर देती है. जमीन इंडस्ट्रियल रेट्स के आधार पर दी जाती हैं. पिछले 6 सालों में बियाडा 450 प्लॉट आवंटित कर चुका है, जिसमें 133 पाटलिपुत्र इंडस्ट्रियल एरिया में हैं. यह इलाका राजधानी पटना के तहत आता है. इसी इलाके में श्रीकांत प्रत्यूष के नाम जमीन का आवंटन किया गया है.
बियाडा की सफाई : मंत्रियों और नौकरशाहों के रिश्तेदारों को किस आधार पर कीमती जमीनें दी गईं, इस बाबत बियाडा के मैनेजिंग डायरेक्टर अंशुल आर्या का कहना है कि जमीनों के आवंटन के मामले में किसी का पक्ष लेने या पुनर्विचार का सवाल ही नहीं है, क्योंकि नियम बेहद पारदर्शी हैं. नीलामी, पब्लिक टेंडर या लॉटरी ड्रॉ के जरिये जमीनें क्यों नहीं दी गईं, इस सवाल पर आर्या ने कहा कि ज्यादातर मामलों में एक से ज्यादा आवेदक नहीं थे. निवेश के लिहाज से बिहार नया क्षेत्र है, इसलिए यहां ज्यादातर निवेशकों को जमीनें मिल जाती हैं.
किसे क्या मिला :
• 87,120 स्कवायर फीट जमीन दी गई एचआरडी मिनिस्टर प्रशांत शाही (जेडी-यू) की बेटी उर्वशी साही को..
• 13,06,800 और 2, 46, 114 स्कवायर फीट के दो प्लॉट - फारबिसगंज और अररिया में दिए गए बीजेपी एमएलए अशोक अग्रवाल के बेटे को..
10.53 हेक्टेयर जमीन बिहटा में दी गई बीजेपी एमएलसी अवधेश नारायण सिंह के संबंधी डॉ. बी. डी. सिंह को..
• 2 एकड़ जमीन मिली आईजी (जेल) आनंद किशोर के रिश्तेदार को..
6, 53,400 स्कवायर फीट जमीन मिली सीएम के सेक्रेटरी एस. सिद्धार्थ के संबंधी को
5,000 स्कवायर फीट जमीन मिली कांग्रेस नेता ददन सिंह के बेटे मनोज कुमार को....
• 20000 स्कवायर फीट जमीन मिली पत्रकार श्रीकांत प्रत्यूष को
58066 वर्ग फीट के प्लॉट पाटिलपुरा इंडस्ट्रियल एरिया में, 8777.4 वर्ग फीट औरंगाबाद में और 1.9 एकड़ जमीन मुजफ्फरपुर में मॉल व मल्टीप्लेक्स और हाजीपुर में सुपर-स्पेशिलिटी हॉस्पिटल के लिए प्रकाश झा को
87200 वर्ग फीट जमीन शरद यादव के नजदीकी जनता दल-यू के नेता अब्दुल सत्तार को कोल्ड स्टोरेज के लिए
• 6800 वर्ग फीट जमीन का आवंटन सहरसा से कांग्रेस नेता गुलाम घोष को
1.5 एकड़ जमीन बिहार इंडस्ट्रियल एरिया के पूर्व अध्यक्ष के पी एस केशरी को हाजीपुर में फल और सब्जियों के प्रोसेसिंग प्लांट के लिए आवंटित
अगर आपको पता है कि बिहार के कौन कौन अन्य जर्नलिस्ट नीतीश सरकार से ओबलाइज हुए हैं तो उनका नाम, पता, काम नीचे के कमेंट बाक्स के जरिए दें

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