कहानी आर्यन टीवी के निदेशक अनिल सिंह की

दूसरे की जमीन मकान हथिया कर आज पीट रहे सच का ढिढोरा:



बिहार-झारखंड में प्रसारित एक चैनल है जिसका नाम है आर्यन। इस चैनल के मालिक सह प्रबंध निदेशक हैं अनिल सिंह। पाटलिपुत्र बिल्डर सहित कई कंपनियां भी है इनके नाम से। रविवार को इन्होंने प्रमुखता से अपने चैनल पर एक न्यूज चलाया ‘नीतीश का मीडिया मंत्र।’ आधे घंटे तक प्रसारित होने वाले इस समाचार में नीतीश और उनकी सरकार की जमकर बखिया उधेड़ी गई पर इस न्यूज को क्यों चलाया गया और कलतक नीतीश के करीबी माने जानेवाले अनिल सिंह को अचानक नीतीश का मीडिया मंत्र के जाप की जरुरत क्यों पड गई , यह जानने के लिये जरुरी है , पहले यह जानना कि चैनल के मालिक अनील सिंह की हकीकत क्या है,


अगर सरकार उसकी जांच करे तो यह जनाब कटघरे के पीछे नजर आएंगे। पटना में एक पुराने व्यवसायी हैं। उनका नाम है डी पी साबू। जयपुर के रहने वाले डीपी साबू बिहार के सबसे पुराने व्यवसायी माने जाते हैं। पटना के एक्जीविशन रोड में होटल रिपब्लिक और और लॉली सेन एंड कंपनी के नाम से डीपी साबू की महेन्द्रा की एजेंसी हुआ करती थी। लालू-राबड़ी शासन काल में दबंग नेताओं से उबे डीपी साबू ने महेन्द्रा की एजेंसी बंद कर दी। इनकी एजेंसी के बगल में ही डीपी साबू का साबू कांपलेक्स नाम से एक अपार्टमेंट है आज से कुछ वर्ष पूर्व पाटलिपुत्र बिल्डर के मालिक अनिल सिंह ने साबू कांपलेक्स में तीन फ्लोर बनाने के लिए डीपी साबू से एग्रीमेंट किया जिसके एवज में उसे डीपी साबू को एक भारी भरकम राशि देनी थी। इसके अलावा अनिल सिंह ने इसी काम्पलेक्स में अपना कार्यालय खोलने के लिए डीपी साबू से किराए पर एक फ्लैट लिया।


अब आगे की कहानी सुनिए। अनिल सिंह ने एग्रीमेंट के अनुसार डीपी साबू को पहली किश्त के रुप में पांच-पांच लाख के दो चेक दिए दोनों चेक डिजानर हो गए। जब डीपी साबू ने उसपर दबाब डाला तो उसने उनका वह फ्लैट भी कब्जा कर लिया जिसे उसने अपने कार्यालय के लिए किराए पर लिया था। बाद में उस फ्लैट को भी अनिल सिंह ने किराए पर लगा दिया। सरकारी जात से आने वाले अनिल सिंह के विरुद्ध डीपी साबू ने मुख्यमंत्री से लेकर डीजीपी तक गुहार लगाया पर अनिल सिंह के विरुद्ध कभी कार्रवाई नहीं हुई।


पूर्व में बिहार में आए बाढ़ पीड़ितों के लिए मुख्यमंत्री सहायता कोष में पांच लाख रुपये देकर मुख्यमंत्री के साथ तस्वीर खिंचाने वाले अनिल सिंह आज सरकार से इसलिए खफा दिख रहें हैं क्योंकि उनके चैनल को सरकारी विज्ञापन नहीं मिल रहा है। धोखाधड़ी के एक अन्य मामले में भी अनिल सिंह को कुछ माह पूर्व कोतवाली पुलिस भी खोज रही थी पर बाद में किसी तरह मामला सलटा। आज अपने चैनल पर सच का बखान करने का दावा करने वाला आर्यन में ताकत नही है कि वह डीपी साबू के साथ हुए अन्याय को भी अपने चैनल पर दिखए। क्या आर्यन यह दिखा सकता है कि उसके निदेशक ने किस तरह एक व्यवसायी की संपत्ति हड़प ली। एक तरफ नीतीश कुमार बाहर के उद्मियों को बिहार में निवेश करने का न्योता दे रहे हैं दूसरी तरफ कभी नीतीश के खासमखास माने जाने वाले अनिल सिंह जैसे लोग ही बाहर के व्यवसायियों का बिहार से मोह भंग करा रहे हैं। दस वर्ष पूर्व तक अनिल सिंह के पास क्या था और आज क्या है और कहां व कैसे है इसकी अगर जांच हों तो बिहार के कथित विकास की तल्ख सच्चाई जनता के सामने आ जाएगी।
टिप्पणी के साथ अपना ई मेल दे जिस पर हम आपको जवाब दे सकें

Comments

Popular posts from this blog

आलोकधन्वा की नज़र में मैं रंडी थी: आलोक धन्वा : एक कामलोलुप जनकवि भाग ३

भूमिहार :: पहचान की तलाश में भटकती हुई एक नस्ल ।

आलोक धन्वा : एक कामलोलुप जनकवि – भाग १