बिहार के शिंखडी पत्रकार

बिहार के शिंखडी पत्रकार
बिहार में पत्रकारिता के स्तर की बात करना बेमानी है , हां कौन कितना बडा चमचा है यह न सिर्फ़ चर्चा का विषय रहता है बल्कि इसके लिये पटना के पत्रकारों में होड लगी रहती है । जमीन आवंटन घोटाले के बारे में अखबारों में जो छप रहा है , वह देखकर लगता है कि अखबार इस घोटाले की सच्चाई की तह तक जाने के वजाय नीतीश के पक्ष में दलीलें पेश करने और घोटाले से घिरे लोगों को निर्दोष साबित करने में ्लगे हैं।

अगर चवन्नी छाप पत्रकार यह सब करते तो बहुत आश्चर्य नही होता , क्योंकि वैसे पत्रकार चमचागिरी से हीं आगे बढे हैं। उस तरह के पत्रकारों का उद्देश्य भी येन केन प्रकरेण पैसे कमाना हीं रहा है , इसलिये अपना केबुल चैनल चलाने से लेकर अखबार की फ़्रंचाईज लेनेतक का काम ये पत्रकार करते हैं । उस तरह के पत्रकारों के नाम का उल्लेख करने का अर्थ है , वेश्या के बारे में लोगो को बताना की देखो यह वेश्या है ।

यहां हम जिक्र कर रहे हैं वैसे पत्रकारों के बारे में जिनका नाम कभी सम्मान के साथ अखबार की दुनिया में लिया जाता था। शुरुआत करते हैं ,


हिंदुस्तान के अक्कू श्रीवास्तव से अक्कू कार्यकारी संपादक हैं , इन्हे इस जमीन घोटाले के बारे में हिंदुस्तान के कुछ युवा उत्साहित पत्रकारों ने बताया है , लेकिन हिंदुस्तान को यह घोटाला हीं नजर नही आता ।


शैलेन्द्र दीक्षित पत्रकारिता जगत के चर्चित चेहरों में से एक , दैनिक जागरण के संपादक है । दैनिक जागरण की विश्वसनियता तो वैसे भी हमेशा संदिग्ध रही है और उसके उपर चुनाव के दरम्यान पेड न्यूज छापने का अभियोग लगता रहा है जिसका जवाब दैनिक ने आजतक नही दिया। लेकिन इस घोटाले में दैनिक जागरण तथा प्रभात खबर एक दुसरे से प्रतिस्पर्द्धा करते नजर आ रहे हैं , सच्चाई को सामने लाने की प्रतिस्पर्द्धा नही, कौन बडा चमचा है इसकी प्रतिस्पर्द्धा ।



चमचागिरी की दौड में सबसे आगे चल रहे अखबार का नाम है प्रभात खबर जिसके बिहार प्रमुख हैं हरिवंश जी , उनके नाम के आगे जी शब्द इसलिये लगा दिया गया है क्योंकि वह अभी नये मौलवी बने हैं , पहले से छवी साफ़ सुथरी रही है , कौन सी मजबूरी है , यह तो वही बता सकते हैं , वैसे यह भी पता चला है कि बिहार के सता के शीर्ष पर बैठे एक नेता का करोडो रुपया प्रभात खबर बिहार में लगा है , एक छोटे से जमीन का टुकडा तो प्रभात खबर को भी प्रिंटिंग के नाम पर आवंटित हुआ है , लेकिन वह कोई कारण नही हो सकता चमचागिरी करने का । अखबारों को तो सस्ते दर पर जमीन आवंटित होनी हीं चाहिये ।



प्रभात खबर में जमीन आवंटन से जूडे दो समाचार अचंभित करनेवाले हैं , एक है अमानुलाह परवीन की बेटी रहमत फ़ातिमा की, उनको आवंटित जमीन के बारे में सफ़ाई , दुसरा है पिता रामानंद तिवारी के नाम को कलंकित कर रहे जदयू प्रवक्ता शिवानंद तिवारी का बयान ।



रहमत फ़ातिमा खुद को आवंटित जमीन के लिये पुरी तरह योग्य मानती हैं तथा उनका कहना है कि कोई अनियमितता नही हुई है । फ़ातिमा ने बडे हीं भावुकतापूर्ण तरीके से समझाने का प्रयास किया है । अपनी मां का मंत्री होने को उन्होने मात्र एक संयोग बताया है । खुद को जितना निर्दोष साबित करने का प्रयास कर रही हैं फ़ातिमा उतना वो हैं नहीं। फ़ातिमा ने अ्पने बारे में बताया है कि एच आर डी से २०० ६ में इन्होने एम बी ए किया था। कुछ दिनों तक एक कंपनी मे नौकरी की फ़िर बिहार मे सता परिवर्तन के बात माहौल अच्छा देखकर , यहां चली आई खुद का उद्योग लगाने। इन्हें बिहिया औद्योगिक क्षेत्र में आठ हजार वर्गमीटर जमीन आवंटित की गई है ।



रहमत फ़ातिमा जी पर खुदा की रहमत बनी रहे और खुदा उनको वैसा हीं पाक –साफ़ बनने में मदद करे , जैसा वो खुद को दिखला रही हैं। रह गई मां के मंत्री और पिता के आई ए एस होने वाले संयोग की बात तो लगता है बिहार में सभी संयोग रहमत फ़ातिमा के परिवार के साथ हीं हो रहे हैं ।

पहले उनके पिता राज्यपाल देवानंद कुंवर और मुख्यमंत्री दोनों के पसंदीदा अधिकारी रहे और दोनो के बीच कुलपतियों की नियुक्ति के लिये चल रहे मनमुटाव में मध्यस्थ की भुमिका निभाई ।

माताश्री जी एक महिला के साथ एक एन जी ओ चलाते हुये पहुंच गई पटना मेडिकल कालेज अस्पताल , वहां की कुव्यवस्था के बारे में बहुत चिंता जताई लेकिन फ़िर ऐसा संयोग बैठा कि बिना किसी राजनीतिक संघर्ष के सीधे विधायक बनते मंत्री बन गई , वह भी समाज कल्याण मंत्री जो बिहार के भ्रष्टतम विभागो में से एक है तथा प्रत्येक आंगनबाडी केन्द्र को बाल विकास पदाधिकारी को दो हजार रुपये प्रतिमाह नाजायज देना पडता है जो कुपोषण के शिकार बच्चों के बीच बाटने के लिये आये राशन की राशि होती है ।

पटना मेडिकल कालेज के हालात जस के तस रह गये लेकिन फ़ातिमा जी की मम्मी जी ने लंबी छलांग लगाई , यह भी संयोग हीं था।





यह भी संयोग हीं था कि जब फ़ातिमा जी की माताश्री चुनाव लड रही थीं तो उनके पिताश्री दो-दो पदो पर विराजमान थें , अब यह तो चुनाव आयोग हीं बता सकता है कि इससे चुनाव प्रभावित होता है या नही ? । खैर यह भी फ़ातिमा जी का संयोग हीं है कि उनको जो प्लाट मिला उसकी वे अकेली दावेदार थीं।



अब शिवानंद तिवारी के बयान की बात करते हैं उन्होने कहा है कि आवंटन में कोई अनियमितता नही है , २००६ में विग्यापन प्रकाशित करने की प्रक्रिया को बंद कर दिया गया । अब तिवारी जी हीं बता सकते हैं कि जिनलोगों को जमीन का आवंटन हुआ , उन्हे कैसे पता चला कि कहां जमीन उपलब्ध है ।




खैर बात हो रही थी प्रभात खबर की तो प्रभात खबर को चमचागिरी मे यह भी याद नही रहा कि कम से कम यह तो बताये की क्या अभियोग विपक्ष लगा रहा है , कहां – कहां जमीन है और कौन – कौन संदिग्ध हैं इस घोटाले के । प्रभात खबर को सारी जानकारी है , खुद प्रभात खबर को एक प्लाट का आवंटन हुआ है पारसनाथ नाथ पाठक के नाम पर प्रिंटिंग प्रेस एवं न्यूज पेपर के लिये जिसका विवरण हम यहां दे रहे हैं ।





( 28 M/s Neutral Publishing House Ltd., Sri Shambhu nath Pathak, Prabhat Khabar, Aswaita Bhawan, Boring road chauraha, Patna-P-23(P) 10000 sq.ft. Printing Press for News Paper)





हरिवंश जी ने चुन-चुन कर टीम तैयार की है । सुरेन्द्र किशोर जैसे पत्रकार उनकी टीम में है जिन्हें सावन के अंधे की तरह हर तरफ़ सिर्फ़ हरा हरा यानी विकास हीं नजर आता है , चाहे वह बिजली के बिना रह रहा बिहार हो, या कोशी की बाढ, आंगनबाडी का घोटाला हो या नरेगा का फ़र्जी काम । हरिवंश जी एक एन डी तिवारी है , बहुत अच्छी छवि थी आजकल बार –बार आईना देख रहे हैं। हरिवंश जी के प्रभात खबर ने तो वेश्याओं को भी मात कर दिया है । यह तो नीतीश के रखैल की भूमिका में है ।



अभी और घोटालों का खुलासा होना बाकी है , नीतीश कुमार विपक्ष की पूजा करें कि वह अक्षम है उसके पास योग्य लोगों का अकाल है , वरना एसी डीसी बिल घोटाला क्या है सबको पता है । खरीद के लिये अग्रिम लिया , क्या खरीदा , उसकी रसीद हीं नही जमा की , जब मामला उठा तो रात-रात भर जागकर फ़र्जी बिल तैयार कर के जमा कर दिया ।
दुसरा घोटाला है बिहार राज्य वितीय निगम के कर्जों को एक मुश्त जमा कर के छुट का लाभ देने वाला । इस नीति को लागू करने का कारण था , उन लोगों को लाभ पहुंचाना जिनके उपर करोडो – करोड का बकाया था। वैसे लोगों में उप मुख्यमंत्री के नजदीकी लोग शामिल है , इस घोटाले की भी पोल जल्द हीं खुलेगी ।
( यह रिपोर्ट तथ्यों पर आधारित है , सीबीआई जांच से और भी खुलासे होंगे , परन्तु अगर किसी को आपति है तो वे न्यायालय का सहारा ले सकते हैं )
टिप्पणी के साथ अपना ई मेल दे जिस पर हम आपको जवाब दे सकें

Comments

Popular posts from this blog

आलोकधन्वा की नज़र में मैं रंडी थी: आलोक धन्वा : एक कामलोलुप जनकवि भाग ३

भूमिहार :: पहचान की तलाश में भटकती हुई एक नस्ल ।

आलोक धन्वा : एक कामलोलुप जनकवि – भाग १