शादी के दूसरे ही दिन भी या फिर दो-पांच-दस साल बाद भी. - सुनील अंकल माफ करें, यदि मेरी इस पोस्ट ने आपकी भावनाओं को किसी तरह से ठेस पहुंचायी हो तो... मेरे लिए तो वही सच आखिरी सच है, जिसे मैं फेसबुक पर लिखती हूं... बाकियों का नहीं पता.
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बेटियो की बिक्री
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आठ-नौ साल पुरानी बात है, मेरी शादी से दो दिन पहले ससुराल पक्ष की एक भद्र महिला (जो इस गुरूर से चौबीसों घंटे ओत-प्रोत रहती हैं, कि वह दुनिया की सबसे बुद्धिमान और पढ़ी-लिखी महिला हैं.) ने मुझसे पूछा, "तुम कौन सी गाड़ी ला रही हो? इनोवा या स्कॉरपियो या फिर कोई और लंबी गाड़ी?" इतने वाहियात सवाल का जवाब देने का मतलब की मैं अपना समय बरबाद करती, इसलिए 'अभी थोड़ा व्यस्त हूं' कहकर फोन काट दिया. वह बात वहीं, खत्म नहीं हुई... बल्कि की शादी के बाद भी इन मोहतरमा ने (जब भी मिलीं) जाने-अनजाने मुझसे कई तरह के लीचड़ और बेहूदे सवाल किये, लेकिन मैंने इनकी किसी भी बात का कभी भी जवाब देना ज़रूरी नहीं समझा. खैर, कल शाम सुनील अंकल का फोन आया बता रहे थे, कि "प्रज्ञा (इनकी बेटी उम्र 30 बरस) की शादी तय हो गयी है. तुम्हें बच्चों और प्रतीक के साथ शादी में ज़रूर आना है." मैंने कहा, "जी अंकल पूरी कोशिश करूंगी, लेकिन वादा नहीं कर सकती." फिर देर तक बातें हुईं. अंकल जी चूंकी मुझे मेरे बचपन के दिनों से जानते हैं, इसलिए हमलोग आपस में परिवार जैसे ही हैं. बातों-बातों में मालूम चला (जिस