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Showing posts from October, 2012

विनायक विजेता नही लेंगें पत्रकारिता से सन्यास

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विनायक विजेता नही लेंगें पत्रकारिता से सन्यास दावा हुआ सच साबित बिहार की पत्रकारिता के   हस्ताक्षर है विनायक विजेता जैसे पत्रकार । क्राईम रिपोर्टर के रुप मे स्थापित विनायक विजेता ने कुछ दिन पहले एक टिपण्णी फ़ेसबुक पर की थी । उन्होने एक पोस्टिंग की थी “  क्यों बैक फ़ुट      पर आ गये नितीश “ ।जैसा की फ़ेसबुक पर लोगो की एक आदत पड गई है , तथ्यो को न समझ कर कुछ मित्रो ने टिपण्णी की “ नीतीश किसी भी किमत पर नही करेंगे नियोजित शिक्षको से वार्ता “ हालांकि टिपण्णी करने वाले फ़ेसबुक यूजर नीतीश का गुस्से मे दिये उस बयान का जिसमे काले कपडे दिखाने और चप्पल फ़ेकने पर उन्होने कहा था कि वे अब नियोजित शिक्षको से कोई वार्ता नही करेंगे , पर विश्वास करते हुये प्रतिक्रिया व्यक्त की थी । । विनायक विजेता ने अपने स्वभाव के विपरित जाकर एक अप्रत्याशित घोषणा कर दी। क्या कहा था विनायक विजेता ने उसे हम यहा दे रहे । पहले उसे पढ ले तब बात को आगे बढायेंगें। “ कुछ मित्रों ने हमारे द्वारा फेसबुक पर डाले गए ‘ क्यों बैकफूट पर आ गए नीतीश कुमार ’ कॉलम पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर कर यह संदेश दिया है कि ‘ नीत

“ बासा “ भ्रष्टो का संगठन है

“ बासा “ भ्रष्टो का संगठन है बिहार ड्रामो का स्थल है , यहां नट का ड्रामा , बंदर   का नाच से लेकर आरा का प्रसिद्ध लौंडा नाच देखने को मिलता है । अभी मधुबनी मे एक लडका – लडकी की प्रेम कहानी के बाद भाग जाने और एक सरकटी ला्श बरामद होने के बाद हुये ड्रामे ने पुरे राज्य को अस्त व्यस्त कर दिया। प्रशांत नामक वह लडका १४ - १५ वर्ष की उम्र का था , एक प्रीति नाम की लडकी से प्यार करता था , दोनो भाग गये । मुकदमा दर्ज हुआ। इसी दरम्यान एक सरकटी लाश बरामद हुई । लडके के परिवार जनो का कहना था कि वह लाश प्रशांत की है। पुलिस का मानना था कि वह किसी और की लाश है। मामला बढ्ता गया। हालात बेकाबू हो गये , आगजनी , तोडफ़ोड का सिल सिला शुरु हुआ , पुलिस ने लाठी  भाजी ,  फ़िर गोली चलाई , तिन लोगो की मौत हुई पुलिस की गोली से ,  मुख्यमंत्री अपनी अधिकार यात्रा मे व्यस्त रहे। जब देखा हालात बिगड रहे हैं तो आरा - बक्सर की यात्रा अस्थगित कर दी। आरा – बक्सर दोनो सवर्ण बहुल क्षेत्र है जो मुख्यमंत्री का समर्थक वर्ग रहा है , अपने समर्थको के बीच जाने मे भय महसुस करना , सवालिया निशान पैदा करता है। मुख्यमंत्री

भ्रष्टो को साथ ले , भ्रष्टाचार के खिलाफ़ राजद- कांग्रेस का आंदोलन

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स्थानीय प्रतिनिधियों को अधिकार नही जेल चाहिये मुखिया - पार्षदो को राजद – कांग्रेस का समर्थन नितीश का विरोध क्या षडयंत्र है ? भ्रष्टो को साथ मे लेकर भ्रष्टाचार के खिलाफ़ लडाई , हास्यापद राजद – कांग्रेस चेत जायें। अभी बिहार के गया जिले मे एक नया शगुफ़ा छोडा है स्थानीय प्रतिनिधियों ने । उनका कहना है कि अधिकारी उन्हे अधिकार प्रदान नही कर रहे हैं । स्थानीय प्रतिनिधि यानी नगर निकाय , नगरपालिका , नगर निगम एवं पंचायत के निर्वाचित   प्रतिनिधि , मुखिया , सरपंच , मेयर अध्यक्ष वगैरह । राजीव गांधी के लिये गये निर्णयों मे सबसे गलत था स्थानीय निकायों को संवैधानिक मान्यता प्रदान करना। भ्रष्टाचार के खाते मे जानेवाले एक रुपया मे से अस्सी पैसा इन्हीं प्रतिनिधियों की जेब मे जाता है । एक मुखिया या पार्षद चुनाव जितने के पहले हीं साल में सायकिल से बेलोरो या स्कार्पियो पर चलने लगता है जबकि उसे कोई वेतन नही मिलता है । नगरपालिका और जिला परिषद के अध्यक्ष , उपाध्यक्ष के चुनाव मे चुननेवाले प्रतिनिधियों की खरीद - बिक्री का खेल खेला जाता है। मैने बहुत पास से गया नगर निगम का खेल देखा है । १० साल