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Showing posts from December, 2011

बुढापे में पैदा हुआ अन्ना को बेटा

बुढापे में पैदा हुआ अन्ना को बेटा आश्चर्य न करें राजनीति कुछ भी करा सकती है । जब से अन्ना पर आर एस एस से संबंध  रखने और उसके इशारे पर काम करने का आरोप लगा है , अन्ना  टीम परेशान थी , परेशानी यह थी कि अल्पसंख्यको का वोट ुनके द्वारा गठित या समर्थित भाजपा की सेक्यूलर मुखौटा वाले दल को कैसे मिलेगा । बिहार में नीतीश , एक महान सेक्यूलर हैं , लेकिन सैद्धांतिक रुप से संप्रदायिक सिद्धांतवाले दल भाजपा से खुब छनती है । राष्ट्रीय स्तर पर भी यही ड्रामा करना पडेगा , यह भाजपा को पता है । अन्ना को भी पता है , कांग्रेस और धर्मनिरपेक्ष दलों को तभी पराजित किया जा सकता है , जब उनके अंदर विरोध पैदा किया जाय । जैसा बिहार में किया गया । खैर अब अना टीम की परेशानी खत्म हो गई , अन्ना को बेटा पैदा हुआ है , वह भी  जवान सारी  सारी बुढा । बेटा भी धर्मनिरपेक्ष है , मुस्लिम जो है ।  उस बेटे का नाम है आलाउद्दीन शेख । अब आप यह न प्रश्न करें कि कौन है यह अलाउद्दीन शेख , जायज औलाद है या नाजायज । भाई ७४ वर्ष में बच्चा पैदा हुआ यह क्या कम है जो आपलोग फ़ालतू बातें पुछ रहे हैं । एक और बात पुरानी कहावत है हाथी  घूमे गांव

बिहार मे भी है एन जी ओ का जाल , करोडो लेते हैं विदेश से

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बिहार मे भी है एन जी ओ का जाल , करोडो लेते हैं विदेश से ऐसा नही है कि बिहार ठगी में पीछे है । विदेशों से एक करोड रुपया से अधिक दान प्राप्त करने वाले एन जी ओ की संख्या ३० है   बिहार में । सबसे ज्यादा १२ एन जी ओ पटना में हैं। उसके बाद ४ मुंगेर में । मुंगेर के चारो एन जी ओ ने योग और धर्म के नाम पर दान लिया है और चारों का कार्यालय मुंगेर के एक हीं क्षेत्र , फ़ोर्ट एरिया , गंगा दर्शन , मुंगेर है । यानी कहीं न कहीं इन चारों का अपस में संबंध है । उसी प्रकार भागलपुर के तीन एन जी ओ हैं जिनमें से दो एन जी ओ के कार्यालय का पता एक हीं   हैं। चांसरी आफ़िस , नवाब कालोनी , भागलपुर । भागलपुर के संगठन ईसाइ हैं ।   मधुबनी का १ , रक्सौल का २ , बेतिया का २ , जमुई का १ , पुर्णिया का १ , सारण का १ , बक्सर का १ , मुजफ़्फ़रपुर का १ और रांची का भी एक संगठन है जिसने खुद को बिहार का बताया है । संगठनों की सूची में दलित के नाम पर एन जी ओ चलानेवाले ४ - ५ संगठन हैं , सबसे मजेदार बात है कि फ़ुटपाथी दुकानदार और ठेला खोमचा वालों के नाम पर स्थापित नासवी यानी न्यू एसोशियेशन आफ़ स्ट्रीट वेंडर आफ़ इंडिया नाम के संगठन न

क्या एन जी ओ को लोकपाल से बचाने के लिये अरुण जेटली ने पैसे खायें ?

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एन जी ओ ट्रस्ट , तोपपाल से बाहर हों : भाजपा यह है भाजपा का विचार जो उसके नेता अरूण जेटली ने राज्यसभा में प्रस्तुत किया । भाजपा ने राज्यसभा में बहस के दौरान एन जी ओ और ट्रस्ट को लोकपाल के दायरे से बाहर रखने की ्बात की और उसके नेता अरूण जेटली ने अपने तर्क के पीछे कारण बताया कि इनको लोकपाल के दायरे में रखने का अर्थ होगा निजता में हस्तक्षेप । अरुण जेटली एक अधिवक्ता हैं , अगर किसी और सांसद ने यह बात कही होती तो क्षम्य था लेकिन कोई अधिवक्ता यह बोले , आश्चर्य है । एन जी ओ का निबंधन सोसायाटी रजिस्ट्रेशन एक्ट १८६० की धारा २१ के तहत होता है । सरकार के खाते में एक निर्धारित शुल्क जमा करने के बाद , निबंधन से संबधित कागजात निबंधन विभाग के पास जमा किया जाता है । किसी भी निबंधित संस्था के कागजातों की सच्ची प्रतिलिपी   कोई भी व्यक्ति एक तयशुदा रकम देकर हासिल कर सकता है । जब कोई भी व्यक्ति इसे हासिल कर सकता है तो यह निजी कैसे हुआ। यह पब्लिक डाक्यूमेंटस की श्रेणी में आ गया । अब एक और उदाहरण देता हूं । आर टी आई एक्ट में भी निजता की रक्षा का प्रावधान है । किसी तिसरे आदमी के बारे में सूचना नही दी जा

सबसे बडा कौन ? बता रहे हैं विनायक विजेता

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पटना के जानेमाने पत्रकार हैं विनायक विजेता , यह उनका लिखा हुआ है जो फ़ेसबुक पर पोस्ट था । विनायक जी हालांकि शराब वगैरह जैसी चीजों से दूर रहते हैं, लेकिन यहां उन्होने शराब की महता बताई है । आप भी आनंद लें । विनायक विजेता : ·          मैं अपने एक पत्रकार मित्र के विशेष आग्रह पर शराब और शराबी की महत्ता से संबंधित यह कविता वॉल पर डाल रहा हूं। आशा है ‘न पीने वाले मित्र’ इसे अन्यथा नहीं लेंगे पर पीने वाले मित्र तो खुश जरुर होंगे। मित्रों के कमेंट से पता चलेगा कि कौन लेते है और कौन नहीं! एक शराबी रात में टुन्न होकर मयखाने से निकला। रास्ते में उसे एक पंडीत जी मंदिर से बाहर निकलते दिखे। शराबी सीधे पंडीत जी के पास पहुंचा और उनसे एक सवाल का जवाब देने का आग्रह करने लगा । पंडीत जी ने पीछा छुडाने के उद्देश्य से कहा कि पूछो शराबी : सबसे बडा कौन ? पंडीत : मंदिर बडा शराबी : मंदिर बडा  तो फ़िर धरती पर क्यों खडा   ? पंडीत : धरती बडी शराबी : धरती बडी तो शेषनाथ के माथे पर क्यों खडी ? पंडीत : शेषनाथ बडा शराबी ; शेषनाथ बडा तो फ़िर शंकर के गले में क्यों पडा ? पंडीत : नही भाई शंकर बडा श

तोपपाल ने बनाया सबको उल्लू

तोपपाल ने बनाया सबको उल्लू किसी भी चीज को बिना परखे उसके लिये चाह नही पैदा करनी चाहिये । दो खुराफ़ाती थें , उन्हें नाम कमाने की बडी इच्छा थी । चाहते ्थें कुछ ऐसा करें कि नाम और दाम दोनो आये और महान भी कहलायें। एक था पत्रकार और एक आइएएस बनने में फ़ेल हो गया आइआरएस । लगे रहें खोजबीन में । अचानक उन्होनें देखा पूरी दुनिया में उथल पुथल मची हुई है । अनेको देश में क्रांति क्रांति का नारा लग रहा है , बस उछल पडे दोनो । उन्हें राह मिल गई थी । उन्होने अपने मित्र , सलाहकार , व्यवसायिक मित्रों से सलाह मशवरा शुरु किया । खोजकर के एक नाम निकाला लोकपाल । बडा धांसू नाम था । लोगो को लूभा   सकता था । क्रांति के लिये विषय चुनने में कोई मेहनत नही करनी पडी । देश के लोगों का गुस्सा भ्रष्टाचार के खिलाफ़ था । उसको हीं मुद्दा बनाने का फ़ैसला लिया । माल के लिये एक व्यवसायिक मित्र ने विदेश से दान दिला दिया । सज गया मंच । अब कुछ महा गदहों को खोजने की जरुरत थी , जो अक्ल के अंधे हो लेकिन नाम नयन सुख हो । वह भी मिल गयें , हमारे देश में नयनसुखों की कमी तो है नही। नाम दारोगा काम चोरी , नाम रामजी काम चिरहरण ।

पंचम को क्यों मारा नीतीश जी

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पंचम को क्यों मारा नीतीश जी हरवंश जी , अक्कू महोदय कहां सोये हैं जूली के सामने उसके पति को पुलिस ने घर से बाहर खींचकर गोली मार दी । जूली के पति का नाम था पंचम । पंचम दलित था , गरीब था , और पुलिस की नजर में नक्सलवादी था। था या नही , यह तो जांच से हीं पता चलेगा। लेकिन हालात बयां कर रहे हैं कि पंचम निर्दोष था। घटना गत शुक्रवार की रात की है । गया जिले के अतरी गांव का रहनेवाला पंचम चेन्नई की एक फ़ैक्टरी में नौकरी करता था , छुट्टियों में गांव आया हुआ था । चेन्नई से हर माह दो हजार रुपये घर भेजता था । धान की कटनी का समय , बुढे बाप रामदेव ने घर बुला लिया बेटे को । २५ दिसंबर को वापस जानेवाला था अपनी नौकरी पर । मात्र एक माह पहले गांव लौटा था , पुलिस ने जाने के पहले २३ दिसंबर को मार गिराया । पंचम के परिवार की त्रासदी है , माथे पर लगा नक्सलवादी होने का कलंक । १९८७ में जब पंचम पैदा भी नही हुआ था , उसके गांव में नक्सलवादी और पुलिस के बीच मुठभेड हुई , पंचम के पिता रामदेव पासवान को नक्सलवादी होने के शक में पुलिस पकडकर ले गई थी। एक बार जो बिहार पुलिस के हत्थे चढ गया , उसकी आनेवाली पीढियों तक क

भारत के सांसदो ने बेचा अपनी बेटियों को

भारत के सांसदो ने बेचा अपनी बेटियों को हिजडे टीवी वालों ने और न हीं अखबारों ने उठाया इस मामले  को किसी भी टीवी या अखबार ने नही दी कोई रिपोर्ट कल लोकपाल के लिये हुई वोटिंग में सबसे गलत जो बात हुई वह थी , कारपोरेट सेक्टर को लोकपाल के अंदर लाने के लिये लाये गये संशोधन प्रस्ताव का गिरना।   मुझे न तो अन्ना से मतलब है और न हीं कांग्रेस से या भाजपा सहित अन्य दलों से , लेकिन संसद में लोकपाल के चर्चा के दौरान जो हुआ , उसके लिये देश न तो कांग्रेस को माफ़ करेगा और न अन्ना को । एक बात सबको ्पता है । पूंजीवाद के आगमान के साथ हीं सरकारी संस्थाओं की जगह प्रायवेट सं्स्थाओं ने ले ली । कारपोरेट घराने भ्रष्टाचार की जड हैं। चाहे वह टूजी घोटाला हो या कामन वेल्थ , इन सभी घोटालों के पिछे कारपोरेट घरानो का हाथ है । एक संशोधन आया था शायद वह दुरस्वामी का था , मुझे नाम याद नहीं । वह संशोधन पास नही हुआ । उस संशोधन में कारपोरेट घराने और मीडिया को लोकपाल के दायरे में लाने की बात थी । सीवीसी ने भी कारपोरेट घरानो को लोकपाल के दायरे में लाने की वकालत की थी । जिस तरह से वह संशोधन गिरा , मुझे लगा इन

भाजपा की आपति गलत है ; लोकायुक्त होना चाहिये

राज्यों में लोकायुक्त का प्रावधान संघीय ढंचा के खिलाफ़ नही भाजपा को लोकपाल के मु्ख्यत : तीन प्रावधानों पर आपति है। पहला   सीबीआई पर सरकार का नियंत्रण , दुसरा लोकायुक्त की नियुक्ति का प्रावधान और तिसरा अल्पसंख्यको के लिये आरक्षण सबसे पहले एक बात समझ लेना आव्श्यक है वह है हमारा संविधान । भारत और पाकिस्तान एक साथ आजाद हुयें । भारत के संविधान को मात्र एक हमला झेलना पडा वह था आपातकाल । पाकिस्तान का संविधान लगातार हमले झेल रहा है । दोनो देशों की व्यवस्था में बुनियाद फ़र्क है शासन प्रणाली । भारत में लोकसभा सर्वोच्चय है । सेना , जांच एजेंसी यहां तक की न्यायपालिका भी लोकसभा के प्रति जबाबदेह है । पाकिस्तान की सेना स्वतंत्र है । जांच एजेंसी आइ एस आइ सरकार के अधिन नही है । परिणाम सामने है । बार बार सैनिक शासन और आइ एस आइ की मनमानी हरकत । सीबीआई या कोई भी संस्था सरकार से स्वतंत्र नही हो सकती । इसके अपने खतरे हैं । कभी भी राजनीतिक फ़ायदे के लिये उसका सर्वोच्चय अधिकारी कुछ भी कर सकता है । सरकार के अधिन होने के भी खतरे हैं , सीबीआई का राजनीतिक दुरुपयोग। लेकिन राजनीतिक दुरुपयोग को संसद में बहस

एन डी टी वी दर्शको कों उल्लू समझता है

एन डी टी वी दर्शको कों उल्लू समझता है अन्ना का आर एस एस के साथ संबंध है तथा अन्ना ने नानाजी देशमुख के साथ एक संस्था   बनाई थी , इससे संबंधित समाचार तथा फ़ोटो नई दुनिया ने प्रकाशित किया था । उसके बाद किरन बेदी ने दिग्विजय सिंह की नानाजी देशमुख के साथ एक फ़ोटो ट्विट किया । बस एक नई बहस छिड गई तस्वीरों को लेकर । अन्ना ग्रुप यह तर्क देने लगा कि अन्ना की तस्वीर नाना जी देशमुख के साथ होने के आधार पर उनका आर एस एस से संबंध नही जोडा जा सकता । मीडिया की भूमिका सबको पता है , एक डी टी वी एक कदम आगे निकल कर नानाजी के साथ अन्य नेताओं की तस्वीर दिखाने लगा और प्रश्न खडा कर दिया कि क्या जिन नेताओं की तस्वीर नाना जी के साथ उन्हें तस्वीरों के आधार पर आर एस एस से संबंधित बताया जा सकता है । सबसे पहले तो यह सारा मामला हीं एन डी टी वी ने गलत तरीके   से प्रस्तुत किया । नई दुनिया ने तस्वीर के साथ यह खबर भी छापी थी कि अन्ना हजारे ने नाना जी देशमुख के साथ मिलकर एक संस्था बनाई थी “ ग्राम विश्व “ इस संस्था के अध्यक्ष नानाजी देशमुख थें और महासचिव अन्ना । यह संस्था दीन दयाल शोढ संस्थान से जुडी हुई थी । मामला स

जेल भरो के नये आकडे ; फ़र्जी रजिस्ट्रेशन

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अन्ना के जेल भरो अभियान की सच्चाई सामने आने लगी है । अभीतक एक लाख पन्द्रह हजार लोगो ने रजिसट्रेशन कराया है । फ़र्जी रजिसट्रेशन की सुविधा उपलब्ध है । आप नाम बदलकर और गलत नंबर देकर हजार बार रजिसट्रेशन करा सकते हैं । राज्यवार आंकडे यहां दे रहा हूं । आंकडे चौकानेवाले हैं । मात्र दिल्ली और मुंबई में ४० हजार लोगो ने रजिस्ट्रेशन कराया है , यानी जहां अन्ना चौकडी है, वहीं ४० प्रतिशत रजिस्ट्रेशन हुआ है । राज्यवारऽअकंडा देखें . टिप्पणी के साथ अपना ई मेल दे जिस पर हम आपको जवाब दे सकें

गीता ने बर्बाद किया भारत को

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का पक्षधर होना और उसका दिखावा करना दोनो दो है । कुछ लोग स्वंय की छपी हुई बातों को या जो उन्हें अपने अनुकूल लगती है उन बातों को छपने पर उसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहते है लेकिन अगर कुछ खिलाफ़ में छप गया तो उसका विरोध करने और विरोध के लिये तरह तरह के कानून का हवाला देने का काम करते हैं । अभी एक नया विवाद पैदा हुआ है । गीता को लेकर । बहुत सारे लोग गीता को एक महान धर्म ग्रंथ मानते हैं । ऐसा माननेवालों में उन लोगों की संख्या ज्यादा है जिन्होने कभी गीता को पढा भी नही है । यह विवाद रुस में गीता पर प्रतिबंध लगाने के लिये दायर एक मुकदमे से पैदा हुआ । दुनिया के सभी धर्म कट्टरता सिखलाते हैं । धर्म सिर्फ़ लडने का उपदेश देते हैं । मैं स्वंय गीता को भाई भाई के बीच लडाई लगानेवाला और शोषणकारी ग्रंथ मानता हूं । मैने गीता को पढा है । नूतन ठाकुर एक आर टी आई एक्टिविस्ट हैं , सुलझे हुये विचार की महिला हैं। मेरे फ़ेसबुक के फ़्रेंड लिस्ट में   हैं , उन्होने फ़ेसबुक के हीं एक व्यक्ति     सीआई चमबर द्वारा गीता की आलोचना करनेवाली एक पोस्ट को आधार बनाकर मुकदमा कर दिया है । मैं उनकी इस ह

जेल जानेवाले अन्ना समर्थक बाकी विरोधी

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अन्ना चौकडी को अबतक नही मिलें लाख लोग अन्ना चौकडी देश की १२१ करोड जनता की मालिक बनने का दावा करती है । जब भी कहीं चर्चा हो, अरविंद  से लेकर किरन तक अपनी मांग और आवाज को देश की एक सौ एक्कीस करोड जनता की आवाज बताते हैं । लगता है जैसे देश इनकी जमींदारी है और जनता इनकी प्रजा। १२१ करोड में मेरे जैसे लोगों की संख्या भी करोडो में है । मैने अभीतक अन्ना चौकडी को मेरी तरफ़ से बोलने के लिये एफ़िडेवीट कर के नही दिया है , लेकिन चौकडी मुझे भी अपना हीं समर्थक बताती है क्योंकि १२करोड में मैं भी शामिल हूं । एक फ़ार्मूला ईजाद किया है मैने जिससे अन्ना चौकडी के समर्थकों की अनुमानित संख्या का पता चलेगा । अन्ना चौकडी ने जेल भरो का आह्वान किया है । उसके लिये वेब साइट बनाया है जहां अन्ना चौकडी के समर्थक अपना निबंधन करा सकते हैं । अन्ना चौकडी के आह्वान पर जो लोग जेल भरो के लिये निबंधन कराते हैं उन्हें अन्ना चौकडी का समर्थक और बाकी १२१ करोड में से जो लोग निबंधन नहीं कराते उन्हें अन्ना चौकडी का विरोधी माना जायेगा । यही है मेरा फ़ार्मूला । अभीतक मात्र ९३२७९ लोगों ने निबंधन ्कराया है । एक लाख का भी आंकडा पुरा नही हो

कामवाली बन न जाये घरवाली

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कामवाली बन सकती है सौत एक वेब पोर्टल है मधेपुरा टाइम्स , राकेश सिंह , रुद्र नारायन यादव   और पंकज भारतीय इसका संचालन करते हैं । यह पोर्टल मधेपुरा के अलावा बिहार के अन्य भागों की भी जानकारी देता है । सुबह नेट पर मार्निंग वाक करते हुये मधेपुरा टाइम्स चला गया , वहां एक लेख था मधेपुरा में कामवाली यानी घर का चौका बरतन करनेवाली औरतों पर । आजकल इजी मनी का आसान रास्ता महिलाओं के लिये है अपने जमीर से समझौता करके आनंद भी लेना और पैसा भी कमाना । औरतों को घर की चारदिवारी के अंदर रखकर स्वंय जहां मौका मिला लाईन लगा देनेवाले पुरुषों के लिये यह लेख एक सबक है । सावधान हो जायें मर्द । यहां मधेपुरा टाइम्स के लेख को दे रहा हूं , आप पढें और बदलते जमाने में बदलता बिहार का आनंद उठायें। खास चिंता की जरुरत नही है , यह सामंती प्रवर् ‍ ति सदियों से चली आ रही है । कामवाली है तो उसका शरीर पर हमारा अधिकार है । मधेपुरा में सेक्स परोस रही कामवाली बाई अपसंस्कृति मधेपुरा जैसे छोटे शहर में भी अपना पाँव पसार रही है.जिला बनने के बाद स्वाभाविक तौर पर इसका विकास तेजी से होने लगा.सैंकडों कार्यालय खुले और शहर की आबा

यशवंत सिंह उर्फ़ भड़ास ४ मीडिया का नया चेहरा

यशवंत सिंह उर्फ़ भड़ास ४ मीडिया का नया चेहरा at 1:08 AM Posted by Sushil Gangwar - 09167618866 अभी मैंने एक ब्लॉग मीडिया दलाल डाट ब्लॉग स्पोट . कॉम शुरू किया तो कमेन्ट बॉक्स में लोगो ने जमकर लिखा | मीडिया दलाल ब्लॉग साक्षात्कार डाट .कॉम का ही हिस्सा है | मै दाद देता हु डॉ.रूपेश श्रीवास्तव को जिसने यशवंत सिंह उर्फ़ भड़ास ४ मीडिया को उजागर करने में रौशनी डाली | कभी भड़ास का हिस्सा रहे डॉ. रुपेश जी आजकल नवी मुंबई में रहकर अपना ब्लॉग भड़ास . टी के और अपने डॉक्टर पेशे को चला रहे है | मीडिया दलाल ब्लॉग मीडिया के दलालों को देख कर बनाया गया है जो किसी न किसी तरीके से मीडिया में जुगत लगाकर माल बना रहे है इसमे मीडिया की खबरों को शामिल किया जा रहा है | मै डॉ.रूपेश श्रीवास्तव के कमेन्ट को मीडिया दलाल ब्लागस्पाट डाट काम से साभार लेकर लगा रहा हु आप भी पढ़े | और अपने कमेन्ट लिखे | 17 December 2011 23:32 डा.रूपेश श्रीवास्तव( Dr.Rupesh Shrivastava) says: सुशील भाई , यशवंत सिंह के बारे में कुछ कहना उचित नहीं है क्यो