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Showing posts from May, 2012

नारायण दत तिवारी ब्लड सैंपल विवाद : उच्चतम न्यायालय का आदेश संवैधानिक प्रावधानों का उलंघन्न तो नही

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नारायण   दत तिवारी ब्लड सैंपल विवाद : उच्चतम न्यायालय का आदेश संवैधानिक प्रावधानों का उलंघन्न तो नही उच्चतम न्यायालय को   पहले   रोहित शेखर के पिता, दादा या चाचा का डीएनए टेस्ट करवाना चाहिये था । नारायण दत तिवारी के मामले में न्यायालय तथा एन डी तिवारी , दोनो एक दुसरे से टकराव की मुद्रा मे हैं। उपर से देखने में यह विवाद जितना सामान्य दिखता है उतना है नही । न्यायालय द्वारा ब्लड सैंपल देने के आदेश और एन डी तिवारी द्वारा ब्लड सैंपल देने से इंकार करने ने एक नई बहस पैदा कर दी है । दोनो में कौन सही हैं और देश के संविधान के अनुरुप क्या जायज है यह एक बहुत बडा मुद्दा बन चुका है । सबसे पहले तो इस मामले के मानवीय या भावनात्मक पहलू को दर किनार कर देना होगा । एन डी तिवारी के जैविक पुत्र होने का दावा करनेवाला शख्स उनका जैविक पुत्र है या नही यह निश्चित रुप से विवाद का विषय है लेकिन इसका फ़ैसला करने के पहले न्यायपालिका को यह देखना होगा कि याचिका का उद्देश्य क्या है । यह सबसे अहम पहलू है जिसकी लगातार उपेक्षा न्यायपालिका ने की है यहां तक कि

शिवदीप लेंडे: एस पी या हवालदार

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शिवदीप लेंडे : एस पी या हवालदार ! निरमल बाबा उर्फ़ निरमलजीत सिंह नरुला के खिलाफ़ एक मुहिम चल पडी है । जिसे देखो वही यह साबित करने में लगा है कि निरमल बाबा ठग हैं , चार सौ बीस यानी धोखेबाज हैं , लोगों को भयभीत करके पैसे वसूलते हैं। निरमल बाबा के खिलाफ़ यह मुहिम भारत   से नही शुरु हुई । इसकी शुरुआत विदेश के एक वेबसाईट्स   www.hubpages.com   से हुई । भारत में एक विवादास्पद अखबार जो उषा मार्टिन का है , “ प्रभात खबर “ ने सबसे पहले निरमल बाबा पर एकपक्षीय हल्ला बोला ।   पत्रकारिता जगत के लोगों को पता है प्रभात खबर के संपादक हरिवंश जी देश की राजनीति के कौन से खेमे का   हितपोषण करते हैं । निरमल बाबा पर मुकदमा की भी शुरुआत हो गई । सबसे पहले एक आइ पी एस अमिताभ ठाकुर जो यूपी के मेरठ में पोस्टेड हैं , उन्होने अपने बेटा एवं बेटी के माध्यम से मुकदमा दर्ज करवाया । यूपी पुलिस ने केस दर्ज करने से इंकार कर दिया तो न्यायालय में कंप्लेन दर्ज कर के उसे थाने भेजने की प्रार्थना की अमिताभ ठाकुर ने । अमिताभ ठाकुर से एक बार दिल्ली में मुलाकात है । फ़ोन पर भी एक – दो बार बातचीत हुई है । उनकी पत्नी नूतन

गया मेयर –डिपुटी मेयर चुनाव : बेंगो की खरीद-बिक्री शुरु

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गया मेयर – डिपुटी मेयर चुनाव : बेंगो की खरीद - बिक्री शुरु मेढक को आम जन की भाषा में बेंग कहते हैं । बेंग का एक लक्षण है , उसे कभी भी एक बर्तन में आप नही रख सकते हैं। एक बेंग को पकडकर टोकरी में रखा तबतक दुसरा बेंग उछल कर बाहर । नगर निगम के पार्षदों में यह गुण पुरी तरह से मौजूद है। शायद – नाली साफ़ करवाते करवाते उन्होने यह गुण बेंगो से ग्रहण कर लिया है । यह मैं नही कहता बल्कि पार्षद स्वंय भी एक दुजे को प्यार से बेंग कहते हैं। गया नगरनिगम का चुनाव संपन्न हो गया । तिरपन बेंग जितकर आये हैं। बेंगो की सरकार बननी है । कौन मेयर बनेगा और कौन उप मेयर इसके लिये बेंग-  दौड शुरु हो गई है। इस दौड के नियम पहले आपको बता देता हूं । कौन कितने बेंग को खरीदता है इसपर निर्भर है मेयर या उप मेयर बनना । जिसके टोकरी में ज्यादा बेंग  होगा वही मेयर बनेगा । पिछली बार पचास हजार से तीन लाख तक में बेंग बिके थें। इसबार पुराने बेंग ज्यादा जितकर आये हैं , अब वे मक्कार बन गये हैं , उनका मकसद है ज्यादा से ज्यादा किमत वसूलना । । पुराने पार्षदों नें पांच साल में पैसा भी अच्छा खासा कमा लिया है । इसबार तीन लाख पर

कहने को आदर्श करने को समझौता

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कहने को आदर्श करने को समझौता देश में भ्रष्टाचार है । राजनीति में अपराधी है। जनता का आक्रोश था अन्ना का आंदोलन । जनता कराह रही है । वह अच्छे लोगों को राजनीति में देखना चाहती है । और भी बहुत सारी बाते। सुनने में , पढने में अच्छा लगता है । फ़ेसबुक जैसे वक्त बर्बाद करनेवाले साइट्स पर इस तरह की बहस अक्सर दिखती है । अरुण साथी ने लिखा पहली बार लोकतंत्र के महापर्व को नजदीक से देखा। दबंगई , शराब , पैसा । मैं छात्र जिवन से देखता आ रहा हूं। अरुण साथी का लिखा देखकर मन हुआ थोडा मैं भी शेयर कर दूं अपने अनुभव को । अभी नगरपालिकाओं का चुनाव हुआ बिहार में । शुरुआत चुनाव आयोग से हो तो ज्यादा उचित है। इस संस्था पर लोकतंत्र को बचाने की जिम्मेवारी है। बिहार चुनाव आयोग के मुख्य अधिकारी यानी आयुक्त हैं हेमचंद्र सिरोही । कभी विवादास्पद आई ए एस अधिकारी रह चुके हैं। महेश – सरिता नामक दो समाजसेवी कार्यकर्ताओं की हत्या के साथ जुडे हैं इनके तार । इनसे आशा तो नही थी कि अच्छा काम कर सकते हैं लेकिन लगा समय के साथ आया बदलाव अंगुलीमाल और वाल्मिकी का मन बदल सकता है तो शायद चुनाव आयुक्त जैसे पद पर बैठा व्यक

हिन्दुस्तान’ पटना को नोटिस देगी पटना पुलिस

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प्रेम सिंह हिन्दुस्तान ’ पटना को नोटिस देगी पटना पुलिस जिस मामले ने राज्य के शासन और प्रशासन की नींदे हराम कर दी हैं उस मामले में पटना से प्रकाशित दैनिक ‘ हिन्दुस्तान ’ में छपी एक खबर से प्रशासन और पुलिस महकमा के साथ हिन्दुस्तान के पाठक भी अवाक हैं। पटना में दो दिनों के अंदर दो और उपरी पहुंच वाले शराब व्यवसायियों की हत्या की गुत्थी अभी पुलिस सुलझाने में जुटी ही है कि पटना से प्रकाशित दैनिक हिन्दुस्तान ने ऐसी खबर छापी की पाठक , पुलिस अधिकारी और इस मामले की जांच में लगे अधिकारी अवाक हैं। सबसे महत्वपूर्ण है कि वह खबर वैसे समय छापी गई जब पटना के विवादित संपादक को हटाकर यहां एक कर्मठ और सुयोग्य समझे जाने वाले संपादक के के उपाध्याय को लाया गया। सुशासन के दूसरे टर्म के सबसे बहुचर्चित साकेत गुप्ता हत्याकांड और उसके बाद साकेत की हत्या में नामजद प्रेम की हत्या मामले में हिन्दुस्तान , पटना में मंगलवार को यह खबर छपी कि ‘ पहले बोलेरो फिर बाइक पर बैठे थे प्रेम सिंह। ’ इस खबर में एक प्रत्यक्षदर्शी का हवाला जिसका नाम नहीं दिया गया है का हवाला दिया गया है और समाचार में कहा गया है कि वह प्र

साकेत गुप्ता हत्याकांड ; गिरफ्तारी या हत्या के भय से सरेंडर कर सकते हैं नामजद

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·         गिरफ्तारी या हत्या के भय से सरेंडर कर सकते हैं नामजद ·          प्रेम का हश्र देख आरोपितों में छाया है भय ·          सभी आरोपितो ने बंद कर रखे हैं अपने मोबाइल ·          डीजीपी खुद रख रहें हैं पूरे मामले पर नजर ·          प्रतिदिन की जांच प्रगति का ले रहे जायजा अभ्यानंद ·          अपने सहयोगी के   भाई की हत्या से दुखी हैं पुलिस प्रमुख यह समाचार विनायक विजेता के फ़ेसबुक से ली गई है ( विनायक विजेता ; बिहार के वरीय पत्रकार एवं क्राईम रिपोर्टिंग के क्षेत्र स्थापित नाम ) पटना: शराब व्यवसायी साकेत गुप्ता की हत्या में आरोपित किए गए कथित शराब व्यवसायी और अन्य फरार अपराधी इस मामले में आरोपित प्रेम सिंह के हश्र को घ्यान में रख जल्द ही चुपके से न्यायालय में आत्मसमर्पण भी कर सकते हैं। फरार आरोपितो को जहां गिरफ्तारी पर पुलिस के डंडे या टार्चर की फिर्क सता रही है वहीं प्रेम सिंह की तरह कहीं हत्या कर दिए जाने की भी आशंका। पुलिस कस्टडी में जाने पर उनकी जान तो किसी तरह बच भी सकती है पर प्रेम की हत्या करने वाले की कस्टडी में जाने पर उन्हें कोई तारणहार मिलेगा इसकी संभाव

साकेत-प्रेम हत्याकांड

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साकेत-प्रेम हत्याकांड ·          सम्पूर्ण प्रकरण का मास्टरमाइंड है प्रमोद यादव ·         साकेत की हत्या साजिश से अपरचित नहीं थे प्रेम ·         प्रमोद और प्रेम में थी गाढ़ी व्यवसायिक दोस्ती ·         साकेत के व्यवसायिक प्रतिद्वन्दी प्रेम भी थे पर्दे के पीछे ·         जल्द ही सामने आने वाला है सच , मुकेश महज मोह रा    यह रिपोर्ट विनायक विजेता के फ़ेसबुक से ली गई है , उनके फ़ेसबुक का लिंक है ( विनायक विजेता बिहार के वरीय पत्रकार  ;  क्राईम रिपोर्टिंग एवं खोजी पत्रकारिता में स्थापित नाम । बिहार के सभी  अखबारों के रिपोर्टर इनके आर्टिकल्स की नकल कर के तैयार करते हैं अपनी रिपोर्ट ) पटना: पहले शराब व्यवसायी साकेत गुप्ता की हत्या और उसके दो दिनों के बाद ही एक अन्य शराब व्यवसायी प्रेम सिंह की हत्या और इसके पीछे की साजिश का मास्टरमाइंड कोई दूसरा नहीं बल्कि राजधानी में अवैध शराब और स्प्रीट का सबसे बड़ा कारोबारी प्रमोद यादव है। साकेत गुप्ता की हत्या के बाद पकड़े गए जिन दो अपराधियों ने जहानाबाद निवासी और शराब व्यवसायी मुकेश कुमार द्वारा साकेत की हत्या की सुपारी देने की ब