सोमनाथ चटर्जी : एक निष्पक्ष राष्ट्रपति



सोमनाथ चटर्जी : एक निष्पक्ष राष्ट्रपति

अभी राष्ट्रपति के चयन को लेकर राजनीतिक दलों में विचार  विमर्श चल रहा है । ए पी जे अब्दुल कलाम से लेकर प्रणव मुखर्जी एवं हमीद अंसारी तक का नाम सामने आ रहा है । आम सहमति बनती हुई नही दिख रही है।

राष्ट्रपति  आम सहमति से बने और निषपक्ष तथा योग्य हो यह सब चाहते हैं। बिहार मीडिया ने अपने स्तर पर विश्लेषण करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि सोमनाथ चटर्जी सर्वाधिक योग्य राजनेता हैं। उनकी निष्पक्षता लोखसभा अध्यक्ष के रुप में साबित हो चुकी है। जिंदगी भर साम्यवादी विचारधारा के रहने वाले सोमनाथ चटर्जी ने लोकसभा अध्यक्ष की गरिमा की रक्षा करने के लिये अपने पार्टी के निर्देशों को मानने  से ईंकार कर दिया था ।  कांग्रेस की सरकार के द्वारा २००८ में आणुविक समझौते के पक्ष में होने के कारण विश्वास प्रस्ताव लाया गया  था । साम्यवादी चाहते थें कि सोमनाथ चटर्जी लोकसभा अध्यक्ष के पद का त्याग कर के मतदान करें। पाठकों को याद होगा , सोमनाथ चटर्जी ने ऐसा करने से इंकार कर दिया था और लोकसभा अध्यक्ष पद की निष्पक्षता की रक्षा की थी । साम्यवादियों के लिये भी यह एक उपलब्धि होगी । भले हीं सोमनाथ चटर्जी ने पार्टी का निर्देश न माना हो लेकिन साम्यवादी विचारधारा का त्याग उन्होनें नहीं किया । भाजपा के लिये समर्थन करने में मुश्किल नहीं होनी चाहिये । एक निष्पक्ष नेता सिद्धांतो से समझौता नही करेगा , यह उन्होने साबित कर दिखाया है। अन्नारामदेव से जूझ रही कांग्रेस के लिये एक बडी उपलब्धि होगी । सोमनाथ चटर्जी जैसे नेता के उपर आरोप लगाना अन्ना टीम  के लिये भी  कठिन होगा ।कांग्रेस के द्वारा लाये गये   विश्वास प्रस्ताव के खिलाफ़ वोट न देने के कारण सीपीएम ने सोमनाथ चटर्जी को पार्टी से निकाल दिया था। यह काम बिमान बोस  के ईशारे पर हुआ था । बिमान बोस  , बंगाल में साम्यवादियों के नाम पर अपराधियों को सीपीएम में प्रश्रय देने के दोषी हैं, यह सबको पता है । ममता की जीत का कारण सीपीएम में बिमान बोस  जैसे नेता हैं। सोमनाथ चटर्जी का समर्थन करने का लाभ साम्यवादियों को भी मिलेगा । यह उनके लिये प्रायश्चित होगा एक सच्चे साम्यवादी को प्रताडित करने का। सोमनाथ चटर्जी न्यायालयों के अनावश्यक हस्तक्षेप के भी खिलाफ़ रहे हैं और उन्होने २००५ में झारखंड विधानसभा के विश्वास मत पर उच्चतम न्यायालय के निणर्य को विधायिका में अनावश्यक हस्तक्षेप माना था , हालांकि उनके इस विचार को विवादास्पद माना गया है । सोमनाथ चटर्जी ने राजनीति में उच्चतम मुल्यों की स्थापना की है। लोकसभा अध्यक्ष के कार्याकाल के दौरान विदेश यात्रा पर अपने परिवार को साथ ले जाने का खर्च वे स्वंय वहन करते थें। सरकारी खजाने से चाय नास्ता का भुगतान नहीं लेते थें।

हालांकि कहने को तो सभी राजनीतिक दल निष्पक्ष राष्ट्रपति के पक्षधर होने का दावा करते हैं परन्तु यह सच्चाई है कि सभी राजनीतिक दल वैसा राष्ट्रपति चाहते हैं जो जरुरत आने पर उनके पक्ष में कार्य करे।

जनता का भी कर्तव्य बनता है कि अपनी राय व्यक्त करे। बिहार मीडिया ने इसकी पहल शुरु कर दी है । हम प्रधानमंत्री , सीपीआई, सीपीएम , भाजपा एवं अन्य दलों को ईमेल दे रहे हैं। आप भी अपने स्तर से पहल करें।



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