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Showing posts from June, 2012

सतालोलुप समाजवादियों का असली चेहरा

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सतालोलुप समाजवादियों का असली चेहरा राजनीति लगे रहने की चीज है । इसमे सफ़लता के लिये कुछ अनिवार्य गुण आवश्यक है । जबान से खुब सिद्धांत बखारिये लेकिन वक्त आये तो तलुये चाटकर भी जो मिले ले लिजिये । सिद्धांत को तो कांख में हर पल दबाये रखें । लालू , नीतीश , मुलायम, शरद  की तरह ।  दुसरा गुण बेशर्म होना है यानी न सिद्धांत बखारिये बल्कि जरुरत पर उसके लिये लडने को भी तैयार हो जाइये ।   जैसे लालू , मुलायम और शरद यादव ने किया था संसद में लोकपाल के लिये हो रही बहस के दरम्यान । ओमपुरी ने अन्ना के मंच से कह दिया सारे नेता चोर हैं , लग गया हमारे मुन्ना भाई लोगों को बुरा । किरन बेदी ने नकल उतारी शरद यादव की , लगे समाजवाद समझाने ।भगोडे शरद यादव , कहां गया आज तुम्हारा समाजवाद । गरीब घर की औलाद , संघर्ष कर के राजनीति मे जगह बनाई , पिछडो के लिये लडने वाले सिपाही हैं जैसे डायलाग मारे थे न शरद यादव जी । आज क्या हुआ ? चोर की तरह चेहरा क्यों छुपा लिया ? क्यों नही गये प्रणव मुख्रजी के नोमिनेशन में । दुसरे सिपाही हैं मुलायम सिंह यादव । देश मे परिवारवाद का विरोध करते थें , आज खोज खोज कर के ब

भ्रम फ़ैला रहा है हिन्दुस्तान अखबार

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भ्रम फ़ैला रहा है हिन्दुस्तान अखबार फ़रार अपराधी  " फ़ौजी"   को बता दिया गिरफ़तार के के उपाध्याय फ़स गयें अक्कू के चमचो के काकस में ब्रह्मेश्वर मुखिया के श्राद्ध के दिन हिन्दुस्तान ने कर लिया अपना भी   श्राद्ध वैसे तो हिन्दुस्तान के उपर बिहार की सरकार के प्रचारतंत्र होने का आरोप पहले से लगता रहा है । पटना पुस्तक मेले में तो एक पाठक ने हिन्दुस्तान अखबार के राष्ट्रीय  संपादक को सुझाव देते हुये कहा था कि आप अपने अखबार में यह टैग लगा दें कि “ यह बिहार सरकार का मुख्यपत्र है “ लेकिन   के के उपाध्याय के आने के बाद यह आशा पैदा हुई थी कि शायद अक्कू के दौर के बाद हिन्दुस्तान मे एक नई शुरुआत होगी । ब्रह्मेश्वर मुखिया कि हत्या से लेकर दशकर्म तक की खबर को प्रमुखता से छापते रहनेवाले हिन्दुस्तान अखबर ने श्राद्ध की खबर को अपने अखबार के आठवे पेज में सिमटा दिया । हिन्दुस्तान के हीं कुछ पत्रकारो का कहना है कि ऐसा अक्कु के समय की लाबी के कारण हुआ । हिन्दुस्तान के वर्तमान संपादक के के उपाध्याय आजकल अक्कू श्रीवास्तव के चमचो से घिरे हुये हैं । इन चमचो ने के के उपाध्याय को यह सला

प्रणव मुख्रजी की छुट्टी की तैयारी यानी राहुल की राह आसान बनाना

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प्रणव मुख्रजी की छुट्टी की तैयारी यानी राहुल की राह आसान बनाना   राष्ट्रपति पद को सक्रिय राजनीति से संन्यास माना जाता है । प्रणव दा अभी तक तो हठ्ठे कठ्ठे हैं फ़िर आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी है कि कांग्रेस उन्हें राजनीति से संन्यास दिलवाने पर t तूली   है । यह बात हजम होने योग्य नही है कि उनकी   योग्यता या वफ़ादारी के कारण कांग्रेस उन्हें राष्ट्रपति बनाना चाहती है । कांग्रेस ने हमेशा वैसे नेता को हीं राष्ट्रपति बनाया है जिसकी सक्रिय राजनीति में कोई भूमिका नही रह गई   हो या     जिस नेता से उसे प्रधानमंत्री पद के दावेदार होने का खतरा हो । चाहे वह जैल सिंह हो या प्रतिभा पाटिल । कांग्रेस भ्रष्टाचार एवं घोटालों के आरोपों से घिरी है । आम जनता कांग्रेस की आर्थिक नीति के खिलाफ़ है परन्तु विकल्प का अभाव कांग्रेस को राहत प्रदान कर रहा है । धर्मनिरपेक्षता के नाम पर अधिकांश क्षेत्रीय दल कांग्रेस के साथ हैं । लोकसभा का अगला चुनाव २०१४ मे है लेकिन यह २०१३ के अंत तक हो जाने की संभावना है । लगातार बढती महंगाई ने पूंजीवाद की हवा निकाल दी है । ऐसा सिर्फ़ भारत के साथ नही है बल्कि दुनिया का   सबसे बडा  

बेलगाम अफ़सरशाही: गुंडे अधिकारी

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बेलगाम अफ़सरशाही : गुंडे अधिकारी यह घटना जिसका मैं जिक्र करने जा रहा हूं , वह मेरे साथ कल घटी है । बिहार में नगर निगम के चुनाव संपन्न हुए हैं । चुनाव के बाद अगर हारनेवाले प्रत्याशी को यह लगता है कि उसे अवैध ढंग से हराया गया है तो उसके लिए नगरपालिका अधिनियम के तहत चुनाव याचिका दाखिल करने का प्रावधान है । चुनाव याचिका जिसे इलेक्सन पेटीशन कहते हैं , वह न्यायालय में दाखिल किया जाता है और चुनाव के नतिजों की घोषणा के तीस दिन के अंदर दाखिल करने का प्रावधान है । पेटीशन दाखिल करने के लिए नतिजा तथा अन्य कागजातों की सच्ची प्रतिलिपि आवश्यक है । चुनाव के नतीजे १९ मई को घोषित हो गयें । मेरे पास भी सात केस आया । मैने बिहार नगरपालिका अधिनियम के रुल संख्या १११ के तहत रिटर्निंग आफ़िसर ए डी एम राम विलास के पास प्रमाणित प्रति के लिये २४ मई को एक , २९ मई को तीन तथा ४ जून को तीन आवेदन दिया । नियमत : आवेदन देने के पांच दिन के अंदर कापी दे देने का भी प्रावधान है । कापी न देने की स्थिति में प्रतिदिन पांच सौ रुपया दंड का भी प्रावधान  है जो रिर्टनिंग आफ़िसर के वेतन से कटेगा । पहले तो उन्होने मुझे एक अन्य

कलाम ने की थी प्रजातंत्र की हत्या : लोकप्रिय हैं , योग्य नही

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कलाम ने की थी प्रजातंत्र की हत्या : लोकप्रिय हैं , योग्य नही नालन्दा विश्वविद्यालय विवाद में घिरे हैं कलाम भारत के लोगों की एक आदत है जिसे भेड चाल कहा जा सकता है । अगर कोई व्यक्ति किसी कारण से लोकप्रिय है या प्रसिद्ध है , जैसे क्रिकेट प्लेयर या सिने अभिनेता , यहां के लोग उसे भगवान की तरह पुजने लगते हैं । वह सर्वगुण संपन्न घोषित कर दिया जाता है । अभी देश का अगला राष्ट्रपति कौन हो इसको   लेकर राजनीतिक दलों के बीच रस्सा - कसी चल रही है । कांग्रेस को ठप्पा लगानेवाला राश्ट्रपति चाहिये और प्रणव मुखर्जी से अच्छा जी मैडम,  जी मैडम करनेवाला उम्मीदवार कोई नही हो सकता है । बाकी दल भी निष्पक्ष राष्ट्रपति नहीं चाहते हैं । सभी दलों का अपना - अपना स्वार्थ है । दुसरे उम्मीदवार के रुप में पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे कलाम हैं । एकबार पद पर रह चुकने के बाद आखिर वह कौन सा लालच है जिसके कारण कलाम अपनी उम्मीदवारी से ईंकार नही कर रहे हैं । कलाम एक लोकप्रिय राष्ट्रपति रह चुके हैं । इन्होने राष्ट्रपति तथा आम जनता के बीच संवाद स्थापित करने का कार्य किया था जो राजेन्द्र प्रसाद के अलावा और कोई

लालू यादव का गया आगमन : क्या आतंकी भी साथ होगें ?

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लालू यादव का गया आगमन : क्या आतंकी भी साथ होगें ? राजद के शासनकाल में हुये बलात्कार , लूट , गुंडागर्दी के लिये माफ़ी मांगेंगे लालू . कल यानी १६ जून को राजद अध्यक्ष लालू यादव का गया आगमन हो रहा है । लालू यादव ६५ वर्ष पुरे कर चुके हैं । इनके ६५ वर्ष को यादगार बनाने के लिये गया राजद या आप कह   सकते हैं सुरेन्द्र यादव ने ६५ तोरण द्वार बनाने का निश्चय किया है । गया में राजद का अर्थ है सुरेन्द्र यादव , जो उनकी चमचागिरी करेगा वह राजद में रहेगा अन्यथा शकील अहमद खान की तरह उसे राजद छोड देना पडेगा । गया ने लालू यादव के शासनकाल में आतंक राज को झेला है । उस आतंक को कायम करने में सुरेन्द्र यादव , बिंदी यादव और बच्चू यादव की अहंम भूमिका रही है । सुरेन्द्र यादव के घर के पास गया का प्रसिद्ध कालेज गया कालेज है , सुरेन्द्र यादव के आतंककाल में उस कालेज में लडकियों का जाना मुश्किल था । इनके भाई - बंधु खुलेआम न सिर्फ़ छेडखानी करते थें बल्कि लडकियों को उठाकर उनके साथ बलात्कार भी करते थें । मां – बाप इनके भय से मुकदमा दर्ज नही कराते थें । उसी प्रकार बच्चू यादव का एक भतीजा शामू यादव कालो

सुरेन्द्र यादव ने दी बंदना प्रेयसी को मात

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सुरेन्द्र यादव ने दी बंदना प्रेयसी को मात हार गया प्रशासन   जिता भ्रष्टाचार गया नगर निगम के मेयर – उप मेयर पद के चुनाव के लिये शुक्रवार ८ जून को बारह बजे दिन से   रातभर जो ड्रामा हुआ वह चौकानेवाला था । खुलेआम पार्षदों को बुलाकर सुरेन्द्र यादव राजद विधायक ने पैसे बाटें। मोहन श्रीवास्तव के खिलाफ़ कार्य कर रहे सुरेन्द्र यादव ने अचानक मोहन श्रीवास्तव को उप मेयर बनाने की मुहिम शुरु कर दी । सुरेन्द्र यादव के घर पर पूर्व मेयर शगुफ़्ता परवीन के पति निजाम , विभा देवी के पति इन्द्रदेव यादव तथा मोहन श्रीवास्तव ने डेरा डाल दिया । सुरेन्द्र यादव के लिये नैतिकता कोई मायने नही रखती । पैसे के लिये वे कुछ भी कर सकते हैं । चितरंजन प्रसाद वर्मा उर्फ़ चितु लाल उप मेयर पद के लिये सुरेन्द्र यादव के उम्मीदवार थें । ८ जून को ग्यारह बजे दिन मे हीं चितरंजन वर्मा को अहसास हो गया कि वे सुरेन्द्र यादव की दोहरी राजनीति के शिकार हो गये हैं । सुरेन्द्र यादव ने एक एक कर के पार्षदों को बुलाना और पैसे देते हुये मोहन श्रीवास्तव के पक्ष में मतदान करने की हिदायत देनी शुरु कर दी। मेयर के पद की उम्मीदवार