ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड : प्रशासनिक विफ़लता या राजनीतिक षडयंत्र



ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड : प्रशासनिक विफ़लता या राजनीतिक षडयंत्र

आज रणवीर सेना के संस्थापक ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या कुछ अज्ञात  त्तत्वों ने कर दी । ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या ने ढेर सारे प्रश्न खडे कर दिये हैं . ब्रह्मेश्वर मुखिया कुछ माह पहले हीं जेल से रिहा हुये थें।

रणवीर सेना का गठन नक्सलवादियों के द्वारा भूमिहार और राजपुत जाति के गावों  में नरसंहार के प्रतिकार के रुप मे हुआ था। सितंबर १९९४ में भोजपुर जिले के उदवंतनगर प्रखंड के बेलोर गांव में सवर्ण मुक्ति सेना, सनलाईट , ब्रह्मर्षी  सेना, कुंवर सेना , किसान मोर्चा तथा गंगा सेना का विलय कर के रणवीर सेना की स्थापना हुई । खोपरा गांव के ब्रह्मेश्वर सिंह मुखिया इसके पहले कमांडर बनें ।

बिहार नक्सली हिंसा से ग्रसित रहा है । बिहार में नक्सल आंदोलन कभी भी वर्ग संघर्ष का प्रतीक नही बन सका और इसका मुल कारण रहा बिहार में फ़ैला हुआ जातिवाद । वर्ग संघर्ष के नाम पर जातीय  नरसंहार की शुरुआत नक्सलवादियों ने की और उनका लक्ष्य भूमिहार तथा राजपुत जाति हीं रही । कहने को तो नक्सलवादी इसे वर्ग संघर्ष एवं सामंतवाद के खिलाफ़ युद्ध कहते रहे लेकिन निरीह बच्चों तथा महिलाओं की हत्या ने हमेशा उनके दावे को गलत साबित किया । बिहार की सरकारें एवं राजनीतिक दलों ने जिसमें कांग्रेस , जनता दल, सीपीआई एम एल , भाजपा सब शामिल हैं , कभी भी नक्सली हिंसा को रोकने का प्रयास नही किया । लालू और नीतीश कुमार जब एकसाथ थें तब नक्सल हिंसा बिहार में चरम पर थी। जनता दल के बहुत सारे नेताओं पर नक्सलवादियों को संरक्षण देने का आरोप लगता रहा है । उन नेताओ में सबसे प्रमुख वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायन चौधरी हैं।

एक ऐसा भी वक्त आया जब भूमिहार जाति का गांवों में रहना मुश्किल हो गया । इनकी जमीन पर लाल झंडा गाड दिया गया । गांव से निकलना मुश्किल हो गया ।नक्सल प्रभावित गांवों में रहने वाले भूमिहार जाति के परिवार की लडकियों की शादी  में मुश्किले आने लगी । यहां तक की लडको की शादी में भी दिक्क्त होने लगी । कोई भी अपनी बेटी या बेटा की शादी नक्सल प्रभावित क्षेत्र में रहने वाले परिवार से नहीं करना चाहता था और इसका एकमात्र कारण था नरसंहार । ऐसी बात नही थी कि सिर्फ़ बडे जमींदारों के साथ ऐसा हुआ बल्कि भूमिहार जाति को हीं नक्सलवादियों ने सामंत घोषित कर दिया । एक दो बिघे जमीन वाले को भी नक्सलवादियों ने नही बख्शा । बडे पैमाने पर भूमिहार जाति का गांवो से शहरो की तरफ़ पलायन हुआ । दलितों को आगे कर के यादव और कोयरी-कुर्मी जाति के गंदी मानसिकता वाले नेताओं ने यह सारा खेल खेला ।
.प्रशासन जब अपराध पर नियंत्रण रखने में नाकामयाब हो जाता है तब पीडित व्यक्ति हाथ मे हथियार उठाता है । लगातार भूमिहार तथा राजपूत जाति के गावों में हो रहे नरसंहार ने छोटेछोटे हथियारबंद संगठनो को जन्म दिया । मुस्लिम धर्म के पठान जाति को भी नक्सलियों ने नही बख्शा । सनलाइट सेना मुसलमानों की हथियार बंद सेना थी । उसी प्रकार कुंवर सेना राजपुतों की । अगडे और पीछ्डे में बटे बिहार में भूमिहार तथा राजपूत समाज जुझारु माना जाता रहा है । हालांकि बहुत जगह ब्राह्मण भी नक्सली हिंसा के शिकार बनें । जातिवाद तत्वों द्वारा गया जिला के जगजीवन कालेज के प्रोफ़ेसर तिवारी की हत्या उसी का परिणाम थी।

मंडल कमीशन लागू होने के बाद हालात बद से बदतर होते चला गया । ट्रेन में यात्रा करने वालों की जाति पुछकर हत्या की गई । महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ । यह सब आज के सुशासक नीतीश कुमार के जनता दल में रहने के दौरान हीं हुआ । नक्सली हिंसा के प्रतिकार के रुप में पैदा हुये रणवीर सेना ने भी वही रास्ता अपनाया । रणवीर सेना ने भी बदले की आग में  दलितों के गांवों में निरीह दलितों की हत्या की । नक्सलवादी और रणवीर सेना दोनो के द्वारा किये गये नरसंहार के शिकार निरीह हीं हुये । यह सबसे बडी त्रासदी थी । नक्सलियों द्वारा निर्दोषों की हत्या के खिलाफ़ पैदा हुये रणवीर सेना ने भी निर्दोषों की हीं हत्या की और यही कारण बना रणवीर सेना की बदनामी का । 
 इन नरसंहारो को रोक पाने में अक्षम साबित हुये राजनेता और दल इसके असली दोषी थें । हां नक्सलवादी और रणवीर सेना के आपसी टकराव   और नरसंहार ने दोनो को कमजोर किया और बैलेंस स्थापित करने का कार्य किया । आश्चर्यजनक रुप नरसंहारों में कमी आई । सीपीआई एम एल का हिंसा का रास्ता बदलकर मुख्य धारा में आना भी एक कारण रहा जनसंहारों में आइ कमी का। आरा हमेशा से सीपीआई एम एल का गढ रहा है । हालांकि सीपीआई एम एल हिंसा को त्याग देने की बात करती है परन्तु सत्य तो यह है कि आज भी सीपीआइ एम एल हत्या की राजनीति करती है । ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या जिस तरीके से की गई है इससे शक की सुई सीपीआइ एम एल की तरफ़ भी घुमती है ।

यह हत्या प्रशासनिक विफ़लता को भी दर्शाती है । प्रशासन को पता था कि ब्रह्मेश्वर मुखिया के उपर कभी भी हमला हो सकता है । सीपीआई एम एल ने तो रिहाई के खिलाफ़ प्रदर्शन भी किया था । इसके बावजूद प्रशासन ने सुरक्षा की कोई व्यवस्था नही की ।

हत्या के राजनीतिक  कारणो से भी ईंकार नही किया जा सकता है ।

लालु यादव ने सीबीआई जांच की मांग की है । बिहार मीडिया भी सीबीआई जांच की मांग करता है । ब्र्ह्मेश्वर मुखिया एक राजनीतिक संगठन बनाने जा रहे थें  । इस संगठन से सबसे ज्यादा खतरा जदयू को था । नीतीश कभी नही चाह्ते हैं कि भूमिहार या राजपूत जाति में कोई नेता उभरे । विजय कर्‍ष्ण  एवं  जगदीश शर्मा के साथ जो नीतीश कुमार ने किया वह सबको पता है । जदयू में एक नही अनेको ऐसे विधायक हैं जिनका नक्सलवादियों से संबंध रहा है । गया के सांसद राजेश कुमार की हत्या में विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायन चौधरी का नाम आया था । डीआईजी अरविंद पांडे तथा एस पी परेश सक्सेना जांच  कर रहे थें दोनो हत्या के रहस्य के काफ़ी नजदीक पहुंच गये थें उसी दरम्यान उनका तबादला कर दिया गया । परेश सक्सेना ने तो विष्णूपद में हो रहे एक समारोह के दौरान उदय नारायन चौधरी के साथ मंच पर बैठने से भी इंकार कर दिया था । राजेश कुमार हत्या कांड की भी सीबीआइ जांच की मांग हमेशा उठती रही है । उसी प्रकार भाजपा सांसद इश्वर चौधरी की हत्या के पीछे किन  लोगों का हाथ था यह भी आजतक रहस्य बना हुआ है । ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड में भी हो सकता है कि खानापुर्ति के नाम पर किसी निरीह दलित जिसका कभी नक्सली वारदात में नाम रहा हो उसे बली का बकरा बना दिया जाय । ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या कि निष्पक्ष जांच सीबीआइ के द्वारा हीं हो सकती है । यह नितीश की सरकार है जो रुपम पाठक को हत्यारा  मानती है और रुपम का बलात्कार करने वाले राजकिशोर केसरी को शहीद । बलात्कारी केसरी की पत्नी को भाजपा टिकट देती है । प्रोफ़ेसर जगजीवन कालेज के प्रोफ़ेसर तिवारी की हत्या के अभियुक्त को भी भाजपा का टिकट मिलता है । कोई भी दल साफ़ नही है लेकिन जो दल ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या की सीबीअई जांच से ईंकार करेगा निश्चित रुप से उसे हमेशा शक की निगाह से देखा जायेगा ।








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Comments

  1. बहुत सटीक और संतुलित यथार्थ को आपने रखा है, दुखद यह होता है कि बौद्विक लोग सिक्के के एक ही पहलू को देखते है..

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  2. kitne percent cases ki jaanch CBI ne sahi samay pe ki hai...CBI ko mamla saupna ek tarh se isey thndhe baste mein dalna hoga...its remedy is TIT FOR TAT

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