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Showing posts from March, 2012

गया के कांग्रेसी नहीं चाहते की केन्द्रीय विश्वविद्यालय गया में खुले

गया के कांग्रेसी नहीं चाहते की केन्द्रीय विश्वविद्यालय गया में खुले किसी भी शहर में कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो सिर्फ़ अपनी राजनीतिक गोटियां सेकना जानते हैं। केन्द्र ने गया में केन्द्रीय विश्वविद्यालय खोलने का निर्णय लिया , नीतीश कुमार चाहते थें कि मोतिहारी में यह खुले और बस यहीं से राजनीति शुरु हो गई । गया के चवन्नी छाप कांग्रेसियों ने बगैर कारण न सिर्फ़ नीतीश कुमार का पुतला दहन शुरु कर दिया बल्कि कुछ अनपढ छाप कांग्रेसी जिनका काम चुनाव के समय गया से चुनाव ल ड   रहे कांग्रेसी उम्मीदवारों से पैसा उतारना रहा है , उन सब ने उस जगह जहां केन्द्रीय विश्वविद्यालय खुलना है जाकर शिलान्यास तक कर दिया । इन कांग्रेसियों ने यह भी प्रयास किया कि अन्य दलों के नेता भी उनके साथ आयें लेकिन जब इस तरह के सार्वजनिक हित का   काम करना हो तो पार्टी लाईन से उपर उठकर सोचना पडेगा । गया के इन कांग्रेसियों को यह भी अक्ल नही है । अभी पता चला कि कांग्रेस के पूर्व विधायक अवधेश सिंह और संजय सहाय नीतीश कुमार से मिलने गये थें लेकिन उन्होने गया में केन्द्रीय विश्वविद्याल्य की स्थापना से इंकार कर दिया । मैने भी नीतीश जी

सांसदों के खिलाफ़ अपराधिक मुकदमों का सच

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सांसदों के खिलाफ़ अपराधिक मुकदमों का सच अन्ना चौकडी के अरविंद केजरीवाल का मानना है कि सांसद अपराधी हैं उनकी बातों पर विश्वास किया जाय तो तकरीबन १६० सांसद ऐसे हैं जो सम्मान के लायक नहीं हैं । देश के सभी टीवी चैनल और अखबार दोनो जगहों पर यही चर्चा है लेकिन टीवी और अखबार वाले यह नहीं बता पाते हैं कि आखिर वे कौन से सांसद हैं जिनके खिलाफ़ अपराधिक मुकदमें हैं और उन्हें उन मुकदमों के आधार पर अपराधिक चरित्र का माना जा सकता है । आज हम यहां राज्यसभा के उन सांसदो की सूची दे रहे हैं जिनके उपर अपराधिक मुकदमें दर्ज हैं। राज्यसभा के २२७ सांसदो में से मात्र १३ के खिलाफ़ अपराधिक मुकदमें दर्ज हैं । तकरीबन अधिकांश मुकदमें राजनीतिक कारणो से दर्ज किये गये हैं। इन सांसदों में विनय कटरियार , के हनुमंता राव , किशोर कुमार मोहंती , संजय राउत , प्रो० एस पी सिंह बाघेल , परवेज हाशमी जैसे सांसद शामिल हैं। अधिकांश मुकदमें सामान्य धाराओं के तहत दर्ज हैं । मात्र दो सांसद एस पी सिंह बाघेल , यूपी बसपा तथा रामचन्द्र सिंह सीपीआई , वेस्ट बंगाल के उपर धारा ३०७ के तहत मुकदमा दर्ज है। लेकिन इन दोनो के भी अपराधिक श्रेणी में

बिहार मीडिया के संपादक पर भ्रष्ट डीसीएलआर ने दर्ज किया गलत मुकदमा

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बिहार मीडिया के संपादक पर भ्रष्ट डीसीएलआर ने दर्ज किया गलत मुकदमा कल गया के भूमी सुधार उपसमाहर्ता नंदकिशोर चौधरी ने मेरे उपर एक मुकदमा दर्ज किया है । उक्त अधिकारी ने अभियोग लगाया है कि मैने उसके कार्यालय में घुसकर के फ़ाइलों को फ़ेका तथा सरकारी काम में बाधा पहुंचाई । अब मैं बताता हूं सच्चाई क्या है । बिहार में नगर निगम के चुनाव होनेवाले हैं । मेरे घर के पचास कदम पर मतदान केन्द्र हैं लेकिन न सिर्फ़ मेरा , बल्कि सैकडो लोगों का बुथ दो किलोमीटर दुर हरिदास सेमिनरी विद्यालय में कर दिया गया है । मैने एक आवेदन कल जिला निर्वाचन पदाधिकारी को दिया , उन्होनें मेरे आवेदन को भूमी सुधार उपसमाहर्ता के पास अग्रसारित कर दिया तथा मुझे कहा कि आप इसे उन्हें दे दे जांच के बाद आवश्यक कार्रवाई की जायेगी । मैं वह आवेदन लेकर नंदकिशोर चौधरी के पास गया । नंदकिशोर चौधरी ने पुछा क्या बात है , मैने अभी यह कहना शुरु हीं किया था कि मुझे जिला निर्वाचन पदाधिकारी ने भेजा है इस आवेदन को आपको देने के लिये कि उक्त नंदकिशोर चौधरी ने अचानक कहा पहले ठीक से खडा हो । यह तुम शब्द का इस्तेमाल मुझे बुरा लगा मैने तुरंत उ

विनय कुमार सिंहा का नीतीश कनेक्शन

विनय कुमार सिंहा का नीतीश कनेक्शन २२ मार्च को जदयू के कोषाध्यक्ष और एम एल सी ्विनय कुमार सिंहा के आवास से आयकर विभाग ने छापा मार कर पांच करोड रुपया जप्त किया। आयकर विभाग ने कुछ दस्तावेज भी बरामद किये हैं जिसके अनुसार विनय कुमार सिंहा ने करोडो का निवेश किया है । बिहार के तमाम अखबारों ने इस समाचार को दबा दिया तथा जिस प्रमुखता से इसे छापना चाहिये वैसा नही किया । विनय कुमार सिंहा का नीतीश कुमार के साथ बहुत गहरे ताल्लुकात हैं। मुख्यमंत्री पद की शपथ नीतीश कुमार ने विनय कुमार सिंहा के घर से जाकर ली थी । नीतीश कुमार का विनय से कैसे संबंध हैं इसके बारे में बिहार के सभी दलों के राजनेताओं को पता है । समता पार्टी के समय से हीं ये नीतीश कुमार के अत्यंत करीबी रहें हैं । इनकी हीं पोल फ़ैक्टरी में पार्टी की बैठक होती थी तथा नीतीश कुमार के रेल मंत्री बनने के बाद विनय सिंहा के हीं घर पर पार्टी के लोगों से नीतीश कुमार मुलाकात किया करते थें। नीतीश कुमार जब रेलमंत्री थी उस समय से हीं विनय सिंहा उनके फ़ायनेंशियल मैनेजर रहे हैं ।  रात बिरात कभी भी नीतीश कुमार अचानक विनय कुमार सिंहा के घर चले जाते हैं । क्यों

‘हिन्दुस्तान’ ने आईजी को बनाया डीआईजी

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‘ हिन्दुस्तान ’ ने आईजी को बनाया डीआईजी बिहार में अपने को सर्वाधिक लोकप्रिय और प्रसार वाला समाचार पत्र बताने वाले दैनिक दिन्दुस्तान के पटना संस्करण ने रविवार को अपने प्रकाशि अंक में इतनी बड़ी भूल की है कि बिहार का पूरा पुलिस महकमा और पाठक सकते में हैं। हिन्दुस्तान ने रविवार को प्रकाशित अपने अंक के प्रथम पृष्ठ पर बिहार में हुए 58 आईपीएस अधिकारियों के तबादले की खबर प्रकाशित की है। खबर के साथ-साथ स्थानांतरित अधिकारियों में से कुछ की तस्वीर भी प्रकाशित की है पर स्थानांतरण किसी का और तस्वीर किसी और अधिकारी की लगा दी। पुलिस मुख्यालय में कार्यरत डीआईजी स्तर के अधिकारी सुनील कुमार जो जहानाबाद जेल ब्रेक कांड के समय जहानाबाद के आरक्षी अधीक्षक थे को पटना सेंट्रल रेंज का नया डीआईजी बनाया गया पर हिन्दुस्तान ने उस सुनील कुमार की जगह पुलिस मुख्यालय में आईजी , बजट के पद पर कार्यरत सुनील कुमार की तस्वीर छाप कर एक आईजी को डीआईजी बना डाला। हिन्दुस्तान में प्रथम पृष्ठ पर ही हुई इस भारी गलती की चर्चा रविवार को पुलिस महकमें के साथ-साथ सुधि पाठको के बीच भी देखी गई। बताया जा रहा है कि पटना के नए डीआईजी बना

सरकार के विरोध का मतलब पागलखाना

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आप अगर जागरुक हैं , सरकार की नीतियों से सहमत नहीं है लेकिन सिर्फ़ कानूनी तरीके से विरोध प्रकट कर रहे हैं तो आपकी जगह जेल नही   पागलखाना है । यह सच है चीन का । अपने साथ गुजरे हुये इस तरह के क्षण को बताते हुये ली जींपींग़   की आंखे छलग गई । ली ४७ वर्षीय राजनीतिक कार्यकर्ता हैं । ली को बीजींग के चोयांग्य जिला मनोचिकित्सालय में सात माह तक भयानक यातना से गुजरना पडा । अन्य कैदियों की भांति ली को अस्पताल के बगीचे में टहलने , लाईब्रेरी का उपयोग करने या किसी से मिलने की आजादी नही थी , उन्हें पुलिस ने एक फ़र्जी नाम से पागलखाने में भर्ती किया था ।   ली ने बताया कि “ मुझे पता था कि हर वक्त मेरी गतिविधियों पर कैमरे से निगाह रखी जा रही है । किसी भी तरह का विरोध या गुस्सा प्रकट करने पर मुझे और ज्यादा दिन तक वहां कैद रहना पडेगा , बाहर निकलने की योजना बनने तक मैं एकदम शांत रहा “   चीन का प्रशासन ,   वैसे लोग जिन्हें वह विरोध या समस्या पैदा करनेवाला समझता है परन्तु जो किसी भी प्रकार के अपराध में लिप्त नहीं हैं , को जबर्दस्ती पागलखाने में भर्ती कर देता है । सरकार से असहमति रखनेवाले , र

पेडे कटहल , होठे तेल : तीसरा मोर्चा और पीएम मुलायम

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पेडे कटहल , होठे तेल ; तीसरा मोर्चा , मुलायम पीएम मुलायम प्रधानमंत्री बनेगें , यह बयान दिया है सपा के भाट आजम खान ने । देश के सभी चैनल आज यही दिखा रहे थें कि तीसरा मोर्चा बनने की संभावना है , लोकसभा की सीटो को भी दिखा रहे थें कि कौन से दल के पास कितनी सीटे हैं । अच्छा उल्लू बनाते हैं ये चैनलवाले दर्शकों को । यह तीसरा मोर्चा – चौथा मोर्चा उस गुजरे  जमाने की बात है जब देश में मुख्य रुप से दो दल हुआ करते थें । हालांकि देश के दोनो प्रमुख राष्ट्रीय दलों की पूंजीवादी नीतियों को देखते हुये एक नये मोर्चे की जरुरत महसूस हो रही है लेकिन यह मोर्चा भाजपा – कांग्रेस के सहयोगी दलों से बनेगा तो कितना कारगर होगा , कौन बता सकता है । रातो रात तो विचार बदलने से रहा । सबसे मजेदार बात यह है कि सारे चैनल जब तीसरे मोर्चे को सता तक पहुंचने का एक नया रास्ता बता रहे हैं   और उस मोर्चे के भागीदारों की सीटों का आकलन कर रहे तब यह भूल जा रहे हैं कि मोर्चे में शामिल सभी संभावित दलों को अपने हीं राज्य के अन्य दलो से कडी टक्कर लेनी होगी और नये समीकरण भी बनेंगें । टीवी चैनल वाले जो तस्वीर पेश कर रहे हैं अगर व

पत्रकारों की मूर्खतापूर्ण हरकत

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पत्रकारों की मूर्खतापूर्ण हरकत सैयद मोहम्मद अहमद काजमी एक फ़्री लांस जर्नलिस्ट है। यह तेहरान रेडियो तथा टीवी के लिये कार्य करते   रहे   है . इजरायल के दूतावास की गाडी में हुये विस्फ़ोट के सिलसिले में काजमी को गिरफ़्तार किया गया है । काजमी खुद को निर्दोष बता रहे हैं। दिल्ली के कुछ पत्रकारों ने एक संगठन बनाकर काजमी की रिहाई की मांग की है । पत्रकार बडे चालू जीव होते हैं , इनके कमीनेपन को भापना कठिन है । काजमी की रिहाई के लिये तुरंत – फ़ुरंत में बनाये गये इस बैनर को इन्होनें नाम दिया है ANHAD   एक्ट नाउ फ़ार हारमोनी एंड डेमोक्रेसी। ये पत्रकार खुद को सिविल सोसायटी का प्रतिनिधि बताते हैं । यह सिविल सोसायटी क्या है तथा इसके प्रतिनिधि का चुनाव कैसे होता है यह एक रहस्मय प्रश्न है । रिहाई की मांग करनेवाले पत्रकारों में शामिल हैं मनीष सेठी , अध्यक्ष जामिया मिलिया टिचर्स सोलिडरिटी एसोसियेसन , शबनम हाशमी , सीमा मुस्तफ़ा , सुकुमार मुरलीधरन . । इन पत्रकारों का यह कहना है कि गिरफ़्तारी इजरायल और अमेरिका के दबाव में की गई है । सेठी को तो शाक मार गया है यह जानकर कि इजरायल के इंटेलिजेंस सर्विस के लोग भी

राज्याभिषेक संपन्न; दो भाटों ने की ताजपोशी

राज्याभिषेक संपन्न ; दो भाटों ने की ताजपोशी कांग्रेस के वंशवाद को गाली बकते हुये सता में आये स्वार्थवादी मुलायम का असली चेहरा इसबार दिखा । धर् ‍ तराष्ट्र और मुलायम जैसों में कोई खास फ़र्क नही है । यूपी में सबसे योग्य अखिलेश नजर आयें क्योंकि वे पुत्र हैं मुलायम के । युवा हैं , बाकी नेताओं के बाल बच्चे बुढा गये हैं। आज मुलाय्म ने युवराज को राजगद्दी सौंप दी । ताजपोशी का काम किया खुद को स्वाभिमानी बतानेवाले भाट आजम खान और शिवगोपाल यादव ने । आज एक बार फ़िर प्रजातंत्र का बलात्कार हुआ , यह बलात्कार बाप के आदेश पर बेटे ने किया । भाजपा और साम्यवादियों के अलावा देश के अधिकांश दलों में वंशवाद है । अफ़सोस तो यह है कि इस वंशवाद का पोषण जनता करती है , वही खाद और बीज देती है जैसे यूपी में किया । बाप के बाद बेटा सता में आये यह गलत नही है लेकिन इसका आधार योग्यता होनी चाहिये । अखिलेश की सबसे बडी योग्यता मुलायम का पुत्र होना है । हर क्षेत्र की तरह राजनीति में भी स्वस्थ प्रतिस्पर्धा आवश्यक है । अखिलेश से ज्यादा योग्य युवा मुलायम के दल में होंगें , अन्य नेताओं के पुत्र भी कम योग्य नही हैं , लेकिन उन्

जान अब्राहम कानून से उपर है

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जान अब्राहम कानून से उपर है आज टीवी का हाई वोल्टेज ड्रामा था फ़िल्म अभिनेता जान अब्राहम की अपील का सेशन जज के यहां से खारिज होना , समर्पण के लिये न्यायालय द्वारा वक्त न देना , पुलिस द्वारा हिरासत मे ले लेना और भगवान के रुप में मुंबई उच्च न्यायालय के एक जज आर सी चव्हाण द्वारा अपील मंजूर करते हुये जमानत देना । सभी टीवी चैनल इस समाचार को बार – बार दिखा रहे थें , मुझे लगता है आर सी चव्हाण उच्च न्यायालय के जज ने भी शायद इसे देखा होगा । उन्हें शर्मिंदगी महसूस हुई या नही , वही बता सकते हैं । नियमत : जब अपील खारिज कर दी जाती है और समर्पण के लिये समय नही दिया जाता है तो वैसी स्थिति में बगैर जेल जाये तथा सरेंडर प्रमाणपत्र लिये , उच्चतम न्यायालय में सुनवाई नही होती । जिस तरह फ़टाफ़ट सबकुछ हो गया , वह न्यायालय के लिये शर्मिंदगी का कारण है , एक भी दुसरा उदाहरण जो किसी आम आदमी से संबंधित हो , न्यायालय नही दे सकता है । देश की न्यायापालिका पक्षपातपूर्ण काम करती है , यह अनेको मामलों में देखने को आया है । वस्तुत : न्यायपालिका तानाशाह की तरह कार्य कर रही है । सामान्यत : कम सजा वाले मामले में अपील क

पुलिस अधिकारी की मौत एक हादसा है

पुलिस अधिकारी की मौत एक हादसा है मध्य प्रदेश में एक आइ पी एस अधिकारी की नाजायज पतथ्र से लदे एक ट्रैक्टर के पलट जाने से मौत हो गई । टीवी और न्यूज चैनलों ने तथ्यों को समझे बगैर इसे जानबूझकर हत्या का रंग दे दिया । सनसनी फ़ैलाना आदत है चैनल वालों की । निस्संदेह यह एक दुखद घटना है । एक युवा की इस तरह मौत उसके परिवार के लिये एक त्रासदी है । पत्नी गर्भवती थी ।लेकिन टीवी चैनलों का रवैया तो उससे भी बुरा है । अधिकारी का परिवार घटना स्थल पर नही था । घायल अवस्था में अस्पताल ले जाते समय उस अधिकारी की मौत हो गई । पुलिस की नौकरी में हर कदम पर खतरा होता है । अभी कल कश्मीर की एक घटना टीवी पर देखा । सेना का एक जवान दो औरतों को मारने के बाद , हाथ में रायफ़ल लिये छत पर खदा था और अपनी पत्नी की हत्या करने के बाद हीं सरेंडर करने की बात कह रहा था , पुलिस के एक डीएसपी रैंक के अधिकारी ने जान हथेली पर रखकर पिछे से जाकर उसे पकडा । किसी सिनेमा से कम खतरनाक दर् ‍ श्य नही था । कुछ भी हो सकता था , अगर आहट लग जाती तो शायद वह डिएसपी पर गोली चला सकता था । छिना झपटी में भी गोली चल सकती थी । एक ४७ खतरनाक हथियार होता है

मनमोहन चाचा अब पिंड छोडियेगा

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मनमोहन चाचा अब पिंड छोडियेगा चाचा आप और आपके सखा मंटोक के मजाक से हम अब तंग आ गये हैं। २६ रुपया में भोजन कहां मिलेगा यह तो आप दोनो बताते नहीं , हम भुखे हैं क्या करें ? प्रति व्यक्ति सालान आय साठ हजार , यहां चार आदमी का परिवार और माह की आय दो से तीन हजार , बाकी पैसा कौन से बैंक में मंटोक चाचा ने जमा कर दिया है बता देतें तो उससे घर की मरम्मत करवा लेतें। बच्चों की शिक्षा के लिये मंटोक चाचा ने शिक्षा अधिभार नाम से एक नया टैक्स लगाया था , आस बंधी थी कि अब मुफ़्त में अच्छे स्तर की शिक्षा हमारे बच्चों को भी मिल जायेगी , लेकिन पता नही चलता है , उ पैसा से कौन पढ रहा है । हमलोग तो प्रायवेट में पढा रहे हैं कि कम से कम बेटा – बेटी सरकारी स्कुल के मास्टर साहब जैसा खैनी खाना न सीखे। सोचे थें कि इंजीनियर डाक्टर बनायेंगें लेकिन पता चला कि ओकरा में पास सात लाख रुपया लगेगा , अगर पाकिट में माल न हो तो घर द्वार बेच कर लगाओ और अगर कुछ भी न हो तबो चिंता के बात नही है , चाचा मंटोक बैंक से शिक्षा वास्ते कर्ज दिलवा देंगें , लेकिन जब पुछे   की करजवा चुकायेगा कौन तो पता चला कि बेटवा नौकरी में आवे पर

रिजल्ट के पहले सन – पापा पार्टी ने दिखाये तेवर

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रिजल्ट के पहले सन – पापा पार्टी ने दिखाये तेवर कल एक बयान में कांग्रेस के बेनी प्रसाद वर्मा ने कहा था कि गुंडो की पार्टी से बेहतर है दलितों की पार्टी । बेनी प्रसाद का कथन चुनाव के बाद गठजोड से था । आज सन - पापा ( सपा ) पार्टी के एक शिवपाल यादव ने बेनी प्रसाद बर्मा के बयान से तिलमिलाते हुये बयान दिया कि सन - पापा पार्टी में एक हीं गुंडा था बेनी प्रसाद बर्मा और उनके जाने के बाद पार्टी शरीफ़ों की पार्टी बन गई है । शिवपाल भी सन - पापा कुनबे से आते हैं। हो सकता है बेनी प्रसाद बर्मा भी गुंडागर्दी करते रहे हों , लेकिन यह कहना कि सिर्फ़ बेनी प्रसाद गुंडा थें , हास्यापद है । हर दल के अंदर उसके मुखिया की जाति की गुंडागर्दी चलती है , सन – पापा पार्टी भी इसका अपवाद नही थी । जैसे कांग्रेस में दलितों ने तो नही लेकिन सतीश मिश्रा के प्रिय ब्राह्मण विधायको ने खुब गुंडागर्दी की थी । बिहार में कहने के लिये तो यादव – मुस्लिम ( my )   समीकरण था लेकिन गुंडागर्दी यादव जाति   के अपराधी तत्वों ने की । हालांकि किसी भी सताधारी दल की जात के सभी नेता अपराधी या गुंडा नही होते हैं , इसका सबसे उत्तम उदाहर

We mean money not welfare: Ratan tata

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We mean money not welfare: Ratan tata He, the gentleman is extravagantly regarded business tycoon of India, sober, humane, nationalist and so and so. Castle of His family fortune was build up on exploitation of minerals, abundantly available in united Bihar. Great visionary forefather of Ratan Tata wandered, tried, failed and lastly conquered the virgin land and mines of iron ore beneath there.   From land to labour and cheaper ore, everything having potential to change fortune was there. A small tata company turned into shark during the pace of time. Tata was at Jamshedpur on the occasion of 173 rd birth anniversary of Tata Steel’s founder Jamsedji Tata on 3rd March. He was facilitated by Singhbhum Chamber of Commerce and Industries (SCCI) and in a interactive session of that function, one R K Sinha President of Adityapur Small Industries Association (ASIA) urged the almighty Tata to buy auto parts from local ancillary units, Our FARISHTA Tata said, "Ancillary products are be

यूपी चुनाव : छोटा गुंडा जायेगा, बडा गुंडा आयेगा

यूपी चुनाव : छोटा गुंडा जायेगा , बडा गुंडा आयेगा टीवी चैनल जो एक्जिट पोल दिखा रहे हैं , उसके अनुसार मायावती अकेले दम पर सता में नहीं आने जा रही हैं । समाजवादी पार्टी सबसे बडी पार्टी के रुप में उभर कर आने जा रही है । हालांकि वोटों के बढे प्रतिशत ने एक सवाल खडा कर दिया है , किसके पक्ष में ईतना उत्साहित होकर मतदाताओं ने चुनाव में भाग लिया । जब एकसाथ सभी लोग हुंआ – हुआं बोलने लगें तो उनसे अलग आवाज निकालना थोडा कठिन होता है । जो समीकरण हैं , उसके हिसाब से यादव , राजपूत और मुसलमान मतों का एक अच्छा – खासा हिस्सा समाजवादी पार्टी को मिला है । बसपा को दलित , मुसलमान , ब्राह्मण का कुछ प्रतिशत मत मिला है । कहीं कहीं पर राजपूत मतदाताओं ने अमर सिंह की भी लाज रखी है , ब्राह्मण मत भाजपा और कांग्रेस में भी बटे हैं ।बाकी बनिया , कायस्थ मत भाजपा को गये हैं लेकिन उनका प्रतिशत नगण्य है । कुर्मी भी पूरे यूपी में नहीं हैं , उनका मत कांग्रेस को गया है । अगर सपा और बसपा की बात करें   तो   जातिगत आधार पर दोनो को मिले मतो में बहुत अंतर नही है । लेकिन यह सच है कि बसपा से ज्यादा मत सपा को मिले हैं । स

मुख्य न्यायाधीश कपाडिया जी बेटे का जिक्र क्यों नही किया

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मुख्य न्यायाधीश कपाडिया जी बेटे का जिक्र क्यों नही किया  .     अभी कुछ दिनों पहले टैक्स से संबंधित एक मुकदमें में जो वोडाफ़ोन और सरकार के बीच था,उच्चतम न्यायालय ने वोडाफ़ोन के पक्ष में फ़ैसला दिया था तथा सरकार को वोडाफ़ोन से वसूली गई टैक्स की राशी को वापस करने का आदेश दिया था  । वाक्या यह है कि वोडाफ़ोन ने हांगकंग की फ़र्म हचसन की हिस्सेदारी वाली  भारतीय फ़र्म हच इस्सार में ६७ प्रतिशत भागीदारी खरीदी थी । सरकार ने वोडाफ़ोन के उपर ११ हजार करोड रुपये का टैक्स लगाया था । वोडाफ़ोन ने सरकार के आदेश को इस आधार पर चुनौती दी थी कि सौदा देश से बाहर हुआ है इसलिये उसे टैक्स अदा करने के लिये नही कहा जा सकता है । इस मुकदमें की सुनवाई उच्चतम न्यायालय के तीन सदस्यीय पीठ जिसमें मुख्य न्यायाधीश एस एच कपाडिय़ा , न्यायाधीश के एस राधाकूष्णन तथा स्वतंत्र कुमार ने की थी और यह फ़ैसला दिया था कि सरकार द्वारा टैक्स वसूलना गलत था , सौदा विदेश में हुआ था , भले हीं सौदे की संपति भारत में स्थित थी । मैं इस लेख में सौदे की बारीकियों में नहीं जाना चाहता यह लंबी बहस का मुद्दा है । जिस फ़र्म वोडाफ़ोन के पक्ष में न्यायालय ने