राज्याभिषेक संपन्न; दो भाटों ने की ताजपोशी


राज्याभिषेक संपन्न; दो भाटों ने की ताजपोशी

कांग्रेस के वंशवाद को गाली बकते हुये सता में आये स्वार्थवादी मुलायम का असली चेहरा इसबार दिखा । धर्तराष्ट्र और मुलायम जैसों में कोई खास फ़र्क नही है । यूपी में सबसे योग्य अखिलेश नजर आयें क्योंकि वे पुत्र हैं मुलायम के । युवा हैं , बाकी नेताओं के बाल बच्चे बुढा गये हैं। आज मुलाय्म ने युवराज को राजगद्दी सौंप दी । ताजपोशी का काम किया खुद को स्वाभिमानी बतानेवाले भाट आजम खान और शिवगोपाल यादव ने । आज एक बार फ़िर प्रजातंत्र का बलात्कार हुआ , यह बलात्कार बाप के आदेश पर बेटे ने किया । भाजपा और साम्यवादियों के अलावा देश के अधिकांश दलों में वंशवाद है । अफ़सोस तो यह है कि इस वंशवाद का पोषण जनता करती है , वही खाद और बीज देती है जैसे यूपी में किया । बाप के बाद बेटा सता में आये यह गलत नही है लेकिन इसका आधार योग्यता होनी चाहिये । अखिलेश की सबसे बडी योग्यता मुलायम का पुत्र होना है । हर क्षेत्र की तरह राजनीति में भी स्वस्थ प्रतिस्पर्धा आवश्यक है । अखिलेश से ज्यादा योग्य युवा मुलायम के दल में होंगें , अन्य नेताओं के पुत्र भी कम योग्य नही हैं , लेकिन उन्हें टिकट देने के समय हीं किनारे कर दिया जाता है । ऐसे युवा नेताओं को विद्रोह करना चाहिये । गुलामी के सौ वर्ष से आजादी का एक दिन ज्यादा अच्छा है । टीवी चैनल से लेकर अखबार तक किसी ने भी एक शब्द इस वंशवाद पर लिखने की जहमत नही उठाई । कल अगर व्यवस्था का परिवर्तन होता है और इस तरह की मीडिया और पत्रकारों को सरेआम फ़ांसी देने का कानून बनता है तो उसकी प्रशंसा करनी चाहिये । क्रांति हमेशा हथियारबंद होती है , सता का परिवर्तन शांतिपूर्ण होता है जिसे आजकल गांधीवाद नाम देने का प्रचलन है । लोहिया समाजवाद के पर्याय बन गये हैं , किसी भी बात को अतार्किक रुप से मनवाने का एक नया तरीका है , लोहिया ने ऐसा कहा, वैसा कहा, लोहिया ने फ़लां को समाजवादी का प्रमाणपत्र दिया था । यह कैसा कट्टरपन्न ? समाजवाद किसी की बपौती नही है , लोहिया के पहले भी समाजवाद था और वह हमेशा रहेगा क्योंकि वह नैसर्गिक है । समाजवाद परिवार के प्रत्येक सदस्य की बराबरी के सिद्धांत पर टिका हुआ है। मुलायम ने आज उसकी समाजवाद की हत्या कर दी । पुत्र को राजगद्दी सौपनें के बाद भी मुलायम को समाजवादी मानने वाले न सिर्फ़ समाजवाद के दुश्मन है बल्कि प्रजातंत्र के भी दुश्मन हैं। कभी मैं भी मुलायम को समाजवादी मानता था , इसलिये आज दुखी हूं । मुलायम अगर अपने पुत्र की जगह पर किसी भी अन्य नेता जो उनके परिवार का न हो उसे मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव रखते तो शायद देश के सबसे सम्मानित नेता हो जातें । आज की हरकत के बाद मुलायम एक निहायत गंदा , स्वार्थी , बेईमान , धूर्त, मक्कार  और प्रजातंत्र तथा समाजवाद के हत्यारे नजर आते हैं। समाजवाद को उसके विरोधियों से ज्यादा खतरा उसका लबादा ओढकर वंशवाद को बढावा देनेवालों से है । देश को भाजपा , कांग्रेस से ज्यादा खतरा मुलायम जैसे पाखंडी समाजवादियों से हैं। भाजपा- कांग्रेस का पूंजीवाद के प्रति लगाव और रुझान घोषित है लेकिन ये समाजवादी तो जनता के साथ विश्वासघात कर रहे हैं। पहले इनका खात्मा जरुरी है । वक्त है इन पाखंडी समाजवादियों का विकल्प पैदा करने का जो कांग्रेस - भाजपा के पूंजीवाद से लड सके ।



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