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Showing posts from April, 2012

आरुषी हत्याकांड: न्यायपालिका के कारण असली अपराधी को फ़ायदा ?

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आरुषी हत्याकांड : न्यायपालिका के कारण असली अपराधी को फ़ायदा ? आज देश के सबसे चर्चित हत्याकाड की अभियुक्त नूपुर तलवार की जमानत याचिका खारिज  करते हुये न्यायालय ने उसे न्यायिक हिरासत मे ले लिया ।न्यायालय द्वारा जमानत न देना, हतप्रभ कर देनेवाला फ़ैसला था ।  व्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान प्रदत मौलिक अधिकार की श्रेणी में आता है ।बगैर पर्याप्त कारण किसी को जेल में रखना इसका उल्लंघन  है और कानूनविदो ने न सिर्फ़ इसे स्वीकार किया है  बल्कि बहुत सारे वैसे कानून जो अपराध निषेधात्मक हैं जैसे अपराध नियंत्रण एक्ट , उसमें  किसी व्यक्ति  पर गंभीर अपराधिक मुकदमों की संख्या एक साल में तीन से ज्यादा होने पर दो वर्ष तक जेल का प्रावधान भी है, परन्तु उक्त कानून की प्रास्तवना में हीं यह स्वीकार किया गया है कि इस तरह के कानून संविधान द्वारा प्रदत स्वतंत्रता के अधिकार का हनन है परन्तु समाज को सुरक्षा प्रदान करने के लिये इनका निर्माण किया गया है ।   किसी मुकदमें में जमानत देना  न्यायाधीश के विवेकाधीन नही होता । कुछ लोग यह मानते थें कि जमानत देना न्यायाधीश के स्वविवेक पर निर्भर करता है लेकिन बहुत सारे निर

सौतन से सांसद तक

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सौतन से सांसद तक एक फ़िल्म आई थी और जबर्दस्त हिट भी हुई थी । वह फ़िल्म उसके तीन किरदारों की वास्तविक जिंदगी पर आधारित थी। फ़िल्म “ सिलसिला “ ।    “ बेला चमेली के सेज सजाये , सोये गोरी का यार बलम तरसे रंग बरसे “ में वास्तविकता से एक हीं अंतर था , रियल लाईफ़ में गोरी का यार तो था लेकिन बालम नही। गोरी के यार थें  पर्दे के  महानायक  अमिताभ बच्चन । उन्हें अपनी फ़िल्मी जिंदगी की शुरुआत में जया भादुरी से शादी का लाभ मिला और फ़िल्मी दुनिया में काम न मिलने की अनिश्चता समाप्त हो गई । सफ़लता के शिखर तक पहुचने और सदी का महानायक बनने में गोरी के प्यार ने मदद की । शिखर तक के सफ़र में साथ देनेवाली रेखा की जरुरत वहां पहुचने के बाद नही रह गई और गोरी दोस्त से दर्शक बन गई । शायद यही कारण रहा कि एक दो लेखको   ने महानायक को खलनायक के रुप में चित्रित किया है । राजनेता या नेत्री भी इंसान होते हैं । रोमांस इंसान की पहचान है । समाजवादी पार्टी ने जया बच्चन को राज्यसभा के लिये निर्वाचित किया । कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में हमेशा एक राजनीतिक रोमंटिक रिश्ता रहा है । कांग्रेस पार्टी ने इस रोमांस में और मिठ

एक क्रांतिकारी का अपहरण

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एक क्रांतिकारी का अपहरण छ्तीसगढ के सुकमा जिले के जिलाधिकारी एलेक्स पाल मेमन का अपहरण नक्सलवादियों ने कर लिया है । मेनन भले हीं आइ ए एस हों लेकिन उनकी विचारधारा हमेशा क्रांतिकारी रही है । समाज के वंचित तबको के लिये कार्य करना उनके लिये जनून की तरह था । जिलाधिकारी जैसे पद पर रहते हुये मोटरसायकील से आदिवासियों के बीच रात बिरात कभी भी चले जाना , उनकी समस्याओं को समझना और उसका निराकरण करने का प्रयास करना उनकी आदत थी। क्रांतिकारी सिर्फ़ वही नहीं होते जो हथियार उठाते हैं , बल्कि वैसे सारे लोग जो व्यवस्था की खामियों के खिलाफ़ किसी भी स्तर से संघर्ष कर रहे हों , वे क्रांतिकारी हैं। मेनन को मैं चे गुएवारा मानता हूं। भारत में साम्यवादी विचारधारावाले नेता जिनमें नक्सली भी शामिल हैं , उनमें से कितनों ने चे को पढा है या समझा है मुझे नही पता। साम्यवादी शायद मार्क्स से शुरु होकर माओ तक अटक जाते हैं। चे ने न सिर्फ़ अमेरिकी बल्कि सोवियत संघ के सा्म्राज्यवाद की   भी   आलोचना की है । फ़िदेल कास्त्रो को सता के शीर्ष पर स्थापित करने के बाद मंत्रीपद का त्याग करके क्रांतिकारियों के साथ रहकर चे ने संघर्

विदेशी खुदरा निवेश यानी भ्रष्ट वाल मार्ट को न्योता

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विदेशी खुदरा निवेश यानी भ्रष्ट वाल मार्ट को न्योता केन्द्र की सरकार खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश की अनुमति प्रदान करने के लिये एडी – चोटी का जोर लगा रही है । खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश यानी दुनिया भर में दुकानों की श्रूंखला चलानेवाली कंपनियां जैसे अमेरिका की वाल - मार्ट , फ़्रांस की केरफ़ोर , जर्मनी की मेट्रो ए जी को न्योता देना ।  ये स्टोर नमक से लेकर आलू – प्याज , चावल – गेंहूं , दवा सबकुछ एक दुकान के अंदर हीं बेचेंगें । सरकार का तर्क है कि इन विदेशी दुकानों के खुलने से किसानों को उनकी उपज की अच्छी किमत मिलेगी , रोजगार के अवसर पैदा होंगें क्योंकि बिक्री की जानेवाली सामग्री की खरीद , संचयन से लेकर मालवाहन और बिक्री तक का काम ये कंपनियां स्वंय करेंगी जिसके लिये लाखों कर्मचारियों की जरुरत होगी । यह लोगों को स्तरीय सामग्री भी उपलब्ध करायेंगी । लेकिन खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश का जोरदार विरोध भी हो रहा है । विरोध करनेवालों के पास भी सशक्त तर्क मौजूद हैं । जैसे कंपनियों पर किसानों की निर्भरता बढेगी और सभी कंपनिया आपसे में मिलकर एक हीं एजेंसी से सामानों का क्रय करेगीं

अक्कू श्रीवास्तव के जाने के बाद खुलेंगें कई राज

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अक्कू श्रीवास्तव के जाने के बाद खुलेंगें कई राज एक लंबी पारी खेलने के बाद हिंदुस्तान के   अक्कू श्रीवास्तव का पटना से तबादला हो गया है । कादंबनी में आराम करने के लिये उन्हें भेज दिया गया है । अक्कू जबतक पटना में रहें विवादो का उनके साथ गहरा नाता रहा । चाहे अपने मित्र के पिता की लिखी किताब को अमिताभ बच्चन के सामने पेश करके सदी के महानायक को छलना या फ़िर पटना में जंगल राज की बात उठाने के बाद नीतीश कुमार से क्षमा मांगने के लिये जहानाबाद की सभा में अपमानित होने से ले्कर कृष्ण मेमोरियल हाल में आयोजित समा्रोह में नीतीश को चेहरा दिखाने के लिये घटो प्रोग्राम को स्थगित करके रखना । लगता है पटना से जाने के बाद भी विवादों से अक्कू का पीछा नही छुटनेवाला । गत शनिवार को हुई घटना के बाद पत्रकार जगत में यह चर्चा जोरो पर है कि अक्कू के जाने के बाद खुलेंगे कई राज । शनिवार को हिंदुस्तान अखबार पटना के कार्यालय के सामने उसके दो कापी रायटर , मुख्य कापी रायटर गंगेश श्रीवास्तव तथा अवधेश पांडे की कुछ लोगों ने धुनाइ की । ऐसा बताया जाता है कि धुनाई करनेवालों में एक पुलिस का दारोगा भी था ।   चलिये मारपीट त

एक ड्रायवर ने टाट्रा को बुलंदी पर पहुचाया

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एक ड्रायवर ने टाट्रा को बुलंदी पर पहुचाया । अभी टाट्रा ट्रक का मामला गरमाया हुआ है । यह कंपनी एक सामान्य सी कंपनी थी। पहले कार बनाती थी , बाद में ट्रक बनाना शुरु किया , लेकिन इस कंपनी की धाक जमाने में एक आदमी का सबसे बडा योगदान रहा । करेल लोपरेज नामक एक साधारण से कर्मचारी ने दुनिया की नामी डकार रैली में ट्रक कैटेगरी की दौड टाट्रा के ट्रक से छह बार जीतकर टाट्रा ट्रक को बुलंदियों पर पहुंचा दिया । चेकोस्लोवाकिया के ओस्ट्रावा में ४ मार्च को पैदा हुये करेल लोपरेज ने १९६७ में एक साधारण कर्मचारी के रुप में टाट्रा में अपने जिंदगी की शुरुआत की । बाद में वह टेस्ट ड्रायवर बना और पहली बार टाट्रा 815   ट्रक से १९८६ में डकार रैली में भाग लिया ।   उसने छह बार   ( १९८८ , १९९४ , १९९५ , १९९८ , १९९९ , २००१ ) इस रैली में विजय प्राप्त की , पांच बार दुसरे स्थान पर और एक बार तीसरे स्थान पर रहा । इस रैली को पेरिस - डकार रैली के नाम से जा