विदेशी खुदरा निवेश यानी भ्रष्ट वाल मार्ट को न्योता


विदेशी खुदरा निवेश यानी भ्रष्ट वाल मार्ट को न्योता

केन्द्र की सरकार खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश की अनुमति प्रदान करने के लिये एडीचोटी का जोर लगा रही है । खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश यानी दुनिया भर में दुकानों की श्रूंखला चलानेवाली कंपनियां जैसे अमेरिका की वाल-मार्ट , फ़्रांस की केरफ़ोर, जर्मनी की मेट्रो ए जी को न्योता देना ।  ये स्टोर नमक से लेकर आलूप्याज , चावलगेंहूं , दवा सबकुछ एक दुकान के अंदर हीं बेचेंगें ।
सरकार का तर्क है कि इन विदेशी दुकानों के खुलने से किसानों को उनकी उपज की अच्छी किमत मिलेगी , रोजगार के अवसर पैदा होंगें क्योंकि बिक्री की जानेवाली सामग्री की खरीद , संचयन से लेकर मालवाहन और बिक्री तक का काम ये कंपनियां स्वंय करेंगी जिसके लिये लाखों कर्मचारियों की जरुरत होगी । यह लोगों को स्तरीय सामग्री भी उपलब्ध करायेंगी ।
लेकिन खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश का जोरदार विरोध भी हो रहा है । विरोध करनेवालों के पास भी सशक्त तर्क मौजूद हैं । जैसे कंपनियों पर किसानों की निर्भरता बढेगी और सभी कंपनिया आपसे में मिलकर एक हीं एजेंसी से सामानों का क्रय करेगीं जिससे मोनोपोली स्थापित हो जायेगी और किसानों के पास विकल्प का अभाव होगा । बेरोजगारी बढेगी , आज खुदरा क्षेत्र में करोडो लोगों को रोजगार उपलब्ध है । जिसमें ढेलावाले से लेकर सब्जी बेचनेवाला , गांव व शहर के हर नुक्कड एवं गली के कोने पर दुकान खोलकर बैठा छोटा दुकानदार तथा दवा दुकानदार शामिल है । बडी विदेशी कंपनियों के आने के बाद इनके व्यवसाय पर असर पडेगा । बडी कंपनियां ज्यादातर काम में मशीनों का उपयोग करती हैं । उनके दुकान में ग्राहक स्वंय सामान लेकर भुगतान काउंटर तक जाता है । दुकान की निगरानी कैमरे से होती है । सौ  आदमी का काम दस आदमी कर सकते हैं ।  जहां दस आदमियों को रोजगार मिलेगा वहीं हजार हाथ भुखमरी के कगार पर आ जायेंगें ।
 विदेशी कंपनियों पर अपने व्यवसायिक हितों के लिये अनैतिक एवं भ्रष्ट आचरण अपनाने का आरोप हमेशा से लगते आया है । दुनिया की सबसे बडी कंपनी वाल मार्ट जो नैतिक आचरण का प्रचार गर्व के साथ करती है , जिसका कार्यालय अमेरिका के बेनेटन विले आर्क में अवस्थित है । उक्त वाल मार्ट को अपने व्यवसाय बढाने के लिये भ्रष्ट आचरण अपनाने तथा सरकारी अधिकारियों को घूस देने का दोषी पाया गया है । अमेरिकी मीडिया ने एक सनसनीखेज खुलासे में यह बताया है कि वाल मार्ट की मेक्सिको इकाई , वालमार्ट डी मेक्सिको ने अपना व्यवसायिक प्रभुत्व स्थापित करने के लिये मैक्सिकों के अधिकारियों को भ्रष्ट बनाया और घूस दिया । मैसिको के हर चौराहे पर अपनी दुकान खोलने की होड में शामिल इस कंपनी ने स्टोर खोलने की अनुमती प्राप्त करने के लिये सरकारी विभागों को घूस दी और नियमों को शिथिल करते हुये इसे अनुमति प्रदान की गई । इस खुलासे की शुरुआत २००५ सितंबर में हुई , जब वाल मार्ट के एक वरीय वकील को मेक्सिको वाल मार्ट के एक पूर्व अधिकारी का इमेल प्राप्त हुआ , उस ईमेल में कहां कहां किसे रकम दी गई और उसका कारण क्या था इसकी विस्तरत जानकारी थी । वाल मार्ट ने आरोपो की जांच एफ़ बी आई के एक पूर्व अधिकारी से कराई । जांच के प्रारंभिक दौर में हीं दो करोड चालीस लाख डालर के संदिग्ध भुगतान का पता चला । जांच में यह भी पता चला कि वाल मार्ट डी मेक्सिको के आलाधिकारियों को इन भुगतानों के बारे में पहले से जानकारी प्राप्त थी और उन्होनें इसकी सूचना वाल मार्ट के हेड कार्यालय को देने की बजाय उसे छुपाने का प्रयास किया । जांचकर्ता ने यह टिपण्णी करते हुये किइस बात पर विश्वास करने के पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध हैं कि अमेरिका एवं मेक्सिको के कानून का उलंघन किया गया हैअपनी रिपोर्ट वरिष्ठ  अधिकारी को सौंप दी साथ हीं साथ जांच के दायरे को विस्तारित करने की भी अनुशंसा की । लेकिन वाल मार्ट ने जांच बंद कर दी । वाल मार्ट ने अमेरिका और मेक्सिकों की सरकारी एजेंसियों को भी इस बात की सूचना नही दी । वाल मार्ट डी मेक्सिको के किसी अधिकारी पर भी अपने स्तर से  कोई कार्रवाई वाल मार्ट ने नही की । इसके विपरित गंभीर आरोपों से घिरे मुख्य कार्यकारी एडीआर्डो कास्त्रो को २००८ में वाल मार्ट का उपाध्यक्ष बना दिया गया । अखबारों में इस बात का खुलासा होने तक वाल मार्ट पर लगे आरोप और जांच तथा उसके निष्कर्ष को सार्वजनिक नही किया गया ।बाद में अपनी आलोचना , प्रेस में मामले के लीक हो जाने और स्टाक के गिरते हुये भाव से उच्च नैतिक मूल्यों के पालन  का दावा करनेवाली कंपनी परेशान हो उठी  । उसने अपनी सफ़ाइ देनी  शुरु कर दी ।
 वाल मार्ट डी मेक्सिको को वाल मार्ट की सफ़लता की दास्तां माना जाता है और कंपनी इसकी सफ़लता को निवेशकों के समक्ष भविष्य  की सफ़लता के रुप में उदाहरण  बना कर प्रस्तुत करती है । दुनिया के नंबर एक रिटेल स्टोर कंपनी वाल मार्ट का हर पांचवा स्टोर मेक्सिको में है जहां दो लाख नौ हजार कर्मचारी कार्य करते हैं तथा यह निजी क्षेत्र की सबसे बडी रोजगार दाता कंपनी है । मामले का खुलासा हो जाने के बाद भी वाल मार्ट ने सबक नही लिया और उसके उच्चाधिकारियों ने भ्रष्टाचार को समाप्त करने , दोषियों को सजा दिलाने के बजाय इस खुलासे से हुई क्षति को नियंत्रित करने पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया । जांच रिपोर्टो को यहकर कि इस तरह के एका दुक्का हीं मामले हुये हैं , इसे रफ़ा दफ़ा करने का प्रयास वाल मार्ट द्वारा किया गया । जब मामला नही दब पाया और अमेरिकी एजेंसियों ने दबाव बनाया तो वाल मार्ट ने अमेरिकी जस्टिस विभाग को यह सूचित किया कि कंपनी ने फ़ारेन करप्ट प्रेक्टिस एक्ट (एफ़ सी पी ए ) के संभावित उलंघन की आंतरिक जांच की शुरुआत कर दी है । वाल मार्ट ने परमीट प्राप्त करने में आ रही दिक्क्तों को आड बनाकर यह प्रचारित किया कि परमीट प्राप्त करने के लिये कुछेक मामलों में कानून का उलंघन हुआ है जिसका कारण परमीट की प्रक्रिया है । यह अपने भ्रष्टाचार को छुपाने का एक बहाना भर था । लेकिन अखबारों नें अपनी जांच में पाया कि वाल मार्ट के लगातार विकास की नींव हीं भ्र्ष्टाचार  पर टिकी है ।
 भारत में टूजी घोटाला में निजी क्षेत्रों की कंपनियों द्वारा अपने व्यवसाय को आगे बढाने के लिये भ्रष्टाचार एवं अनैतिकता को एक साधन के रुप में उपयोग का उदाहरण मौजूद है । भारत में टाट्रा ट्रक की आपूर्ति वेक्ट्राटाट्रा के माध्यम से की गई है । वाल मार्ट डी मेक्सिको की तरह हीं वेक्ट्राटाट्रा , मूल टाट्रा कंपनी की भारतीय इकाई है । रक्षा सौदों तथा संचार के क्षेत्र में जहां सरकार का अपना नियामक प्राधिकार है, भ्रष्टाचार को नहीं रोका जा सका वहां खुदरा क्षेत्र में विदेशी कंपनियों को अनुमति देने के बाद उन कंपनियों द्वारा अपनी तरक्की के लिये अपनाये जानेवाले भ्रष्टाचार पर नियंत्रण पाने की बात सोचना एक निरी कल्पना भर है ।





टिप्पणी के साथ अपना ई मेल दे जिस पर हम आपको जवाब दे सकें

Comments

Popular posts from this blog

आलोकधन्वा की नज़र में मैं रंडी थी: आलोक धन्वा : एक कामलोलुप जनकवि भाग ३

भूमिहार :: पहचान की तलाश में भटकती हुई एक नस्ल ।

आलोक धन्वा : एक कामलोलुप जनकवि – भाग १