मंत्री श्याम रजक पर लडकी मांगने का आरोप

मंत्री श्याम रजक पर लडकी मांगने का आरोप
बिहार सरकार में खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री तथा नीतीश कुमार के उपर उनके हीं दल जदयू के प्रदेश महासचिव शंभुशरण पटेल ने यह आरोप लगाया है कि मंत्री ने उनसे लडकी की आपूर्ति करने को कहा । घटना के संबंध में बताया जाता है कि जदयू के प्रदेश महासचिव शंभुशरण एक ठेकेदार हैं तथा पटेल भवन निर्माण विभाग में ठेकेदारी करते हैं। शंभुशरण को श्याम रजक के निवास सरकारी आवास में गार्ड के लिये बैरक बनाने के लिये 20.5 लाख रुपये का ठेका मिला था । शंभुशरण के अनुसार उन्होने जब संविदा के अनुसार काम करवाने के लिये मंत्री से संपर्क साधा तो मंत्री श्याम रजक ने उन्हें अपने आप्त सचिव से बात करने का सुझाव दिया । शंभुशरण जब इस संबंध में आप्त सचिव से मिले तो आप्त सचिव ने  डेढ लाख रुपया कमीशन की मांग की । शंभुशरण ने मंत्री को इस बाबत बताया तथा कमीशन देने से इंकार किया तो मंत्री आगबबूला हो गयें तथा अपमानजनक शब्दों के साथ गाली गलौज भी शुरु कर दिया और अपने सुरक्षा गार्डो से धक्के देकर आवास से बाहर निकलवा दिया । उन्होने यह भी बताया है कि उन्हें काम शुरु करने से पहले सेवा देने के लिये भी कहा गया । शंभुशरण सिंहा ने इस संबंध में सचिवालय थाने में एक लिखित आवेदन भी दिया था जिसमें इस बात का जिक्र था कि सेवा का अर्थ लडकी आपूर्ति करना है । इस घटना ने जदयू के अंदर सनसनी पैदा कर दी । बताया जाता है कि मामला हाई कमान तक जा पहुंचा । सचिवालय थाना में कल शाम को हीं जदयू के आला नेताओं का मजमा लगना तथा शंभु पटेल को समझाने बुझाने का काम शुरु हो गया । पार्टी के आला नेताओं के दबाव के कारण शंभु पटेल ने यह कहते हुये मामला वापस ले लिया कि जदयू के वरीय नेताओं के कहने पर वह मामला वापस  ले रहे हैं । यह हमारा आपस का मामला है जिसे हम आपस में हीं निपटा लेंगें । सिवाय एक अखबार सन्मार्ग को छोडकर किसी भी अखबार ने इस मामले को नही प्रकाशित किया जो पत्रकारिता के लिये शर्म की बात है ।

  मामला भले हीं दबा दिया गया हो लेकिन बहुत सारे सवालिया निशान खडे हो गयें है। इस घनाक्रम से यह साबित होता है कि नीतीश कुमार की कथनी और करनी में अंतर है । एक तरफ़ वह अपने जिला एवं ब्लाक स्तर के कार्यकर्ताओं को ठेकेदारी से अलग रहने की सलाह देते हैं वहीं दुसरी और उनके हीं दल का एक प्रदेश स्तर का नेता ठेकेदारी का कार्य करता है ।  पुलिस की कार्यशैली पर भी प्रश्नचिंह लग गया है कि आखिर इस तरह की संगीन शिकायत मिलने के बावजूद पुलिस ने कौन से कानून के तहत मामले को वापस करने की अनुमति प्रदान की और एफ़ आई आर नही दर्ज की । अपने मंत्रियों की साफ़ सुधरी  छवि की दुहाई देनेवाले नीतीश कुमार के काबीना मंत्री पर लडकी आपूर्ति करने के लिये दबाव बनाने का गंभीर आरोप लगने के बावजूद , इस मामले को क्यों रफ़ा-दफ़ा किया गया । मामले में उच्चस्तरीय जांच की आवश्यकता है । इस मामले में अब विपक्ष की प्रतिक्रिया का इंतजार है ।



टिप्पणी के साथ अपना ई मेल दे जिस पर हम आपको जवाब दे सकें

Comments

  1. Nitish bhi to aisa hi hai.Archana ko rakhel bana kar rkha hai.

    ReplyDelete

Post a Comment

टिपण्णी के लिये धन्यवाद

Popular posts from this blog

आलोकधन्वा की नज़र में मैं रंडी थी: आलोक धन्वा : एक कामलोलुप जनकवि भाग ३

भूमिहार :: पहचान की तलाश में भटकती हुई एक नस्ल ।

आलोक धन्वा : एक कामलोलुप जनकवि – भाग १