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Showing posts from August, 2011

समाजवादियों ने बताई अन्ना और कांग्रेस - भाजपा को उनकी औकात

ससंद की कार्यवाही जिसने भी देखी होगी , उसे मालूम होगा कि सिर्फ़ समाजवादी विचारधारा वालों नें अन्ना ग्रुप और अमेरिका परस्त भाजपा एवं कांग्रेस दोनो को लताड लगाई । समाजवादी पार्टी के रेवतीरमन सिंह , जनता दल यूनाईटेड के शरद यादव , राजद के लालू यादव , सभी ने एक स्वर में चेताया कि संसद की अवहेलना बर्दाश्त नही होगी । कांग्रेस  और भाजपा दोनो  कारपोरेट घराने तथा एन जी ओ को लोकपाल के दायरे में नही लाना चाहते थें। अन्ना ग्रुप के अरविंद केजरीवाल ने स्पष्ट शब्दों में कहा था किजो एन जी ओ सरकार से अनुदान प्राप्त नहीं करते हैं , उन्हें लोकपाल के दायरे में लाने की जरुरत नही है । जैसे नियमित कामगारों की जगह ठेके के मजदूरों ने ले ली है , उसी तरह किसी देश को अस्थिर करने के लिये कार्यरत जासूस संगठनों की जगह एन जी ओ ने ले ली है । चाहे काश्मीर के अलगाववादी संगठन हों या आसाम का उल्फ़ा । इन सभी को अन्य देशों से आर्थिक मदद एन जी ओ के नाम पर हीं मिलती हैं। भारत के कारपोरेट घराने भी अपने स्वार्थ के लिये अलगाववादी संगठनों की मदद करते हैं। पत्रकार जगत के लोगों को याद होगा , टाटा के अधिकारियों ने आसाम के एक अलगाववा

टीवी चैनल वाले कालेधन से करते है भुगतान : पूण्य प्रसून वाजपेयी

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केबल इंडस्ट्री के धंधे पर नकेल लेकिन टीवी वालों के कालेधन की कोई जांच नहीं कालेधन का भुगतान करने वालों में शामिल है इंडिया टीवी हर बरस एक हजार करोड़ से ज्यादा ऑफिशियल कालाधन केबल इंडस्ट्री में जाता है। हर महिने सौ करोड रुपये केबल इंडस्ट्री में अपनी धाक जमाने के लिये अंडरवर्ल्ड से लेकर राज्यों के कद्दावर नेता अपने गुर्गों पर खर्च करते हैं । हर दिन करीब एक करोड रुपये केबल-वार में तमंचों और केबल वायर पर खर्च होता है, जिनके आसरे गुंडा तत्व अपने मालिकों को अपनी धाक से खुश रखते हैं कि उनके इलाके में केबल उन्हीं के इशारे पर चलता है और बंद हो सकता है। इन्ही केबलों के आसरे बनने वाली टीआरपी किसी भी न्यूज या मनोरंजन चैनल की धाक विज्ञापन बाजार से लेकर सरकार तक पर डालती है जो चैनल की साख चैनल को देखने वाले की टीआरपी तादाद से तय करते हैं। तो खबर यही से शुरु होती है। करोड़ों का कालाधन और कही से नहीं चैनल चलाने वाले देते हैं। चाहे खबरिया चैनल हों या मनोरंजन चैनल उसकी प्रतिस्पर्धा चैनलों के आपसी कंटेंट में पैसा लगाने से कही ज्यादा केबल पर दिखायी देने में खर्च होते हैं। और टीवी पर केबल के

अन्ना ट्रस्ट माफ़िया हैं , भ्रष्टाचार के दोषी भी हैं

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जो व्यक्तिवादी होता है वह तानाशाह बन जाता है। अन्ना के पुराने सहयोगी। ग्लुकोज और एलेक्ट्राल का पानी पीकर अनशन करते हैं अन्ना । सालो अनशन किया जा सकता है इस तरह का अनशन अन्ना ने महाराष्ट्र में बहुत सारे अनशन किये हैं , यह सब मानते हैं। आज जैसे अन्ना के साथ किरन बेदी, अरविंद केजरिवाल, मनीष सिसोदिया, प्रशांत भूषण , शांति भूषण अन्ना के साथ हैं , उसी तरह पहले के अनशन में भी अन्ना के सहयोगी रहे होगें, आज कहां हैं , अन्ना के वह सहयोगी ? गांधी जी के साथ जो लोग शुरु से जूडे थें , वे अंत तक रहें लेकिन अन्ना के साथियों ने क्यों उनका साथ छोड दिया ? यह एक विचारणीय विषय है । अन्ना के बारे में लोगों को कुछ भी नही पता है । आमजन अन्ना को एक संत समझ रहा है जो कभी किसी सरकारी पद पर नही रहा । यह भी टीवी चैनल से लेकर अखबार दिखा रहे है कि अन्ना सिर्फ़ पानी पीकर भुख हडताल कर रहे हैं। अन्ना दस ट्रस्ट से जूडे हैं। इन ट्रस्टों को केन्द्र से लेकर राज्य सरकार तक से करोडो रुपया का अनुदान मिलता र्हा है । अन्ना के खिलाफ़ भ्रष्टाचार का अभिय्ग लगा जिसकी जांच पी बी सावंत आयोग द्वरा की गई और उस जांच में बहुत स

सीआईए के समक्ष सरकार ने घुटने टेके

अन्ना के पुराने साथी उअनके बारे में क्या कहते हैं , सुनिये उनके विचार । अभी और तथ्य ला रहे हैं हम । अन्ना एक ट्रस्ट माफ़िया है । हम बतायेंगे सबुतों के साथ ।

उतर भारत वालों की पिटाई के खिलाफ़ अनशन क्यों नही किया था अन्ना भैया ?

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अन्ना हजारे जी के पिछे सबसे ज्यादा भीड उतर भारतीय युवा युवतियों की है । महाराष्ट्र जहां के निवासी है अन्ना , वह शांत है । महाराष्ट्र अन्ना जी की कर्मभूमि और उतर भारतीय लडकों की पिटाई भूमि रही है । दौडा-दौडा कर मुंबई में परीक्षा देने गये लडकों को पिटा गया था। अन्ना जी भी महाराश्ट्र में हीं थें विदेश यात्रा पर नही थें। एक बार भी आलोचना नही की । क्या गांधी भी ऐसा हीं करते ? जी नहीं गांधी ने इस बात की कभी परवाह हीं नही की कि लोगों को क्या अच्छा लगता है , उन्होने वह किया जो सही था। दंगे की आग में झुलस रहे कलकता में अनशन पर बैठ गये थें गांधी । चौरी-चौरा में हिंसा हुई तो आंदोलन तक वापस ले लिया । अन्ना जी क्या आपका फ़र्ज नही था कि मुंबई में जब उतर भारतीयों को पिटा जा रहा था तब तत्काल अनशन करने का। हालात कितने बिगड गये थें कि उतर भारत के लोग अपना- अपना घर छोड कर भाग आये थें , कहां थे आप अन्ना जी ? क्यों नही असली बापू की तरह अनशन पर बैठें ? क्या इसलिये कि आपके सलाहकारों ने आपको राय नही दी थी ? अब आप जनलोकपाल केर नाम पर दिल्ली में आकर उतर भारतीय लडकों को चरका पढा रह

सीआई ए और फ़ोर्ड फ़ाउंडेशन का हाथ है अन्ना के आंदोलन में

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अन्ना के आंदोलन के दो मुख्य सूत्रधार और संचालक हैं । एक मनीष सिसोदिया और दुसरा अरविंद केजरीवाल । मनीष सिसोदिया की एक संस्था है कबीर जिसे फ़ोर्ड फ़ाउंडेशन ने अन्ना के आंदोलन के लिये दो लाख डालर का अनुदान दिया है । फ़ोर्ड फ़ाउंडेशन अमेरिका की कुख्यात संस्था सीआईए के लक्ष्यों की पूर्ति के लिये काम करता है । यहां हम एक लेख दे रहे हैं जो रिसर्च पर आधारित है जिसमे यह स्पष्ट रुप से बताया गया है कि सीआईए- अमेरिका और फ़ोर्ड फ़ाउडेशन के बीच क्या संबंध हैं । लेख अंग्रेजी में है तथा एक रिसर्च का हिस्सा है । हम प्रासांगिक संदर्भ यहां दे रहे हैं। बात में संपूर्ण पुस्तक का अनुवाद भी प्रकाशित करेंगें। इस रिसर्च के लेखक जेम्स पेट्रास हैं जो ब्रिंघटन विश्वविद्यालय , न्यूयार्क में सामाजशास्त्र के प्रोफ़ेसर रह चुके हैं तथा अमेरिका की सा म्राज्यवादी व्यवस्था के विरोधी हैं । The Ford Foundation and the CIA: A documented case of philanthropic collaboration with the Secret Police by James Petras Introduction The CIA uses philanthropic foundations as the most effective conduit to chan

पूंजीवाद का समर्थक और समाजवाद का विरोधी है अन्ना का आंदोलन

पूंजीवाद का समर्थक और समाजवाद का विरोधी है अन्ना का आंदोलन मनीष सिसोदिया –अरविंद केजरीवाल और सरकार , दोनो का लोकपाल बिल कोई बदलाव नही लायेगा जनलोकपाल बिल जिसे अब अन्ना हज़ारे का लोकपल बिल कहा जा रहा है वस्तुत: मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल नामक दो आदमियों के दिमाग की उपज है । अन्ना सिर्फ़ उस बिल के समर्थन में खडे एक ब्रांड एमबेस्टर की तरह है जैसे जे पी सिमेंट के प्रचारक अमिताभ बच्चन । देश की सबसे बडी समस्या भ्रष्टाचार नही है । समस्या है अमीर और गरीब के बीच की खाई। इस खाई का कोई संबंध भ्रष्टाचार से नही है । भ्रष्टाचार की समाप्ति के बाद भी यह समस्या ज्यों की त्यों रहेगी। यह समस्या देन है पुंजीवादी व्यवस्था की। पुंजीवादी व्यवस्था जहां भी रहेगी भ्रष्टाचार हीं पैदा करेगी । पुंजीवादी व्यवस्था का अर्थ है , पैसे से पैसे कमाना और इसके लिये होड लगेगी , कौन कितनी जल्दी , कम पैसा लगाकर ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाता है , वहीं से शुरुआत होगी भ्रष्टाचार की । ज्यादा पैसा कमाने के लिये सरकारी नीतियों का फ़ायदा उठाया जायेगा । नीतियों में शिथिलता लाने या अपने मनोकुल बनाने का प्रयास होगा , अभी ट

्वरिष्ठ पत्रकारों ने अन्ना की जिद्द को गलत बताया

हिंदु समाचार पत्र के संपादक वरदराजन ने अन्ना के अनशन को गलत बताया वरदराजन ने अन्ना के द्वारा ३१ अगस्त तक अन्ना लोकपाल बिल को पास करने के लिये बनाये जा रहे दबाव को गलत बताया है । उन्होनें मीडिया की भूमिका पर भी सवाल खडा किये हैं तथा संतुलित कवरेज का आग्रह किया है । बिहार के सारे अखबार नीतीश कुमार के निदेश पर अन्ना हजारे के अनशन का एक तरफ़ा कवरेज दे रहे हैं। हिंदुस्तान समाचार , प्रभात खबर, दैनिक जागरण और सहारा जैसे अखबार एक मुहिम के तहत इस आंदोलन को कवरेज दे रहे हैं , विरोध का कोई समाचार नही छप रहा है । दिखाने के लिये कोने में एकाध समाचार छाप कर अपने निष्पक्ष होने का ड्रामा भर कर रहे हैं। जनता की सहभागिता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि हिंदुस्तान अखबार ने सत्रह अगस्त को गया में १२०० अतिरिक्त अखबार भेजे थें जिसमे से ८६० अखबार वापस हो गया । वरदराजन ने प्रिंट मीडिया से ज्यादा टीवी चैनलों को पक्षपातपूर्ण कवरेज का दोषी ठहराया । वरिष्ठ पत्रकार प्रेम शंकर झा ने भी समाचार और विश्लेषण के बीच संतुलन कायम रखने पर जोर दिया और अन्ना के आंदोलन को बढा-चढाकर पेश करने के लिये मीडिया की आलोचना क

अब छोटे अखबारों की भी खबरें चुराने लगा ‘हिन्दुस्तान’ पटना

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अब छोटे अखबारों की भी खबरें चुराने लगा ‘हिन्दुस्तान’ पटना यह उस अखबार की कहानी है जो बिहार में सबसे ज्यादा सर्कुलेशन और सबसे लोकप्रिय हिन्दी दैनिक होने का दंभ भरता रहा है। ‘हिन्दुस्तान’ ने 20 अगस्त को पटना के होटल मौर्या में अपना 25वां वर्षगांठ मनाया और इस वर्षगांठ और आयोजन के बारे में दूसरे दिन यानी 21 अगस्त को अपने सभी संस्करणों में इस आयोजन के बारे में काफी बढ़ा-चढ़ाकर खबरें और तस्वीरे छापी। 21 अगस्त के अंक में कई एस्क्यूलुसिव खबरें भी छापी गई। एस्क्यूलुलिव खबरें छापना भी लाचारी थी क्योंकि वर्षगांठ समारोह में शिरकत करने पटना आए हिन्दुस्तान के प्रधान संपादक शशि शेखर, एचएमवीएल के सीओ अमित चोपड़ा व निदेशक विनॉय राय चौधरी रविवार को भी पटना ही में थे और उन्हें अखबार दिखानी जो थी। ण्ेसी ही एस्क्यूलुसिव खबरोंमें एक खबर रविवार 21 अगस्त के पटना संस्करण में पृष्ठ संख्या-6 पर बॉटम में लगी है। ‘फेसबुक पर फर्जीवाड़ा, एसपी को ही चुनौती’ शीर्षक वाली चार कॉलम के इस खबर में पटना के सिटी एसपी शिवदीप लांडे व राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद और पूर्व मुख्य मंत्री राबड़ी देवी के

गया शेरघाटी के हिंदुस्तान के पत्रकार एस के उल्लाह से जनता परेशान

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गया जिला का एक अनुमंडल है शेरघाटी जहां हिंदुस्तान अखबार का एक पत्रकार है एस के उल्लाह । एस के उल्लाह पढने लिखने के मामले में एक अच्छा पत्रकार माना जाता है । अपनी कलम की ताकत के कारण एस के उल्लाह न सिर्फ़ अहंकारी बन चुका है बल्कि वसूली में भी महारथ हासिल कर चुका है । बिहार मीडिया के पास शेरघाटी की जनता ने एक पत्र भेजा है जिसमें उसके अहंकार और भ्रष्टाचार की शिकायत है । हिंदुस्तान अखबार को भी शेरघाटी की जनता ने पत्र भेजकर अपनी शिकायत दर्ज कराई है । बिहार मीडिया बिना तथ्य के किसी भी खबर का प्रकाशन नही करता है । हमने अपने स्तर पर पता लगाया । शेरघाटी के लोगो का आरोप सही है । एस के उल्लाह वसूली भी करता है । पत्रकारिता की आड में उसने अच्छी खासी कमाई की है । शेरघाटी राजमार्ग दो के किनारे बसा है । वहां ्कमाने के बहुत सारे श्रोत हैं। डोभी चेक पोस्ट से लेकर अन्य गैर कानूनी काम करने वालों से नाजायज पैसा मिलता है । ्सरकारी ठेके वाले विभाग भी पैसा देते हैं। सबसे मजेदार बात यह है कि जहां अन्य भ्रष्ट पत्रकारों को नाजायज रकम की वसूली खुद करनी पडती है , वहीं एस के उ

अन्ना जी सरकार की फ़ाड डालो

अन्ना जी सरकार की फ़ाड डालो शादी तो हुई नही , मनमोहन पर हीं काम चलाओ मुंबई का गुजरा जमाना याद करो (पाठको से निवेदन है कि मेरे इस लेख को आप यह मानकर पढें कि मैं अन्ना के खिलाफ़ हूं और कारण है अन्ना का पाखंड , मैने बिहार मीडिया को शुरु करने के पहले यह संकल्प लिया था कि भ्रष्टाचार के खिलाफ़ मेरा संघर्ष होगा, दबाव के आगे नही झुकुंगा , जेल और गोली का सामना करुंगा , आज मेरे संकल्प की परीक्षा की घडी है अगर आज झुक गया तो जिवन में कभी भी सिर नही उठा पाउंगा , अपने बहुत अजीज भडास मीडिया के संपादक यशवंत से भी इस मुद्दे पर बहस कर चुका हूं , उन्होने मुझे अन्ना के पक्ष में लाने के लिये तरह – तरह के तर्क दियें , यशवंत अभी बच्चे हैं, भ्रष्टाचार के खिलाफ़ जंग इतनी आसान नही है , और यशवंत जैसे लोग उस जंग को लड भी नहीं सकतें। अगर मेरे सामने यह विकल्प हो कि मैं गांधी, जवाहर , भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस और गैलिलिओ में से क्या बनना पसंद करुंगा तो मेरा जवाब होगा गैलिलिओ . दुनिया के सारे लोग भी जब एक तरफ़ होंगे, मैं अपनी लडाई जारी रखुंगा , अब प्रश्न यह उठ सकता है कि जब सारे लोग मेरे खिलाफ़ होंगे तो लडाई क

अन्ना ग्रुप का षडयंत्र

अन्ना के पक्ष में जो जुलुस निकाला जा रहा है उनमे शहर के बदनाम और भ्रष्ट चेहरों की जमात है । यह सबकुछ नियोजित है । अन्ना का जेल से बाहर निकलने से इंकार करना सिवाय गुंडागर्दी के और कुछ नही है । अन्ना ्वैसे भी मुंबई में आवारा लडकों के ग्रुप के नेता थें । शायद वही गुंडागर्दी वाला भाव उबाल मार रहा है । समर्थन दे रहे लोग अराजकता को बढावा दे रहे हैं और अति उत्साह में यह सबकुछ कर रहे हैं। अमेरिकी षडयंत्र का शिकार हो चुका है मुल्क । जैसे मिश्र में हंगामा पैदा करवाया वैसा हीं भारत में करने का प्रयास है । आज मिश्र में कट्टरपंथी ब्रदरहुड संस्था हावी हो चुकी है । भारत बर्बादी के कगार पर खडा है भेड जनता सिर्फ़ समस्या पैदा करना जानती है निदान नही । अन्ना हजारे अब रिहा होंगें अन्ना हजारे की गिरफ़्तारी के चौबीस घंटे भी नहीं गुजरे कि उनकी रिहाई सुनुश्चित हो गई । यह पुरे देश में हो रहे विरोध प्रदर्शन के कारण संभव हुआ । सरकार जनमत के दबाव के सामने झुक गई । रिहाई के बाद अन्ना ग्रुप और बुलंद हौसले के साथ अपनी असंवैधानिक मांग को पुरा करने के लिये डट जायेगा । मनमोहन सिंह अक्षम प्रधानमंत्री सा

प्रकाश झा थीम चोर हैं

प्रकाश झा थीम चोर हैं आरक्षण एक वाहियात फ़िल्म उल्लू बना गये प्रकाश झा इस फ़िल्म को देखने के बाद यह अहसास हो जायेगा कि इसकी थीम आंनद और अभ्यानंद की सुपर थर्टी के कंसेप्ट पर आधारित है । थीम की चोरी की है प्रकाश झा ने। आरक्षण पर अच्छा खासा विवाद पैदा हुआ है । यहां तक की लालू, पुनिया, भुजबल जैसे महारथी हाय तौबा मचा रहे थें। ये वह जातिवादी चेहरे थें जिन्होनें समाज और देश को सबसे ज्यादा क्षति पहुचाई है । अमिताभ विशुद्ध व्यवसायिक कलाकार नजर आयें। कहानी में बिखराव है । एक्टिंग से फ़िल्म को बांधे रहने का प्रयास अमिताभ ने किया है , सफ़ल हुये हैं । आरक्षण जैसे गंभीर मुद्दे को सतही बना दिया गया है । मैने अपने लेख में आशंका व्यक्त की थी कि कहीं इस फ़िल्म के नाम पर किया जा रहा विवाद फ़िल्म को व्यवसायिक रुप से सफ़ल बनाने के लिये तो नही किया जा रहा है ।मेरी आशंका सही थी। हां भावनात्मक रुप से फ़िल्म को हिट बनाने का प्रयास अमिताभ ने किया है , बहुत हदतक सफ़ल भी लगते हैं। फ़िल्म का न तो आरक्षण से कोई संबंध है और न हीं शिक्षा के व्यवसायीकरण से । हां ये दोनो विषयों को फ़िल्म का आधार दिखलाने का

राष्ट्रद्रोही हैं अन्ना ग्रुप

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अमेरिका की मदद से चल रहा है अन्ना का आंदोलन कश्मीरी अलगावादियों का समर्थक है अन्ना ग्रुप अन्ना ग्रुप अराजकता फ़ैलाना चाहता है मानीष सिसोदिया, अरविंद , किरन, भुषण किसको कितना पैसा अमेरिका से मिला यह बताओ. गांधिवादियों को आगे आने की जरुरत है अन्ना १६ अगस्त से अनशन शुरु करने की धमकी दे रहे हैं । मात्र दो दिन बाद । अन्ना को स्वंय नही पता कि लोकपाल बिल क्या है । अन्ना मात्र एक चेहरा हैं , दो अति महत्वकांक्षी व्यक्तियों की देन है यह जनलोकपाल नाक का ड्रामा।एक है अरविंद केजरीवाल , दुसरा मनीष सिसोदिया । अरविंद केजरीवाल आईआरएस में था एलायड सर्विस है यह । मनीष सिसोदिया पत्रकार है , इसकी एक संस्था है कबीर । इनलोगों की संस्थायें सामाजिक काम के लिये नही बनी है बल्कि सरकार के अनुदान और विदेशों से मिले दान को भी हासिल करने की नियत से बनाई गई है । मनीष की एक संस्था है कबीर जो संस्था निबंधित है । समाजसेवा के लिये संस्था का निबंधित होना जरुरी नही है । निबंधन की जरुरत तभी पडती है , जब सरकार से अनुदान या दान लेना हो । कबीर आयकर से भी निबंधित है यानी अगर कोई व

प्रभात खबर और हिंदुस्तान को एसकार्ट एजेंसी चलानी चाहिये

प्रभात खबर और हिंदुस्तान को एसकार्ट एजेंसी चलानी चाहिये दोनो नें पत्रकारो को बना दिया है रंडी एक कहावत है बुडा वंश कबीर का जन्मा पुत कमाल । आज के संदर्भ में यह बात बि्रला घराने कि शोभना भरतीया पर चरितार्थ हो रही है . बिरला जबतक रहें तबतक तो ठीक-ठाक रहा लेकिन शोभना के हाथ में कमान आते हीं न सिर्फ़ हिंदुस्तान के कंटेंट में गिरावट आती गई बल्कि अन्य अखबारों की तर्ज पर यह भी विग्यापन के लिये सरकार का भोंपू मात्र बनकर रह गया है । नीतीश कहीं पेड का पैधा लगा रहे हैं तो वह मेन पेज की खबर बनती है । एक अखबार में हीं नही बल्कि तीन- तीन अखबार इसी एक खबर को मुख्य पर्ष्ठ पर लेकर आते हैं। एक दुसरे के प्रतिद्वंदी अखबार अगर एक हीं खबर वह भी प्रचारात्मक छापे इसका अर्थ है किसी के निर्देश पर यह हो रहा है . शोभना भरतीया का काम है अपने अखबार पर नियंत्रण रखना । अखबारों के लिये आपातकाल से ज्यादा खराब स्थिति आज है । बिहार का कोई भी अखबार सरकार के खिलाफ़ छापने की हिम्मत नही जुटा पा रहा है । अक्कू श्रीवास्तव सच लिखने का अंजाम भुगत चुके हैं। अक्कू एक स्तरहीन संपादक हैं । जो आदमी एक फ़िल्म अभिन

एस सी आयोग के अध्यक्ष पी एल पुनिया को औकात बताने की जरुरत है

एस सी आयोग के अध्यक्ष पी एल पुनिया को औकात बताने की जरुरत है प्रकाश झा की फ़िल्म आरक्षण से रोज एक नया विवाद पैदा हो रहा है । अभी तक जो पढने में आ रहा है उसके अनुसार यह फ़िल्म जातीय आरक्षण की विसंगतियों को उजागर करती है । एक आयोग है एस सी एस टी आयोग , इसके अध्यक्ष है एक पूर्व नौकरशाह पी एल पुनीया । यह आयोग हरिजन एवं आदिवासियों के हितो को ध्यान मे रखने और उनके खिलाफ़ कही कोई अत्याचार हो रहा है , उसकी जांच करने के लिये बनाया गया है । देश में एक नई परंपरा शुरु हो गई है , वह है राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिये अयोग्य लोगों को राज्यपाल , विभिन्न आयोगों का अध्यक्ष बनाना । आरक्षण फ़िल्म को अब यह पुनीया भी देखना चाहता है । उसने न सिर्फ़ नोटिस भेजी है प्रकाश झा को, बल्कि यह भी कहा है कि यह फ़िल्म दलित विरोधी है। जातीय आरक्षण एक नासूर है , यह न सिर्फ़ बुरा है बल्कि मैं मानता हूं कि इसके कारण तथाकथित सवर्ण जातियों का एक संपूर्ण वर्ग दक्षिण अफ़्रीका की तरह जातिभेद का शिकार हो चुका है । आज देश में कोई भी जाति अमीर और गरीब नहीं रह गई है । हर जाति मे दो वर्ग पैदा हो चुका है , एक वह जो संपन्न है जिस