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Showing posts from October, 2011

शराब का समाज शास्त्र

शराब चीज हीं ऐसी है , गजल अच्छी है , मुझे भी लगती है , आपको भी लगती होगी । शराब समाजवाद है , उसे पीनेवाले पूंजीवादी । बडा अच्छा कन्ट्रास्ट है । जब पीनेवाले पूंजीवादी हैं तो शोषण तो करेंगें हीं । भरपूर शोषण करते हैं शराब का, उसे भी बांट दिया है वर्ग में। ठर्रा , महुआ, देश में बनी विदेशी शराब , स्काच , वाइन , ढेर सारा वर्ग है । वर्ग तो  चलता है , इंसान में भी , गोरा , काला, लंबा, मंगोलियन , अफ़्रिकन । लेकिन इंसान के समाज शास्त्र से इतर है शराब का समाज शास्त्र ।  आप शराब नहीं पीते हैं तब भी समझ जायेंगें उसके समाज शास्त्र को । आपके यहां शादी ब्याह का कार्यक्र्म तो हुआ होगा । लोगों को निमंत्रित भी किया होगा । सभी तरह के लोग होंगे  उस निमंत्रण में शामिल । लेकिन आप तलाशते होंगें किसी नामधारी, पदधारी, पैसाधारी को । आपकी नजर रहती होगी गाडियों की कतार पर । कितनी गाडिया लगी हैं , कितने लोग गाडियों से आये हैं, सबसे महंगी गाडी कौन सी है । आपको समाज में अपना स्तर इन गाडियों से हीं नजर आता है , वही बात है शराब के साथ । आप कौन सी शराब पीते हैं इससे आपके स्तर का पता चलता है , हालांकि वह वाकई आपका

शराब पीकर महिलाओं से तेल लगवाते हैं स्वामी चिन्मयानंद

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साध्वी चिदर्पिता के जीवन में कुछ भी सामान्य नहीं रहा है. इसलिए मुझे उनके बारे में कुछ जानने की उत्सुकता रहती है और जब भी समय मिलता है , तभी उनकी आत्मकथा सुनने बैठ जाता हूं। उनके जीवन के बारे में जैसे-जैसे पता चलता जाता है , वैसे-वैसे उत्सुकता व सवाल और बढ़ते जाते हैं , लेकिन वह एक-एक सवाल का पूरी ईमानदारी से जवाब देती रहती हैं। प्रत्येक जवाब सुनने के बाद मेरे दिमाग में विस्फोट से होने लगते हैं। अगर आप इस सबसे अब तक अनभिज्ञ होंगे , तो यह सब पढ़ कर आप भी स्तब्ध रह ही जायेंगे। उत्सुकता के क्रम में मैंने कल दोपहर अपनी पत्नी साध्वी चिदर्पिता गौतम से अचानक पूछ लिया कि स्वामी जी ( उनके गुरू , आध्यात्मिक हस्ती स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती , पूर्व गृह राज्य मंत्री , भारत सरकार) की क्या दिनचर्या थी , वह धार्मिक और राजनीतिक गतिविधियों में कैसे सामंजस्य बैठाते थे ? मेरे सहज भाव से पूछे गये सवाल का ऐसा जवाब मिलेगा , यह मैंने सोचा भी नहीं था। स्वामी जी उनके गुरु हैं , लेकिन उनकी छवि को बचाने के लिये , वह पति से झूठ कैसे बोल देतीं , सो उन्होंने हमेशा की तरह सब कुछ ईमानदारी से ही बताना शुरू किया।

महाराष्ट्र में रहनेवाले उतर भारतीय नेताओं को तमीज सिखने की जरुरत है

महाराष्ट्र में रहनेवाले उतर भारतीय नेताओं को तमीज सिखने की जरुरत है । भारत एक संघीय राष्ट्र है यानी यह राज्यों के संघ से बना हुआ है ् ‌ आलाळ्कि भारत की तुलना सोवियत संघ या चीन से नही की जा सकती , ये दोनो राष्ट्रों के संघ से बने हुये हैं। सोवियत संघ   का तो विघटन   हो गया , दुसरा चीन आंतरिक विद्रोह को झेल रहा है , आज या कल उसका भी विघटन होना स्वयंभावी है   । भारत का संघीय ढांचा स्वंतंत्र रहे राष्ट्रों का समूह नही है , बल्कि प्रशासनिक दर् ‍ ष्टिकोण से समान संस्कर् ‍ ति , रीति रिवाज , भाषा को ध्यान में रखकर राज्यों का गठन हुआ है । हर राज्य बहुत हद तक स्वंय में एक स्वंतंत्र इकाई है । राज्यों का कर्तव्य है अपने निवासियों का कल्याण । उ्तर भारत या महाराष्ट्र के संदर्भ में सीधे शब्दों में कहें तो बिहार और यूपी के लोग रोजी रोजगार के लिये पूरे भारत भर में फ़ैले हुये हैं और उसका कारण है इन दोनो राज्यों का समुचित विकास न होना । महार