विनायक विजेता नही लेंगें पत्रकारिता से सन्यास


विनायक विजेता नही लेंगें पत्रकारिता से सन्यास
दावा हुआ सच साबित
बिहार की पत्रकारिता के  हस्ताक्षर है विनायक विजेता जैसे पत्रकार । क्राईम रिपोर्टर के रुप मे स्थापित विनायक विजेता ने कुछ दिन पहले एक टिपण्णी फ़ेसबुक पर की थी । उन्होने एक पोस्टिंग की थी “  क्यों बैकफ़ुट    पर आ गये नितीश।जैसा की फ़ेसबुक पर लोगो की एक आदत पड गई है, तथ्यो को न समझ कर कुछ मित्रो ने टिपण्णी कीनीतीश किसी भी किमत पर नही करेंगे नियोजित शिक्षको से वार्ताहालांकि टिपण्णी करने वाले फ़ेसबुक यूजर नीतीश का गुस्से मे दिये उस बयान का जिसमे काले कपडे दिखाने और चप्पल फ़ेकने पर उन्होने कहा था कि वे अब नियोजित शिक्षको से कोई वार्ता नही करेंगे , पर विश्वास करते हुये प्रतिक्रिया व्यक्त की थी । । विनायक विजेता ने अपने स्वभाव के विपरित जाकर एक अप्रत्याशित घोषणा कर दी। क्या कहा था विनायक विजेता ने उसे हम यहा दे रहे । पहले उसे पढ ले तब बात को आगे बढायेंगें।कुछ मित्रों ने हमारे द्वारा फेसबुक पर डाले गए क्यों बैकफूट पर आ गए नीतीश कुमारकॉलम पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर कर यह संदेश दिया है कि नीतीश किसी कीमत पर नियोजित शिक्षकों से वार्ता नहीं करेंगे। परंतु मैं ऐसे मित्रों को यह बताना चाहता हूं कि जहां तक 22 वर्षों का मेरा पत्रकारिता और बिहार की देखी समझी राजनीति का अनुभव है, मुझे नहीं लगता कि नीतीश नियोजित शिक्षकों के समक्ष  घुटने
  नहीं टेकेंगे। भले ही नीतीश खुद नियोजित शिक्षकों से बात न करें पर वह शिक्षा मंत्री या शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को उन शिक्षकों से 4 नवम्बर के पूर्व वार्ता करने का आदेश जरुर देंगे क्योंकि उन्हें इन शिक्षकों के कारण ही 4 नवम्बर को होने वाले अधिकार रैली में जबर्दस्त विरोध की आशंका है। नीतीश की आदत में विरोध या आलोचना स्वीकार नहीं  है। अगर मेरी बात गलत साबित हुई और 4 नवम्बर के पूर्व सरकार नियोजित शिक्षकों के मामले में वार्ता नहीं करती तो मैं अपने को अनुभवहीन मानकर पत्रकारिता छोड़ दूंगा।
इस घोषणा से मेरे जैसा आदमी भी हतप्रभ था। मुझे पता था , विनायक विजेता ने सन्यास लेने की घोषणा की है तो बात सत्य नही होने के हालात मे हर हालत मे वह पत्रकारिता त्याग देंगें। कल  बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री पीके शाही ने , न सिर्फ़ नियोजित शिक्षको की बात को मानते हुये उनका वेतनमान  बढाने बल्कि उनसे वार्ता कर के उनकी सभी समस्याओ का निदान करने की भी बात की । विनायक विजेता की बात सच हुई और पत्रकारिता जगत एक पत्रकार को खोने  से बच गया। विनायक विजेता के खुन मे पत्रकारिता है। पत्रकार की जो  instinct  होती है ,वह विनायक विजेता के अंदर है।  एम जे अकबर ने एक परिचर्चा मे भाग लेते हुये कहा था कि एक पत्रकार के अंदर दो गुण अनिवार्य रुप से होना चाहिये “ Thought & instinct “और सफ़लता के लिये लक । विनायक विजेता मे दो गुण तो भरपुर मात्रा मे है । हिंदुस्तान अखबार मे कार्य करने के दौरान अनेको बार विनायक विजेता ने अपने लेख मे लिखा कि अगला डीजीपी कौन होगा , और सचमुच वह सही साबित हुआ। ऐसा नही था कि आंतरिक स्त्रोत से प्राप्त जानकारी के आधार पर वे दावा करते थे , बल्कि उसके पिछे सशक्त कारण मौज़ूद रहता था।
  इस मामले के अलावा अन्य कुछेक मामले मे भी मैने उनका दावा सही पाया है। चाहे वह आईपीएस गुप्ता के शराब व्यवसायी भाई की हत्या का रहस्य हो या ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या मे शामिल अपराधियो की पहचान । विनायक विजेता ने पत्रकारिता मे एक लंबा सफ़र तय किया है। बिहार  के सबसे ज्यादा बिकने वाले अखबार हिंदुस्तान मे काम  करते हुये उन्होने हिंदुस्तान की लडाई लड कर यह मिसाल कायम की थी कि एक पत्रकार कैसे अपने अखबार के हित की रक्षा के  लिये किसी से भी टकरा सकता है। विनायक विजेता ने एक साप्ताहिकबिहार रिपोर्टर का भी  प्रकाशन शुरु किया था। बहुत हीं कम समय मे उस अखबार ने अपनी एक पहचान बना ली थी। कुछेक खोजपुर्ण रिपोर्ट जिनका प्रकाशनबिहार रिपोर्टरमे हुआ था , उसने बिहार के राजनीतिक गलियारो मे तुफ़ान खडा कर दिया था। आर्थिक कारणो से उसका प्रकाशन स्थगित करना पडा । विनायक विजेता की इस भविष्यवाणी ने की नीतीश स्वंय या अपने शिक्षा मंत्री के माध्यम  से नियोजित शिक्षको के साथ वार्ता करेंगेआज सत्य साबित हुई और एकबार फ़िर पत्रकारिता जगत ने देखा एक स्तरीय पत्रकार की योग्यता क्या होती है। वैसे मेरा व्यक्तिगत रुप से मानना था कि विनयक विजेता जी को इस तरह की घोषणा नही करनी चाहिये थी। गर किसी कारणवश उनका दावा सही साबित न होता तो हमे एक स्तरीय पत्रकार के खोने का सबसे ज्यादा दुख होता।





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