कशिश टीवी , हत्यारों की आवाज




कशिश टीवी , हत्यारों की आवाज
स्थानीय चैनल कशिश टीवी आजकल बिहार –झारखंड में अच्छी खासी लोकप्रियता हासिल कर चुका है । लेकिन इसके रिपोर्टरों की हरकत देखकर लगता है जैसे यह चैनल हिंसा को महिमामंडित कर रहा है । बिहार में नक्सलवाद की प्रतिक्रिया में रणवीर सेना का गठन हुआ था। यह एक प्रतिबंधित संगठन रहा है । इसके संस्थापको में प्रमुख रहे हैं ब्रह्मेश्वर मुखिया । इस संगठन ने नक्सलवादियों द्वारा मारे गये सवर्ण जाति के लोगो का बदला लेने के लिये सैकडों निर्दोष दलित वर्ग के लोगों की हत्या की है। १९९८ में हुये लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार सबसे बडा था जिसमें ५८ दलितों को मौत के निंद सुला दिया गया था तथा जिसकी जांच के लिये १९९८ में बनी सेवानिवर्त जज अमीर दास आयोग ने अपनी रिपोर्ट में संकेत दिया था कि उक्त नरसंहार के मास्टर माईंड बहुत सारे लोग आज नीतीश की सरकार में सता में हैं । १९९८ में गठित आयोग ने २००१ से अपना कार्य प्रारंभ किया लेकिन वर्ष २००६ में जैसे हीं नीतीश सता में आयें, अमीर दास आयोग की रिपोर्ट को गतल खाते मंं डाल दिया गया। हालांकि अमीर दास आयोग एक अंतरिम रिपोर्ट दाखिल कर चुका है और पटना उच्च न्यायालय ने जुलाई २००७ को अपने एक आदेश में सरकार को अमीर दास आयोग की अनुशंसा पर कार्रवाई करने का आदेश दिया है । लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार के मुकदमें में २६ में से १६ लोगों को फ़ांसी तथा बाकी को आजीवन कारावास की सजा जिला न्यायालय द्वारा सुनाई गई है । ब्रह्मेश्वर मुखिया पटना से गिरफ़्तार हुआ था , उसके उपर मुकदमा चला लेकिन आज वह रिहा हो गया । रिहाई के बाद पटना के हनुमान मंदिर में पुजा करने आये ब्रह्मेश्वर से कशिश टीवी के रिपोर्टर ने बात की और यह कहा कि आप किसानो के हक के लिये लडते रहे हैं जबकि सच्चाई है कि ब्रह्मेश्वर मुखिया के उपर सैकडो निर्दोष दलितों की हत्या का पाप है । यह तो अब त्वरित न्याय दिलानेवाले नीतीश की सरकार हीं बतला सकती है कि किस कारण से दलितों के हत्यारे को सजा नही हो पाई । लेकिन यहां हम कशिश टीवी के बारे में चर्चा कर रहे हैं , इसमें सिर्फ़ रिपोर्टर की गलती नही है । समाचार विभिन्न चरणों से गुजर कर दर्शक के पास पहुंचता है यानी एक अपराधी को किसानों का हितैषी बताने के इस कर्त्य के दोषी कशिश टीवी के वह सारे लोग हैं जिनकी नजर से यह समाचार गुजरा है ।
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