अपराध के साक्ष्य छुपाने के लिए राजदीप सरदेसाई पर कार्रवाई क्यों नहीं






राजदीप सरदेसाई को कभी ईमानदार पत्रकार माना जाता था । एडीटर्स गिल्ड के सर्वसम्मत अध्यक्ष चुने जानेवाले ये पहले टीवी संपादक थें , कारण था इनकी विश्वसनियता लेकिन बरखा के बचाव और बिहार विधानसभा चुनाव के दरम्यान नीतीश कुमार के पक्ष में मीडिया को मैनेज करने के कारण इनकी उस विश्वसनियता पर धब्बा लगा था। टूजी घोटाले मे बरखा के रोल पर न तो प्रिंट मीडिया और न हीं ईलेक्ट्रोनिक मीडिया में कोई खबर प्रकाशित हुई । कैश फ़ोर वोट मामले में भाजपा के सांसदों को जब खरीदने का प्रयास हुआ तो उसका राजनीतिक लाभ लेने के लिए भाजपा ने स्टिंग आपरेशन की योजना बनाई , उक्त स्टिंग आपरेशन के लिए कौन सा चैनल विश्वसनीय होगा इस पर विचार करने के बाद आई बी एन को यह काम सौपने का निर्णय भाजपा द्वारा लिया गया । राजदीप सरदेसाई पर विश्वास न करने का कोई कारण भी न था। अमर सिंह और अहमद पटेल के घर पर स्टिंग हुआ जरुर लेकिन उसे दिखाया नही गया । पत्रकारिता की हीं नहीं बल्कि प्रजातंत्र की भी हत्या राजदीप ने कर दी। खैर भाजपा ने नोटों को लोकसभा में लहराकर मनमोहन की सरकार को पुरी दुनिया के सामने नंगा कर दिया । अंदर की खबर रखनेवालों का मानना है कि राजदीप ने करोडो का सौदा किया स्टिंग को न दिखाने के लिए । मुकदमा भी दर्ज हुआ लेकिन कछुआ की चाल की तरह उसकी जांच की रफ़्तार थी । अब एक बार फ़िर न्यायालय के आदेश के बाद दिल्ली पुलिस हरकत में आई है , लेकिन अभी भी लीपापोती हीं कि जा रही है । राजदीप के चैनल आईबीएन के द्वारा किया गए स्टिंग आपरेशन की सीडी एक बहुत बडे अपराध का पुख्ता साक्ष्य है । राजदीप उक्त साक्ष्य को छुपाने के दोषी हैं । कानूनन अगर किसी व्यक्ति की जानकारी में कोई अपराध हुआ है और उससे संबंधित साक्ष्य उस व्यक्ति के पास है तो उसे पुलिस को सारी जानकारी देनी चाहिए । राजदीप ने साक्ष्य को छुपाने का अपराध किया है , उनके उपर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए । मीडिया ने भी कभी इस , मामले को नही उठाया , वह भी दोषी है , अनैतिक काम करने का । पत्रकारिता की मर्यादा के खिलाफ़ काम करने का। बिहार विधान सभा चुनाव के दरम्यान चुनाव के नतीजे आने के पहले लालू यादव ने प्रेस कांफ़्रेस कर के यह बयान दिया था कि चुनाव नतीजे के बाद वे तीन पत्रकारों का नाम बतायेंगें जिन्होने नीतीश कुमार के पक्ष में मीडिया को मैनेज करने का काम किया था। उन तीन पत्रकार जिनके बारे में लालू यादव बताना चाहते थें , उनमें से एक थें राजदीप । राजदीप अगर स्वंय सामने आकर कैश फ़ोर वोट वाले स्टिंग की सीडी पुलिस को नही सौपते हैं तो उनके उपर भी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए । मीडिया को एक दुसरे की गलती छुपाने की हरकत बंद कर देनी चाहिए , वैसे भी संचार माध्यमों के प्रसार के साथ –साथ जागरुकता भी बढती जा रही है । अब सच को दबाना आसान नही रहा। हालांकि मेन स्ट्रीम मीडिया में बैठे हुये सता के दलाल पत्रकार आज भी वास्तविकता को नही स्विकारना चाहते हैं कि वेब मीडिया इमानदारी में प्रिंट और विजुअल से काफ़ी आगे निकल चुका है । कम साधनो के बावजूद चौथे स्तंभ की भूमिका निभा रहा वेब मीडिया को भी ढेर सारी दिक्कतों का सामना करना पड रहा है , गाली गलौज से लेकर देख लेने की धमकी और केस कर के जेल में डाल देने की धमकी का सामना हमें रोज करना पडता है । नेताओं के चमचे तक फ़ोन कर के यह बताते हैं कि हमे क्या प्रकाशित करना चाहिए और क्या नही ।
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