चीन की तरक्की का कारण है गुलाम प्रथा

चीन की तरक्की का कारण है गुलाम प्रथा

उभरती हुई अर्थव्यवस्था में सबसे बडे सस्ते उत्पादक के रुप में उभरा है चीन लेकिन शायद आमलोगों को पता भी नही होगा कि उसकी इस उपलब्धि का राज क्या है । हां हमारे राजनेता और व्यवसायियों को पता है । चीन में कैदियों की जेल के रुप में कालोनिया बसाई गई हैं  जहां जेलो में बंद कैदियों को जबरदस्ती उत्पादन के कार्यो में लगाया जाता है । इन कैदियों को नाममात्र का भुगतान किया जाता है तथा इनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं को सस्ते दाम में बेचकर चीन दुनिया का सबसे सस्ता उत्पादक राष्ट्र बना बैठा है । २१ शताब्दी की सबसे बडी समस्या के रुप में उभर कर आई  है गुलाम मजदूर प्रथा । यह प्रथा पुरानी गुलामी प्रथा से भी बुरी है। हालांकि दुनिया के सभी मुल्कों में गुलामी प्रथा पर रोक है लेकिन पूंजीवाद के इस दौर में यह प्रथा अपना आवरण  बदलकर चालू  है । उन कालोनियों को जहां कैदियों को रखा जाता है तथा उनसे उत्पादन कार्य लिया जाता है उसे लाओगई के नाम से जाना जाता है । राजनीतिक तथा धार्मिक बंदियों को भी इन्हीं लाओगई कालोनियों में रखकर उनसे मजदूरी का कार्य करवाया जाता है । इन्हें मजदूरी भी नाममात्र को दी जाती है । चीन का मानना है कि एक कैदी के विचार को तोडने या बदलने का एकमात्र रास्ता कठोर काम करवाना है । लाओगई में रखे गये कैदियों में सबसे ज्यादा संख्या धार्मिक तथा राजनैतिक कैदियों की है । हमारी सरकार भी थोडा बदले हुये रुप में इस गुलामी प्रथा को अपनाये हुये है। जेलो में बंद कैदियों से भारत में भी उत्पादक कार्य कराया जाता है लेकिन उनके उपर न्यूनतम मजदूरी कानून लागू नही है कारण है हमारे यहां का  सश्रम सजा का प्रावधान । अभी तक बडे पैमाने पर भारत में कैदियों से उत्पादक कार्य नही करवाया जाता है लेकिन सरकार की योजना में यह शामिल है । चीन में इन कार्यों के लिये कैदियों को बहुत हीं कम मजदूरी का भुगतान किया जाता है । यह घिनौना चेहरा है पूंजीवाद का। इस व्यवस्था की वकालत करने्वालों में सबसे मुखर हैं  नारायनमूर्ति । एक बार चीन के सस्ते उत्पाद की प्रशंसा करते हुये नारायनमूर्ति ने एक वाकये का जिक्र बडे फ़क्र के साथ किया था। उन्होने एक साक्षात्कार में कहा था कि एक बार उनकी संस्था को अपने यहां के छात्रो केलिये अलमारी की खरीद करनी थी , वह अलमारी भारत से ज्यादा सस्ते दर पर चीन में उपलब्ध थी और न चाहते हुये भी उन्होने चीन से उसकी खरीद की । लगे हाथ चीन की तरह सस्ते उत्पादन करने का उपदेश भी दे डाला था। लाओगई में तैयार उत्पादन को खरीदना , गुलामी प्रथा को बढावा देना है लेकिन इसके खिलाफ़ आवाज कौन सा देश उठायेगा ।

मजदूरी की राशी बहुत कम होने के कारण   कैदी अपने खर्च के लिये परिवार से पैसा मंगाते है। भारत में भी यही स्थिति है ।  इन कैदियों के भरोसे हीं चीन दुनिया का सबसे सस्ता उत्पादक राष्ट्र है । देश के विरोध में आवाज उठाने का आरोप लगे ९९ प्रतिशत लोगों को सजा होती हैं । हर समय पाच लाख लोग बिना किसी कारण चीन की जेलों में बंद रहते हैं।




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