खामोश कुरैशी की अदालत जारी है


खामोश कुरैशी की अदालत जारी है

कल यूपी के चुनाव में एक नया मोड आया। अभीतक तो राजनीतिक दल तरहतरह की नौटंकीबाजी कर रहे थें और मजेदार भाषण देकर लोगों का भरपूर मनोरंजन कर रहे थें॥ मुलायम  जहां भोजन की जगह लैप टाप दे रहें थे  तो सलमान खुर्शीद आरक्षण का लालीपाप मुसलमानों के बीच बांट रहे थें , वहीं भाजपा गाय हमारी माता है हमको कुछ नही आता है कि तर्ज पर गाय बांट रही थी  । टीवी पर भी सिर्फ़ राजनेताओं के चेहरे नजर आ रहे थें ।चुनाव आयुक्त महोदय को बहुत शर्मिंदगी उठानी पडती होगी अपने बीबी बच्चों के सामने जब वे कहते होगें , तुम्हारा चेहरा क्यों नहीं दिखाते ये टीवी वाले  इसलिये  लगता है अब चुनाव आयोग भी नेताओं से पीछे नहीं रहना चाहता है . । कल चुनाव आयुक्त कुरैशी ने राष्ट्रपति महोदया को सलमान खुर्शीद के खिलाफ़ शिकायत पत्र भेजा है और लिखा है कि सलमान खुर्शीद चुनाव आयोग जैसे संवैधानिक पद का अपमान कर रहे हैं। मुझे एक बात समझ में नहीं आती कि यह संवैधानिक पद क्या कोई मंदिर है और उस पर बैठे ये जमूरे क्या भगवान हैं ? जूते बाहर निकाल कर आयें , जैसी बात करने वाले। यह विवाद पैदा हुआ सलमान खुर्शीद के द्वारा मुसलमानों को आरक्षण देने का वादा करने वाले भाषंण को लेकर । चुनाव आयुक्त कुरैशी ने इसे आचार संहिता का उल्लंघन माना । उसके बाद सलमान खुर्शीद ने अपनी पत्नी लूसी के चुनाव क्षेत्र फ़रुखाबाद में प्रचार करते हुये चुनाव आयोग के आदेश की हंसी उडाई कि उन्हें मुसलमानों के हित में बोलने की मनाही है, फ़ांसी हो जायेगी । बस इतना काफ़ी था , संवैधानिक मंदिर में बैठे हुये देवता को नाराज करने के लिये , देवता गुस्सा गयें  और शिकायत कर दी भगवान से । ये संवैधानिक मंदिर के देवता नखरीली औरतों की तरह होते हैं , कब और कौन सी बात पर प्रसन्न होगें या नाराज बता पाना मुश्किल है । सलमान खुर्शीद के द्वारा मुसलमानों के आरक्षण की बात आचार संहिता का उल्लंघन कैसे हो सकती है , यह पहले बताना चाहिये था कुरैशी को । जात-धर्म के आधार पर मत मांगना अपराध है न कि सता में आने पर नीति बनाने या कानून बनाने की बात करना । राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र क्या है , उसमें सता में आने पर क्या करेंगें यानी वादों की हीं तो भरमार रहती है । अगर सलमान खुर्शीद की बात गलत थी तो भाजपा ने भी वही अपराध किया था यह कहकर कि वह मुस्लिम आरक्षण के खिलाफ़ है । कुरैशी महोदय को  पैसिव और एक्टिव दो शब्द का जरुर ग्यान होगा । जहां सलमान का वादा मुसलमानों को लुभाने के लिये था वहीं भाजपा का इंकार हिंदूओं को प्रभावित करने के लिये ।
अभी हमारे देश की एक और संवैधानिक संस्था उच्चतम न्यायालय में एक ड्रामा हुआ । जेनेरल वी  के सिंह की उम्र का और न्यायालय ने बडे गर्व के साथ कहा कि जेनेरल की वरीयता पर असर नहीं पडेगा, अगर वह मान भी लेते हैं कि उनकी जन्मतिथी १९५० थी । मजेदार बात यह रही कि न सिर्फ़ सरकार ने मान लिया कि वह कोई कार्रवाई नही करेगी बल्कि पत्रकार जगत से लेकर चैनलों पर आकर के अपना थोबडा दिखानेवालों ने भी इस फ़ैसले के खिलाफ़ कुछ नही कहा। अगर जेनेरल की उम्र १९५१ थी और उन्होनें १९५० के आधार पर प्रोन्नति का फ़ायदा लिया , जैसा की न्यायालय ने भी कहा , तो जेनेरल फ़्राड के दोषी थें। दुसरा एक और कानूनी पहलू इस उम्र विवाद से जूडा है , कल अगर कोई और अधिकारी जिसे जेनरल की उम्र १९५० मानने के कारण क्षति हुई हो , वह न्यायालय में आयेगा तो क्या निर्णय देगी न्यायालय यह न्यायालय ने पहले हीं बता दिया । क्या आम आदमी की उम्र का विवाद यह होता तो उच्चतम न्यायालय का यही फ़ैसला होता ? हजारों मामलों में गलत उम्र के कारण सरकारी कर्मचारियों द्वारा लिये गये फ़ायदे को सरकार ने उनके उपर मुकदमा करके वसूला है । क्या उनके मामलों पर पुर्नविचार न्यायपालिका करे्गी ?
कुरैशी महोदय प्रजातंत्र में राजतंत्र की मानसिकता बदलें । हर आदमी को यह अधिकार है कि चुनाव आयोग की विवेकहीन फ़ैसले की आलोचना करे। खामोश अदालत जारी है वाला फ़रमान जारी  करना बंद करें। चुनाव पूर्व सर्वेक्षण जो मतों को प्रभावित रखने की क्षमता रखता है, उसपे तो रोक नही लगाई आपने। एकबार भी नही प्रश्न किया कि हजार दस हजार लोगों की  रायशुमारी के आधार पर सीटो की घोषणा कैसे कर रहे हैं टीवी वाले। बाद में नोटिस निर्गत क्रने का कोई अर्थ नही है। आपके पास फ़ोन से लेकर सब साधन उपलब्ध है , अविलंब कदम उठाने की जरुरत थी , अब आप चाहे फ़ासी हीं क्यों न दे दे चैनल वालों को , चुनाव पर असर तो पड गया । यहां हम कांग्रेस के घोषणापत्र के उस हिस्से को प्रकाशित कर रहे हैं जिसमें मुसलमान हीं नहीं बल्कि अल्पसंख्यक को आरक्षण देने का वादा किया गया है ।
 13) MINORITIES
We will:
(a) Ensure full and timely implementation of the UPA government's policy of 4.5% reservation for socially and economically backward minorities under OBC category in Central Government jobs, PSUs and educational institutions
(b) Aim towards a sub-quota/reservation for socially and economically backward minorities in UP as part of the OBC quota in state government employment and educational institutions, commensurate with their population
(c) Actively promote minority education and skill development, through setting up of new schools, recruitment of minority teachers, scholarships and vocational training
(d) Implement the Madarsa Modernization programme across the State. Give Madarsa teachers training and benefits similar to those given to teachers in Government schools
(e) Provide more scholarships for outstanding students from minority communities and give them priority in government run hostels
(f) Ensure that Minority enterprises are included in the UP government's preferential procurement policy
(g) Notify Urdu as second official language and take measures to promote its use
(h) Computerize Waqf records and give additional funds for Waqf Corporation
(i) Launch a Special Fund for restoration of Waqf properties
(j) Support and pursue minority character of AMU by providing all manner of legal assistance to the cause
(k) Pursue equitable solution of the Babri Masjid dispute. All parties must abide by the verdict of the courts. If negotiations are to be held, they must be between the parties to the dispute and must have legal sanction
सलमान खुर्शीद ने आखिर वही बात मंच पर दुहराई फ़िर मुख्य चुनाव आयुक्त  कुरेशी को इसमे गलत क्या दिखा , यह उनको बताना चाहिये । कुरेशी दिग्भ्रमित हैं , उनको यह समझ में नही आ रहा कि धर्म के आधार पर वोट मांगना और किसी धर्म विशेष के पिछडे वर्ग को आरक्षण देने का वादा करना दो अलग -अलग चीज है । भाजपा का विरोध भी समझ से परे है । क्या दलित या पिछडे सिर्फ़ हिंदुओं में हैं ? अगर आरक्षण का विरोध करना है तो जातिगत आरक्षण का भी करो और आरक्षण का आधार गरीबी को बनाने की बात करो या सभी धर्मों के गरीबों को आरक्षण का लाभ दो ।


कांग्रेस का घोषणापत्र पढने के लिये यहां क्लिक करें
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