उड़न तश्तरी ....: आलस्य का साम्राज्य और उसके बाशिन्दे

उड़न तश्तरी ....: आलस्य का साम्राज्य और उसके बाशिन्दे: र्फ लेखन ही

दादा,
बस इसी तरह की संवेदना बची रहे व्यस्तता के बीच, की लगे सांस लेने जितना जरूरी लेखन है।
और यूं थम कर जब लिख जाता है
तभी तो उसे इतिहास दुहराता है,,

सादर.

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