हे हाइजी यानी ब्लैक चिल्ड्रेन


हे हाइ जाइ यानी ब्लैक चिल्ड्रेन

कालेधन की चर्चा करतेकरते उब होने लगी है । गोरेकालों का नस्लवाद भी अब नया नही रहा लेकिन अभी यह भेदभाव अनेको नाम से जिंदा है ।  ब्लैक चिल्ड्रेन का मतलब काले रंग के बच्चे नही होते जैसे कालेधन का मतलब काले रंग का रुपया नही होता । चीन की एक नीति है , एक बच्चे की । बढती हुई आबादी को साम्यवादी तरीके नियंत्रित रखने की नीति है यह । जब भारत और चीन के बीच विकास का तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है तो चीन की इस नीति को भी एक बडा कारण माना जाता है , उसके विकास का। एक लेख में हमने बताया है कैसे गुलाम कैदियों को उत्पादन के कार्यों में लगाकर चीन दुनिया का सबसे सस्ता उत्पादक बन बैठा है । अब इस एक बच्चे की नीति का सच भी पढे।

१९७९ में चीन की सरकार ने अपनी बढती हुई आबादी को नियंत्रित करने के लिये इस एक बच्चे की नीति को लागू किया । इस नीति के तहत गर्भवती होने के पहले सरकारी विभाग में  बर्थ परमीट के लिये आवेदन देना पडता है । कितने बच्चे पैदा करना है , अगर पहले से एक बच्चा है तो दुसारा क्यों पैदा करना चाहते हैं , ये सारी जानकारी देनी पडती है । उसके बाद गर्भास्य के अंदर एक यंत्र जिसे आइ यू डी यानी इन्ट्रा यूटेरिन डीवाइस कहते हैं , उसे लगाया जाता है । अगर गलती से बर्थ परमीट के बिना गर्भ धारण कर लिया तो हर हालत में गर्भपात कराना पडेगा और पति या पत्नी में से एक को बंध्याकरण कराना पडेगा, नौकरी से भी हाथ धोना पड सकता है  ।
एशियाइ मुल्कों में लडकियों की तुलना में लडके ज्यादा पसंद किये जाते हैं। परिणाम होता है अनधिकर्त रुप से लिंग की पहचान करवा कर  लडकी होने की स्थिति में गर्भपात करवा देना तथा  गर्भपात हो जाने के आधार पर बर्थ परमीट के लिये दोबारा आवेदन देना । न सिर्फ़ यह बल्कि लडकी पैदा हो जाने के हालत में उसकी हत्या कर देना या छुपाकर रखना तथा गर्भपात हो जाने के गलत प्रमाण के आधार पर   बेटे की आस में बर्थ परमीट के लिये आवेदन देना जैसे कार्य भी होते हैं ।

१९९१ में सरकार ने यह जांचने के लिये  एक नया नियम लागू किया गया कि अधिकारी अपने क्षेत्र में निर्धारित कोटा के हिसाब से हीं बच्चे पैदा होने दे रहे हैं या घूस लेकर नियम में शिथिलता बरत रहे हैं । इस नियम का दुष्परिणाम यह हुआ कि अधिकारियों ने खुद को बचाने के लिये और कडाई करते हुये गैर कानूनी गर्भ की सूचना देने वालों को इनाम देने की शुरुआत कर दी । इस नियम की आड में जबरद्स्ती गर्भापात, आठ  माह तक के गर्भस्थ शिशु  की हत्या , बंध्याकरण , पूरे परिवार को जेल, सरकारी आवास से बेदखल करने जैसी कार्रवाइ भी होने लगी । अगर किसी ने कानून का उलंघन करके बच्चे पैदा भी कर लिये तो उनके उपर भारी जुर्माना  जो आम आदमी नही दे सकता लगाया जाने लगा । पति या पत्नी में से एक की नौकरी से बर्खास्तगी, नये पैदा हुये बच्चे का निबंधन करने से इंकार , व्यवसाय के लिये अनिवार्य लायसेंस से इंकार , पासपोर्ट तथा ड्रायविंग लायसेंस न निर्गत करना और कम्यूनिस्ट पार्टी से बाहर करना जैसे कदम उठाये जाने लगें। सभी तरह की सुविधाओं से वंचित यह आबादी जिसे ब्लैक चिल्ड्रेन कहा जाता है कम पैसे में कल कारखानों में मजदूर के रुप में नाजायज रुप से काम करती है । यह भी एक सच है सस्ता सामान बनाने वाले मुल्क का ।

लडके की चाह के कारण लडका और लडकी की संख्या के बीच सबसे ज्यादा अंतर चीन में है । २००८ की रिपोर्ट के अनुसार १२३ लडके पर मात्र १०० लडकियों की संख्या है और हमारे हरियाणापंजाब की तरह वहां भी शादी के लिये लडकी खरीदने का प्रचलन है ।

चीन की एक बच्चे की नीति का उद्देश्य था , आबादी दर कम करना तथा लोगों के जीवन स्तर को बढाना । हालांकि पहले उद्देश्य यानी आबादी कम रखने पर हीं ज्यादा ध्यान प्रशासन का केन्द्रित रहता है । स्तरीय जीवन के साथ अन्य समस्यायें भी जूडी हुई हैं। नीति के तहत मानसिक या शारीरिक रुप से विकलांग का बंध्याकरण कर दिया जाता है तथा वैसे  व्यक्ति भी जो छुआछूत की बिमारी से ग्रसित हैं उनका भी बंध्याकरण इस डर से कर दिया जाता है कि कहीं यह रोग बच्चे को न हो जाये।

अभीतक नही समझ पायें काले बच्चे का अर्थ । वह बच्चे जो बर्थ  परमीट के बगैर पैदा हो जाते हैं , उन्हें चीन की भाषा में हेई हेजई यानी ब्लैक चिल्ड्रेन कहा जाता है क्योंकि वे नागरिक अधिकारों से वंचित होते हैं जिसमें शिक्षा, स्वास्थ , रोजगार से लेकर मकान तक शामिल है । कभी कभी बेटे की चाह के कारण मां बाप भी काले बच्चे पैदा करते हैं यानी अगर पहली  बेटी है तो उसे छुपा कर रखते हैं और गलत तरीके से बर्थ परमीट लेकर लडका पैदा करते हैं। इस तरह से पैदा हुई लडकियां हीं खरीदी बेची जाती हैं । यह है २१ सदी के विकासशील चीन के विकास का सच ।



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