सभी लोग नक्सलवादी क्यों न बन जायें ?



सभी लोग नक्सलवादी क्यों न बन जायें ?

इस प्रश्न को हल्के में न लें । देश में फ़ैले भ्रष्टाचार की लडाई अलगअलग मोर्चा बनाकर लडी जा रही है । सरकार से लेकर न्यायपालिका तक यह चाहती है कि यह लडाई सतत जारी रहे सिर्फ़ इसमे हथियारों का उपयोग न हो और उसके लिये पाठ पठाया जाता है गांधीवाद का । गांधी का कभी कोई वाद  रहा ही नहीं और न हीं गांधी ने परिवर्तन या रक्षा के लिये हथियारों के उपयोग को गलत ठहराया । द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान गांधी ने अंग्रेजों की सेना में भारतीयों के शामिल होने की वकालत की । सेना में जवानों की भर्ती के लिये न सिर्फ़ अपनी ्सहमती दी बल्कि प्रोत्साहित भी किया । अब प्रश्न यह है कि हम नक्सलवादियों को समर्थन क्यों न दें ?

भारत के सभी राजनीतिक दल चाहते हैं भ्रष्टाचार का खात्मा हो लेकिन कोई भी दल रास्ता नही बताता ।

भारत की सरकार अनेको प्रकार का फ़ालतू सर्वेक्षण कराती रहती है । चार सर्वेक्षण कराये सरकार , उसके बाद बताये भ्रष्टाचार को रोकने की जगह पर वह बढावा देने का कार्य कर रही  है या नही ?

विदेश में नौकरी कर रहे सभी भारतीयों के बैकग्राउंड का सर्वेक्षण कराये । अरब मुल्कों में मजदूर की हैसियत से काम कर रहे भारतीयों को छोडकर , पश्चिमी राष्ट्रो में नौकरी कर रहे भारतीयों में नब्बे प्रतिशत से ज्यादा भ्रष्ट माबाप की औलाद हैं ।

IAS या IPS  की नौकरी कर रहे भारतीयों के परिवार की बैकग्राउंड का सर्वेक्षण करायें । नब्बे प्रतिशत से ज्यादा IAS  और IPS   के मां- बाप भ्रष्ट मिलेंगें ।

IIT  या IIM  की शिक्षा प्राप्त कर रहें भारतीयों की बैकग्राउंड का सर्वेक्षण कराये । वहां भी यही स्थिति है ।

अब पुलिस तथा सेना के जवान , दारोगा , इंस्पेक्टर ,चपरासी, क्लर्क जो केन्द्र से लेकर राज्य सरकारों की नौकरी में हैं , उनके परिवार का सर्वेक्षण कराये सरकार । अधिकाशं सामान्य परिवार के मिलेंगें।

इन सर्वेक्षणों के बाद यह सामने आ जायेगा कि भ्रष्टाचार की कमाई से आगे बढ रहे लोग हमारे उपर शासन कर रहे हैं और इमानदारी की जिंदगी गुजारनेवाला उनके शोषण का शिकार है ।

सर्वेक्षण के नतीजे आने के बाद गांधी के सिद्धांत का पालन करते हुये , अत्याचार के खिलाफ़ हथियारबद्ध लडाई की अनुमति प्रदान करें ।

आप भी मुझे बतायें । कैसे मिटेगा भ्रष्टाचार ? हथियारबद्ध क्रांति से या किसी अन्य तरीके से ?


टिप्पणी के साथ अपना ई मेल दे जिस पर हम आपको जवाब दे सकें

Comments

Popular posts from this blog

आलोकधन्वा की नज़र में मैं रंडी थी: आलोक धन्वा : एक कामलोलुप जनकवि भाग ३

भूमिहार :: पहचान की तलाश में भटकती हुई एक नस्ल ।

आलोक धन्वा : एक कामलोलुप जनकवि – भाग १