बोधगया में नव बौद्धों का सियासी ड्रामा शुरु

बोधगया में नव बौद्धों का सियासी ड्रामा शुरु




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जिलाधिकारी वंदना प्रेयसी की टेंपुल मैनेजमेंट कमिटी की अध्यक्षता ने पैदा किया एक नया विवाद
आज १६ मई बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर बोधगया मंदिर का नियंत्रण बौद्ध धर्मावलंबियों को सौपने की मांग को लेकर महाराष्ट्रा के नव बौद्धों द्वारा वहां आंदोलन की शुरुआत के साथ हीं शांत पडे विवाद ने नया तुल पकड लिया है । बोधगया न सिर्फ़ बौद्ध धर्मावलंबियों के लिये बल्कि हिंदुओ के लिये भी समान महत्व का स्थान है । हिंदु धर्मावलंबी भगवान बुद्ध को विष्णु का अवतार मानते हैं। बौधगया को अन्तराष्ट्रीय स्तर पर पहुचाने में गया तथा बोधगया के नागरिकों का सबसे ज्यादा योगदान रहा है । लेकिन जैसा की धर्मांध समुहों की आदत है , वे हर काम में किसी न किसी बहाने विवाद पैदा करके अपना स्वार्थ सिद्ध करना है बौद्ध गया से गुजरनेवाली निरंजना नदी सका जिसका वर्तमान नाम फ़ाल्गु है उसके तट पर तपस्या करते हुये भगवान बुद्ध ने ग्यान प्राप्त किया था इस कारण से बौधगया अत्यंत हीं पवित्र धार्मिक स्थल के रुप में विश्व भर में ख्याति प्राप्त कर चुका है । बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा के द्वारा अक्सर बोधगया आने तथा धार्मिक आयोजन करने के कारण यह चीन के लिये भी महत्वपूर्ण है । बोधगया स्थित सैकडो वर्ष पुराने बौद्ध मंदिर की देखभाल के लिये एक टेंपुल मैनेजमेंट कमिटी है जिसका गठन बोधगया टेंपुल मैनेजमेंट एक्ट १९४९ के तहत हुआ है । बोधगया मंदिर की देखरेख बोधगया स्थित शंकर मठ के जिम्मे रहा है । मंदिर पर कब्जे के लिये अंग्रेजो के शासनकाल से हीं विवाद होते रहा है । मामला प्रीवी काउंसिल तक पहुचा था परन्तु वहां से भी बोधगया मंहथ के पक्ष मे फ़ैसला हुआ । बोधगया मंदिर में भगवान बुद्ध के अलावा हिंदु देवी –देवताओं की भी मुर्तियां है तथा वहां पिंडदान का भी कार्य होता है । आजादी के बाद इस विवाद को खत्म करने के उद्देश्य से टेंपुल मैनेजमेंट कमिटी का गठन किया गया जिसके तहत हिंदु तथा बौद्ध दोनो धर्मों के चार-चार सदस्यों की नियुक्ति का प्रावधान है । इस कमिटी के पदेन सदस्य गया के जिलाधिकारी होते हैं। अगर जिलाधिकारी गैर हिंदु है तो उस स्थिति में दुसरे जिले के जिलाधिकारी को अध्यक्ष नियुक्त करने का प्रावधान है । नव बौद्ध वस्तुत: अंबेदकरवादी है और उनका बोधगया से जुडाव का कारण राजनैतिक है । बाबा साहेब अंबेदकर ने अपने जिवन के अंतिम क्षण में हिंदु धर्म के विरोध स्वरुप बौद्ध धर्म स्वीकार किया था। अंबेदकरवादी नव बौद्ध बोधगया में विवाद खडा कर राजनैतिक फ़ायदा उठाने का प्रयास करते रहे हैं। इस बार भी इनका यही प्रयास है , हालांकि बौद्ध धर्मवालंबियों के एक धडे द्वारा इस आंदोलन का विरोध भी किया जा रहा है । इस विवाद के साथ एक नया विवाद भी उभर रहा है , वह है गया जिले की जिलाधिकारी की टेंपुल मैनेजमेंट कमिटी के पद पर नियुक्ति का । वंदना प्रेयसी ने एक मुस्लिम युवक से विवाह किया है जिसका नाम है शहाबुद्दीन तथा जो मुम्बई में पटकथा लेखक है। यह विवाह न्यायालय के साथ-साथ मुस्लिम रिवाज के अनुसार भी हुआ है । बोधगया टेंपुल मैनेजमेंट कमिटी एक्ट १९४९ के अनुसार गैर हिंदु होने की स्थिति में गया की जिलाधिकारी मैनेजमेंट कमिटी की अध्यक्ष नही रह सकती है हालांकि वंदना प्रेयसी सुलझे हुये विचार की महिला है लेकिन अपने सौंदर्य के प्रति ज्यादा कांशस होने के कारण कई विवाद भी खडा कर चुकी हैं। बंदना प्रेयसी का जन्म दिन 21 फ़रवरी १९७४ है , इन्होने अंग्रेजी लिटरेचर से एम फ़िल किया है । २००३ बैच की बंदना ने सर्वप्रथम बाढ के एसडीओ के रुप में नौकरी ज्वाईन की । उसके बाद ये सिवान की जिलाधिकारी बनी । बंदना ने सिवान के जिलाधिकारी के रुप मे हुई अपनी नियुक्ति के तुरंत बाद पत्रकारों से रुबरु होते हुये बाढ के अपने अनुभव सुनाते हुये वहां के पत्रकारों को दलाल कह कर विवाद पैदा कर दिया था । आरपीएफ़ के डीआईजी पी जे रावल के के उपर अपनी बहन सुजाता प्रेयसी जो पंजाब कैडर के आइपीएस गौतम चीमा की पत्नी हैं, उनके साथ संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस मे छेडखानी करने का मुकदमा दर्ज कर के बंदना प्रेयसी ने अपनी नियुक्ति के तुरंत बाद हीं अपने तेवर का परिचय दे दिया था । देखना यह है की मुस्लिम होने के कारण बंदना प्रेयसी टेंपुल मैनेजमेंट कमिटी के अध्यक्ष पद का त्याग करती हैं या विवाद के बढने का इंतजार करती हैं। वैसे बोधगया टेंपुल मैनेजमेंट कमिटी भी राजनिती का अखाडा है तथा उसमें सरकार द्वारा नियुक्त सदस्य पोलिटिकल बैक ग्राउंड के होते हैं । बोधगया टेंपुल मैनेजमेंट कमिटी में भ्रष्टाचार भी चरम पर है । करोडो की दान में मिली संपति की मालिक वह कमिटी लूट का केन्द्र है । विदेशों से मिली बहुमुल्य भेटों का कोई हिसाब-किताब नही रहता है । कुछ वर्ष पूर्व एक विदेशी द्वारा सोने का मुकुट दान में दिया गया था बाद में उसके चोरी हो जाने का मामला उभरा लेकिन कोई जांच हो उसके पहले हीं मुकुट मिल गया की बात प्रसारित कर दी गई । मुकुट मिलने के बाद उसके असली होने की कोई जांच नही हुई । बोधगया टेंपुल मैनेजमेंट कमिटी की दौलत तथा भ्रष्टाचार भी नव बौद्धो के आंदोलन का एक कारण है । नव बौद्धों के आंदोलन के कारण बोधगया के अशांत होने की प्रबल संभावना है । इस आंदोलन में आग में घी डालने का काम किया है अल्पसंख्यम आयोग ने। आयोग ने अपने सभी सदस्यों के साथ बोधगया का भ्रमण करके निर्णय लेने का निश्चय किया है । देश के अधिकांश आयोग अक्षम और अयोग्य राजनेता और भ्रष्ट अधिकारियों की शरण स्थली हैं। वैसे इतना तो स्पष्ट है की बोधगया की शांति को क्षति पहुंचेगी जिसका असर आनेवाले पर्यटकों पर पडेगा।
यहां बोधगया टेंपल मैनेजमेंट एक्ट १९४९ का वह प्रावधान दिया हुआ है जिसके अनुसार गैर हिंदु जिलाधिकारी बीटीएमसी के अध्यक्ष नही हो सकते हैं (3) The District Magistrate of Gaya shall be the ex-officio Chairman of the Committee: Provided that the1 [State] Government shall nominate a Hindu as Chairman of the Committee for the period during which the district Magistrate of Gaya is non-Hindu.

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