चल दरिया में डुब जायें: कनी और राजा की प्रेम कहानी




चल दरिया में डुब जायें: कनी और राजा की प्रेम कहानी
जिने मरने की कसम से शुरु होती है प्रेम कहानी हर आशिक कहता है खुद को मजनू और प्रेमिका होती है लैला । कुछ ऐसी हीं थी कनी और राजा के प्रेम की दास्तां । अपने पति को छोडा कनी ने और राजा ने तो वाकई दास्तां लिख दी लेकिन वाह रे लैला , मजनू गया जेल लैला के लिये और लैला ने कहा चढ जा फ़ांसी पे, प्यार कुछ पाने के लिये किया था न की जेल जाने के लिये । कह सकते हैं “ हमने उनकी याद में रो-रोकर ट्ब भर दियें वो आई , आई और नहा कर चली गई” । एक पुरानी कहावत है बात निकलेगी तो दुर तलक जायेगी और यही हुआ कोनीमाज़्हि के साथ। कारुणानिधी की बेटी तथा द्रुमुक सांसद ने अपने पति तक की परवाह नही की । कनी की पहली शादी अथिबन बोसे से १९८९ में हुई थी जिसे बाद में तलाक देकर उसने दुसरी शादी जी अरविंदम से की लेकिन राजा के प्रेम दिवानी कोनी ने दुसरे पति को भी तलाक दे दिया । अब भाई चाहे हिंदी भाषी हो या तमिल , बहन की आवारगी पर गुस्सा तो होगा हीं । दिल्ली के एयर्पोट पर जमकर गाली –गलौज हुआ था ए राजा और करुणानिधी के बेटे के बीच । दोनो की प्रेम कहानी की दास्तां राडिया की बातचीत के टेप में भी दर्ज है जैसे खुद राडिया और टाटा की प्रेम कहानी । अब उसी लैला ने जमानत याचिका में टूजी घोटाले का सारा दोष ए राजा पर मढ दिया है । आज ६ मई को जमानत पर सुनवाई हुई परन्तु फ़ैसला १४ मई तक सुरक्षित रख दिया गया और कनी को १४ मई तक प्रत्येक दिन न्यायालय में हाजरी बजाने का आदेश दे दिया गया । कभी-कभी जजो की बुद्धि पर तरस आता है । आठ दिन तक जमानत पर फ़ैसला सुरक्षित रखना संशय पैदा करता है और उस परिस्थिति में तो और भी ज्यादा जब प्रत्येक दिन न्यायालय में हाजिर होने का आदेश हो । लगता है जैसे न्यायालय यह देखना चाहती है कि वह फ़रार होती है या हाजिर रहती है । यह न्यायिक प्रक्रिया का भी उ्ल्लंघन है । जमान्त देने के बाद न्यायालय ्कोई शर्त जोड सकती है लेकिन सुनवाई के दौरान शर्त का क्या अर्थ है । खैर वैसे भी टूजी घोटाले में कुछ होनेवाला नही । सीबीआई ने चार्जशीट में करुणानिधी की पत्नी का नाम यह कहकर नही शामिल किया कि वह टीवी चैनल की स्लीपिंग पार्टनर है और उनकी उम्र ज्यादा है । करुणानिधी , सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह से कोई पुछताछ नही हुई । सीबीआई ने बहुत चतुराई से जांच के दायरे को सिमित कर लिया है , वह सिर्फ़ आर्थिक लेनेदेन तक हीं जांच करना चाहती है , टुजी घोटाले का जो षडयंत्र का हिस्सा है उसकी जाच से बचना चाहती है । ए राजा मंत्री कैसे बना , दूरसंचार मंत्रालय की हीं मांग द्रुमुक ने क्यों की , मनमोहन सिंह और द्रुमुक के बीच क्या सौदा हुआ । प्रधानमंत्री कार्यालय को जब सब पता था तो प्रधानमंत्री तक सारी बात क्यों नही पहुंची , सोनिया गांधी यूपीए की चेयर मैन हैं , उनकी चेयर मैन की हैसियत से क्या भुमिका थी द्रुमुक से हुये समझौते में। वैसे भी सोनिया गांधी मोटी चमडी की नेता हैं जब अपने पति की ईज्जत की परवाह नही की , बोफ़ोर्स घोटाले में राजीव गांधी पर आजतक उंगलियां उठ रही हैं , क्वात्रोची सोनिया का परिवारिक मित्र था , सोनिया ने कभी नही अपने मित्र को कहा की आकर भारत की जनता को सच बताओ , मेरे पति की बदनामी हो रही है । धीरे-धीरे यह घोटाला भी दम तोड देगा आखिर ईन्ही व्यापारिक घरानो की बदौलत तो सभी दल राजनीति कर रहे हैं।

Comments

  1. tiwari jee yeh bahut jabardast story hai. hum bhi likhte magar eska pramad kya hai...
    mukesh chandra srivastav
    sub editor kalptaru express pahle mathura ab agra

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