बिहार के समाजवादियों का स्वार्थी चेहरा






बिहार के समाजवादियों का स्वार्थी चेहरा
ओल्ड एज होम में मौत का इंतजार कर रहा है एक आंदोलनकारी
जयप्रकाश जी के संपूर्ण क्रांति ने एक नई राह दिखाई थी लेकिन परिवर्तन की उस राह पर आज कोई भी समाजवादी नही चलना चाहता । उस आंदोलन से पैदा हुये नेता आज सिर्फ़ सता की लडाई लडने में मशगुल हैं। १९७४ के आंदोलन को अपने प्रखर व्यक्तित्व और जुझारुपन से सवांरने वाले नवादा के सुरेश भट्ट , दिल्ली के एक ओल्डएज होम में अपने जिवन का अंतिम समय गुजार रहे हैं। कभी जयप्रकाश नारायण , मधुलिमये , नाना जी देशमुख के प्रिय रहे सुरेश भट्ट को सब ने भुला दिया है । छह वर्ष पूर्व ब्रेन हैमरेज और किडनी की बिमारी के बाद डाक्टरों ने ज्यादा उम्र का हवाला देते हुये उनका आपरेशन करने से इंकार कर दिया था । सुरेश भट्ट को उनके परिजनों ने दिल्ली के एक ओल्ड एज होम में दस हजार रुपये प्रतिमाह पर रख छोडा है । सुरेश भट्ट पक्के समाजवादी थें , अपने परिवार के लिये भी उन्होने कभी नही सोचा , सबकुछ समाज के लिये अर्पित कर दिया था । उनकी दो बेटियां और एक बेटा है, बडी बेटी क्रांति उर्फ़ असीमा भट्ट मुम्बई के सिने जगत में हैं। वहीं दुसरी बेटी प्रतिभा नवादा में वकालत करती है तथा बेटा प्रकाश भी नवादा में रहते हैं। नवादा में सुरेश भट्ट की संपति का अधिकांश हिस्सा उनके भाई संतोष भट्ट ने हथिया लिया है । सुरेश सिनेमा सहित करोडो की जायदाद के मालिक सुरेश भट्ट ने कभी दौलत की परवाह नही की और संपति तथा परिवार से दुर समाज के लिये लडते रहें। ्जार्ज फ़र्नाडिस , नीतीश तथा लालू जिन्हे कभी गुरुदेव कहकर संबोधित करते थें , आज उनलोगो को यह पता भी नही की सुरेश भट्ट जिंदा है या नही । शायद सता के खेल से फ़ुर्सत हीं नही मिली । सुरेश भट्ट का कभी कोई बैंक खाता नही रहा । उनकी बेटी असीमा भट्ट ने अपने पिता के ब्लाग पर सुरेश भट्ट के बारे में ढेर सारी बातें लिखी हैं और साथ हीं यह प्रश्न भी लिख डाला है कि क्या सुरेश भट्ट जैसे लोगो का यही ह्श्र होना चाहिये ?

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