बिहार के राज्यपाल भ्रष्ट हैं



बिहार के राज्यपाल भ्रष्ट हैंमहामहिमों को जेल होराज्यपालों के भ्रष्ट आचरण तथा पक्षपातपूर्ण हरकतों को देखते हुये इनके खिलाफ़ कडे कदम उठाने तथा इनकी हरकतों की न्यायिक जांच या निष्पक्ष एजेंसी से जांच की आवश्यकता महसुस की जाने लगी है । अभी कर्नाटक के महामहिम ने वहां राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफ़ारिश करके राजनीतिक भुचाल पैदा कर दिया । देश की सर्वोच्चय न्यायपालिका बहुत पहले यह फ़ैसला दे चुकी है कि शक्ति परीक्षण हमेशा हाउस में होना चाहिये न कि राज्यपाल या राष्ट्र्पति भवन में लेकिन राजनीति के हाशिये पर सिमटे , राज्यपाल अपने अहंम की टुष्टी के लिये इस तरह की उलूल –जलूल हरकत करते रहते हैं। राज्यपालों के द्वारा इस तरह की हरकत का कारण है उनके लिये सजा का कोई प्रावधान का न होना । । न्यायालय ज्यादा से ज्यादा इनकी इस तरह की हरकतों को रद्द कर सकती है लेकिन मोटी चमडी वाले राजनेता से बने राज्यपालों को तो जूते- चप्पल तक खाने में भी अपमान नही महसुस होगा और अब उसकी जरुरत भी है । देश के संविधान के अनुसार राज्यपाल की नियुक्ति की एक अहम योग्यता है उस राज्य का नागरिक न होना , इस प्रावधान का कारण है पद की गरिमा और पूर्वाग्रह को पैदा होने से रोकना । राज्यपालों की हरकतों ने न सिर्फ़ पद की गरिमा को समाप्त कर दिया है बल्कि जनता अब खुलेआम आपसी बातचीत के दरम्यान उनकी बेटी – बहन से संबंध जोडने लगी है । एक घटना घटी थी बिहार के गया जिले में । राजद का शासनकाल था , लोकसभा का चुनाव था । गया की जिलाधिकारी राजबाला वर्मा थीं , वे एक तेज तर्रार महिला अधिकारी थीं तथा लालू – राबडी के काफ़ी नजदीक थीं। गया लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के शहरी चुनाव क्षेत्र में चुनाव के दिन सुबह में हीं राजद के गुंडे जिनमें विधायक तक शामिल थें बिसियों गाडियों पर खतरनाक हथियार से लैस मतदान केन्द्रों पर कब्जा करना शुरु किया । जो भी सामने आता उसकी बुरी तरह पिटाई शुरु हो जाती । जिलाधिकारी राजबाला वर्मा ने अर्द्ध सैनिक बलों को ग्रामीण क्षेत्रों में भेज दिया था । पुरा शहर आंतक में था । राजद के गुंडो की गाडियों का काफ़िला शहर के सभी क्षेत्रों में खुलेआम घुम रहा था । मतदाता तथा आम जनता डर से घरों में दुबक गई थी , कांग्रेस के एक पूर्व विधायक जय कुमार पालित ने जिलाधिकारी के कार्यालय के ठीक सटे हुये जिला स्कुल में स्थित मतदान केन्द्र पर इन बुथ लूटेरों का विरोध किया , परिणाम था जानलेवा हमला । जय कुमार पालित पर जानेलेवा हमला बोल दिया गुंडो ने , लात जुतों सहित हथियारों के बट्ट से बुरी तरह मारा गया उनकों । जय कुमार पालित को मरणासन्न हालत में छोडकर गुंडो का काफ़िला दुसरे बुथों को लूटने के लिये निकल गया । शाम को आक्रोशित जनता ने सब दलीय भेदभाव भुलाकर जिलाधिकारी राजबाला वर्मा के कार्यालय को घेर लिया और अर्द्ध सैनिक बलों की मौजूदगी में राजबाला वर्मा की मां – बहन की गाली वाले नारे लगाना शुरु कर दिया । राजबाला को वेश्या और रंडी के नारे लगायें । अगर अर्द्ध सैनिक बल नहीं होते तो शायद राजबाला को नंगे करके आक्रोशित जनता सडकों पर दौडा देती । राजबाला वर्मा पर हालांकि इसका कोई असर नही पडा और बाद में पटना की जिलाधिकारी के रुप में वह राबडी देवी की सलाहकार के तौर पर काम करती थीं। लेकिन राजबाला वर्मा के इस तरह अपमानित होने का एकमात्र कारण था उनका अपने कर्तव्य का पालन न करना और सत्ता के पक्ष में पक्षपातपूर्ण कार्य । राजबाला वर्मा वर्तमान में झरखंड की होम सेक्रेटरी हैं । हालांकि राजबाला वर्मा एक बहुत हीं गंदी अधिकारी रहीं है और एडिशनल कलक्टर , ला एंड आर्डर , धनबाद के पद पर रहते हुये १९८९ में एक पत्रकार के साथ मारपीट करने के कारण राजबाला वर्मा तथा उनके पति जे बी तुबीद पर मुकदमा भी हुआ था । आज राज्यपालों की भी यही स्थिति है । जनता का सम्मान तो राज्यपाल खो हीं चुके हैं अब बाकी रह गया है जनता द्वारा राजभवन से राज्यपालों कों निकालकर सडक पर दौडाना । बिहार ने भी दो भ्रष्ट राज्यपालों को देखा है । एक तो था बुटा सिंह जिसके कार्यकाल में उसके दो बेटे बंटी- बबली के कारण राजभवन भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया था । दुसरा है वर्तमान राज्यपाल देवानंद कुंवर , इसने तो भ्रष्टाचार में बुटा सिंह को भी पछाड दिया है । बिहार के सभी विश्व्विद्यालयों में पैसे लेकर अक्षम और भ्रष्ट कुलपतियों की नियुक्ति देवानंद कुंवर ने की है । देवानंद कुवंर के खिलाफ़ के के पाठक नाम के बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के अधिकारी ने मुहिम छेडी थी लेकिन नीतीश के करीबी आई ए एस अधिकारी अफ़ज़ल अमानुल्लाह ने देवानंद कुवंर और नीतीश के साथ समझौता करवाया तथा इस दलाली के बदले अपनी पत्नी परवीन अमानुल्लह को विधायक का टिकट दिलवाने और मंत्री बनवाने में कामयाब हुयें । देवानंद कुंवर ने डाक बोल बोल कर विश्वविद्यालयों के पदों को निलाम किया है , जिसने ज्यादा पैसे दिये उसे कुलपति बनाया । वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति सुभाष प्रसाद सिंहा तथा मगध विश्वविद्यालय के कुलपति अरविंद कुमार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बावजूद उन दोनों नही हटाया । मगध विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति भी सारे नियम – कानून की अवहेलना करके की गई थी इसलिये पटना उच्च न्यायालय ने नियुक्ति को रद्द कर दिया परन्तु आजतक नये कुलपति की नियुक्ति नही हुई ।जय प्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति दिनेश कुमार सिन्हा के उपर शराब पीकर भोजपुरी गायिका देवी के साथ छेडछाड करने का मुकदमा हुआ लेकिन राज्यपल देवानंद कुंवर ने कोई कार्रवाई नही की , इससे खुद राज्यपाल के नैतिक पतन का पता चलता है । राज्यपालों के भ्रष्टाचार को देखते हुये यह आवश्यक हो गया है कि इनके खिलाफ़ मुकदमा करने की अनुमति हो तथा भ्रष्ट राज्यपालों की जांच न्यायिक आयोग या निष्पक्ष जांच एजेंसी से कराई जाय । अगर बिहार के राज्यपाल के भ्रष्टाचार की जांच किसी निष्पक्ष एजेंसी से कराई जाय तो इन्हें जेल जाना पडेगा । अभी अगर राज्यपालों पर अंकुश नही लगाया गया तो आनेवाले कल में राजबाला वर्मा की तरह जनता इन्हें सडक पर दौडाना शुरु कर देगी ।

Comments

Popular posts from this blog

आलोकधन्वा की नज़र में मैं रंडी थी: आलोक धन्वा : एक कामलोलुप जनकवि भाग ३

भूमिहार :: पहचान की तलाश में भटकती हुई एक नस्ल ।

आलोक धन्वा : एक कामलोलुप जनकवि – भाग १