गांव – गांव तक भ्रष्टाचार की कवायद पुरी





गांव – गांव तक भ्रष्टाचार की कवायद पुरी
एक बार फ़िर चुनी गई भ्रष्टाचारियों की नई फ़ौज
पंचायती राज व्यवस्था के तहत महिलाओं को आरक्षण देने का ढिंढोरा पिटनेवाले और इसे महिला सशक्तिकरण का नाम देकर अपने चमचे अखबारों के हवाले से अपनी उपलब्धि बतानेवाले नीतीश कुमार ने पुन: पंचायत चुनाव कराकर एक बार फ़िर गांवों को भ्रष्टाचारियों के हाथ में सौंप दिया है। गांवों की स्थिति अत्यंत दयनीय है । महिलाओं को पता भी नही की वे उम्मीदवार हैं। वोटो की खुलेआम खरीद –बिक्री हुई । एक – एक प्रत्याशी ने पांच से दस लाख रुपये खर्च किये । यह एक निवेश था पचास से एक करोड कमाने का । मुखिया की कमाई के ढेर सारे श्रोत हैं। नरेगा सबसे बडा है। २० आदमी की जगह पर ६० आदमी को काम करते दिखाया जाता है , उनको बैंक के द्वारा भुगतान भी होता है । लेकिन उसमे से मात्र ३० प्रतिशत हीं मजदूर को मिलता है बाकी का सत्तर प्रतिशत मुखिया, पंचायत सेवक, परियोजना पदाधिकारी खा जाते हैं। यह सब उच्च अधिकारियों की जानकारी में होता है । नाम न छापने की शर्त पर एक परियोजना पदाधिकारी ने बिहार मीडिया को बताया की पचास हजार रुपया महीना उसे गया के डीडीसी को देना पडता है , उसी प्रकार गया के डीडीसी अपने से उपर के अधिकारियों को पैसा पहुंचाते है । बाहर से गया आनेवाले उच्च अधिकारियों की सेवा का ख्याल भी उसे हीं रखना पडता है । अगर कोई उच्चाधिकारी पटना से सपत्नी गया आता है तो उनकी पत्नी के खर्चे की भी व्यवस्था करनी पडती है । यह सारा पैसा नरेगा की योजना से निकलता है। नरेगा के अलावा मुखिया की कमाई के अन्य भी रास्ते हैं। अपने पंचायत में होनेवाले सभी ठेके का काम मुखिया खुद या उसके चमचे करते हैं। गांव की राशन दुकान से लेकर आंगन बाडी केन्द्र तक सभी जगह से प्रत्येक माह एक ्राशि निश्चित है जो मुखिया को मिलती है । तकरीबन २० से ५० हजार रुपये की आमद है यानी एक साल में पुंजी वापस हो जाने की पुरी गारंटी है । यह सबकुछ नीतीश कुमार की जानकारी में है । नीतीश सिर्फ़ दुनिया को भ्रमित करने का काम कर रहे हैं । घोषणाओं के बादशाह हैं, कभी कालाधन जप्त करके भ्रष्ट अधिकारियों के मकान में स्कुल खोलने की नौटंकी करते हैं तो कभी ग्राम स्तर पर विकास योजनाओं की निगरानी के लिये समिति बनाने का ड्रामा करते हैं। नीतीश की गोद में बिहार का सबसे भ्रष्ट अधिकारी पटना का आयुक्त के पी रमैया बैठा हुआ है । नीती सहित सभी मंत्री एवं राज्य का हर कर्मचारी जानता है रमैया कितना बडा चोर है , लेकिन नीतीश उसे विकास का काम सौपते हैं । बिहार के किसी अखबार ने रमैया के खिलाफ़ कभी एक शब्दा नही लिखा , बल्कि दैनिक जागरण, हिंदुस्तान, आज, प्रभात खबर जैसे अखबारों के गया स्थित पत्रकारों ने गया से पहली बार रमैया के तबादले पर भावभीनी विदाई दी थी । दुबारा गया में पदस्थापना पर चुनाव आयोग ने रमैया को बाहर का रास्ता दिखा दिया , लेकिन रमैया गुप्त रुप से विधान सभा चुनाव के दौरान बोधगया के एक होटल डेल्टा में रह कर नीतीश का प्रचार करते रहें। रमैया का एक भैया जी है , वह रमैया के साथ दो जिस्म एक जान की तरह ्रहता है , सारा लेने-देन उसी के माध्यम से होता है । सब्जी केट्रक में बोरे में रखकर नोट रमैया के घर जाता था । अब इस तरह के अधिकारियों की बदौलत नीतीश भ्रष्टाचार मिटाने का ड्रामा कर रहे हैं। गांवो तक भ्रष्टाचार को पहुचानेवाले नीतीश चाहे लाख दावा करें भ्रष्टाचार मिटने वाला नही । पहले के सभी मुखियाओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगें लेकिन शायद हीं किसी के खिलाफ़ कार्रवाई हुई हो। अब नये मुखिया चुने गये हैं , इन मुखियाओं ने लाखो रुपया घर –जमीन बेचकर लगाया है , आने के साथ हीं उसे वसुलने का दौर शुरु होगा । लोगों का ध्यान लूट की तरफ़ न जाये इसके लिये विशेष राज्य का दर्जा देने जैसी मांग पैदा करके कुछ अखबारों को इस काम पे लगा दिया है । प्रभात खबर उनमें से एक है । पहले जो लूटा रहा है उसे तो बचाओ नीतीश, क्यों बिहार को रसातल में ले जाने के लिये बेचैन हो ? भ्रष्ट अधिकारियों पर कारवाई करने का दिखावा मत करो , रमैया जैसे को जेल भेजो , सीबीआई से रमैया की संपति की जांच कराओ । नीतीश की हिम्मत नही है रमैया के खिलाफ़ कदम उठाने की , कारण है कि नीतीश ने हीं महादलित आयोग के सचिव पद पर रमैया को बैठाया है , रमैया का गुणगाण भी नीतीश कुमार करते रहते हैं ऐसी स्थिति में रमैया का जेल जाना नीतीश के झुठ और ड्रामे का पकडा जाना होगा । बिहार की तरक्की की बात तो करना ख्याली पुलाव पकाना है । बिहार और बर्बाद होने से बच जाय यही शायद बहुत बडी बात होगी जिसकी नीतीश के भ्रष्टा राज में कम हीं संभावना है । आइये आप भी देखिये पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार के सशक्तिकरण को ।

Comments

  1. आप ज़रा वर्तनी (स्पेलिंग) पर ध्यान दिया करें.

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