एसी –डीसी बिल घोटाले में पटना उच्च न्यायालय ने जवाब मांगा

एसी –डीसी बिल घोटाले में पटना उच्च न्यायालय ने जवाब मांगा
५४ हजार करोड के व्यय में हुई अनियमितता
अभीतक एसी-डीसी बिल का मामला ठंढा नही हुआ है । आज पटना उच्च न्यायालय ने सरकार से इसमें हुई अनियमितता के संबंध में जवाब दाखिल करने को कहा है । एसी-डीसी बिल के कारण पिछली विधानसभा में जमकर हंगामा और मारपीट तक हुई थी । चौवन हजार करोद रुपये की सरकारी खजाने से हुई निकासी की j्जांच के लिये एक जनहित याचिका पटना उच्च न्यायालय में दाखिल की गई थी तथा पुरे मामले की जांच सीबीआई से करवाने की प्रार्थना याचिकाकर्ता ने की थी । उक्त याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय ने सीबीआई से जांच के आदेश दे दिये थें और सरकार उकत आदेश के खिलाफ़ बडी बेंच में जाना चाहती थी इसी कारण से विरोधी दलों द्वारा हंगामा किया गया था । बिहार विधानसभा में तोडफ़ोड तथा रातभर हंगामा होता रहा था। ६७ विधयकों को निलंबित भी किया गया था । पटना उच्च न्यायालय के द्वारा घोटाले की सीबीआई के द्वारा जांच के आदेश में एक कानूनी खामी थी जिसका फ़ायदा सरकार उठाना चाहती थी । उक्त जनहित याचिका पर सरकार का पक्ष बिना सुने हुये हीं न्यायालय ने आदेश प्रदान कर दिया था जबकि इस तरह के अहम मामलों में सरकार का पक्ष जानना जरुरी है साथ हीं साथ यह नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन भी था । सरकार ने पटना उच्च न्यायालय की फ़ुल बेंच में उक्त आदेश को चुनौती दी तथा फ़ुल बेंच ने उस पर रोक लगा दी । लेकिन एसी-डीसी बिल का मामला खत्म नही हुआ है । सीबीआई से जांच के आदेश पर हीं सिर्फ़ रोक लगी थी । सरकार को एसी डीसी बिल जमा करने का आदेश हुआ था। एसी-डीसी बिल का मामला क्या है यह जानना जरुरी है । सरकार के विभिन्न विभाग व्यय के लिये अग्रिम राशी की निकासी करते है तथा बाद में उसका बिल जमा करते हैं । बिहार में स्ररकारी विभागों ने अग्रिम की राशी तो निकाली परन्तु व्यय का बिल जमा नही किया । इस तरह की अनियमितता २००४ से चली आ रही थी । उच्च न्यायालय के आदेश के बाद सभी सरकारी विभाग जिन्होने अग्रिम निकासी की थी युद्ध स्तर पर रात –रात भर जागर अग्रिम का बिल बनाने में लग गयें। लेकिन समस्या यह है कि छह –सात वर्ष पहले की गई खरीद की रसीद कहां से लायें । खरीदने के वक्त तो एक कच्चा पुर्जा ले लेने का प्रचलन था । आज की तारीख में पुरानी खरीद की रसीद मांगने पर भी कोई दुकानदार देगा नही क्योंकि दुकानदार बिक्री कर उसी आधार पर देते हैं । कच्चे पुर्जे पर जो सामान बेचते हैं उसका कोई कर नही देतें । अभी जो बिल आनन फ़ानन में जमा किया गया है , उनमें से अधिकांश फ़र्जी है जैसे हीं उन बिलों का सत्यापन होगा सब पकडे जायेंगें । ५४ हजार करोड का यह मामला आज या कल एक बहुत बडे राजनीतिक भूचाल का कारण बनेंगा ।
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