जज काटजू बने समीक्षक

जज काटजू बने समीक्षक

अभी अभी प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष काटजू ने एक बयान दिया है सलमान रश्दी के बारे में । रश्दी को उन्होने  खराब लेखक बताया है तथा यह भी कहा है कि सैटेनिक वर्सेज के पहले उन्हें बहुत कम लोग जानते थें। लगे हाथ उन्होने भारत के शिक्षित लोगों को औपनिवेशिक भावना से ग्रसित  बता डाला । काटजू महोदय कब से समीक्षक बन गयें यह तो नही पता लेकिन जब से उन्होनें प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष का पद संभाला है , अपने विवादास्पद बयान तथा हरकतों के लिये चर्चित हैं। नेट तथा सोशल मीडिया को अपने अंदर लाने का भी जोरदार प्रयास इन्होनें किया । ये महाशय कितने महान है उसकी एक बानगी दे रहा हूं । भोपाल के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की महापरिषद की बैठक चल रही थी तथा नये अध्ययन केन्द्र खोलने के लिये चर्चा हो रही थी , श्रीमान काटजू ने झट से प्रस्ताव रख दिया रतलाम जिले के जावरा में एक केन्द्र खोलने का क्योंकि  जस्टिस मार्कंडेय काटजू के पिता स्व. कैलाश नाथ काटजू जब मुख्यमंत्री बनाकर मध्यप्रदेश भेजे गए तब जावरा विधान सभा क्षेत्र से उन्होंने चुनाव लड़ा था। एक सदस्य ने जब कहा कि भावना के बजाय औचित्य के आधार पर केन्द्र खोलने का निर्णय लिया जाय , महान काटजू गुस्सा गयें और बच्चों की तरह बैठक छोडकर भागने लगें , वहां उपस्थित मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनको मनाया । यह काटजू हमलोगों को मानसिक रुप से गुलाम बता रहे हैं। रश्दी की लेखनी का सबसे अच्छी बात जो मुझे लगती है वह है लौकिक , मौजूदा चरित्रों को अपने कथानक में शामिल करते हुये ज्वलंत मुद्दों को अलौकिक कहानी का रुप देना तथा दुसरी भाषा के परिचलित शब्दों को कहानी में स्थान देना। सैटेनिक वर्सेज इसलिये नही प्रसिद्ध हुई की वह विवादास्पद है बल्कि इसके माध्यम से धर्म की बुराइयों को चित्रित करते हुये यह बताने का प्रयास किया है कि धर्म इंसान की देन है , इसका किसी अल्लाह , इश्वर से लेना देना नही। मुझे नही लगता काटजू ने रश्दी की सभी पुस्तकों को पढा होगा । मिडनाइट चिल्ड्रेनको भी काटजू महोदय ने अच्छा साहित्य मानने से इंकार किया है । काटजू महोदय स्वंय मानसिक रुप से तानाशाह स्वभाव के हैं वरना नेट और सोशल मीडिया पर सेंसरशिप की बात नहीं करते, लेकिन उन्हें याद रखना चाहिये अब वे जज नही हैं , "खामोश अदालत जारी है नही चलेगा" , प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष के रुप में उनके हर क्रिया कलाप पर हमलोगों की नजर है , अभीतक वे एक विवादास्पद व्यक्ति साबित हुये हैं जो अभिव्यक्ति के हरेक माध्यम पर नियंत्रण करना चाहता है , कहीं ऐसा न हो कि समय से पूर्व विदा होना पडे अध्यक्ष पद से ।

काटजू ने जो कहा वह नीचे है .



नई दिल्ली: भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू ने बुधवार को कहा कि सलमान रुश्दी खराबऔर निम्नस्तरीयलेखक हैं और विवादस्पद पुस्तक सैटेनिक वर्सेजसे पहले उन्हें बहुत अधिक लोग नहीं जानते थे।

कुछ समय पहले तक उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश रहे काटजू ने भारत में जन्मे और ब्रिटेन में रहने वाले रुश्दी के प्रशंसकों की आलोचना
।करते हुये काटजू ने कहा कि वे औपनिवेशिक हीनभावना से ग्रस्त है कि विदेश में रहने वाला लेखक महान होता है।

भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के अध्यक्ष ने अपने बयान में कहा, ‘मैंने रुश्दी की कुछ पुस्तकें पढ़ी हैं और मेरा मानना है कि वे एक खराब लेखक है और सैटेनिक वर्सेज से पहले उन्हें कम ही लोग जानते थे।उन्होंने कहा कि यहां तक मिडनाइट चिल्ड्रेनको भी महान साहित्य कहना कठिन है।

काटजू ने कहा, ‘समस्या यह है कि आज भारत के शिक्षित लोग औपनिवेशिक हीनभावना से ग्रस्त है। इसलिए जो भी लंदन या न्यूयार्क में रहता है, वह महान लेखक है। जबकि भारत में रहने वाले लेखक निम्न स्तर के है


काटजू गूगल व फेसबुक पर कार्रवाई के पक्ष में

सेवानिवृत्त न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू ने कहा है कि गूगल एवं फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किग साइट्स यदि आपत्तिजनक चित्रों एवं टिप्पणियों को नहीं हटाती हैं तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि खुद इन साइटों पर चित्रों एवं टिप्पणियों को देखा है, जो अत्यंत आपत्तिजनक हैं। कुछ चित्र व टिप्पणियां ऐसी हैं, जिनसे राष्ट्रीय हितों को ठेस पहुंचती हैं।

वह घटना जब काटजू बैठक से भाग गये थें

भोपाल। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष व सेवानिवृत्त न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू भोपाल के  माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की महापरिषद की बैठक में एक सदस्य की टिप्पणी से नाराज हो गए व उठकर बैठक से बाहर चले गए। इसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं बैठक में भाग ले रहे अन्य सदस्यों के निवेदन पर उन्हाेंने बैठक में भाग लिया।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आयोजित विश्वविद्यालय की बैठक में नए स्टडी सेंटर खोलने को लेकर विवाद की स्थिति बन गई थी। बैठक में प्रस्ताव लाया गया कि केंद्र खंडवा, बुरहानपुर व ग्वालियर में खोले जाने चाहिए। इसी दौरान काटजू ने सुझाव दिया कि एक केंद्र रतलाम जिले के जावरा में भी खुलना चाहिए। रतलाम उनका पैतृक निवास है व उससे उनका भावनात्मक नाता भी है। इस पर एक सदस्य का कहना था कि भावना के बजाय औचित्य देखा जाना चाहिए। इसी पर विवाद उठ खड़ा हुआ।




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Comments

  1. लेख में रतलाम जिले के जावरा को जस्टिस काटजू का पैतृक स्थान बताया गया है जो सही नहीं है. जस्टिस मार्कंडेय काटजू के पिता स्व. कैलाश नाथ काटजू जब मुख्यमंत्री बनाकर मध्यप्रदेश भेजे गए तब जावरा विधान सभा क्षेत्र से उन्होंने चुनाव अवश्य लड़ा था लेकिन जावरा उनका निवास स्थल कभी नहीं रहा.

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