रामदेव के गुंडो पर मुकदमा क्यों नही


रामदेव के गुंडो पर मुकदमा क्यों नही

एक नौजवान कामरान सिद्दिकी ने रामदेव के मुह पर कालिख फ़ेकी । उस नौजवान को रामदेव के गुंडों ने भर दम पिटा । प्रशासन देखता रहा । अखबार वाले जाहिल पत्रकार उस घटना के बाद रामदेव से यह प्रश्न कर रहे थें कि किसका षडयंत्र है । यह आम जनता का गुस्सा है जिसका कारण जनता के साथ रामदेव द्वारा की गई धोखाधडी । रामदेव अरबपति हैं। चोर की तरह औरतों के कपडे पहनकर  भाग  गये थें रामलीला मैदान से । चाहे रामदेव हो या अन्ना , इनकी ताकत नानसेंस वैल्यू है यानी अगंभीर बातों के आधार पर जनता को उद्वेलित करना और मजमा लगाना । आत्मबल नही होता इनके अंदर अन्यथा तुरंत धरना अनशन छोडकर भाग खडे नही होतें । रामलील मैदान में जो हुआ वह एक डरपोक, कायर व्यक्ति हीं कर सकता है , भगत सिंह , या गांधी जैसा व्यक्तित्व तो हरगिज नही , वहीं अन्ना का ड्रामा भी मजेदार रहा , बेचारे पहले से हीं कुछ नही खा रहे थें (जैसा की उनके अनशन के  समापन के बाद बताया गया ) , लेकिन भीड न देखकर बिमार पड गयें। आनन फ़ानन में अपना तंबू शमियाना उखाडा और चल दिए , साथ में चौकडी भी गायब हो गई , वह भी अनशन पर थी। कामरान की पिटाई ने देश के कानून और उससे उपर न्यायपालिका की कलई एक बार फ़िर खोल दी । कानूनन मजिस्ट्रेट अपने सामने प्रस्तुत अपराधी से, न्यायिक रिमांड में भेजने के पहले, उसका बयान लेता है । पुलिस भी बयान लेती है। यह नही हुआ । रामदेव के गुंडो पर कोई मुकदमा नही हुआ । रामदेव के अंदर की कालिख और चरित्र के कालेपन को कामरान ने कालिख पोतकर सबके सामने लाने का प्रयास भर किया , यह गलत नही था , इसे चेतावनी समझनी  चाहिए । लालू यादव की प्रतिक्रिया पढ रहा था , उन्होने अमेरिकी राष्ट्रपति पर जूते फ़ेकने की घटना से लेकर इस तरह की हर घटना की निंदा की । अभी तक जिनलोगों के उपर जूता फ़ेका गया है, या कालिख पोती गई है , उनके नाम को पढने तथा उनके कार्यों पर गौर करने के बाद लगता है उनमें से एक भी ऐसा न था जिसके साथ गलत हुआ । चाहे बुश हों या प्रशांत भूषण , शरद पवार , अग्निवेश, अन्ना , रामदेव या राहुल गांधी ।हम  सबको इस तरह की घटना की निंदा करने के बजाय सबक लेने की जरुरत है । कभी भगत सिंह ने भारत की संसद में बम फ़ेका था बहरी अंग्रेज  सरकार को सुनाने के लिये , वह भी उस समय गलत था लेकिन आज हम उस काम के लिए न सिर्फ़ भगत सिंह को याद करते हैं  बल्कि प्रशंसा करते हैं । रामदेव , भाजपा के त्राहिमाम संदेश के कारण यूपी चुनाव में फ़ायदा पहुचाने के लिये प्रयासरत थें, अन्नाचौकडी भी अब जा रही है यूपी भाजपा के मदद के लिए , कांग्रेस का नाम लिये बगैर अप्रत्यक्ष रुप से कांग्रेस के उपर वार होगा ताकि भाजपा को यूपी के चुनाव में फ़ायदा मिले। लेकिन दिल्ली में रामलीला और जंतर मंतर करना अलग बात है , चुनावी समर में जाना अलग। वहां सब एक दूजे को पहचानते हैं। आर एस एस वाले जो अन्ना चौकडी के लिये भीड बनकर जूटेंगें लोग उन्हें पहचान जायेंगें। रामदेव के उपर तो सिर्फ़ कालिख पोती गई , अन्ना चौकडी को लोग दौडा  लेंगें। मुंबई से पेट नही भरा , यूपी में पता चलेगा ।

नीचे जूते  की महिमा दे रहा हूं । यह एक वरिष्ठ पत्रकार विनायक विजेता जी के दिल के उदगार हैं । अहिंसा समर्थक विजेता जी , जूतों को अहिंसको का हथियार मानते हैं , यदा कदा उसका प्रयोग भी करते हैं । मैं भी विजेता जी की बात से सहमत हूं । आप पढे  और जूते का प्रचार प्रसार करें , लालू यादव को भी समझायें जूतों की महिमा । जूते थप्पड, कालिख , हमारे मजबूत होते अहिंसक मूल्यों को दर्शाते  है , विरोध का इससे उम्दा ,प्रशंसनीय और नायाब तरीका दुसरा नही हो सकता ।अनशन को तो अन्ना ने बदनाम कर दिया और जुलूस प्रदर्शन के लिये भीड चाहिये ।  नक्सलवादियों और आतंकवादियों के बीच भी इसके प्रचार की जरुरत है ताकि गोली की जगह पर  वह भी जूतावादी बनकर इस  अहिंसक तरीके  का प्रयोग करें । आप जरा कल्पना करें अभी नक्सलवादी किसी का अपहरण करते हैं तो सबको भय सताने  लगता  है  कहीं मार न दे, कल जब वे जूतों का उपयोग करने लगेंगे तो हम सब इंतजार करेंगें  यह पूछने का कि कितने जूते मारा नक्सलवादियों नें , कहां कहां पर जूते लगाये ?  ज्यादा चोट तो नही लगी ? आनेवाले कल को यह ए के ४७ से बडा  हथियार बनेगा ।



जूता

जूते पर लिखना भी साहस का काम है,
शक्ति के इस श्रोत को मेरा प्रणाम है.
जूता संसदीय है ,संसद में चलता है,
ये अस्त्र बगैर लाइसेंस के मिलता है,
पैरों में पहना तो पैरों का गहना है ,हाथों में आ जाये तो फिर क्या कहना है.
जूते और मनुष्य का यही समीकरण चलता है ,
कभी जूते पर आदमी तो कभी आदमी पर जूता चलता है
विनायक विजेता

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Comments

  1. Kamran Siddqui ka jo bhi uddeshaya raha ho lekin sach bat ye he ki Baba ke supporters ne jo kiya us se ye sabit ho gaya ki Baba ne jo 11000 logon ki atanki fauj sarkar ke khilaf banane ki bat ki thi woh unhone kar ke dikha diya.

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