मेरी भूल और सोशल मीडिया पर कट्टर संघपंथियो का सेंसर

मैंने फेसबुक से विदा ले लिया । किसी कट्टरपंथी के भय से नहीं बस कुछ ऐसा घटित हुआ 10 मार्च को वही एकमात्र कारण रहा ।
लेकिन सोशल मीडिया पर खासकर फेसबुक पर जिसे कभी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का एक मंच माना जाता था उस मंच पर अघोषित सेंसर लगाने का कार्य बहुत ही षडयंत्रकारी तरीके से आर एस एस के द्वारा चलाया जा रहा है जिसे मैंने बेहद करीब से महसूस किया ।
मोदी के सतासीन होने के बाद असहिष्णुता का जो दौर शुरू हुआ है उसकी तुलना इस्लामिक स्टेट यानी ISIS की असहिष्णुता से की जा सकती है ।
इसे अच्छी तरह समझने के लिए फेसबुक की कार्यप्रणाली, उपयोगकर्ताओं के लिए अपने अकाउंट की सेटिंग की व्यवस्था , पोस्ट शेरिंग, टैगिंग  और कमेन्ट की अनुमति की सेटिंग को समझना आवश्यक है ।
फेसबुक के उपयोगकर्ता अगर चाहे तो अपने पोस्ट को सभी उपयोगकर्ता  ( public ) के लिए खुला रख सकते है । उन्हें कमेन्ट , शेयर और टैग की अनुमति प्रदान कर सकते है ।
अन्यथा पोस्ट को सिर्फ पढने की अनुमति प्रदान कर सकते है , लाइक और शेयर की अनुमति प्रदान कर सकते है परन्तु कमेन्ट की नहीं ।
उपयोगकर्ता अगर चाहे तो अपने पोस्ट को सिर्फ अपने मित्र या वर्ग विशेष यानी कालेज के मित्र, शहर या व्यवसाय के मित्र,परिवार के सदस्यों के साथ शेयर करने तक सिमित कर सकते है ।
उसी प्रकार अगर उपयोUगकर्ता अगर चाहे तो किसी मित्र को अमित्र यानी ( unfriend ) कर सकता है , ब्लाक कर सकता है ।
अनफ्रेंड किया गया उपयोगकर्ता सार्वजनिक पोस्ट को देख सकता है अगर कमेन्ट सार्वजनिक सेटिंग पर हो तो कमेंट्स कर सकता है अन्यथा सेटिंग सिर्फ मित्र को कमेन्ट और लाईक की अनुमति देता है तब वह कमेन्ट भी नहीं कर सकता न लाईक ।
अब मै अपनी स्थिति का वर्णन करता हूँ ।
यह सारी व्यवस्था जिसे FB की प्रायवेसी पालिसी कहाँ जाता है उसी का दुरुपयोग संघपंथियो द्वारा किया गया ।

संघ प्राचीन हिन्दू धर्म को अपने नियंत्रण में करने के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहा है ।
हिन्दू धर्म में मूल रूप से ब्रह्मा विष्णु महेश ही इश्वर माने गए बाकि सभी अवतार हुए जिनका जन्म हुआ और मृत्यु हुई ।
वे परमात्मा नहीं हुए ।
चाहे राम हो या कृष्ण ।
राम को तो मर्यादा पुरुषोतम कहाँ गया । यानी highest moral character of male " पुरुषो में उत्तम ""।
शिव को उत्पति और संहार दोनों का इशवर माना गया है ।शिव को अनंत , निराकार माना गया है । limitless, transcendent, unchanging and formless.
अद्वैत दर्शन के ज्ञाता आदिगुरू शंकराचार्य और मीमांसा के ज्ञाता परम ग्यानी मंडन मिश्र का शास्त्रार्थ हिन्दू पुनर्जागारण की अदभुत गाथा थी ।
आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित चारो पीठ की धार्मिक महता सबको पता है । चार धाम , गंगा सागर , वाराणसी , गया , उजैन का महत्त्व भी पता है ।
परन्तु आर एस एस ने इन्हें substitute करने के लिए जानबुझकर एक विवादास्पद चरित्र राम को भगवान के रूप में स्थापित करने का प्रयास शुरू किया । इसके मूल में खुद को इस्लामिक संस्था की तरह हिन्दुओ की एकमात्र संस्था के रूप में भारत की राजनीती पर पकड़ बनाना था ।

संघ ने खुद को परदे के पीछे रहकर यह कार्य शुरू किया ।
किस्मत ने साथ दिया मनमोहन सिंह की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ आक्रोश का फायदा उठाकर विकल्पहीनता की स्थिति में भाजपा ने खुद को विकल्प बताया और मोदी को किसी इतिहासिक नायक की तरह प्रचारित किया ।
सता में आने के बाद संघ से जुड़े लोगो की असली सूरत फासीवादी सामने उभर कर आई ।
सोशल मीडिया पर प्रतिबन्ध बर्दाश्त नहीं करेगा आवाम इसलिए उसका रास्ता निकाला अपने समर्थको के द्वारा खिलाफ में लिखने वाले हर व्यक्ति को प्रताड़ित करने  का ।
इनकी कार्यशैली निराली थी । पहले इसके कार्यकर्ता किसी न रूप में मित्र बनाते है । फेक आई डी क्रियेट करते हैं । उसके बाद संघ या मोदी के  विरोध में लिखने वालो को गाली गलौज करते थें ।
गंदी तस्वीरे पोस्ट करते हैं ।
हालांकि संघ की इस हरकत का एक फ़ायदा भी हुआ ।
यह स्पष्ट हो गया कि संघ सामंती विचारधारा , जातिवादी विचारधरा का पोषण करता है ।
सोशल मीडिया पर संघ के समर्थक ब्राह्मण , भूमिहार और राजपूत मुख्य रूप से है ।
जिसमे भूमिहारो का प्रतिशत नब्बे , ब्राह्मणों का साठ और राजपूतो का भी साठ के आसपास ही है ।
संघ यही मात खा गया । उसने उसके बाद अन्य कुचक्र भी रचा जिसपर फिर कभी विस्तार से।
खैर मेरी भूल यही थी कि बिना जांचे परखे मित्र बना लिया उसका फल भी भुगता ।
मेरा मानना था की अभिव्यक्ति की आजादी का अर्थ है सार्वजनिक रूप से अपनी बात कहना बिना तन्त्र या व्यक्ति और किसी संगठन के भय से।
मै लगातार लड़ता रहा । कभी प्रायवेसी सेटिंग नहीं बदली परन्तु अब बदलना पड रहा है इन संघियों ने नीचता की हद तक जाकर पारिवारिक फोटो को एडिट कर के गंदे कमेंट्स किये ।
जब मेरे जैसे व्यक्ति को अपनी प्रायवेसी सेटिंग बदलनी पड़ी तो यह मान लेने का पर्याप्त साक्ष्य है कि मोदी और संघ ने साजिश की तहत सेंसरशिप लागू कर दिया सोशल मीडिया पर । गेंद संघ, भाजपा और मोदी के पाले में है ।
जवाब उन्हें देना है ।
क्या हिंदुत्व की तुम्हारी यही शिक्षा है जिसका प्रदर्शन संघ से भाजपा से वनवासी कल्याण से जुड़े तुम्हारे समर्थक कर रहे हैं ?

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