नजीब जंग मामला :: प्रजातंत्र की रक्षा के लिए नौकरशाहो की पिटाई आवश्यक

प्रजातंत्र की मूल अवधारणा है " प्रजा द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों की सरकार का शासन " इस अवधारणा से यह स्पस्ट है कि जनता जिसे चुनेगी वह सरकार द्वारा लिया गया निर्णय जनता का निर्णय माना जाएगा । हालांकि जनता को  शिकायत करमें का भी अधिकार प्राप्त है   । अगर उसे अपनी सरकार का निर्णय पसंद नहीं है तो उस निर्णय के खिलाफ न्यायालय में या लोकतांत्रिक तरीके से धरना प्रदर्शन के माध्यम से विरोध दर्ज करा सकती है परन्तु नौकरशाहो को हर हाल में सरकार के निर्णय का पालन करना है।

दिल्ली में हुई शर्मनाक पराजय को मोदी - अमित यानी चंगू-मंगू की जोड़ी हजम नहीं कर पा रही है ।उसने अपने उपराज्यपाल नजीब जंग के माध्यम से दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल  को तंग करना शुरू कर दिया है।

दिल्ली की सरकार के कार्यो में तकनीकी आधार पर बेवजह हस्तक्षेप नजीब जंग द्वारा किया जा रहा है । केजरीवाल ने संवैधानिक व्यवस्था के उलट सोमवार को मुख्य सचिव सहित तमाम आला अधिकारियों व विभागाध्यक्षों को निर्देश जारी कर दिया कि वे उपराज्यपाल द्वारा जारी लिखित या मौखिक आदेश पर अपने स्तर पर अमल नहीं करें।

गौरतलब है कि कार्यवाहक मुख्य सचिव के रूप में शकुंतला गैमलीन की नियुक्ति को लेकर पिछले 13 मई से विवाद चल रहा है। इस मामले में 16 मई को दिल्ली सरकार ने प्रधान सचिव पद से अनिंदो मजूमदार को मुक्त कर दिया था और मुख्यमंत्री के सचिव राजेंद्र कुमार को अतिरिक्त प्रभार के रूप में चार्ज दे दिया था।

वहीं, 16 मई को ही उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री के आदेश को अवैध करार देते हुए निरस्त कर दिया था और अनिंदो  मजूमदार को पद मुक्त किए जाने के आदेश को निरस्त कर उनको बहाल कर दिया था।

सरकार ने प्रधान सचिव (सेवा) अनिंदो मजूमदार के दफ्तर पर ताला जड़ दिया।  मजूमदार स्टाफ कार्यालय में थोड़ी देर बैठे, फिर घर चले गए। इसकी सूचना मिलने पर उपराज्यपाल कार्यालय ने कड़े तेवर अपनाते हुए सरकार की ओर से प्रधान सचिव (सेवा) के पद पर लाए गए राजेंद्र कुमार की नियुक्ति खारिज कर दी।

दिल्ली सरकार का आरोप है कि शकुंतला गैमलीन के बिजली वितरण कंपनी बीएसइएस के साथ करीबी संबंध है।

उधर इस मामले में मोदी की सरकार में केंद्रीय कार्मिक राज्यमंत्री जीतेंद्र सिंह ने वरिष्ठ नौकरशाहों के साथ गरिमापूर्ण व्यवहार की जरूरत पर बल दिया।

अपनी नियुक्ति को लेकर मचे राजनीतिक घमासान के बीच शकुंतला गैमलीन ने केंद्रीय गृह सचिव एलसी गोयल से मुलाकात की। लगभग आधा घंटे तक चली इस मुलाकात में दिल्ली पुलिस कमिश्नर बीएस बस्सी और गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव (यूटी) राकेश कुमार सिंह भी मौजूद थे।

केंद्र सरकार के उद्योग सचिव अमिताभ कांत ने ट्वीट कर प्रमुख सचिव अनिंदो मजूमदार के आफिस सील करने को नौकरशाही का मनोबल तोडऩे वाला कदम बताया। उन्होंने भगवान का शुक्रिया अदा किया कि वे फिलहाल दिल्ली सरकार में नियुक्त नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारियों के हालात की कल्पना की जा सकती है।

आज राष्ट्रपति से मिलेंगे केजरी
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मंगलवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात कर अपनी बात उनके समक्ष रखेंगे।

सरकार दिल्ली की और उसका प्रधान सचिव मोदी नियुक्त करे ? यह कैसी व्यवस्था लागू करना चाहता है यह फासीवादी तानाशाह ?

पूर्व में मोदी ने अपने ही मंत्रियो के निजी सचिव की नियुक्ति के अधिकार से उन्हें वंचित करते हुए सरकार द्वारा मंत्रियो के निजी सचिवो की नियुक्ति की थी ।

देश में भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा कारण नौकरशाही है।

अमिताभ कान्त का ट्विट हास्यापद है ।

गुजरात के सीएम के कार्यकाल में तलुवे चाटने वाले नौकरशाहो की हरकत देश देख चुका है।
अमिताभ कान्त जैसे अधिकारियों की ठुकाई ही एकमात्र इलाज है ।

भ्रष्टाचार से लड़ने का रास्ता पिटाई है।

नजीब जंग की भी पिटाई होनी चाहिए ।

अरविन्द केजरीवाल का संकल्प भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग है और मोदी की सरकार सहित सारे नौकरशाहो की रूह काँप रही है ।

नजीब जंग का  अप्रजातांत्रिक रवैया भ्रष्टाचारियो को बचाने का है ।

इस गंदे उप राज्यापाल की भरपूर ठुकाई सड़को पर अगर जनता कर दे तो आधे राज्यपाल अपनी औकात समझ जायेंगे।

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