हत्यारा है गया का पटवा समाज :


हत्यारा है गया का पटवा समाज :

कहने को तो यह बनिया समाज है लेकिन महिला उत्पीडन और यौन शोषण के मामले में यह सबसे आगे है . दिसंबर में एक घटना हुई थी, एक सिर कटी लाश लड़की कि बरामद हुई थी , जांच के क्रम में पुलिस ने इसे आनर किलिंग का मामला माना और लडकी के पिता तथा पिता के एक मित्र को गिरफ्तार किया , मृतक लड़की कि माँ तथा छोटी बहन ने न्यायालय में 164 का बयान भी दर्ज कराया , इस केस में लड़की के पिता के मित्र कि एक रखैल भी गिरफ्तार हुई है ,उसके द्वारा किया गया रहास्यउद्घाटन समाज में पल रहे व्याभिचार को स्थापित करता है, हद दर्जे का व्याभिचार है, समाज के पुरुष, समाज की महिलाओं के यौन शोषण में लिप्त है, यह आम बात है , कारण है पुरुषवादी सोच . पटवा समाज से हर साल दसो लड़के आई आई टी के लिए क्वालीफाई करते है परन्तु उनमे लडकिया नहीं होती , लडकियों को न पढने कि आजादी है न जीवन जीने की , हद दर्जे का पर्दा सिस्टम है .इस समाज में, शादी आपस में ही होती है ( endogamous marriage ) , इनका अपना सन्गठन होता है जो तलाक, शादी ब्याह का विवाद, छोटी लडाइयां , समाज के अंदर का व्याभिचार ,इन्हें पता है अपने समाज की बुराइयों के बारे में , इसलिए नहीं चाहते की इनका स्याह पक्ष दुनिया के सामने आये, इनका राज्य स्तरीय सन्गठन भी है " पटवा जाति सुधार समिति " लेकिन यह सन्गठन सुधार की बजाय अपनी बुराइयों को ढकने का कार्य करता है, राजा माँ सिंह जो अकबर के नवरत्नों में थें उन्होंने इन्हें राजस्थान से लाकर फाल्गु नदी के उस पार बसाया था क्योकि पिंडदान में कपडे की जरूरत होती है और ये कपड़ा बुनने के व्यवसाय से जुड़े हुए थे, इनकी जनसंख्या बहुत कम है, स्वभाविक है पति पत्नी का एक अन्य रिश्ता भी पूर्व से रहता है , हम कह सकते हैं कि रिश्ते की बहन, मौसी , बुआ के साथ ही शादी का संबंध बनता है, स्वभाविक है समाज में यौन व्याभिचार रहेगा ही, जो रिश्ता मौसी का, बुआ का, चचेरी, फुफेरी बहन का अन्य समाज में पवित्र माना जाता है वह रिश्ता यहाँ शादी ब्याह का होता है , बचपन से ही लड़के लड़के उस रिश्ते में पवित्रता की जगह सेक्स देखने लगते हैं, और फिर शुरू होता नजदीकी रिश्ते में यौन संबंध बनाने का खेल. अंजना नामक लडकी कि हत्या के मूल में भी इसी तरह का संबंध है, चुकी यह समाज अपने इस विद्रूप स्याह चेहरे को कभी सामने नहीं आने देना चाहता है इसलिए जब आनर किलिंग के मामले में सच उजागर होने लगा है तो यह समाज तिलमिला उठा है और पुलिस पर आरोप लगाना शुरू कर चुका है, पैसा है ही, वोट है ही, अवधेश सिंह, जितन राम मांझी जैसे व्याभिचारी नेताओं को महिला अधिकार से कोई मतलब है नहीं , वे खुद ही यौन शोषण , वेश्यावृति में लिप्त रहने वाले नेता है, झट से पहुच जाते हैं इनकी सभा में.अपनी गोटी लाल करने और प्रशासन पर आरोप लगाने, पटवा समाज की सभा में भी महिलाओं की कोई भागीदारी नहीं होती है . अंजना की आनर किलिंग पर पत्रकार भी खुलकर लिखने में हिचकते हैं., कैसे लिखें ? पत्रकारों की मानसिकता कोई इतर थोड़े न है, यही पत्रकार आई आई टी करने वाले लडको के पक्ष में प्रशंसा के पुल बांधते है, कभी सवाल नही खड़ा करते, क्यों सिर्फ लड़के, लड़किया क्यो नही आई आई टी की परीक्षा में शामिल होती हैं ? 
अंजना नामक मासूम लड़की इस पटवा समाज की महिला अत्याचार की भेट चढ़ गई और जब इस समाज का स्याह चेहरा उजागर हुआ तो आई आई टी कर रहे इस समाज के युवा बंगलोर तक में प्रदर्शन कर के पुलिस पर आरोप लगाने लगे, अपने माँ से नहीं पूछा , अपनी बहनों से नहीं पूछा , उनके साथ कैसा व्यवहार होता है.
कलंक है आई आई टी कर के भी अपने समाज के महिला अत्याचार को प्रश्रय देने के लिए . बेकार है इनकी डिग्रियां , बेंहतर है जला दे अपनी डिग्रिया , क्या मुह दिखाएँगे दुनिया को जब चर्चा होगी महिला अत्याचार की , जब चर्चा होगी यौन व्याभिचार की , गया का प्रबुद्ध वर्ग भी दोषी है, चैम्बर आफ कामर्स सहित सभी राजनितिक दल दोषी है, एक लड़की के हत्यारे को बचाने के लिए पुलिस के खिलाफ झूठा आरोप लगाने के,. जितन राम मांझी , अवधेश सिंह जैसे लोग भी कलंक है , ये वोट के लिए किसी भी हद तक गिर सकते हैं, प्रबुद्ध नागरिक सामने आये, पटवा समाज की निंदा करें.

Comments

Popular posts from this blog

आलोकधन्वा की नज़र में मैं रंडी थी: आलोक धन्वा : एक कामलोलुप जनकवि भाग ३

भूमिहार :: पहचान की तलाश में भटकती हुई एक नस्ल ।

आलोक धन्वा : एक कामलोलुप जनकवि – भाग १