जनवादी कवि आलोक धन्वा ने क्रांति भट्ट उर्फ़ असीमा भट्ट से प्रेम विवाह किया था। असीमा के पिता सुरेश भट्ट साम्यवादी विचारधारा के क्रांतिकारी थें । जय प्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन से जुडे सुरेश भट्ट बिहार के नवादा जिले के धनी परिवार के थें परन्तु दिल के किसी कोने में अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष की भावना ने इन्हें क्रांतिकारी बना दिया । लालू , नीतीश , सुरेश भट्ट को गुरु कहा करते थें । जार्ज फ़र्नाडिस जैसा समाजवादी नेता भी सुरेश भट्ट का बहुत सम्मान करते थें । आज सुरेश भट्ट दिल्ली के एक ओल्ड एज होम में बिमार अवस्था में मौत का इंतजार कर रहे हैं । सुरेश भट्ट की पुत्री क्रांति भट्ट ने अपने से दुगुने उम्र के आलोक धन्वा से विवाह किया । आलोक धन्वा कहने को तो समाजवादी विचारधारा के होने का दिखावा करते थें लेकिन वास्तव में पुरुष प्रधान समाज के एक ऐसे व्यक्ति रहे जिन्होने प्रेम सिर्फ़ शरीर की चाह के लिये किया था । असीमा भट्ट रंगमंच की कलाकार हैं । प्यार भी यातना देता है , जिंदगी को नर्क बना देता है लेकिन जिवन की चाह एक झटके में सबकुछ तोडकर , रिश्तो को जलाकर निकलने
हिन्दुस्तान की हर जाती का कही न कही जिक्र प्राचीन धार्मिक - इतिहासिक पुस्तको में मिल जाएगा परन्तु भूमिहार जाति का कही कोई जिक्र प्राचीन ग्रंथो में नहीं मिलेगा । इनकी उत्पति के विषय में विभिन्न मिथ लिजेंड मिलेगा परन्तु प्रमाणिक शोध पुस्तको में इनका जिक्र कही शुद्र , कहीं मंगोल मुजफ्फरपुर बिहार के हुसैनी ब्राहमण , कहीं राजपूत पिता और ब्राहमण माता की सन्तान , कहीं बुद्धिस्ट ब्राह्मण से हिन्दू धर्म में वापस आई जाति के रूप में मिलता है । चुकि प्रमाणिक शोध पुस्तके इन्हें ब्राहमण नहीं मानती और मिश्रित जाती यानी hybrid मानती है जिसके कारण जातीय व्यवस्था वाले भारत में ये खुद को असहज महसूस करते है और कुछ हद तक हीन भी इसलिए शोध पुस्तको को ये स्वीकार नहीं करते है । खुद को ब्राहमण साबित करने के लिए ये स्वामी सहजानंद सरस्वती द्वारा 1916 में लिखित पुस्तक " भूमिहार ब्राह्मण एक परिचय " को प्रस्तुत करते हैं । इस पुस्तक में हिन्दुओ के अनेको धार्मिक ग्रंथो का हवाला देते हुए ब्राहमणों को दो वर्ग में सहजानंद ने विभाजित किया था " याचक " एंव अयाचक "" यानी एक भिक्षाटन करन
जनवादी कवि आलोक धन्वा ने क्रांति भट्ट उर्फ़ असीमा भट्ट से प्रेम विवाह किया था। असीमा के पिता सुरेश भट्ट साम्यवादी विचारधारा के क्रांतिकारी थें । जय प्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन से जुडे सुरेश भट्ट बिहार के नवादा जिले के धनी परिवार के थें परन्तु दिल के किसी कोने में अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष की भावना ने इन्हें क्रांतिकारी बना दिया । लालू, नीतीश , सुरेश भट्ट को गुरु कहा करते थें । जार्ज फ़र्नाडिस जैसा समाजवादी नेता भी सुरेश भट्ट का बहुत सम्मान करते थें । आज सुरेश भट्ट दिल्ली के एक ओल्ड एज होम में बिमार अवस्था में मौत का इंतजार कर रहे हैं । सुरेश भट्ट की पुत्री क्रांति भट्ट ने अपने से दुगुने उम्र के आलोक धन्वा से विवाह किया । आलोक धन्वा कहने को तो समाजवादी विचारधारा के होने का दिखावा करते थें लेकिन वास्तव में पुरुष प्रधान समाज के एक ऐसे व्यक्ति रहे जिन्होने प्रेम सिर्फ़ शरीर की चाह के लिये किया था । यहां हम क्रांति भट्ट की आत्मकथा के उन अंशो को प्रकाशित कर रहे हैं जिनमें क्रांति भट्ट ने आलोक धन्वा के असली चरित्र का चित्रण किया है । साल के शुरू में एक कविता आयी थी
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