अमेरिका ने जानबूझकर पकडाया अपना ड्रोन


अमेरिका ने जानबूझकर पकडाया अपना ड्रोन

ईरान को मुर्ख बना रहा है अमेरिका

ईरान के कब्जे में असली ड्रोन नहीं  है

सामरिक युद्ध में हथियार के बराबर  हीं  दिमाग की भूमिका होती है । हथियार से वार भले होता हो लेकिन वार कहां  हो और कैसे हो, इसका निर्धारण दिमाग करता है  यही कारण रहा कि जब भी युद्ध हुयें , धार्मिक या देशभक्ति नारे लगाये गयें। पहले राज्यों का धर्म होता , तब धार्मिक नारे या उद्घोष होते थें  , जैसे जय बजरंग बली या हर हर महादेव या अल्लाहो अकबर। समय के साथ बदलाव आया । दिमाग का उपयोग तो आज भी हो रहा है लेकिन नारों का स्थान धोखा ने ले किया है । अभी एक ड्रोन ईरान के दावे के अनुसार , ईरान ने अपने कब्जे में कर लिया है । बढ चढ कर ईरान उसका प्रदर्शन कर रहा है जैसे एक ड्रोन को कब्जा क्या कर लिया पुरा अमेरिका उसके कब्जे में आ गया। तरस आता है ईरान की सरकार की बुद्धि पर । अमेरिका जैसी ताकत को एक थर्ड क्लास के जहाज को पकडकर दबाया जा सकता तो शायद अमेरिका का कभी पतन हो गया होता। बहुत खोजबीन के बाद यह तथ्य सामने आया है कि ईरान ने जिस ड्रोन को पकडा  है , वह वस्तुत: पकडाने के लिये हीं प्रोग्राम कर के भेजा गया था। बेचारा ईरान । ईरान के [पास चुराई हुई तकनीक से न्यूक्लियर तकनीक क्या आ गई, वह स्वंय को बहुत बडी ताकत समझने लगा। अमेरिका का अगला लक्ष्य ईरान है । ईरान को बहुत समझदारी से काम लेने की जरुरत है । यह दिखावा करने का कोई मायने नही है कि आप बहुत अच्छा भोजन करते है , अगर आप भोजन नहीं कर पा रहें है तब। अमेरिका को , अमेरिका में हीं पराजित किया जा सकता है , वह भी अमेरिकी जनता को नहीं , बल्कि अमेरिका के पूंजीवादी व्यवस्था को जिसकी खिलाफ़त अमेरिका के हीं लोग कर रहे हैं , चाहे अक्यूपाई वाल स्ट्रीट हो या पिले रंग वाले। किसी मुल्क में पूंजीवादी व्यवस्था होने का अर्थ उस मुल्क की जनता की सहभागिता नही होती । ड्रोन को अब अमेरिका हटानेवाला है । इसलिये वह चाहता है कि दुनिया के सारे मुल्क सिर्फ़ ड्रोन के बारे में सोचे और शोध करें।  ड्रोन मानवरहित विमान हैं , यानी इसका नियंत्रण रिमोट से है या यह प्रोग्राम किया हुआ है , वैसी स्थिति में यह दावा कि उसे कब्जे में करके उतरने के लिये बाध्य कर दिया , अत्यंत मुर्खतापूर्ण हैं। खैर बिहारमीडिया की खोजबीन यह बताती है कि ईरान को एक साजिश के तहत वह करने के लिये बाध्य कर रहा है अमेरिका जोअमेरिका चाहता है और उसी की कडी है अपने एक प्री प्रोग्राम ड्रोन को ईरान के कब्जे में दे देना।

Comments

Popular posts from this blog

आलोकधन्वा की नज़र में मैं रंडी थी: आलोक धन्वा : एक कामलोलुप जनकवि भाग ३

भूमिहार :: पहचान की तलाश में भटकती हुई एक नस्ल ।

भडास मीडिया के संपादक यशवंत गिरफ़्तार: टीवी चैनलों के साथ धर्मयुद्ध की शुरुआत