क्रेन स्कुल के शिक्षक ने छात्रा से किया बलात्कार का प्रयास

क्रेन स्कुल के शिक्षक ने छात्रा से किया  बलात्कार  का प्रयास
पूर्व से बदनाम है क्रेन स्कुल
दैनिक  जागरण , हिंदुस्तान, प्रभात खबर ने  खाये  पैसै
फ़ादर राज के कार्यकाल में क्रेन का स्तर गिरा
मिशन द्वारा संचालित गया के दो स्कुलों में अपने बच्चे का दाखिला करवाने के लिये लोग एडी-चोटी  का जोर  लगा देते हैं। एक है , क्रेन स्कुल और दुसरा नाजेरथ । अपने बच्चों की चर्चा करते समय लोग बडे गर्व के साथ बताते हैं कि उनका बेटा या बेटी क्रेन का छात्र है । मेरे दोनों बच्चे भी क्रेन के छात्र रह चुके हैं । लेकिन शुरुआती दौर से हीं मैं क्रेन स्कुल की कार्यशैली और भेदभाव के खिलाफ़ रहा हूं । सामान्य वर्ग के अभिभावक और छात्रों के साथ क्रेन का रवैया हमेशा अपमानजनक रहा है । गया के सभी बडे पदाधिकारियों के बच्चे क्रेन स्कुल में पढते हैं। जिलाधिकारी से लेकर पुलिस अधिक्षक तक के और यह भी एक कारण रहा है वहां कार्यरत्त इसाई  फ़ादरों के गलत व्यवहार का । मेरा  टकराव क्रेन के फ़ादरों से शुरुआती दौर से रहा , इसके पिछे मुख्य कारण क्रेन स्कुल का भेदभावपूर्ण व्यवहार रहा । जिलाधिकारी , पुलिस अधिक्षक के बच्चों को टिफ़िन के समय बाडीगार्ड खाना लेकर आता था और रिसेप्शन में तबतक बैठा रहता था जबतक  कि उच्चाधिकारियों के बच्चे खाना नहीं खा लेते थें। अन्य बच्चों के लिये यह सुविधा नही थी। बच्चों के अंदर भी भेदभाव का अवगुण पैदा होता था। खैर सबसे पहले यह घटना और इससे संबंधित खबर के प्रकाशन में उपर दिये गये अखबारों की भूमिका की चर्चा करता हूं ।
यह घटना शुक्रवार की शाम की है । क्रेन स्कुल का अंग्रेजी का शिक्षक राजू कुमार ने क्रेन स्कुल की हीं सातवीं क्लास की एक छात्रा के साथ यौन संबंध स्थापित करने की नियत से छेडछाड की । यह शिक्षक उक्त छात्रा को उसके घर पर टयूशन पढाता था। छात्रा के पिता रेलवे कर्मचारी हैं और शायद हीं गया का कोई व्यक्ति उन्हें न जानता हो । इस संबंध में मुकदमा दर्ज हुआ । डेल्हा और सिविल लाइन थाने की पुलिस ने रात्री में शिक्षक को गिरफ़्तार कर लिया । गिरफ़्तारी के बाद क्रेन स्कुल के प्रशासन की तरफ़ से मामले को दबाने के लिये प्रयास शुरु हुआ । अखबारों को मैनेज करने की कवायद भी शुरु हो गई । यहां यह बता दें कि गया के सभी तथाकथित नामचीन पत्रकारों का  क्रेन स्कुल के साथ बडा हीं घनिष्ठ संबंध है । मैने कल सुबह दैनिक जागरण के पंकज , हिन्दुस्तान के कार्यालय , प्रभात खबर में नव नियुक्त एक पत्रकार , सहारा के सुनील सिंहा , आज के नीरज और इलेक्ट्रोनिक मीडिया के कुछ स्ट्रिंगरों को  कल सुबह इस घटना को बताते हुये यह जानना चाहा कि उनके पास क्या सूचना है । अधिकांश के पास कोई सूचना उपलब्ध नही थी । आज का अखबार देखा । हिंदुस्तान और प्रभात खबर ने इसे फ़र्स्ट पेज पर प्रकाशित किया लेकिन प्रभात खबर ने जहां स्कुल का नाम समाचार के अंत में दिया , वहीं हिन्दुस्तान ने स्कुल का नाम नही प्रकाशित किया । दैनिक जागरण ने तो इस समाचार को अंदर के पेज पर मात्र एक कालम मे सिमटा दिया । क्रेन स्कुल का गया के नामचीन पत्रकारों के साथ अच्छा रिश्ता है । गाहे बगाहे माल मुद्रा भी इन्हें मिलता है और दाखिले में पैरवी का काम भी पत्रकार महोदय लोग करते हैं। दौनिक जागरण के पंकज भी नामचीन पत्रकार हैं , बहुत सारे नामचीनों की पत्नियां क्रेन में काम करती हैं , कुछ के बच्चे वहां पढते हैं । प्रभात खबर और हिंदुस्तान को विग्यापन लेने का मौका मिल गया ।
पुलिस ने इस घटना में त्वरित कार्ररवाई करते हुये चार्जशीट दाखिल कर दी । अगर पुलिस चाहती तो बहुत कुछ क्रेन के बारे में सामने आता । इस शिक्षक की नियुक्ति फ़ादर राज नाम के प्रिंसिपल के कार्यकाल में हुई थी । क्रेन स्कुल के अनुशासन में कमीं से लेकर शिक्षकों की नियुक्ति और अनैतिक कार्यों का प्रारंभ फ़ादर राज के कार्यकाल में शुरु हुआ । परिणाम अब सामने आ रहा है । नये फ़ादर के लिये राज परेशानी पैदा करके गया ।
फ़ादर राज पर भी यौन शोषण का आरोप लग चुका है , भले हीं कोई मुकदमा दर्ज न हुआ हो । राज के पहले फ़ादर जोस क्रेन के प्रिंसिपल थें। राज उस समय वाइस प्रिंसिपल बन कर आयें। क्रेन के एक छात्र विकास कुमार जो अभी वर्तमान में आई आई टी दिल्ली का छात्र है, उसने बिहार मीडिया को बताया कि राज के द्वारा यौन शोषण का भेद खोलने के कारण उसे स्कुल से निकाला गया तथा उसके पिता को भी जो वहां शिक्षक थें नौकरी से निष्कासित कर दिया गया था । बाद में सीबीएसई के हस्तक्षेप के बाद विकास को पुन: क्रेन में लिया गया लेकिन इसके कारण उसका आई आई टी में प्रथम प्रयास में कम रैंकिंग आई , उसे दुसरी बार परीक्षा देनी पडी । प्रथम बार ७६११ रैंकिंग थी , वहीं दुसरी बार १४९८ । विकास ने फ़ादर राज को नई शिक्षिका का फोटो लेते हुये देख लिया था। बच्चे फ़िल्ड में थें और राज बुक रुम में नई नियुक्त शिक्षिका का फ़ोटो अपने मोबाइल कैमरे से ले रहे थें इतेफ़ाक से एक खिडकी खुली रह गई थी । यह घटना तब की थी जब राज वाइस प्रिंसिपल था । विकास ने राज के प्रिंसिपल बनने के बाद अपने दोस्तों से इसका जिक्र किया । उन दोस्तों में क्रेन के एक शिक्षक का पुत्र भी था जो राज के खेमें के थें ,   उक्त शिक्षक ने राज को सारी बात बताई और राज ने विकास को बुलाकर , गलत इल्जाम लगाकर स्कुल से सस्पेंड कर दिया . बाद में यह मामला सीबीएसई के इलाहाबद कार्यालय तक पहुंचा ।
 राज को डांट फ़टकार पडी उसके बाद विकास का दाखिला पुन: हुआ लेकिन सस्पेंड होने के बाद विकास बहुत तनाव में रहा , वह आइ आइ टी की तैयारी अच्छी तरह से नही कर सका और उस साल उसका  रैंक ७६११ आया , उसने दाखिला नही लिया । अगले साल फ़िर तैयारी की , उसका रैंक १४९८ आया वह भी  कोटा या कहीं और जाके पढे बिना ।  (क्रेन में खेमाबंदी बहुत जबर्दस्त है , राज ने पूर्व के फ़ादर जोस को हटाने में इसी खेमेबाजों की मदद ली थी ) । गलत इल्जाम लगाना क्रेन प्रशासन की पुरानी आदत रही है । पहले भी गया के एक प्रशासनिक अधिकारी के उपर गलत आरोप क्रेन प्रशासन ने लगाया था । दो न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ़ भी क्रेन प्रशासन आरोप लगा चुका है और उच्च न्यायालय के पास शिकायत दर्ज करा चुका है । उन अधिकारियों को परेशानी झेलनी पडी । मैं भी भुक्तभोगी हूं , मेरे उपर भी एक मामले में बहस के दरम्यान फ़ादर जोस ने महिला स्कुल कर्मियों के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था । उस घटना के बारे में भी बताता हूं ।
मेरा बेटे ओशो को दो दिन के लिये सस्पेंड किया गया  था क्योंकि हिंदी में उसका मार्क्स कम आया था। अभिभावक को बुलाया गया था । मैं और पत्नी दोनो गयें। हिंदी की शिक्षिका थी कनूप्रिया । मैने स्पष्ट कहा कि हिंदी पढने के लिये हमलोग भी बहुत दबाव नहीं बनाते हैं क्योंकि हिंदी की  कामकाजी जानकारी रखना बहुत है । कनूप्रिया से बातचीत के बाद मैने पुछा कि क्या हम जा सकते हैं और हमारा बेटा कल से स्कुल आयेगा या नहीं , कनुप्रिया ने मुझे फ़ादर से मिलने के लिये कहा । मैने रिसेपशन की एक महिला जो केरल की थी , पुर्जी देते हुये फ़ादर से मिलने की अनुमति मांगी । उक्त महिला ने आकर बताया को फ़ादर मिलना नहीं  मांगता । मैने कहा पुछो कब मिलेंगे , अप्वांयटमेंट  दें। उसने पुन: आकर बताया फ़ादर अप्वांटमेंट  देना नही मांगता ।
मेरे जैसे आदमी के लिये यह बहुत था। मैं रिसेपशन हाल में बैठ गया और कहा जाकर कहो मिस्टर जोस से मैं मिलना मांगता । उसको अब मिलना पडेगा । वहां अभिभावक भी थें। गया के जिलाधिकारी या एस एस पी का बाडीगार्ड उनके बच्चों के लिये भोजन लेकर आया था । वह सब भी रिसेप्शन हाल में थें । क्रेन में सब जगह कैमरे लगे हुये हैं । अभिभावक पुछने लगें क्या बात है , मैने बतया और यह भी कहा कि तुमलोगों के कारण यह फ़ादर बदतमीज की तरह बात करता है, बच्चों के सामने मा - बाप कि अपमानित करता है  । हमारे बच्चे बासी खायें, कलक्टर और एस पी के बच्चे का खाना बाडीगार्ड लेकर आये । यह कहांतक न्यायोचित है । शाम हो गई । शिक्षक आकर कहने लगे सर अब स्कुल बंद होगा । कल आइये । मैने साफ़ कहा एस पी का बच्चा पढता है न पुलिस बुलाओ , मुकदमा करो , मैं  भी करूंगा । वैसे नही जानेवाला । चाहते हो की शरीफ़ की तरह बातचीत हो तो बुलाओ फ़ादर जोस को । अभी कोई अधिकारी आ जायेगा तो बात करेगा या नही  । तकरीबन शाम पाच बजे फ़ादर जोस आयें , उनका हाथ किसी बिमारी के कारण कांपता रहता था । मैने देखा , सोचा गुस्से के कारण ऐसा है , कहीं इसका हार्ट फ़ेल न हो जाये । उसने आते हीं गुस्से में पुछा आप जबरदस्ती मिलना मांगता । मैने कहा , फ़ादर हम आराम से बातचीत कर सकते हैं, आपकी तबीयत खराब लग रही है, आप पहले पानी पी लें। मेरे इतना कहते हीं , उसे लगा शायद मैं उससे डर गया हूं। उसने और गरम होकर बोलना शुरु किया , आप जब चाहेंगें किसी से मिलने के लिये दबाव देंगें । मैने जवाब दिया नही । आपकी शिक्षिका ने कहा , फ़ादर से मिल लें , तब मैने मिलने की बात की । अगर आपको एस डी ओ कहेगा कलक्टर से मिल लें तो आप मिलने चले जायेंगें , मैने कहा जरुर । अगर नही मिलेगा कलक्टर तो आप जबरदस्ती करेंगें  , फ़िर मेरा जवाब था नही,  जबरदस्ती नहीं करुंगा , लेकिन कब कलक्टर मिलेंगें समय तो  बताना पडेगा । मेरी बातों से उसे गुस्सा आ रहा था , उसने अपना अंतिम शस्त्र छोडा , आपने महिला कर्मचारियों के साथ गलत व्यवहार किया है । बस यहीं उससे भुल हो गई । मैने गुस्से में डांटना शुरु किया । तुम फ़ादर है, तुम है फ़ादर लायक ? शर्म नही आती चरित्र हत्या का प्रयास करते हुये । बुलाओ किसके साथ मैने दुर्व्यवहार किया । फ़िर यह अपराधिक मामला है , पुलिस बुलाओ , केस करो । मेरे गुस्से को देखकर वह पिछे हटने लगा , उसे भय लगा शायद मैं मारपीट न करने लगूं , जबकि ऐसी कोई बात नही थी । खैर दुसरे दिन का समय उसने दिया । दुसरे दिन मैं गया । उसके चेंबर में बात होने लगी । उस कनूप्रिया नाम की शिक्षिका को भी बुलाया । कनूप्रिया ने साफ़ इंकार कर दिया कि उसने मुझे फ़ादर से मिलने के लिये कहा था। फ़िर मुझे गुस्सा आ गया , यह झुठी है , और आप कैसे इस तरह की झूठी शिक्षकाओं को रखते हैं। फ़ादर जोस ने उसे बाहर भेज दिया । बातचीत में स्वीकार किया , स्कुल के शिक्षक और शिक्षिकाओं में बहुत सारे गलत हैं । एक उदाहरण दिया , एक शिक्षिका के संबंध में जो आंख के एक बडे डाक्टर की साली थी । डाक्टर साहब के साथ उसके गलत संबंध थें और वह स्कुल तक में उससे मिलने आ जाते थें। दोनो के संबंधों के बारे में स्कुल की शिक्षिकाओं को पता चल गया था । बदनामी हो रही थी , उसे स्कुल से निकालना पडा , यह भी जोस ने स्वीकार किया कि कनूप्रिया ने उसके सामने झूठ बोला है । खैर यह सच है क्रेन स्कुल का ।
फ़ादर राज के आने के बाद क्रेन में खेमाबंदी बढ गई । शहर के कुछ लोगों का ग्रुप बन गया । फ़ादर राज ने ढेर सारी गलत नियुक्तियां सिर्फ़ अपने चाहनेवालों के परिवार के लोगों का किया । हिल व्यूव स्कुल के मदन प्रसाद अक्सर राज के साथ रहते थें , उनका स्वार्थ था क्रेन में बच्चों का दाखिला । उनके नर्सरी स्कुल के बच्चों का दाखिला क्रेन में हो जाये तथा लोग यह जान जायें कि उनका फ़ादर राज से अच्छे संबंध है ताकि उनके स्कुल में बच्चों का दाखिला करायें। इस तरह के लोगों को प्रश्रय देने का काम राज ने किया .
एक बार और फ़ादर राज के समय में मुझसे झडप हुई थी    सीबीएसई के नये नियम को वे लोग नहीं समझ रहे थें और अभिभावक को गलत बता रहे थें। मैने हस्तक्षेप किया तो मुझसे हीं उलझ गया ।बात बहुत आगे बढ गई । उसके चमचे शिक्षिकों ने मुझे बाहर के रुम में बैठाकर समझाने के बहाने छुपी हुई धमकी देना शुरु किया । आपकी बच्ची पढती है , इम्तहान है , नंबर हमलोग हीं देते हैं। मतलब दस तरह की बात । फ़िर शुरु हो गई लडाई । नंबर देने का मतलबा क्या तुम जैसा चाहेगे वैसा नंबर दोगे ? होश में रहते हो या नही । भगवान बनने का प्रयास बंद करो । मामला बढता देखकर पुलिस का एक कर्मचारी जो एस पी कार्यालय में पोस्टेड था , आ गया , मैं माफ़ि मांगता हूं । आप क्यों मांगेंगे , यह और गलत होगा इससे राज का अहंकार और बढेगा । लीगल नोटिस भी मैने दिया था फ़िर उसी दरम्यान राज का तबादला हो गया । मैं भी शांत हो गया । क्रेन स्कुल में पढनेवाले बच्चों के अभिभावक हमेशा क्रेन स्कुल के फ़ादर के आतंक में रहते हैं। लगता है जैसे बच्चों को नहीं पढा रहे हैं , क्रेन स्कुल की गुलामी कर रहे हैं। क्लर्क स्तर के मध्यवर्ग वालों के लिये बेटा पढ कर कमानेवाला पद पा जाये बस यही मायने रखता है । कमानेवाला पद हीं को नाम वाला पद समझते हैं ये लोग अन्यथा अभ्यानंद जैसा आदमी आइ आइ टी की कोचिंग कराने की जगह पर कुछ अच्छा काम करता । लेकिन उन्हें लगता है एक रिक्शा वाले का बेटा अगर आइ आइ टी में चला जायेगा तो क्रांति आ जायेगी । खैर मध्यवर्ग इससे आगे की सोच भी नही सकता ।
क्रेन स्कुल के भवन का निर्माण गलत तरीके से हुआ है । वहां के शिक्षक और शिक्षिकाओं का शोषण भी होता है । नियमों की अवहेलना करके अप्रशिक्षित शिक्षक बहाल किये जाते हैं जिन्हें कम वेतन दिया जाता है । स्कुल के अंदर अगर कोई बात होती है तो उसे दबा दिया जाता है । एक छात्रा ने आत्महत्या भी कर लिया , उसकी अच्छी तरह जांच नही हुई । अगर शुक्रवार को घटित घटना की अच्छी तरह जांच होती तो अन्य अपराध और अनियमितता का पता चलता । शायद एस एस पी जापानी लडकी के साथ हुये बलात्कार कांड की तरह इस मुकदमे का त्वरित निष्पादन चाहते थें ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके । खैर अब तो जो होना था वह हो चुका । आगे से एस एस पी को चाहिय की क्रेन या किसी भी सीबीएसई स्कुल से संबंधित कोई शिकायत मिले, उसकी गहन जांच करायें। अखबारों और गया के पत्रकारों पर विश्वास न करें  , इनका अपना स्वार्थ होता है समाचार छापने में भी और न छापने में भी । मगध विश्वविद्यालय के खिलाफ़ समाचार अखबार नहीं छापतें , मुझसे खुलेआम यह स्वीकार करते हैं सभी अखबारवाले कि विग्यापन का मामला है इसलिये नहीं छापते हैं।

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Comments

  1. ऐसे संस्थानों का हाल ऐसा है ही हर जगह। आतंक और तानाशाही के सहारे चलते है। लेकिन हिन्दी वाली बात से टकराहट है। अच्छा नहीं लगता। वैसे एक सवाल है कि आप भी उसी विद्यालय में क्यों पढा रहे हैं? समाजवाद के पक्षधर के लिए मेरी समझ में यह उचित नही। बाकी कुछ बुरा लगा हो तो माफ करेंगे। बहुत छोटे हैं आपसे, तो उम्मीद है उद्देश्य बुरा नहीं मानेंगे।

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