क्या मीडिया के सवालो कन्नी काट रही है साध्वी



किसी की स्क्रिप्ट ठीक नही है तो कोई है बिवादित

·         मीडिया के सवालो कन्नी काट रही है साध्वी ...

इस के लेखक सौरभ दीक्षित शाहजहांपुर में आइ बी एन 7 से जुडे हैं

स्टोरी की स्क्रिप्ट में कई पेच है जो कहानी को हल्का बना रहे है।चिदर्पिता ने जो स्वामी पर आरोप लगाये उन से सभी सहमत है और जो स्वामी ने अपनी सफाई में कहा है वह भी कुछ हद तक सही प्रतीत होता है पर कुछ सवाल आभी भी ऐसे जिनका जबाव साध्वी और स्वामी दोनो को ही देना है। साध्वी का आरोप है कि असलाहधारी उनको हरिद्वार से मुमुक्षु आश्रम में लेकर आये थे और यहां पर बंधक बनाकर उनके साथ दैहिक शौषण किया गया। सूत्रो की माने तो मुमुक्षु आश्रम में साध्वी के आने के बाद स्वामी से ज्यादा वहां साध्वी का ही डंका बजता था। मुमुक्षु आश्रम शाहजहांपुर में स्वामी से यदि किसी को मिलाना होता था तो साध्वी कि बिना अनुमति के वह स्वामी से मिल भी नही सकता था यह तो ऐक बानगी है हकीत में स्वामी पर साध्वी का एक पत्नी की तरह पूरा कमांड था। स्वामी जी वही करते थे जो साध्वी चाहती थी। अव इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर स्वामी ने साध्वी के साथ कुछ गलत किया है तो इस में साध्वी की पूरी स्वीकृति थी। चूकि साध्वी ने अपने ब्लाग पर कहा था कि वह मन ही मन में स्वामी को अपना पति मानचुकी थी। भारतीय नारी यदि किसी को एक वार मन से पति स्वीकार कर लेती है तो वह उस का साथ जीबन भार निभाती है फिर चाहे पति कितना भी अत्याचारी क्यो न हो पर पत्नी उस का बिरोध कभी भी नही करती है। इसी कारण साध्वी ने अपने पत्नी का फर्ज निभाते हुये दोने की बातो को कभी भी जग जाहिर नही किया था।पर न जाने पत्रकार बंधु ने चिदर्पिता को कौन सी बूटी सुघा दी जिस से वह स्वामी से बगावत करने की हिम्मत जुटा पाई और स्वामी के सामराज्य को चुनौती देने की ठान ली है। जब साध्वी स्वामी को अपना पति मान कर उनकी लंका में पर राज्य करने लगी थी और अपनी इच्छा से स्वामी के साथ शारीरिक शुख भोगा तो फिर अब वही सम्बध दैहिक शौषण कैसे हो सकते है?



साध्वी के दूसरे पति पत्रकार है फिर वह पत्राकारो से दूरी क्यो बढ़ा रही है। साध्वी रिर्पोट दर्ज कराने के लिये जब पुलिस कार्यालय शाहजहंपुर में आई थी तो पत्रकारो ने उनसे उनके द्वारा स्वामी पर लगाये जा रहे आरोपो के वारे में जानने का प्रयास किया तो वह वस इतना कहते हुये चली गई कि मुझे कानून पर भरोसा है। उन्हे क्या पत्रकारो के सवालो का सामना करने में भयलग रहा है? य उन्हे इस बात का डर कि उन की कहानी की पोल खुल जायेगी। सूत्रो की माने तो साध्वी की हिटलरी से मुमुक्षु आश्रम का स्टाफ आजिज आ चुका था। उनके जाने से सभी स्टाफ के चेहरे पर भी चमक लौट आई है।



भगवा धारी के चेहरे से हटा नकाव



  • उनकी ही शिष्या चिदर्पिता ने लगाया बलात्कार का आरोप।
  • बलात्कार के आरोप में हो सकती है स्वामी को जेल?
  • झूठा कौन?कालेज का रिर्काड य साध्वी?

भारत वर्ष मान्यताओं और परमपराओं को मानने वाला देश है यहां लोगो की धर्म के प्रति अस्था देखते ही बनती है। यहा पर धर्म से जुडे मामलो में कुछ लोग अंधविश्वासी भी है जिस का फायदा उठाकर कभी कभी कुछ लोग धर्म की आडमें कुछ ऐसे काम कर डालते है जिस से पूरा समाज अपने आप को शर्मिन्दा महसूस करने लगता है इसी तरह का घिनौना कृत्य किया है एक भगवावस्त्र पहन्ने वाले और सरकार में ग्रहमंत्रालय में ऊचे ओहदे पर रह चुके एक सन्यासी ने जिस से पूरा सन्यासी समाज अपने आप को शर्मिन्दा महसूस कर रहा है।

पूर्व केंदीर्य ग्रह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानन्द समेत दो लोगो के खिलाफ उनकी ही शिष्या साध्वी चिदर्पिता ने बलात्कार एवम हत्या का प्रयास एव इच्छा के विरूद कई वार गर्भपात सहित तमाम धाराओ के तहत शहर कोतबाली थाने में मुकदमा दर्ज कराया है पुलिस मामले की छान बीन कर रही है। भाजपा से बदायू,मछलीशहर और जौनपुर से सांसद रहे व केन्द्र में अटल विहारी की सरकार में केन्द्रीय ग्रह राज्य मंत्री रह चुके स्वामी चिन्मियानन्द के खिलाफ उनकी ही शिष्या चिदर्पिता ने आज पुलिस अधिक्षक शाहजहांपुर को एक तहरीर दी जिस में उन्होने बताया कि

स्वामी चिन्मयानन्द मेरे परिवार में आते-जाते थे। मेरी आध्यात्म के प्रति अटूट आस्था देख स्वामी चिन्मयानन्द सरस्वती ने राजनैतिक व आध्यात्मिक ज्ञान लेने को प्रेरित करने लगे। वर्ष 2001 में स्वामी जी राजनैतिक एवं आध्यात्मिक ज्ञान दिलाने के लिये अपने दिल्ली स्थित सांसद निवास में ले गये इस दौरान उनके साथ कई धार्मिक स्थलों की यात्रा कर ज्ञान पाया। वह वर्ष 2004 तक वह गुरु की ही तरह सिखाते रहे और वह उन्हें संरक्षक मानते हुए शिष्या की ही तरह सीखती रही, जिससे उन पर मेरा विश्वास भाई या पिता से भी अधिक विश्वास हो गया, तभी वर्ष 2004 में मुझे जप-तप और धार्मिक अनुष्ठान कराने के लिये हरिद्वार स्थित परमार्थ आश्रम में ले आये। यहां उन्होंने कुछ ज्ञान बर्धक बातें सिखाई लेकिन अचानक मुझे उनकी नियत में परिवर्तन दिखने लगा, जिससे मैं किसी तरह से निकलकर भागने का मन ही मन युक्ति सोच रही थी कि तभी वह वर्ष 2005 में अपने व्यक्तिगत अंगरक्षकों के बल पर अपनी गाड़ी में कैद कर शाहजहाँपुर स्थित मुमुक्षु आश्रम ले आये और आश्रम के अंदर बने दिव्य धाम के नाम से बुलाए जाने वाले अपने निवास में लाकर बंद कर दिया। साध्वी ने तहरीर में आरोप लगाया है कि यहाँ कई दिनों तक शारीरिक सम्बन्ध बनाने का दबाव बनाया गया, जिसका उन्होंने ने विरोध किया, तो उन्होंने अज्ञात असलाहधारी लोगों की निगरानी में दिव्यधाम में ही कैद कर दिया, पर मैं शारीरिक सम्बन्ध बनाने को किसी भी कीमत पर तैयार नहीं थी, लेकिन अपने रसोईये के साथ साजिश कर खाने में किसी तरह का पदार्थ मिलवा कर उन्होंने मुझे किसी तरह अन्न ग्रहण करा दिया, जिससे मैं शक्तिहीन हो गयी। उसी रात शराब के नशे में धुत्त स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने जबरदस्ती बलात्कार किया, लेकिन उनके दिव्य धाम स्थित निवास में कैद होने के कारण प्रार्थिनी कुछ नहीं कर पायी। बलात्कार करते समय उन्होंने वीडियो फिल्म बना ली थी, जिसे दिखा कर बदनाम करने व परिवार सहित जान से मारने की धमकी भी दी, तभी दहशत के चलते उनके कुकृत्य की किसी से चर्चा तक नहीं कर पाई। साध्वी ने तहरीर में कहा है कि इस बीच मैं दो बार गर्भवती भी हुई। मैं बच्चे को जन्म देना चाहती थी, लेकिन स्वामी चिन्मयानन्द सरस्वती ने मेरी इच्छा यह कहते हुए खारिज कर दी कि उन्हें संत समाज बहिष्कृत कर देगा, जिससे सार्वजनिक तौर पर मृत्यु ही हो जायेगी। ऐसा होने से पहले या तो वह आत्महत्या कर लेंगे या फिर मुझको मार देंगे। इतने पर भी मैं गर्भपात कराने को तैयार नहीं हुई तो उन्होंने अपने ऊँचे राजनैतिक कद का दुरुपयोग करते हुए पहले बरेली के एक अस्पताल में और दूसरी बार लखनऊ के एक अस्पताल में जबरन गर्भपात करा दिया, जिससे दोनों बार मुझे को बेहद शारीरिक और मानसिक कष्ट हुआ और महीनों बिस्तर पर पड़ी रही। उस समय मेरी देखभाल करने वाला कोई नहीं था। स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती मुझको अपने लोगों की निगरानी में छोडकर हरिद्वार स्थित परमार्थ आश्रम में जाकर रहने लगे। मैं कुछ समय बाद स्वस्थ हो गयी और स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के वापस आने पर दोनों बार मैने जबरन कराये गये गर्भपात का जवाब माँगा तो उन्होंने मुझको दोनों बार बुरी तरह लात-घूंसों से मारा-पीटा ही नहीं, बल्कि एक दिन गले में रस्सी का फंदा डालकर जान से मारने का भी प्रयास किया और कनपटी पर रायफल रख कर यह चेतावनी देकर जान बख्शी कि जीवन में पुनः किसी बात को लेकर सवाल-जवाब किया तो लाश का भी पता नहीं चलने देंगे, तो दहशत में मैं मौन हो गयी और डर के कारण उसी गुलामी की जिंदगी को पुनः जीने का प्रयास करने लगी, तो पता चला कि उनके अन्य दर्जनों बालिग, नाबालिग व विवाहित महिलाओं से नाजायज संबंध हैं।

तहरीर में आगे कहा गया है कि मुझको सामान्य देखकर स्वामी चिन्मयानन्द सरस्वती ने मुझे कुछ समय पश्चात मुमुक्षु आश्रम के साथ दैवी सम्पद संस्कृत महाविद्यालय का प्रबंधक व एसएस विधि महाविद्यालय में उपाध्यक्ष बनवा दिया और पुनः मेरा भरपूर दुरुपयोग करने लगे, क्योंकि वह मेरे से एक बार में लगभग सौ-डेढ़ सौ कोरे कागजों पर जबरन हस्ताक्षर करवाते और उनका अपनी इच्छानुसार प्रयोग करते, जिस पर मुझको आशंका है कि उन्होंने हस्ताक्षरों का भी दुरुपयोग किया होगा, लेकिन मैने सभी दायित्वों का निष्ठा से निर्वहन किया। इसके साथ ही स्वयं को व्यस्त रखने व मानसिक संतुलन बनाये रखने के लिये आगे की शिक्षा भी ग्रहण की। मुझको हालात से समझौता करते देख वर्ष 2010 में श्री शंकर मुमुक्षु विद्यापीठ का प्रधानाचार्य भी नियुक्त कर दिया गया। मैं मन से दायित्व का निर्वहन करने लगी थी तो अब उनके असलाहधारी लोगों की निगरानी पहले की तुलना में कम हो गयी और मैं मोबाइल आदि पर इच्छानुसार व्यक्तियों से बात करने लगी। इस बीच मैनेे विवाह कर लिया, जिससे स्वामी चिन्मयानन्द सरस्वती बेहद आक्रोशित हैं, जिसके चलते वह मुझको धमका रहे हैं। स्वामी चिन्मियानन्द शाहजाहंापुर के मुमुक्षु आश्रम के अधिस्ठाता है और भाजपा से पिछले कई वर्षो से निष्काशित चल रहे है बीच में उमा भार्ती जी के साथ चले गये थे।

पुलिस अधीक्षक के आदेश पर थाना कोतबाली में अपराध संख्या 1423/2011 के अन्तर्गत धारा 342,376,506,307,323,313 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। भाजपा सरकार में ग्रह राज्य मंत्री रहे स्वामी चिन्मयानन्द ने अपनी शिष्या द्वारा दर्ज कराई गई रिर्पोट पर अपनी सफाई देते हुये कहा कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अगले वर्ष चुनाव होने है और इस की कमान उमाभारती के हाथो में है मेरी उमाभारती की टीम में होने के कयाश लगाये जा रह है इसी लिये विरोधी आरोप लगा रहे है जिस से भाजपा को नुकशान पहुचाने का प्रयास कर रहे है ।वहीं स्वामी ने साध्वी को अपनी बेटी बताया और कहा कि कोमल की माॅ इसे मेरे पास लेकर आई थि कि स्वामी जी यह काल सेन्टर में काम करती है जोकि ठीक नही है आप इस अपने यहा कही नौकरी पर रख लीजिए। मेने उसे अपने कार्यलयक में कम्पियुटर आपरेटर की नौकरी पर रख लिया। बाद में इसने अपने भाई को अपनी जगह पर लगावा दिया और कोमल ने कहा कि मैं आपके साथ आध्यात्म का ज्ञान लेना चाहती हूॅ मैं उसे अपने हरिद्वार आश्रम में ले आया यह वहा गांगा की आरती करने लगी एक दिन वह मेरे साथ शाहजाहांपुर मुमुक्षु आश्रम में आई तो इसे यहा अच्छा लगा और कालेज में अगे की पढ़ाई करने की इच्छा जताई तो मेने अपने कालेज से ही बीएड,एलएलबी,एमए की शिक्ष दिलाई।कल तक बाबा कहते नही थकती थी आज इतना गंभीर आरोप लगा दिया मै स्तब्ध हू।


झूठा कौन?कालेज का रिर्काड य साध्वी?


साध्वी ने एसएस ला कालेज से 2003 में एलएलबी प्रथम वर्ष में प्रवेश लिया था,2004 में द्वितीय वर्ष किया,2005 में एलएलबी की पढ़ाई पूरी की।साध्वी ने तहरीर में कहा है कि 2005 में स्वामी के बंदूकधारी उनहे हरिद्वार से मुमुक्षु आश्रम शाहजहंापुर में लाये और वर्षो तक बंधक बनाकर रखा गया। पर जब वह 2003 में एसएस कालेज शाहजहंापुर से एलएलबी की संस्थागत छात्रा थी तो उनकी यह बात किसी के भी गले नही उतर रही है मतलब झूठा कौन?? कालेज का रिर्काड य साध्वी?

साध्वी का अचानक मुमुक्षु आश्रम से गायव होना

वर्ष 2001 से स्वामी चिन्मयान्नद सरस्वती के साथ अपनी स्वेछा से रह रही साध्वी चिदर्पिता (कोमल गुप्ता) और स्वामी के बीच पता नही क्या ऐसा हुआ कि सितम्बर 2011 में अचानक साध्वी आश्रम से कहा गायव हो गई किसी को नही पता। कुछ दिनो बाद पता चला कि जनपद बदायॅू के एक पत्रकार के साथ साध्वी विवाह बंधन में बंध चुकी है फेसबुक पर खबर पडते ही शाहजहांपुर में चर्चाओं का बाजार गर्म होने लगा क्यो कि वह अपने साथ ढेर सारे सवाल छोड गई थी आखिर उन्हो ने स्वामी को क्यो छोडा़?अब वह भविषय में क्या एक सफल ग्रहस्थ जीवन व्यतीत करेनगी?मगर इसका जबाव कुछही दिनो वाद मिलगया किवह सत्ता के लालच में ही उनका स्वामी से मोह भंग हुआ था।






टिप्पणी के साथ अपना ई मेल दे जिस पर हम आपको जवाब दे सकें

Comments

Popular posts from this blog

आलोकधन्वा की नज़र में मैं रंडी थी: आलोक धन्वा : एक कामलोलुप जनकवि भाग ३

भूमिहार :: पहचान की तलाश में भटकती हुई एक नस्ल ।

आलोक धन्वा : एक कामलोलुप जनकवि – भाग १