भाजपा के पूर्व गृह राज्यमंत्री पर बलात्कार का आरोप

भाजपा के  पूर्व गृह राज्यमंत्री पर बलात्कार का आरोप
  स्वामी चिन्मयानंद पर रेप, गर्भपात के लिए दबाव डालने, हत्या  के प्रयास का केस

यह मुकदमा साधवी चिदर्पिता ने दायर किया है । साधवी  बहुत दिनों तक चिन्मयानंद की शिष्या रही हैं और जब उन्होनें स्वतंत्र पत्रकार बी पी गौतम जी से विवाह का निर्णय लिया तो चिन्मयानंद को पसंद नहीं आया । साधवी चिदर्पिता ने शादी के बाद अपने ब्लाग पर  अपने लेख के माध्यम से अपनी आपबीती सुनाई। चिन्मयानंद का जिवन भोग विलास युक्त था और किसी भी नजरिये से संत जैसा नही था। बिहार मीडिया ने भी चिदर्पिता की बातों  को प्रकाशिता किया था । ( यहां हम वह लिंक दे रहे हैं ) । अब साधवी चिदर्पिता ने चिन्मयानंद पर बलात्कार का आरोप लगाया है और बताया है कि उनके साथ क्या गुजरा आश्रम में रहने के दौरान ।पूर्व में भी साधवी की बातों से यह अहसास हुआ था कि चिन्मयानंद और चिदर्पिता के बीच सबकुछ ठिकठाक नही है और स्वामी के कर्त्यों का जैसा वर्णन साधवी ने किया था उससे यह अंदाज लगाना कठिन नही था कि साधवी को भी बहुत कुछ झेलना पडा होगा । चिदर्पिता ने विवाह कर लिया था और एक नये जिवन की शुरुआत कर रहीं थीं , इसलिये हमलोगों ने कोई टिका टिप्पणी नही की । परन्तु अब जब साधवी स्वंय सच को लेकर सामने आ गई हैं तो उनके इस कदम की सराहना करनी चाहिये और उनका साथ देना चाहिये। साधवी के पति बी पी गौतम जी सबसे ज्यादा बधाई के पात्र हैं । भारत जैसे पाखंड वाले देश में उन्होने यह हिम्मत की और साधवी के संघर्ष में साथ दे रहे हैं ।   साधवी चिदर्पिता का अपना ब्लाग है ' मेरी जमीं मेरा आसमां
फ़ेसबुक पर भी साधवी चिदर्पिता हैं उसका भी लिंक हम दे रहे हैं ।(  साधवी के  फ़ेसबुक पेज के लिये क्लिक करें )  हालांकि स्वामी चिन्मयानंद ने आरोपों का खंडन  किया है लेकिन ढेर सारे प्रश्न अनुतरित रह जाते हैं। साधवी के भी बयान को पुरी तरह सच नहीं माना जा सकता है लेकिन बलात्कार या शारीरिक संबंध जैसे आरोप कोई लाख -दो लाख के लिये नहीं लगा सकता है , दुसरी बात , साधवी को अगर पैसे की चाह होती तो चिन्मयानंद के साथ हीं रहतीं । सिर्फ़ सेक्स की पूर्ति के लिये शादी की भी जरुरत नही थी। हां कुछ हदतक यह लगता है कि एक मुकाम पर पहुंच कर साधवी ने हालात के साथ समझौता कर लिया था , कारण चाहे जो रहा हो। लेकिन उस समझौते को सहमती का नाम नही दिया जा सकता है । बी पी गौतम या कोई भी व्यक्ति मात्र दो लाख रुपये के लिये अपनी पत्नी से इस तरह का मुकदमा वह भी एक रसूखदार व्यक्ति के खिलाफ़ नहीं करवायेगा ।
( समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार ) लखनऊ. पूर्व केंद्रीय गृह राज्‍य मंत्री स्‍वामी चिन्‍मयानंद पर बलात्‍कार, गर्भपात के लिए दबाव डालने और हत्‍या का प्रयास करने के आरोप में मुकदमा दर्ज हुआ है। उत्‍तर प्रदेश पुलिस ने एक लड़की की शिकायत के आधार पर यह केस दर्ज किया है। लड़की बदायूं में रहती है। इससे पहले वह शाहजहांपुर में स्थित स्‍वामी के आश्रम में कई साल तक रह चुकी है।
अपर महानिदेशक (अपराध) सुबेश कुमार सिंह ने बताया कि केस दर्ज कर आरोपों की जांच की जा रही है। चिन्‍मयानंद ने आरोपों से इनकार किया है और इसे राजनीतिक साजिश बताया है।
सूत्र बताते हैं कि शिकायत करने वाली लड़की दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय की छात्रा रही चुकी है। उसने शाहजहांपुर के पुलिस अधीक्षक को एक विस्‍तृत चिट्ठी लिख कर चिन्‍मनयानंद के खिलाफ शिकायत भेजी थी। इसमें उन पर हमला करने, बलात्‍कार करने और जान से मारने की कोशिश करने का आरोप लगाया गया है।
चिट्ठी मिलने के बाद लड़की को शुरुआती जांच के लिए वरिष्‍ठ अधिकारियों के सामने पेश होने के लिए कहा गया। लड़की बुधवार को खुद अफसरों के सामने आई। इसके बाद केस दर्ज कर लिया गया।
सूत्र बताते हैं कि लड़की का कहना है कि जब वह चिन्‍मयानंद के मुमुख आश्रम में रहती थी, तब उसके साथ बलात्‍कार किया गया था। बाद में वह किसी तरह वहां से भाग गई। उसका यह भी कहना है कि जब उसने पुलिस में शिकायत की बात की तो चिन्‍मयानंद ने उसे कथित तौर पर जान से मारने की कोशिश की।





लखनउ से वरिष्ठ पत्रकार कुमार सौवीर की रिपोर्ट




शाहजहांपुर से एक बड़ी तथा चौंकाने और हतप्रभ करने वाली खबर आ रही है। भाजपा के शासन काल में गृहराज्‍य मंत्री रहे तथा मुमुक्ष आश्रम (परमार्थ आश्रम हरिद्वार के अध्यक्ष) के अधिष्‍ठाता स्‍वामी चिन्‍मयानंद सरस्‍वती के खिलाफ उनकी शिष्‍या साध्‍वी चिदर्पिता ने बलात्‍कार का आरोप लगाया है। पूर्व गृह राज्यमंत्री के विरुद्ध शाहजहांपुर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। मुमुक्षु आश्रम शाहजहांपुर की प्रबंधक साध्वी चिदर्पिता के सनसनीखेज संगीन आरोपों की तहरीर एक सप्‍ताह पहले ही पुलिस को दी थी, जिसकी जांच एसपी सिटी कर रहे थे, बुधवार को साध्‍वी के बयान दर्ज करने के बाद कई धाराओं में रिपोर्ट लिखने की कार्रवाई की गई।
तहरीर में साध्वी चिदर्पिता ने आरोप लगाये हैं कि परिवार में आते-जाते रहने वाले स्वामी चिन्मयानन्द सरस्वती राजनैतिक व आध्यात्मिक ज्ञान लेने को प्रेरित करने का वादा कर वर्ष 2001 में अपने दिल्ली स्थित सांसद निवास में रखने लगे। इस दौरान उनके साथ कई कमेटी दौरे और धार्मिक स्थलों की यात्रा कर ज्ञान और अनुभव भी पाया। वह वर्ष 2004 तक वह गुरु की ही तरह सिखाते रहे और वह उन्हें संरक्षक मानते हुए शिष्या की ही तरह सीखती रही, जिससे उन पर प्रार्थिनी को भाई या पिता से भी अधिक विश्वास हो गया, तभी वर्ष 2004 में प्रार्थिनी को जप-तप और धार्मिक अनुष्ठान कराने के बहाने हरिद्वार स्थित परमार्थ आश्रम में ले आये। यहां उन्होंने कुछ ज्ञान बर्धक बातें सिखाई भीं, लेकिन अचानक प्रार्थिनी को उनकी नियत में परिवर्तन दिखने लगा, जिससे प्रार्थिनी किसी तरह से निकलकर भागने की मन ही मन युक्ति सोच ही रही थी कि तभी वह वर्ष 2005 में अपने व्यक्तिगत अंगरक्षकों के बल पर अपनी गाड़ी में कैद कर शाहजहाँपुर स्थित मुमुक्षु आश्रम ले आये और आश्रम के अंदर बने दिव्य धाम के नाम से बुलाए जाने वाले अपने निवास में लाकर बंद कर दिया।
साध्‍वी ने तहरीर में आरोप लगाया है कि यहाँ कई दिनों तक शारीरिक सम्बन्ध बनाने का दबाव बनाया गया, जिसका उन्‍होंने ने विरोध किया, तो उन्होंने अज्ञात असलाहधारी लोगों की निगरानी में दिव्यधाम में ही कैद कर दिया, पर प्रार्थिनी शारीरिक सम्बन्ध बनाने को किसी भी कीमत पर तैयार नहीं थी, लेकिन अपने रसोईये के साथ साजिश कर खाने में किसी तरह का पदार्थ मिलवा कर उन्होंने प्रार्थिनी को किसी तरह अन्‍न ग्रहण करा दिया, जिससे प्रार्थिनी शक्तिहीन हो गयी। उसी रात शराब के नशे में धुत्त स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती कामयाब हो गये, लेकिन उनके दिव्य धाम स्थित निवास में कैद होने के कारण प्रार्थिनी कुछ नहीं कर पायी। बलात्कार करते समय उन्होंने वीडियो फिल्म बना ली थी, जिसे दिखा कर बदनाम करने व परिवार सहित जान से मारने की धमकी भी दी, तभी दहशत के चलते उनके कुकृत्य की किसी से चर्चा तक नहीं कर पाई।
साध्‍वी ने तहरीर में कहा है कि इस बीच प्रार्थिनी दो बार गर्भवती भी हुई। वह बच्चे को जन्म देना चाहती थी, लेकिन स्वामी चिन्मयानन्द सरस्वती ने प्रार्थिनी की इच्छा यह कहते हुए ख़ारिज कर दी कि उन्हें संत समाज बहिष्कृत कर देगा, जिससे सार्वजनिक तौर पर मृत्यु ही हो जायेगी। ऐसा होने से पहले या तो वह आत्महत्या कर लेंगे या फिर प्रार्थिनी को मार देंगे। इतने पर भी प्रार्थिनी गर्भपात कराने को तैयार नहीं हुई तो उन्होंने अपने ऊँचे राजनैतिक कद का दुरुपयोग करते हुए पहले बरेली स्थित अज्ञात अस्पताल में और दूसरी बार लखनऊ स्थित अज्ञात अस्पताल में जबरन गर्भपात करा दिया, जिससे दोनों बार प्रार्थिनी को बेहद शारीरिक और मानसिक कष्ट हुआ और महीनों बिस्तर पर पड़ी रही। उस समय प्रार्थिनी की देखभाल करने वाला तक कोई नहीं था। स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती प्रार्थिनी को अपने लोगों की निगरानी में छोडक़र हरिद्वार स्थित परमार्थ आश्रम में जाकर रहने लगे। प्रार्थिनी कुछ समय बाद स्वत: ही स्वस्थ हो गयी और स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के वापस आने पर दोनों बार प्रार्थिनी ने जबरन कराये गये गर्भपात का जवाब माँगा तो उन्होंने प्रार्थिनी को दोनों बार बुरी तरह लात-घूंसों से मारा-पीटा ही नहीं, बल्कि एक दिन गले में रस्सी का फंदा डालकर जान से मारने का भी प्रयास किया और कनपटी पर रायफल रख कर यह चेतावनी देकर जान बख्शी कि जीवन में पुन: किसी बात को लेकर सवाल-जवाब किया तो लाश का भी पता नहीं चलने देंगे, तो दहशत में प्रार्थिनी मौन हो गयी और डर के कारण उसी गुलामी की जिंदगी को पुन: जीने का प्रयास करने लगी, तो पता चला कि उनके अन्य दर्जनों बालिग, नाबालिग व विवाहित महिलाओं से नाजायज संबंध हैं।
तहरीर में आगे कहा गया है कि प्रार्थिनी को सामान्य देखकर स्वामी चिन्मयानन्द सरस्वती ने प्रार्थिनी को कुछ समय पश्चात मुमुक्षु आश्रम के साथ दैवी सम्पद संस्कृत महाविद्यालय का प्रबंधक व एसएस विधि महाविद्यालय में उपाध्यक्ष बनवा दिया और पुन: प्रार्थिनी का भरपूर दुरुपयोग करने लगे, क्योंकि वह प्रार्थिनी से एक बार में लगभग सौ-डेढ़ सौ कोरे कागजों पर जबरन हस्ताक्षर करवाते और उनका अपनी इच्छानुसार प्रयोग करते, जिस पर प्रार्थिनी को आशंका है कि उन्होंने हस्ताक्षरों का भी दुरुपयोग किया होगा, लेकिन प्रार्थिनी ने सभी दायित्वों का निष्ठा से निर्वहन किया। इसके साथ ही स्वयं को व्यस्त रखने व मानसिक संतुलन बनाये रखने के लिये प्रार्थिनी ने आगे की शिक्षा भी ग्रहण की। प्रार्थिनी को हालात से समझौता करते देख वर्ष 2010 में श्री शंकर मुमुक्षु विद्यापीठ का प्रधानाचार्य भी नियुक्त कर दिया गया। प्रार्थिनी मन से दायित्व का निर्वहन करने लगी थी तो अब उनके असलाहधारी लोगों की निगरानी पहले की तुलना में कम हो गयी और प्रार्थिनी मोबाइल आदि पर इच्छानुसार व्यक्तियों से बात करने लगी। इस बीच प्रार्थिनी ने विवाह कर लिया, जिससे स्वामी चिन्मयानन्द सरस्वती बेहद आक्रोशित हैं, जिसके चलते वह प्रार्थिनी को धमका रहे हैं और उसका बकाया वेतन भी नहीं दे रहे हैं।
प्रार्थिनी ने जब उनसे मोबाइल पर वेतन देने की बात कही तो काफी दिनों तक वह आश्वासन देते रहे, लेकिन बाद में स्पष्ट मना करते हुए धमकी भी देने लगे कि वह उसकी जिंदगी बर्बाद कर देंगे और पति को सब कुछ बताकर वैवाहिक जीवन तहस-नहस करा देंगे, साथ ही चेतावनी दी कि किसी से उनके बारे में चर्चा तक की तो चाहे तुम धरती के किसी कोने में जाकर छिप जाना, छोडेंगे नहीं। आरोप है कि स्वामी चिन्मयानन्द सरस्वती के पास आपराधिक प्रवृति के लोगों का भी आना-जाना है, जिससे प्रार्थिनी उनकी धमकी से बेहद डरी-सहमी है, क्योंकि वह कभी भी कुछ भी करा सकते है। उक्त तहरीर पर एक सप्ताह पर पूर्व एसपी शाहजहांपुर ने एसपी सिटी को मामले की जांच करने के निर्देश दिये, जिस पर आज साध्वी चिदर्पिता ने बयान दर्ज कराये।
गौरतलब है कि स्‍वामी चिन्‍मयानंद सरस्‍वती जौनपुर लोकसभा से भाजपा के सांसद बने तथा केंद्र में गृहराज्‍य मंत्री बनाए गए। तमाम विवादों में भी रहे। साध्‍वी चिदर्पिता के बिल्‍सी से चुनाव लड़ने चर्चाओं के बीच खबर थी कि चिन्‍मयानंद इनसे काफी खफा हैं तथा राजनीति में न जाने का दबाव बना रहे हैं। इसी बीच साध्‍वी चिदर्पिता से बदायूं के जाने माने पत्रकार बीपी गौतम से विवाह कर लिया, जिसके बाद से गुरु एवं शिष्‍या के संबंध काफी तनावपूर्ण हो गए थे। हालांकि इन आरोपों को लेकर तरह तरह की चर्चाएं हैं। कुछ समय पहले तक साध्‍वी और स्‍वामी के संबंध अच्‍छे बताए जा रहे हैं। इधर, इन आरोपों के बाद राजनीतिक भूचाल आने की भी संभावना बढ़ गई है।
इधर शाम को एसपी रमित शर्मा ने प्रेस वार्ता आयोजित कर बताया कि उन्होंने इस मामले में एफआईआर करने के आदेश जारी कर दिये हैं। सदर कोतवाली में धारा 342, 376, 504, 307, 323 313 तहत के दर्ज कराया जा रहा है, जिसकी विवेचना कोतवाली प्रभारी को ही दी जा रही है। इस दौरान साध्वी चिदर्पिता ने मीडिया को बताया कि उनकी जान को खतरा है, लेकिन उन्हें कानून और पुलिस पर पूरा विश्वास है, साथ ही न्याय न मिलने तक वह कानूनी लड़ाई जारी रखेंगी। सुरक्षा की दृष्टि से एसपी के निर्देश पर इंस्पेक्टर ने उन्हें शाहजहांपुर की सीमा से बाहर पहुंचाया। एसपी ने बताया कि जांच निष्‍पक्षता से की जाएगी।





दो लाख न देने पर दी थी रिपोर्ट लिखवाने की धमकी : स्वामी चिन्मयानंद
पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री व मुमुक्षु आश्रम के मुख्या अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानंद ने कहा है कि उनका सार्वजनिक जीवन संसद से लेकर अद्यात्मिक और सांस्कृतिक क्षेत्र से गुजरा है और उनके लाखो लोग साक्षी है | यूपी व उत्तरांचल में भाजपा में उनकी विशिष्ट भूमिका रहती है | इन दोनों राज्यों में दो माह बाद चुनाव होने वाले है | इसलिए उनके ऊपर जो आरोप लगाये जा रहे है उससे साजिश कि बू आ रही है | उन्होंने कहा कि कोमल गुप्ता ( साध्वी चिदार्पिता ) जब हरिद्वार में मेरे पास अपनी माँ के साथ आयी थी तब वह किसी काल सेंटर में नौकरी करती थी | माँ नहीं चाहती थी कि उनकी बेटी वहां नौकरी करे | कोमल कि माँ के आग्रह पर उसे रख लिया और अपने संसदीय कार्यालय पर काम दिया | स्वामी जी ने कहा कि बंधक बनाने का आरोप इसलिए गलत है कि २००३ से २००९ तक उसने यल यल बी , बी एड , एमएड , कि शिक्षा प्राप्त की आश्रम के मुमुक्षु विद्यापीठ में प्रधानाचार्य बनी | इसके अलावा विभिन्य सामाजिक और सांस्कृत कार्यक्रमों में अकेली जाया करती थी | कहा कि उसपर वह बेटी कि तरह विश्वास करते थे , किन्तु वह कए तथ्य छिपा कर गुमराह भी करती रही | उनकी अनुपस्थिति में कीमती सोने चादी के बरतन व पूजा के पात्र आभूषण आश्रम छोड़ने से पहले एक्सिस बैंक के लाकर में रख दिए उन्होंने कहा कि पैसा न देने पर कोमल कथित पत्रकार पति ने उनपर चरित्र को लेकर एक बेबसाईट पर एक काल्पनिक घृणित कहानी भी लिखी उन्होंने कहा कि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा जब जांच रिपोर्ट सामने आएगी

साधवी के साथ पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर की बातचीत को हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं
साधवी चिदर्पिता अपने पत्रकार पति बी पी गौतम के साथ

कोई औरत इतनी नीच नहीं होगी कुख्‍यात प्रसिद्धि के लिए रेप का आरोप लगाए

साध्‍वी चिदर्पिता एवं बीपी गौतम से बातचीत : साध्वी चिदर्पिता द्वारा भारत सरकार के पूर्व गृह राज्य मंत्री और कथित धार्मिक गुरु स्वामी चिन्मयानन्द के विरुद्ध उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में बलात्कार, बलपूर्वक गर्भपात, गंभीर घरेलू हिंसा आदि के सम्बन्ध में कराया गया एफआईआर एक अत्यंत शौर्य और साहस का काम है. उन्होंने अपने देश में साधुगिरी के नाम किये जा रहे पापकर्मों को सामने लाया है. शायद ऐसे बहुत सारे फर्जी धर्मगुरुओं के अन्य मामले इस देश में हों. प्रस्तुत है इस विषय पर उनसे और उनका मजबूती से साथ दे रहे उनके जुझारू पत्रकार पति बीपी गौतम से इस सम्बन्ध में पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्त्री डॉ. नूतन ठाकुर की एक लंबी वार्ता.

प्र- आप स्वामी चिन्मयानन्द के संपर्क में कैसे आयीं?

उ- मेरी प्रारम्भ से ही आध्यात्मिक और राजनैतिक क्षेत्रों में रूचि थी. स्वामी जी में ये दोनों गुण थे. हमारा परिवार उनके संपर्क में था, मैं भी उनके इन गुणों के प्रति आकर्षित हुई. मुझे उनकी बौद्धिकता अच्छी लगती थी. वो अन्य आडम्बरी संन्यासियों जैसे नहीं लगते थे. मैं जब संपर्क में आई तो कुछ दिनों बाद उन्होंने मुझे कहा कि तुम मुझे बाबा बुलाओ. बाबा का अर्थ होता है पिता या दादा. यह बात सुन कर घर वालों का भी उन पर विश्वास बढ़ गया. वैसे भी मैं इक्कीस साल की हो चुकी थी और स्वामीजी 55-58 साल के रहे होंगे. इसीलिए उनके प्रति किसी प्रकार का कोई अन्य शक करने की गुंजाइश नहीं थी. इस करण घर वाले भी मना नहीं करते थे.

इसी बीच स्वामीजी सांसद का चुनाव हार गए और उन्हें दिल्ली छोड़ने की जरूरत महसूस हुई. उन्होंने फैसला किया कि वे हरिद्वार में रहेंगे. तब मैंने भी संन्यासिनी बनने की इच्छा जाहिर की. इससे पूर्व स्वयं स्वामीजी भी मुझे संन्यासी बनने की सलाह दिया करते थे. उनका कहना था कि अपने लिए तो सभी जीते हैं, तुम्हे एक आध्यात्मिक व्यक्ति और एक राजनैतिक व्यक्ति के रूप में देश और समाज की सेवा करनी होगी. मैं उनकी बात सुन कर उसके प्रभाव में रहती थी. मैंने परिवार को यह बात बताई तो वे लोग शुरू में इसके लिए सहमत नहीं हो रहे थे पर जब स्वामीजी ने समझाया कि ये सुरक्षित रहेगी, सम्मानपूर्वक रहेगी और समाज में मुझसे भी अधिक इसका नामसम्मान होगा तो मेरी इच्छा देखते हुए मेरे परिवार वाले मजबूरन इस हेतु सहमत हो गए.

प्र- इसके आगे की क्या घटना रही?

उ- हरिद्वार जाने पर मैंने देखा कि एक छोटा बच्चा था जिसकी शक्ल-सूरत बिलकुल स्वामीजी की तरह थी. फिर एक दिन उनके ड्रावर में शराब की बोतल दिखी. इस पर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने स्वामीजी से जब इस बारे में पूछा तो उन्होंने यही कहा कि मैं यहाँ अकसर रहता नहीं हूँ, किसी ने रख दी होगी. चूँकि मुझे स्वामीजी पर अटूट आस्था थी इसीलिए उत्तर मिलते ही मैं उन पर विश्वास कर लेती थी और हमेशा उन्हें ही सही मानती थी. धीरे-धीरे ऐसी स्थितियां आती गयीं जब उन पर स्वतः ही विश्वास कम होता गया. एक दिन जबरदस्ती उन्होंने मुझे पकड़ा तो मैं बेतहाशा रोने लगी. उन्होंने कहा कि मैं तो अपनी बच्ची की तरह प्यार कर रहा था, तुमने क्या समझ लिया. इस पर मैं आश्वस्त हो गयी कि शायद पिता का प्यार ऐसा होता हो. वहाँ अन्य लड़कियां भी मेरी उम्र की ही थीं लेकिन स्वामीजी की आँख में उनके प्रति जो भाव देखती उससे मुझे संदेह बढ़ता गया

स्वामीजी मुझे शाहजहांपुर ले आये. वहाँ वह घटना घटी जिसके सम्बन्ध में मैंने अपने एफआईआर में लिखा है. एक बार, दो बार, फिर कई बार मेरे साथ ऐसा ही हुआ. मैं अपनी मर्जी से अपना परिवार छोड़ आई थी, इसीलिए कहाँ जाती? मैं चुप रही. समझ में नहीं आता यह क्या हो रहा है. शुरू से संस्कारी रही थी, मैं उनसे अपने संबंधों को ले कर प्रश्न करती तो वे इसे दीक्षा बताते. वे तो अजीब किस्म की दीक्षा देते. एक दिन अमावस्या की मध्य रात बारह बजे उन्होंने विचित्र वेश-भूषा में अजीब सी तंत्र-पूजा की, जिससे मैं उन्हें इस रूप में देख कर बिलकुल डर गयी. इस तरह वे हमारे संबंधों को अपनी मर्जी के मुताबिक़ कभी शादी कहते तो कभी दीक्षा.

इस सम्बन्ध के काल में मुझे गर्भ ठहर गया. मेरा मन नहीं मान रहा था. मैंने उन्हें पूरी बात बताई. उन्होंने मुझे कहा कि तुम सोच लो पर गर्भपात कराना ही श्रेयस्कर रहेगा. मैं रोती रही और कोई जवाब नहीं दिया. जबरदस्ती मेरा गर्भपात कराया. फिर पूछने पर बहुत ही बेदर्दी से मारा-पीटा. मेरे शरीर पर बैठ गए और मुझे जान से मारने की धमकी दी. मैं चुप हो गयी. इसके बाद मेरा जीवन अजीब सा हो गया. मैं गाड़ी से चलती, आलिशान जीवन जीती पर मैं कत्तई आजाद नहीं थी. हमेशा लगता जैसे पिंजरे में कैद हूँ. जहाँ भी मैं जाती मेरे साथ स्वामीजी के दो चार लोग संग लगे रहते. मेरी जिंदगी गुलाम हो गयी थी.

प्र- गौतम जी से कैसे मुलाकात हुई?

उ- समय के साथ स्वामीजी की मुझमें रूचि कम होती गयी. वे मेरी तरफ बहुत कम ध्यान देने लगे थे. उपरी मन से वे मुझे अकसर कहते कि अब तुम यहाँ से चली जाओ. मैं पूछती कि मैं अब कहाँ जा सकती हूँ तो वे कहते कि जहाँ मन हो वहाँ जाओ. लेकिन चूँकि मेरा कोई दूसरा ठिकाना नहीं था इसीलिए मैं मजबूरन वहीँ बनी रही. स्वामीजी को भी धीरे-धीरे विश्वास हो गया कि मैं अब कहीं नहीं जाउंगी. जब कभी भी मैं उन्हें संन्यास के लिए कहती तो वे कहते मुझसे ही संन्यास लेने की क्या मजबूरी है, किसी से भी संन्यास ले लो. जब मैं उन्हीं के आश्रम में रह रही थी तो मैं भला किसी दूसरे से संन्यास दीक्षा कैसे ले पाती.

उन्होंने जल्दी ही मुझे अपने आश्रम में स्थित स्कूल का प्रिंसिपल बन दिया. इनके दो कारण थे. एक तो मैं प्रतिभाशाली थी जो बात प्रमाणित थी. दूसरे, अन्य लोग भी यह मांग करते कि जब ऐरे-गैरे लोगों को प्राचार्य बनाया जा रहा है तो साध्वीजी दिल्ली विश्वविद्यालय की पढ़ी हैं, वे यह काम क्यों नहीं कर सकतीं. अंत में हार कर उन्होंने मुझे प्राचार्य बना दिया और प्रिंसिपल बनाते समय खुश हो कर यह कहा कि स्कूल का जो होगा सो होगा, यह है कि तुम घर पर ही रहोगी. वैसे भी मैं एक कमरे में रहती और खाने के अलावा मेरा कोई खर्च नहीं था. स्वामीजी मुझे मेरे नाम का मोबाइल नहीं देते, अपने नाम का सिम देते थे. मैं जानती थी कि वे गृह राज्य मंत्री रहे हैं, बहुत ही ताकतवर आदमी हैं, लिहाजा मैं भी कोई और ठिकाना नहीं होने के नाते घुट-घुट कर वहीँ आश्रम में पड़ी रहती.

प्राचार्य के रूप में कुछ स्वतंत्रता हुई. मुझसे मिलने कई बच्चों के माँ-बाप आने लगे जिसके कारण हर समय मुझ पर निगाह रखना उनके लिए उतना संभव नहीं रह गया था. इसी बीच मैंने फेसबुक पर घरेलू हिंसा विषयक कुछ पोस्ट डाले थे. सब लोग उतने संवेदनशील नहीं होते पर मुझे सौभाग्य से गौतमजी जैसे आदमी से संपर्क हुआ. मैंने लिखा कि वे दिन लद गए जब मैना पिंजरे में रोती थी. साथ ही यह भी लिखा- सारा जहाँ पिंजरे में कैद नहीं.गौतमजी को कुछ-कुछ समझ आने लगा था. उन्होंने एक स्टोरी डाली जो एक परी के एक राक्षस के कैद में रहने से सम्बंधित थी. उन्हें समझ में आ गया था. उन्होंने किसी तरह नंबर ले कर मुझसे बात की. मैं समझ नहीं पा रही थी कि क्या मामला था. यह भी कि मुझे उन पर विश्वास करना चाहिए या नहीं. धीरे-धीरे जब मेरा उन पर विश्वास बढ़ गया तो मैंने अपने बारे में सारी बात उन्हें बताई. मेरी कहानी सुनने के बाद उन्होंने तुरंत शादी की बात रखी. गौतम जी ईमानदार व्यक्ति थे, मानसिक और शारीरिक तौर पर स्वतंत्र. वे जब कुछ करते हैं तो अपनी मर्जी से करते हैं. गौतमजी के पत्रकार होने के नाते उनके भी तमाम संपर्क हैं यह बात स्वामीजी भी जानते हैं. आज पत्रकारों के पास जितनी ताकत है उतनी किसी के पास नहीं, मेरा सौभाग्य है कि मैंने जिसे चुना वह मानसिक एवं शारीरिक रूप से शक्तिशाली निकला. मैं शांति से अपनी नयी जिंदगी जीना चाहती थी पर इस बीच भी स्वामीजी भी मुझे अपनी बीती बात बताने को धमकाते रहे. चूँकि हमारा नया रिश्ता ईमानदारी पर आधारित था इसीलिए स्वामीजी ज्यादा कुछ नहीं कर सके.

प्र- पुलिस की इस पूरे प्रकरण में कैसी भूमिका रही?

उ- पुलिस का एटीट्यूड बहुत ही अच्छा था. मैंने अपनी शिकायत डाली और एसपी (सिटी) के पास मुझे बुलाया गया. मैं अपनी बात बोलती रही और एसपी (सिटी) उसे लिखते रहे. एसपी रमित शर्मा ने भी बहुत ही अच्छा व्यवहार किया. मुझे सभी लोगों ने कहा था कि पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं करेगी कोर्ट से ही करानी पड़ेगी. लेकिन मुझे बहुत ही सुखद आश्चर्य हुआ कि शाहजहांपुर पुलिस और वहाँ के एसपी रमित शर्मा ने लगातार बहुत ही ज्यादा को-ओपरेट किया.

प्र- इस मामले में आप पर देरी करने, राजनैतिक महत्वाकांक्षा से ग्रसित होने जैसे गंभीर आरोप भी लगे हैं. आपका इन पर क्या कहना है?

उ- देरी का कारण तो मैंने ऊपर विस्तार से बताया है. पॉलिटिकल एम्बिशन कैसे पूरा हो रहा है ये तो स्वामीजी ही बेहतर बता पायेंगे. मुझे तो समझ में नहीं आ रहा. मैं एफआईआर के बाद इतनी मानसिक उलझन में हूँ. समझ नहीं पा रही ऐसे में क्षेत्र में जा कर चुनाव प्रचार भी कैसे कर पाउंगी. यदि इस पूरे प्रकरण में किसी का भी नुकसान हुआ है, वह मेरा ही हुआ है.

इसी सन्दर्भ में चिदर्पिता के पति पत्रकार बी पी गौतम से विलम्ब के कारण और राजनैतिक महत्वाकांक्षा के विषय में पूछा. उत्तर मिला-

उ- एक व्यक्ति लगातार इनका शोषण कर रहा था, शोषण इसीलिए कर रहा था कि उसे लगता था कि यह कहाँ जायेगी, इसके पास आखिर दूसरा कौन सा ठिकाना है. इस शोषण के बाद भी वह शेष दुनिया से संरक्षित थी और इसी कारण यह सब चुपचाप सह रही थी. लोग कह रहे हैं कि इतने सालों बाद क्यों आई? पहले किसी माध्यम से क्यों नहीं कहा? ई-मेल, फेसबुक, किसी सार्वजनिक मंच कहीं कह सकती थीं. यह सही है कि वह पहले बोल सकती थी पर मूल प्रश्न यह था कि यदि वह बोल देती तो जाती कहाँ. अब जब उसे ठिकाना मिल गया, एक मजबूत संबल मिल गया है तो वह बोल रही है, इस सम्बन्ध में एफआईआर तक कराया है.

इसी तरह लोग कहते हैं कि शादी के दो-ढाई महीने बाद क्यों एफआईआर कराई? अरे, एक व्यक्ति ने नया जीवन शुरू किया, तो महीने दो-महीने तो उसे नया जीवन जीने दोगे. सजा दिलाने, जेल पहुँचाने. कानूनी कार्रवाई करने की मंशा तो शुरू से थी पर शादी के बाद कुछ समय तो स्वाभाविक रूप से लगता. जहाँ तक पोलिटिकल एम्बिशन की बात है, मैं नहीं समझता कि कोई औरत इतनी नीच होगी कि कुख्यात प्रसिद्धि के लिए ऐसा करे. वह कुछ भी और करेगी पर अपने चरित्र का हनन तो नहीं कराएगी. यह तो कल्पना के परे है. लगातार कई सालों तक चिन्मयानन्द ने उनका शोषण किया पर जब भी वे शादी की बात करतीं तो वे कहने लगते कि संत-समाज यह सब स्वीकार नहीं करेगा. कहते कि सरस्वती संप्रदाय में संत विवाह नहीं कर सकता. यह ठीक है, व्यभिचार कर सकता है, बच्चे पैदा कर सकता है पर शादी नहीं कर सकता. लाल कपडे़ पहन कर ये लोग पूरे देश को लूट रहे हैं. लाल कपडे़ उतारने का मतलब इनकी जान चली जाना होता. लेकिन अब हम लोग भी इस संघर्ष को इसकी मंजिल तक पहुंचा कर ही दम लेंगे.






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