एफ़ डी आई : असली शोषक विदेशी निवेश के पक्ष में
रिटेल क्षेत्र में विदेशी पूजी निवेश पर हो रहे विरोध से खफ़ा भारत के खरबपति
भारत में मात्र आठ हजार लोगों के पास देश की कुल संपति का सतर प्रतिशत है और यही लोग इस देश की गरीबी , बेरोजगारी , महंगाइ के दोषी है । लोकसभा मे कायम गतिरोध से इन्हें गुस्सा आ रहा है और अब यह सामने आ गये हैं । इन खरबपतियों ने देश की आम जनता से आह्वान किया है कि वह रिटेल विदेशी निवेश के पक्ष मे आगे आये । सबसे पहले इन महानुभावों का परिचय और शोषण के बारे में बता हूं । एक प्रायवेट बैंक है एच एफ़ डी सी उसका चेयरमैन दीपक पारिख और और हिंदुस्तान लीवर की मालिक कंपनी यूनीलीवर का पूर्व अध्यक्ष अशोक गांगुली सबसे आगे हैं । एच डी एफ़ सी बैंक में इस देश की नब्बे प्रतिशत जनता प्रवेश करने की हिम्मत नही कर सकती है । आपके खाते में अगर पाच हजार रुपया से कम है तो यह बैंक १५०० रुपया कट लेगा कम राशी रखने के आरोप में इसके क्रेडीट कार्ड की जांच करने पर पता चलेगा कि बिना कार्ड धारक को बताये उसमें से पैसा चार्ज कर लिया जाता है और यह बात बैंक के उच्च अधिकारी यानी मैनेजर ने मुझे बताया है । उक्त मैनेजर का कहना है कि अगर आज सीबीआई जांच हो तो यह पारिख जेल में होगा । अब इस्के कर्मचारियों के शोषण की बात बताता हूं कहने के लिये आठ घंटे की नौकरी लेकिन बारह घंटे खटना पडता है । सामाजिक दायित्व से इन्हें कोई मतलब नही होता है । बकाया की वसुली गुंडो से करवाते हैं पिछले वर्ष एक कर्जदाता ने आइ सी आइ सी आइ बैंक के गुंडो से तंग आकर आत्म हत्या कर ली थी । ये अपराधी हैं देश की आर्थिक बदहाली के और उल्टा यही जनता को जिसका शोषण यह करते रहे हैं , उसे भडका रहे हैं कि जनता इनके पक्ष में सड्कों पर उतरे। यह समझ में नही आता कि नक्सली जो दस बिघा जमीन वालों को अपना दुश्मन मानते हैं , इन्हें क्यों नहीं कुछ करते हैं। देश को बचाना है तो न सिर्फ़ विदेशी पूंजी निवेश का विरोध करें बल्कि देश के असली शोषक देश के अंदर के इन खरबपतियों के खिलाफ़ भी सडको पर उतरें ।
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