कपिल सिब्बल ने सोशल मीडिया पर सेंसरशिप लगाने का प्रस्ताव रखा
कपील सिब्बल ने सोशल मीडिया पर सेंसरशिप लगाने का प्रस्ताव रखा
फ़ेसबुक सेसंरशिप के लिये तैयार
ट्विटर, यूटयूब और गूगल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष में
सरकार ने सोशल नेटवर्किंग साइटस पर अंकुश लगाने की तैयारी कर ली है । दुर्भाग्य यह है कि यह सबकुछ उस व्यक्ति के द्वारा किया जा रहा है जो एक पढा लिखा व्यक्ति है । कपिल सिब्बल को लगता है कि इस तरह का सेंसरशिप लगाकर वह लोगों को अपनी भवनायें अभिव्यक्त करने से रोक देंगें। अभी किसी भी साइटस पर जाने के लिये नेट की जरुरत है जिसकी सुविधा सर्विस प्रोवाइडर उपलब्ध कराते हैं । लेकिन अब इसके आगे भी नेट का जाल फ़ैल चुका है । आने वाले समय में किसी प्रकार के सर्विस प्रोवाइडर की जरुरत नही होगी । अभी भी साफ़्टवेयर उपलब्ध है लेकिन महंगे हैं। यानी बिना किसी भी कंपनी से नेट कनेक्न्शन लिये आप नेट का उपयोग कर सकते हैं।
दुसरी बात नेट का जाल बहुत व्यापक है । गूगल या फ़ेसबुक भारत में व्यावसाय कर रहे हैं तो सरकार हडका रही है । अगर भारत के बाहर की कंपनियों की साइट्स पर आपतिजनक सामग्री उपलब्ध होगी तो आप क्या करेंगें।
कपिल सिब्बल को यह नहीं मालूम है या शायद मालूम भी होगा , लेकिन स्वीकार नहीं करना चहते हैं । लाखों की संख्या में पोर्न फ़िल्मों की वेब साइट्स है , उनमें हिंदुस्तान की भी वेब साइट्स है , कानूनन यह अपराध है माननीय मंत्री महोदय लेकिन आपकी सरकार सक्षम नहीं है उन्हें रोकने में।
नेट के माध्यम से कालगर्ल का धंधा चलता है । बकायदा वेब साइट्स पर नाम फ़ोटो और फ़ोन न० तक रहता है , कोई भी आदमी संपर्क कर सकता है । नेट की दुनिया के सामने विश्व की सीमा खत्म हो चुकी है । आप इस तरह की बचकानी बात कहकर हंसी के पात्र बन रहे हैं ।
नेट पर नियंत्रण संभव नही है ।
माननीय कपिल सिब्बल जी आपको अगर किसी कालगर्ल या पोर्न साइट्स का विवरण चाहिये तो कहें मैं भेज दुंगा । अभीतक आपके बारे में मेरी अवधारणा थि कि आप एक पढे लिखे व्यक्ति है तथा तकनीक के क्षेत्र में हो रही नइ नई खोज की जानकारी रखते होंगे लेकिन आप तो तकनीक के जाहिल लगते हैं।
सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों पर सिब्बल हुए सख्त
केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल ने मंगलवार को कहा कि सरकार सोशल नेटवर्किंग साइट को 'आपत्तिजनक' सामग्री प्रकाशित करने की अनुमति नहीं देगी। सरकार उनकी पहचान कर उन्हें हटाने के लिए कदम उठाएगी।
सिब्बल का यह बयान फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब और माइक्रोसॉफ्ट के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के एक दिन बाद आया है, जिसमें उन्होंने अपमानजनक सामग्रियां हटाने से इनकार कर दिया था।
सिब्बल ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि इन पर पोस्ट की जाने वाली कुछ सामग्रियों से देश में एक बड़े समुदाय की भावना आहत हो सकती है। उन्होंने कहा, "साइट पर पोस्ट की जाने वाली सामग्रियों से बहुत से समुदायों की धार्मिक भावना और गणमान्य लोगों के सम्मान को ठेस पहुंच रही है।"
सिब्बल ने कहा कि फेसबुक, ट्विटर तथा ऑरकुट के अधिकारियों से उन्होंने पहली बार पांच सितम्बर को मुलाकात कर साइट पर इसके इस्तेमालकर्ताओं द्वारा आपत्तिजनक सामग्री डाले जाने को लेकर सरकार की चिंताओं से अवगत कराया था।
सोशल नेटवर्किंग साइट के अधिकारियों को वह तस्वीर दिखाई गई, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को गलत ढंग से दिखाया गया है, जबकि कुछ अन्य तस्वीरों से धार्मिक भावना आहत होती है।
सिब्बल ने कहा, "किसी भी सार्वजनिक व्यक्ति की व्यंग्यात्मक तस्वीर का कोई बुरा नहीं मानता, लेकिन यदि आप मुझे एक निश्चित रूप में दिखाएंगे तो यह स्वीकार नहीं है। अन्य लोगों की भी रक्षा की जानी चाहिए।" उन्होंने कहा कि ये कम्पनियां आतंकवादी गतिविधियां साझा करने के लिए भी तैयार नहीं हैं। सिब्बल के अनुसार, "उन्हें हमें आंकड़े देने होंगे। इसके बाद हम कदम उठाएंगे। हम उनसे सूचना देने के लिए कहेंगे। इससे निपटने के लिए हमें समय दें। लेकिन एक चीज साफ है कि हम इस तरह की सामग्रियों की अनुमति नहीं देंगे।"
सिब्बल ने हालांकि यह नहीं कहा कि सरकार इस दिशा में क्या कदम उठा सकती है। केंद्रीय संचार विभाग के सचिव आर. चंद्रशेखर ने भी 19 अक्टूबर को इन कम्पनियों के अधिकारियों के साथ बैठक की थी और यह निर्णय लिया गया था कि इस तरह की सामग्रियों को लेकर आचार संहिता बनाई जाएगी। लेकिन वे मौखिक रूप से कई धाराओं पर सहमत हुए, पर लिखित जवाब में उन्होंने किसी भी धारा से सहमति नहीं जताई।
कई बैठकों के बाद भी इन कम्पनियों ने समस्या का समाधन मुहैया नहीं कराया और न ही ये सामग्रियां हटाईं, बल्कि कहती रहीं कि वे तभी कोई कदम उठाएंगी जब मंत्रालय अदालत का आदेश लेकर आए।
सिब्बल ने कहा कि वह इस मुद्दे को मीडिया में नहीं लाना चाहते थे, लेकिन 'न्यूयार्क टाइम्स' में ऐसी साइट पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश सम्बंधी रिपोर्ट के छपने के बाद इसे प्रकाश में लाना पड़ा। उन्होंने इस रिपोर्ट को सच्चाई से दूर बताया।
सिब्बल का यह बयान फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब और माइक्रोसॉफ्ट के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के एक दिन बाद आया है, जिसमें उन्होंने अपमानजनक सामग्रियां हटाने से इनकार कर दिया था।
सिब्बल ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि इन पर पोस्ट की जाने वाली कुछ सामग्रियों से देश में एक बड़े समुदाय की भावना आहत हो सकती है। उन्होंने कहा, "साइट पर पोस्ट की जाने वाली सामग्रियों से बहुत से समुदायों की धार्मिक भावना और गणमान्य लोगों के सम्मान को ठेस पहुंच रही है।"
सिब्बल ने कहा कि फेसबुक, ट्विटर तथा ऑरकुट के अधिकारियों से उन्होंने पहली बार पांच सितम्बर को मुलाकात कर साइट पर इसके इस्तेमालकर्ताओं द्वारा आपत्तिजनक सामग्री डाले जाने को लेकर सरकार की चिंताओं से अवगत कराया था।
सोशल नेटवर्किंग साइट के अधिकारियों को वह तस्वीर दिखाई गई, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को गलत ढंग से दिखाया गया है, जबकि कुछ अन्य तस्वीरों से धार्मिक भावना आहत होती है।
सिब्बल ने कहा, "किसी भी सार्वजनिक व्यक्ति की व्यंग्यात्मक तस्वीर का कोई बुरा नहीं मानता, लेकिन यदि आप मुझे एक निश्चित रूप में दिखाएंगे तो यह स्वीकार नहीं है। अन्य लोगों की भी रक्षा की जानी चाहिए।" उन्होंने कहा कि ये कम्पनियां आतंकवादी गतिविधियां साझा करने के लिए भी तैयार नहीं हैं। सिब्बल के अनुसार, "उन्हें हमें आंकड़े देने होंगे। इसके बाद हम कदम उठाएंगे। हम उनसे सूचना देने के लिए कहेंगे। इससे निपटने के लिए हमें समय दें। लेकिन एक चीज साफ है कि हम इस तरह की सामग्रियों की अनुमति नहीं देंगे।"
सिब्बल ने हालांकि यह नहीं कहा कि सरकार इस दिशा में क्या कदम उठा सकती है। केंद्रीय संचार विभाग के सचिव आर. चंद्रशेखर ने भी 19 अक्टूबर को इन कम्पनियों के अधिकारियों के साथ बैठक की थी और यह निर्णय लिया गया था कि इस तरह की सामग्रियों को लेकर आचार संहिता बनाई जाएगी। लेकिन वे मौखिक रूप से कई धाराओं पर सहमत हुए, पर लिखित जवाब में उन्होंने किसी भी धारा से सहमति नहीं जताई।
कई बैठकों के बाद भी इन कम्पनियों ने समस्या का समाधन मुहैया नहीं कराया और न ही ये सामग्रियां हटाईं, बल्कि कहती रहीं कि वे तभी कोई कदम उठाएंगी जब मंत्रालय अदालत का आदेश लेकर आए।
सिब्बल ने कहा कि वह इस मुद्दे को मीडिया में नहीं लाना चाहते थे, लेकिन 'न्यूयार्क टाइम्स' में ऐसी साइट पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश सम्बंधी रिपोर्ट के छपने के बाद इसे प्रकाश में लाना पड़ा। उन्होंने इस रिपोर्ट को सच्चाई से दूर बताया।
सोशल साइट्स, खास कर फेसबुक और गूगल पर कंटेंट को लेकर सरकार की आपत्ति की खबरों के बीच दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने सफाई दी है। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री या कांग्रेस अध्यक्ष का नाम नहीं लिया गया था, बल्कि सोशल साइट्स पर देवी-देवताओं के अपमान का मसला उठाया गया था। सरकार इन साइट्स पर लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणियों से नाराज है।
इसी बीच इंटरनेट पर विवादित सामग्री पर रोक के सरकार के आग्रह पर प्रतिक्रिया देते हुए गूगल ने कहा है कि उसकी अपनी कंटेट पॉलिसी है जिसके तहत कोई भी गैर-कानूनी सामग्री वेबसाइट पर नहीं प्रकाशित की जाती है। यदि कोई सामग्री के खिलाफ शिकायत करता है तो उसे रिव्यू करके हटा दिया जाता है। लेकिन कंटेट सिर्फ विवादित होने पर ही नहीं हटाया जाता है। वैध सामग्री को गूगल नहीं हटाता है। गूगल के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि सिर्फ विवादित होना किसी सामग्री को हटाने को कारण नहीं हो सकता क्योंकि गूगल लोगों के विचारों में असमातना का सम्मान करता है। ट्विटर ने भी प्रतिक्रया देते हुए कहा है कि वो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में विश्वास रखती है और किसी भी प्रकार के कंटेट को मॉनिटर नहीं करेगी।
इसी बीच इंटरनेट पर विवादित सामग्री पर रोक के सरकार के आग्रह पर प्रतिक्रिया देते हुए गूगल ने कहा है कि उसकी अपनी कंटेट पॉलिसी है जिसके तहत कोई भी गैर-कानूनी सामग्री वेबसाइट पर नहीं प्रकाशित की जाती है। यदि कोई सामग्री के खिलाफ शिकायत करता है तो उसे रिव्यू करके हटा दिया जाता है। लेकिन कंटेट सिर्फ विवादित होने पर ही नहीं हटाया जाता है। वैध सामग्री को गूगल नहीं हटाता है। गूगल के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि सिर्फ विवादित होना किसी सामग्री को हटाने को कारण नहीं हो सकता क्योंकि गूगल लोगों के विचारों में असमातना का सम्मान करता है। ट्विटर ने भी प्रतिक्रया देते हुए कहा है कि वो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में विश्वास रखती है और किसी भी प्रकार के कंटेट को मॉनिटर नहीं करेगी।
वहीं फेसबुक ने बयान जारी करके कहा है कि भारी मात्रा में विवादित सामग्री वेबसाइट पर प्रसारित होती है। जैसे ही ऐसी सामग्री नजर में आती है उसे हटा दिया जाता है। हम सरकार की चिंता को समझते हैं, समय-समय पर हमारे अधिकारी सरकार से मिलते रहेंगे।
सिब्बल ने मंगलवार को नई दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि करीब तीन महीने पहले सोशल साइट्स पर ऐसी तस्वीरें छपी जो हिंदुस्तान के किसी भी व्यक्ति को अपमानित करती हैं। ये लोगों की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ है। सरकार ने गूगल, याहू, माइक्रोसॉफ्ट और फेसबुक के प्रतिनिधियों से इस समस्या के हल के लिए रास्ता निकालने को कहा। इन कंपनियों को 3 अक्टूबर को पहली बार चिट्ठी लिखी गई। 19 अक्टूबर को रिमाइंडर भेजा गया लेकिन कोई जवाब नहीं आने पर 4 नवंबर को संचार सचिव ने इन प्रतिनिधियों की मीटिंग बुलाई और फैसला किया गया कि आपत्तिजनक कंटेंट के मामले में आचार संहिता के लिए फ्रेमवर्क तैयार किया जाएगा।
संचार मंत्री ने कहा, ‘इन साइट्स के प्रतिनिधि हमारी कुछ मांगों पर मौखिक तौर पर राजी भी हुए। फिर सरकार ने 29 नवंबर को सुझाव मांगने के लिए मीटिंग बुलाई लेकिन वो नहीं आए। फिर पांच दिसंबर को इन कंपनियों ने लिखित तौर पर साफ कर दिया कि वो हमारी बात नहीं मानेंगे।’ सिब्बल ने कहा, ‘मैंने इस कंपनियों से कहा कि वो कोई ऐसा उपाय सुझाएं जिससे ऐसे कंटेंट की जानकारी मिलते ही उन्हें तुरंत हटाया जा सके। देश की संस्कृति का सम्मान करना चाहिए। लोगों की भावनाओं की कद्र करनी चाहिए। हम इस तरह का अपमान नहीं होने देंगे।’
कपिल सिब्बल ने प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद पत्रकारों को अलग से वो 'आपत्तिजनक तस्वीरें' भी दिखाईं जिन पर ऐतराज जताते हुए उन्होंने ऐसी सामग्री अपलोड होने से रोकने का तरीका निकालने की बात कही है। उन्होंने कहा कि ऐसी तस्वीरों का प्रसारण करने की इजाजत न तो टीवी, प्रिंट या ऑनलाइन मीडिया में है। उन्होंने कहा, ‘सरकार सेंसरशिप में यकीन नहीं रखती है और सोशल मीडिया की आजादी में कोई दखल नहीं दिया जाएगा। लेकिन मेरा मानना है कि देश के लोगों की भावनाओं की कद्र करने वाला कोई भी व्यक्ति ऐसे कंटेट को ‘पब्लिक डोमेन’ में देखना नहीं चाहेगा।’
सिब्बल ने कहा कि सरकार सोशल मीडिया पर पोस्ट किए जाने वाले कंटेंट पर निगरानी रखने के लिए 'गाइडलाइन' पर काम करेगी। उन्होंने कहा 'ऐसी व्यवस्था हो कि आपत्तिनजक कंटेंट को ऑनलाइन मीडिया में डालने से रोका जा सके। यदि कोई इस तरह की आपत्तिजनक सामग्री हटाना नहीं चाहता तो सरकार को इस बारे में कुछ करना होगा।’ हालांकि सिब्बल ने मीडिया में आ रही इन खबरों का भी खंडन किया कि सरकार अन्ना हजारे के आंदोलन से डरकर सोशल मीडिया पर अंकुश लगाने की तैयारी में है।
सिब्बल के बयान पर फेसबुक ने प्रतिक्रिया जाहिर की है। फेसबुक का कहना है कि वो ऐसे कंटेंट अपनी साइट से हटा देगा जो कंपनी के शर्तों के खिलाफ हैं। कंपनी का कहना है कि वह भारत सरकार की ओर से सोशल मीडिया पर पोस्ट किए जाने वाले कंटेंट की निगरानी करने के प्रस्ताव में दिलचस्पी रखती है।
सिब्बल के बयान पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए भाजपा नेता तरुण विजय ने कहा कि असल मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने की सरकार की यह एक और कोशिश है। कपिल सिब्बल को इसमें महारत हासिल है।
कांग्रेस सांसद शशि थरुर ने कहा, ‘मैं समझ सकता हूं कि फेसबुक उन आपत्तिजनक कंटेंट को हटाने की प्रक्रिया में है जो कपिल सिब्बल ने दिखाए थे। लेकिन दुख की बात यह है कि लोगों ने ऐसे कंटेंट पर आपत्ति नहीं जताई है।’
जम्मू कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा है, ‘मैं सेंसरशिप के बिल्कुल खिलाफ हूं लेकिन मैंने खुद देखा है कि फेसबुक और यू ट्यूब पर कितने खतरनाक और आपत्तिजनक कंटेट डाले जाते हैं।’
अमेरिकी अखबार 'न्यूयॉर्क टाइम्स' के मुताबिक कपिल सिब्बल ने गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, फेसबुक और याहू के अधिकारियों की एक बैठक बुला कर कहा था कि धर्म से जुड़े लोगों, प्रतीकों के अलावा भारत के प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष जैसी राजनीतिक हस्तियों के खिलाफ अपमानजनक सामग्री की निगरानी करें। सिब्बल ने यह भी कहा कि निगरानी के लिए सिर्फ तकनीक पर निर्भर न रहें बल्कि इसके लिए लोगों को लगाएं
सिब्बल ने मंगलवार को नई दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि करीब तीन महीने पहले सोशल साइट्स पर ऐसी तस्वीरें छपी जो हिंदुस्तान के किसी भी व्यक्ति को अपमानित करती हैं। ये लोगों की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ है। सरकार ने गूगल, याहू, माइक्रोसॉफ्ट और फेसबुक के प्रतिनिधियों से इस समस्या के हल के लिए रास्ता निकालने को कहा। इन कंपनियों को 3 अक्टूबर को पहली बार चिट्ठी लिखी गई। 19 अक्टूबर को रिमाइंडर भेजा गया लेकिन कोई जवाब नहीं आने पर 4 नवंबर को संचार सचिव ने इन प्रतिनिधियों की मीटिंग बुलाई और फैसला किया गया कि आपत्तिजनक कंटेंट के मामले में आचार संहिता के लिए फ्रेमवर्क तैयार किया जाएगा।
संचार मंत्री ने कहा, ‘इन साइट्स के प्रतिनिधि हमारी कुछ मांगों पर मौखिक तौर पर राजी भी हुए। फिर सरकार ने 29 नवंबर को सुझाव मांगने के लिए मीटिंग बुलाई लेकिन वो नहीं आए। फिर पांच दिसंबर को इन कंपनियों ने लिखित तौर पर साफ कर दिया कि वो हमारी बात नहीं मानेंगे।’ सिब्बल ने कहा, ‘मैंने इस कंपनियों से कहा कि वो कोई ऐसा उपाय सुझाएं जिससे ऐसे कंटेंट की जानकारी मिलते ही उन्हें तुरंत हटाया जा सके। देश की संस्कृति का सम्मान करना चाहिए। लोगों की भावनाओं की कद्र करनी चाहिए। हम इस तरह का अपमान नहीं होने देंगे।’
कपिल सिब्बल ने प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद पत्रकारों को अलग से वो 'आपत्तिजनक तस्वीरें' भी दिखाईं जिन पर ऐतराज जताते हुए उन्होंने ऐसी सामग्री अपलोड होने से रोकने का तरीका निकालने की बात कही है। उन्होंने कहा कि ऐसी तस्वीरों का प्रसारण करने की इजाजत न तो टीवी, प्रिंट या ऑनलाइन मीडिया में है। उन्होंने कहा, ‘सरकार सेंसरशिप में यकीन नहीं रखती है और सोशल मीडिया की आजादी में कोई दखल नहीं दिया जाएगा। लेकिन मेरा मानना है कि देश के लोगों की भावनाओं की कद्र करने वाला कोई भी व्यक्ति ऐसे कंटेट को ‘पब्लिक डोमेन’ में देखना नहीं चाहेगा।’
सिब्बल ने कहा कि सरकार सोशल मीडिया पर पोस्ट किए जाने वाले कंटेंट पर निगरानी रखने के लिए 'गाइडलाइन' पर काम करेगी। उन्होंने कहा 'ऐसी व्यवस्था हो कि आपत्तिनजक कंटेंट को ऑनलाइन मीडिया में डालने से रोका जा सके। यदि कोई इस तरह की आपत्तिजनक सामग्री हटाना नहीं चाहता तो सरकार को इस बारे में कुछ करना होगा।’ हालांकि सिब्बल ने मीडिया में आ रही इन खबरों का भी खंडन किया कि सरकार अन्ना हजारे के आंदोलन से डरकर सोशल मीडिया पर अंकुश लगाने की तैयारी में है।
सिब्बल के बयान पर फेसबुक ने प्रतिक्रिया जाहिर की है। फेसबुक का कहना है कि वो ऐसे कंटेंट अपनी साइट से हटा देगा जो कंपनी के शर्तों के खिलाफ हैं। कंपनी का कहना है कि वह भारत सरकार की ओर से सोशल मीडिया पर पोस्ट किए जाने वाले कंटेंट की निगरानी करने के प्रस्ताव में दिलचस्पी रखती है।
सिब्बल के बयान पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए भाजपा नेता तरुण विजय ने कहा कि असल मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने की सरकार की यह एक और कोशिश है। कपिल सिब्बल को इसमें महारत हासिल है।
कांग्रेस सांसद शशि थरुर ने कहा, ‘मैं समझ सकता हूं कि फेसबुक उन आपत्तिजनक कंटेंट को हटाने की प्रक्रिया में है जो कपिल सिब्बल ने दिखाए थे। लेकिन दुख की बात यह है कि लोगों ने ऐसे कंटेंट पर आपत्ति नहीं जताई है।’
जम्मू कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा है, ‘मैं सेंसरशिप के बिल्कुल खिलाफ हूं लेकिन मैंने खुद देखा है कि फेसबुक और यू ट्यूब पर कितने खतरनाक और आपत्तिजनक कंटेट डाले जाते हैं।’
अमेरिकी अखबार 'न्यूयॉर्क टाइम्स' के मुताबिक कपिल सिब्बल ने गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, फेसबुक और याहू के अधिकारियों की एक बैठक बुला कर कहा था कि धर्म से जुड़े लोगों, प्रतीकों के अलावा भारत के प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष जैसी राजनीतिक हस्तियों के खिलाफ अपमानजनक सामग्री की निगरानी करें। सिब्बल ने यह भी कहा कि निगरानी के लिए सिर्फ तकनीक पर निर्भर न रहें बल्कि इसके लिए लोगों को लगाएं
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