गीता ने बर्बाद किया भारत को



अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का पक्षधर होना और उसका दिखावा करना दोनो दो है । कुछ लोग स्वंय की छपी हुई बातों को या जो उन्हें अपने अनुकूल लगती है उन बातों को छपने पर उसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहते है लेकिन अगर कुछ खिलाफ़ में छप गया तो उसका विरोध करने और विरोध के लिये तरह तरह के कानून का हवाला देने का काम करते हैं । अभी एक नया विवाद पैदा हुआ है । गीता को लेकर । बहुत सारे लोग गीता को एक महान धर्म ग्रंथ मानते हैं । ऐसा माननेवालों में उन लोगों की संख्या ज्यादा है जिन्होने कभी गीता को पढा भी नही है । यह विवाद रुस में गीता पर प्रतिबंध लगाने के लिये दायर एक मुकदमे से पैदा हुआ । दुनिया के सभी धर्म कट्टरता सिखलाते हैं । धर्म सिर्फ़ लडने का उपदेश देते हैं । मैं स्वंय गीता को भाई भाई के बीच लडाई लगानेवाला और शोषणकारी ग्रंथ मानता हूं । मैने गीता को पढा है । नूतन ठाकुर एक आर टी आई एक्टिविस्ट हैं , सुलझे हुये विचार की महिला हैं। मेरे फ़ेसबुक के फ़्रेंड लिस्ट में  हैं, उन्होने फ़ेसबुक के हीं एक व्यक्ति   सीआई चमबर द्वारा गीता की आलोचना करनेवाली एक पोस्ट को आधार बनाकर मुकदमा कर दिया है । मैं उनकी इस हरकत को सामंतवादी प्रवर्ति मानता हूं । अगर आप सही अर्थों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्षधर हैं और कुछ ऐसा आपके सामने आता है जो आपको पसंद न हो तो आप उसे न पढें , लेकिन आप पुरी दुनिया का ठेका लेकर यह दावा करें कि इससे एक धर्म विशेष की आस्था को ठेस पहुचती है , इसे बैन करना चाहिये , गलत है । इस तरह की प्रवर्ति को हीं सामंतवादी मानसिकता कहते हैं । मैने भी गीता के खिलाफ़ लिखा है ।यह मेरे द्वारा लिखे गये लेख का लिंक है गीता खतरनाक है  

यहां चमबर जी ने जो लिखा है , उसे दे रहा हूं ।

गीता ने बर्बाद किया भारत को



गीता ने बरबाद किया भारत को, भारत में भावनाओं के अथाह समंदर को गीता ने बरबाद कर दिया, लोग ने लोगों पर विश्वास करना छोड़ दिया, और लोग आपस में नातें-रिश्ते भूलकर, जमीन-जायदाद और धन के लिए अपने ही अपनों के गले काटने लगे, क्यूंकि गीता में ऐसा लिखा है, जिसमे इंसानी भावनाओं से ऊपर जमीन-जायदाद और धन-संम्पत्ति को बड़ा माना गया, और उसके पीछे यह मिसाल दी गयी की जो अपना है, वह अगर किसी के पास भी है तो छीन लो, भले ही वह भाई-हो, नातेदार हो, रिश्तेदार हो, उस भावना को दबा दो, और जमीन और धन के लिए अपने से बड़ों से भी लड़ पड़ो, यह गीता ने सिखाया, जिससे भारत बरबाद हो गया, और भारत में जमीन-जायदाद और धन संम्पति को ज्यादा महत्त्व दिया गया, जबकि भावनाओं और हृदय की बातों को कमजोरी समझा गया, और इसका फायदा उठाया गया, तो इस तरह तो गीता ने एक तरफ कहाँ की जो तुम्हारा है अर्जुन वह किसी भी प्रकार लड़कर छीन लो, फिर दूसरी तरफ गीता ने कहा की तुम क्या लाये तो जो तुम्हारा है, तुम क्या ले जाओगे, इस तरह की विरोधाभाषी वक्तव्य ने भारत के लोगों को भ्रमित कर दिया, तो जो लोग, ताकतवर थे, चालाक थे, उन्होंने दूसरों की भावनाओं का फायदा उठाकर, उन्हें उसी में उलझाये रखा और अपने पास धन-दौलत और जमीन-जायदाद अपने पास रखी, बस यही पारी पाटि भारत में चलती रही, और उसने कमजोर को वैरागी बना दिया, और ताकतवर को अय्याश बना दिया, कमजोर होकर वह वैराग का बाना ओढ़ लिया की अब उसे तो यह जामीन मिलने से रही तो उसने कहाँ की संसार मिथ्या है, और जो ताकतवर था उसने अय्याशी अपना ली | इस तरह से गीता ने पूरे भारत को दो भागों में बाँट दिया, एक जो उस जमीन-जायदाद के लिए किसी भी हद तक जा सकते थे, उसके लिए किसी के साथ भी लड़ सकते थे, कोई भी पैंतरा अपना सकते थे, और अपने हाथ में दौलत काबू में रखते थे, और दूसरे वो जों भावनाओं के आगे जमीन-जायदाद को भी ठोकर मार देते थे, और अपने ईमान को कभी गन्दा नहीं करते थे, और अपने नाते-रिश्तों और बड़ों का सम्मान करते थे, आज भी भारत इसी ढर्रे पर चल रहा है, जों लोग पैसे वाले होते हैं वह भावुक नहीं होते हैं, और जों गरीब होते हैं वह भावुक होते हैं, और पैसे वाले किसी के सामने दिखावा तो करते हैं की हम सम्मान करते हैं, पर पीठ पीछे छुरा भी घोंप देते हैं, और उनकी भावना झूठी होती है, उस भावना में भी वह उससे गरीब के पास जों होता है, वह हथियाना चाहते हैं, और उसे और गरीब ही रहने देना चाहते हैं, बात तो बड़ी-बड़ी करते हैं की सब माया है, पर भारत वाले जितनी माया इक्कठी करते हैं उतना संसार का कोई आदमी नहीं करता है |

तो आज भी यह गीता किसी भी नाते और रिश्ते को तोड़कर जमीन और जायदाद को महत्त्व देने को कहती है, और गीता के बल पर वह किसी की परवाह नहीं करता है, और बड़े-बूढें की भावनाओं को देखता तक नहीं है, उसके लिए अपना अहंकार ही सबसे बड़ा होता है, और उसका अहंकार किसी भी प्रकार से जमीन और जायदाद हथियाना चाहता है | चाहे उसके लिए किसी को भी मारना पड़े, चाहे वह कोई भी हो, नाते में रिश्ते में।

. http://www.facebook.com/#!/C.L.Chumber





टिप्पणी के साथ अपना ई मेल दे जिस पर हम आपको जवाब दे सकें

Comments

  1. हालाँकि गीता पर कुछ खास तार्किकता से नहीं लिखा लगता है यह लेख।

    वैसे हम चाहेंगे कि रूस बाइबिल-कुरआन सब पर रोक लगाए।

    ReplyDelete
  2. What Rubbish !You seem to be a very immature man .

    ReplyDelete

Post a Comment

टिपण्णी के लिये धन्यवाद

Popular posts from this blog

आलोकधन्वा की नज़र में मैं रंडी थी: आलोक धन्वा : एक कामलोलुप जनकवि भाग ३

भूमिहार :: पहचान की तलाश में भटकती हुई एक नस्ल ।

आलोक धन्वा : एक कामलोलुप जनकवि – भाग १