प्रभात खबर के प्रधान संपादक हरिवंश के खिलाफ़ मुकदमा
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सन्मार्ग के खिलाफ़ भी केस
इस खबर का इसलिये भी विशेष महत्व है कि भडास फ़ोर मीडिया ने अपने पोर्टल पर इसको प्रकाशित किया है । मैं स्वंय भी लिखता था भडास पर लेकिन एक दो बार प्रभात खबर के खिलाफ़ और अन्ना के खिलाफ़ लिखे हुये लेख वहां नहीं प्रकाशित हुये , मेरे जैसे व्यक्ति के लिये यह एक संकेत था । समझ गया , हो ्सकता है यशवंत की मजबूरी रही हो । प्रभात खबर अच्छा विग्याप न देता था , कभी – कभी छोटी छोटी बातों को नजरअंदाज करना पडता है । दिल्ली में रहकर न्यूज पोर्टल चलाना आसान काम नही है । सलाह देने वाले सौकडो मिलेंगें माल देनेवाले एक्का दुक्का । खैर देर से सही यशवंत ने समझदारी दिखाई । मैने भडास पर लेख न छपने के बात , प्रभात खबर की चटुकारितावाली पत्रकारिता के खिलाफ़ अपने साइट पर लिखना जारी रखा । अन्ना चौकडी के खिलाफ़ भी सच सामने लाने की मेरी कोशिश रंग लाई । आज लोग समझ गये हैं , अन्ना चौकडी का सच । एक और मित्र हैं वाचस्पति , उन्हें मेरे गर्म तेवर पसंद नहीं आते । अब मैं तो अपना तेवर बदलने से रहा । इन सबके बीच कुमार सौवीर समझदार हैं । यशवंत के नजदीक हैं, नजदीक मैं भी हूं, लेकिन शायद यह एक तरफ़ा नजदीकी है । मेरी लडाई व्यवस्था केखिलाफ़ है । भडास , विस्फ़ोट या मुहल्ला लाईव को पसंद करने का एकमात्र कारण था व्यवस्था के खिलाफ़ इनके अंदर संघर्ष का एक जज्बा । वह अब भी है , व्यवसायियकता के कारण थोडा कमजोर पड गया है । एकजूट होकर भी लडा जा सकता है , मंजिल जब एक हैं तो अलग अलग गाडी में जाने से बेहतर है, एक हीं गाडी में चलो , खर्च भी कम बैठेगा , सफ़र का आंनद दुगुना हो जायेगा ।
अब पढे समाचार , हरिवंश के खिलाफ़ मुकदमें का :
डाल्टनगंज : पलामू जिला के अधिवक्ता चितेश कुमार मिश्रा ने 23 दिसंबर को पलामू सिविल कोर्ट में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में प्रभात खबर के प्रधान संपादक हरिवंश, डाल्टनगंज ब्यूरो कार्यालय के दो रिर्पोटर अविनाश व शेखर सिंह, हिंदी दैनिक समाचार पत्र सन्मार्ग के संपादक बैजनाथ मिश्रा व डाल्टनगंज कार्यालय के रिपोर्टर अरुण शुक्ला के खिलाफ मुकदमा दायर किया है, जिसमें मानहानि, अमानत में खयानत व षडयंत्र शामिल हैं.
अधिवक्ता चितेश कुमार मिश्रा ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में दायर शिकायत-वाद संख्या 1367/2011 में कहा है कि सभी आरोपियों ने उनके खिलाफ झूठी सूचना व झूठा आरोप लगातार प्रभात खबर व सन्मार्ग में दिनांक 17.9.11, 19.9.11 व 2.12.11 को प्रकाशित किया था. उक्त तिथि को उन्हें ब्लैकमेलर, जाली, ठग कहते हुए मानहानि किया गया है. उक्त शब्द का प्रयोग अखबार में होने के चलते 1992 से वकालत के पेशा में रहने के चलते बनी उनकी छवि काफी धूमिल हुई है.
अधिवक्ता ने कहा है कि वे सभी आरोपियों को सर्वप्रथम कानूनी नोटिस दिया लेकिन किसी ने भी कोई जवाब नहीं दी. तब बाध्य होकर उन्हें न्यायालय की शरण में आना पड़ा है. अधिवक्ता ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में आरोपियों के खिलाफ संज्ञान लेने की प्रार्थना की है. अधिवक्ता ने उक्त आरोपियों पर अपने दायर परिवार पत्र में आईपीसी की धारा 203, 205, 211, 464, 499, 500, 501, 502 व 506 के तहत मामला दर्ज करने का अनुरोध किया है.
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