गया की जिलाधिकारी बंदना प्रेयसी अयोग्य है


 गया की जिलाधिकारी बंदना प्रेयसी अयोग्य है

मैं यह प्रयास करता हूं कि किसी पर व्यक्तिगत आक्षेप तबतक न करुं जबतक उसका कार्य आम जनता के लिये दिक्क्त का कारण न बनें ।

बंदना प्रेयसी नाम है गया  की कलक्टर  का। इनका फ़ोन नंबर सार्वजनिक हैं लेकिन ये फ़ोन कभी नहीं उठाती । दिक्कत इनके आइ ए एस कैडर होने में है । इनको इतना अधिकार मिला हुआ है कि ये सोचते हैं , हम शासन करने के लिये हैं और बाकी लोग यानी आम जनता इनकी गुलाम है । आइ ए एस जब यूपीएससी की तैयारी करते हैं तब इनकी हालत देखने लायक होती है । ये इतने गंदे हैं कि जेनेयू के उन पाठयक्र्मों में दाखिला लेते हैं जहां पढने की जरुरत नही है और मुफ़्त में आवास सहित सारी सुबिधा बहुत हीं कम पेमेंट पर उपलब्ध होती है । नियमत: यह गलत है । जे एन यू भी उसके कैंपस में रहकर आइ ए एस की तैयारी करनेवालों छात्रों को रेस्टिकेट करता है । इसी तरह का एक कोर्स है लैंगुएज जिसमें ये दाखिला लेते हैं । नानी याद आ जाती है इन्हें तैयारी के समय । लेकिन जैसे हीं ये लोग कलक्टर बन जाते हैं शोषण शुरु कर देते हैं । इनके शोषण का तरीका बडा अदभुत होता है । जनता   दरबार लगाते हैं यह दिखाने के लिये कि जनता का काम कर रहे हैं। जनता दरबार में आनेवाले चाहें सौ साल का हो या बीस साल का , मौसम गर्मी की  तपती हुई धुप हो  या मारदेनेवाली ठंढ , जनता कतार में खडी रहती है हमारे ये मालिक जिनकी जागीर में हम बसते हैं , आराम से अपने ए सी चैंबर में बैठकर जनता की  समस्या सुनने का दिखावा करते हैं  , निदान नही करते , कर भी नहीं सकते । इनके भगवान  की छत्रछाया होती है भ्रष्टाचारियों के उपर । वह भगवान  है मंत्री । हां  कभी कभार क्ल्रक स्तर के या चपरासी स्तर के कर्मचारियों के उपर यह अपना गुस्सा दिखा देतें हैं , उनका निलंबन कर के। यह लेख लिखने का भी एक कारण हैं । दो बार मैनें बंदना प्रेयसी को फ़ोन लगाया  , दोनो बार एमेरजेंसी के हालात में । एक बार जब मैने डूडा के खिलाफ़ एक रिपोर्ट लिखी थी और दुसरी बार आज , जब एक शादी समारोह में , रोड जाम हो गया और वहां से गुजर रहे औटो रिकशा को रास्ता बदलने के लिये कुछ  लोग मारपीट करने लगें। एक तरफ़ से आटो रिकशा जा रहा था , दुसरी तरफ़ से गैरकानूनी तरीके से पत्थर लोड कर के बीस से ज्यादा ट्रक आ  रहे थें। ट्रक  गलत काम कर रहें थें इसलिये उनका पास होना जरुरी था। ट्रक को पास करने लिये उनका तंत्र लगा हुआ था । मुझे बर्दाश्त नहीं हुआ क्योंकि आटो में सामन्य लोग थें जिनका जाना ट्रक के पास होने से ज्यादा  जरुरी था, यहीं पर मेरा हस्तक्षेप हुआ । मैंने जब विरोध किया ट्रक के  पास होने का और औटो को वापस दुसरे रास्ते से भेजने का तब ट्रक को पास करानेवाले आ गयें। बात मारपीट तक पहुंच रही थी । गया के एस एस पी विनय कुमार का नंबर मेरे पास नही था । सिविल लाइन थाने का भी नंबर नही था । बंदना  प्रेयसी का नंबर लगाया , रिंग हुआ , फ़ोन नही उठा। कुछ गुंडे मुझे गाडी में बैठाने की बात भी कर रहे थें यानी टार्चर करने के लिये उठाकर ले जाने की । मैं इन सब चीजों की परवाह नही करता , मेरे आसपास के लोग जो मेरे स्वभाव से परिचित हैं , वे आ गयें , मामला उलझ गया । गुंडो की हालत  बिगड गई । हो सकता था कोई बडा हादसा  हो जाता , मैने रोका और डांटा । मुझे खल गया बंदना प्रेयसी का फ़ोन न उठाना । अब बंदना प्रेयसी को कहना चाहुंगा । फ़ोन नंबर सार्वजनिक है तो फ़ोन उठाओ या फ़िर अपने प्रायवेट  ई मेल की तरह दो नंबर रखो , एक जनता के लिये , दुसरा जिनसे तुम बात करना चहती हो । देश गरीब है , लेकिन तुम मालिक नही हो। अपना रवैया बदलो। 
 मदन कुमार तिवारी

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Comments

  1. अच्छे से इन सबकी पड़ताल कर दी आपने। आई ए एस कहने को बड़े हैं लेकिन देश के 5000 ऐसे लोग देश को कैसा बनाकर रखे हुए हैं, हम और आप जानते ही हैं। वन्दना सीवान में रह चुकी हैं। आखिर एक ही राज्य में ये लोग इधर-उधर कैसे और क्यों होते हैं?

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