बिहार के गया जिला में भी हैं फ़र्जी पत्रकार और प्रकाशित हो रहे हैं गैरकानूनी ढंग से अखबार
बिहार के गया जिला में भी हैं फ़र्जी पत्रकार और प्रकाशित हो रहे हैं गैरकानूनी ढंग से अखबार
प्रभात खबर और अबतक बिहार दोनो का प्रकाशन है अपराध
अबतक बिहार में छपता है नेट से चुराया हुआ समाचार
फ़र्जी पत्रकारों के कारण मीडिया की प्रतिष्ठा दाव पर लग गई है । ऐसा नही है कि इस तरह के पत्रकार स्वंय फ़र्जी बने हैं , इनको फ़र्जी बनाने में मीडिया घरानों का भी हाथ है । इलेक्ट्रोनिक चैनलों के स्ट्रिंगर उसी श्रेणी में आते हैं, इन्हें कोई पहचान पत्र निर्गत नही होता है , उसी प्रकार दैनिक जागरण से लेकर प्रभात खबर तक और हिंदुस्तान, आज, राष्ट्रीय सहारा भी अपने पत्रकारों को पहचान पत्र निर्गत नही करता है । बिहार के गया जिले में तो पत्रकारिता कमाई का अच्छा जरिया बन गया है । स्टेशन की बीट देखने वालों को कम से दस हजार की उपरी आमदनी होती है । केबुल न्यूज चैनल भी चलता है जो पूर्णत: गैर कानूनी है । गया से प्रभात खबर का प्रकाशन बिना निबंधन कराये शुरु हुआ है । एक और सांध्य दैनिक एक केबुल न्यूज चैनल चलानेवाले बिमलेंदु ने निकाला " अबतक बिहार " के नाम से मेरे जैसा आदमी भी फ़स गया बिमलेंदु के फ़रेब में । बना दिया मुझे कार्यकारी संपादक । स्वंय बन बैठा प्रधान संपादक , पत्रकारिता का ककहरा तक नही पता श्रीमान को ।बीस वर्षों से केबुल न्यूज चैनल जो गैरकानूनी है चलाकर पैसा वसूली करते रहें है और मुझसे बात जनपक्षधरवादी पत्रकारिता की करते थें । वाह , बात जनपक्षधरवादी पत्रकारिता की और काम पैसे वसूली का शुरु कर दिया उसने , खैर मैने पिछा छुडाया । अबतक बिहार का भी निबंधन नहीं हुआ है टाइटिल कोड लेने के बाद प्रकाशन शुरु करने के तीन माह के अंदर निबंधन कराना है । अखबार की प्रथम कापी भी महानिबंधक प्रेस को भेजना है । अभीतक निबंधन के लिये आवेदन भी नही दिया है तीन माह से ज्यादा हो गया प्रकाशन शुरु किये । निबंधन कराने में खतरा है । अबतक का अपना कोई समाचार तो होता नही है । नेट से चोरी की गई खबर छपती है । दैनिक भास्कर, वन इंडिया , प्रेस वार्ता बिजनेस स्टैंडर्ड की खबरों की कापी पेस्ट कर के अखबार चल रहा है । तीन सौ चार सौ देकर कोई भी समाचार छपवा सकता है । गया प्रशासन को अपना नाम और चेहरा चाहें वह बदसूरत हीं क्यों न हों , अखबार में छपा देखकर प्रसन्नता होती है इसीलिये कोई कार्रवाई इस तरह के अखबारों और पत्रकारों के खिलाफ़ नहीं उठाता है प्रशासन । लेकिन अब यह ज्यादा दिन तक चलनेवाला नही है । जिन अखबारों से खबरें चुराकर छापता है अबतक बिहार उन अखबारों को सूचना देने की तैयारी कुछ महानुभावों ने कर ली है । देखिये क्या होता है आगे ।
अभी इटावा में फ़र्जी पत्रकारों के खिलाफ़ प्रशासन ने सख्त कदम उठाया है उसका समाचार यहां हम दे रहे है पढें .
इटावा में फर्जी पत्रकारों से निपटने के लिए डीएम ने की तैयारी
at4:30 AM
Posted bySushil Gangwar - 09167618866
सूचना विभाग से नोटिस भिजवाकर मांगी असली पत्रकारों की जानकारी : इटावा में अब फर्जी पत्रकारों की खैर नहीं है. जिलाधिकारी से शराब पीकर जबरदस्ती वर्जन लेने की कोशिश के बाद सूचना विभाग ने सभी अखबार एवं चैनलों के जिला प्रतिनिधि एवं संपादकों को पत्र लिखकर उनके यहां कार्यरत पत्रकारों के नाम तथा फोटो मांगा है. दो कथित शराबी पत्रकारों की करतूत के चक्कर में जिलाधिकारी पी. गुरुप्रसाद ने जिला सूचना अधिकारी के नाम से नोटिस भिजवाया. इससे इटावा के पत्रकारों हड़कंप मच गया है.
इटावा में फर्जी पत्रकारों की बाढ़ आ गई है और इसका खुलासा जिला सूचना अधिकारी की ओर से भेजे गए नोटिस से हुआ है. कहा जा रहा है कि इटावा में कुछ कथित लोग पत्रकार बन कर और शराब का नशा करके न केवल जिलाधिकारी स्तर के अधिकारियों पर दबाब बनाने का काम करते हैं बल्कि अवैध धंधे भी करते हैं. देर शाम इटावा के सभी न्यूज पेपर और न्यूज चैनल के रिर्पोटरों के अलावा मान्यता एंव गैर मान्यता प्राप्त पत्रकारों को भेजे गये नोटिस ने इसे चर्चा बना दिया है. नोटिस में एक जगह लिखी गई भाषा के बाद ऐसा लगने लगा है कि अब फर्जी पत्रकारों की खैर नहीं है. जो कुछ भी नोटिस में कहा गया है उसे नोटिस में आसानी से पढ़ा और समझा जा सकता है. इस नोटिस ने फर्जी पत्रकारों को सर्दी के मौसम में पसीना पसीना कर दिया है.
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