जब पत्रकार लड़की का दलाल बन गया ?

केबुल न्यूज चैनल वालो ने पत्रकारिता को वेश्या का धंधा  बना दिया। स्थानीय केबुल चैनल के नाम पर एक कैमरा भेज देना और उसके बाद कुत्ते की तरह पैसे के लिये खडे रहना । मेरे साथ भी एक घटना हुई । गया से एक सांध्य दैनिक निकला अबतक बिहार , यह एक केबुल चैनल वाले बिमलेंदु का था । मैंने उसे समझाया कि केबुल वाली आदत बदल लो यह प्रिंट मीडिया है । एक माह तक ठिक रहा लेकिन पुरानी आदत बहुत मुश्किल से खत्म होती है , उसने शुरु कर दिया पाच सौ रुपया लेकर न्यूज छापना । मैं था उप संपादक , मैने किनारा कर लिया ।  खैर अपने उस अनुभव को जल्द हीं प्रकाशित करुंगा .
मदन कुमार तिवारी

जब पत्रकार लड़की का दलाल बन गया ?
सच्चाई हमेशा कडुवी होती है उसे स्वीकार कर लेना चाहिए नहीं तो जिन्दगी भर दम घुटता रहता है पत्रकारिता के ११ साल के दौर में असली और फर्जी पत्रकारों से पाला पड़ा | जब पत्रकारिता शुरू की थी तो बड़ा मजा आता था | सच लिखने से कतराता था , परन्तु पत्रकारिता का स्वरूप बदल चुका है | पत्रकार अपना धंधा चमकाने के लिए सारे टोने टोटके अजमा रहे है | फिर मै सच क्यों नहीं लिखू ?
सिलेंडर डोने वाला पत्रकार बना गया तो थोडा सा अजीव लगा | पूरी रात नीद नहीं आयी थी | मेरे बड़े भाई सुनील गंगवार की मौत के बाद मुंबई से डेल्ही पंहुचा मुझे खबर १५ दिन बाद घरवालो ने सूचना दी थी | मेरा करियर कही भटक न जाये इसलिए नहीं बुलाया गया था. | मै बड़े भाई के दिल के करीव था |

जब मै अपने शहर जाकर डेल्ही लौटा तो मुझे संजय तिवारी का कॉल आया गंगवार जी मै आपके दर्शन करना चाहता हु | आप हमारे ऑफिस में आ जाये | मै भी थोडा सा निराश था | उनके ऑफिस कम घर मयूर विहार फेस बन में पंहुचा तो देखा की दीवार पर बड़े -बड़े लोगो के साथ संजय तिवारी उजाला ( उजाला न्यूज़ डाट कॉम ) उर्फ़ तिरंगा न्यूज़ डाट.कॉम के फोटो लगे थे | जिसमे एक फोटो तहलका के मालिक तरुण तेज पाल के साथ लगा था | मै बोला यार तरुण जी के साथ तुम कैसे ?

मेरे सामने चार पेज का वीकली अखबार आनन् फानन टाइम पड़ा था , संजय तिवारी बोले , गंगवार जी मैंने अपने न्यूज़ पेपर की शुरूआत तरुण जी करवाई है और अपनी किताब देश का दर्द के लिए उनसे रुपरेखा लिखवा लिया है जिसे मै जल्दी ही प्रकाशित करुगा |

मै बोला आखिर करते क्या हो भाई ,तुम इतने पढ़े लिखे हो नहीं हो | आप तो ले दे के सातवी पास हो | यार बड़े बड़े पोलितिसियन का साक्षात्कार करता हु वो उसके बदले हमें पैसा दे देते है एक दिन में ८००० से १०००० हो जाता है ये बात इयर २००२ की थी | मै हैरान कम परेशान था | यह बिना पढ़ा आदमी एक दिन इंतना माल बना लेता है |

संजय तिवारी बोला ,मैंने एक विडियो वाला रख लिया उसे लेकर मै चला जाता हु और साक्षात्कार ले आता हु कितनी बार तो हम अपना विडियो भी नहीं चलाते है अगर विडियो चलाते है तो दोवारा उसी विडियो पर दूसरे का साक्षात्कार चला देते है | साले हमें पैसा दे रहे है |

संजय तिवारी उजाला गैस ढोने का काम करता था उसकी पगार १८०० हुआ करती थी | किसी ने लक्ष्मी नगर में केबिल वाले के पास नौकरी क्या लगवाई तो संजय तिवारी पत्रकार बन गए फिर अपनी ही दुकान उसी तर्ज पर चलाने लगे फिर जम कर पैसा कमाने लगे थे | तिवारी जी ने अधिक पैसे कमाने के हिसाव से डेल्ही चांदनी चौक की एक मुस्लिम लड़की रख ली | संजय तिवारी फ़ोन करके अपनी पत्रकार और विडियो वाले को भेजने लगे | लड़की देखकर माल पहले से जायदा मिलने लगा था |

संजय तिवारी एम् पी भडाना का साक्षात्कार पहले भी कर चुके थे और मोटा पैसा ले चुके थे | एक बार फिर उस लड़की को भेजकर साक्षात्कार करवाया गया | संजय तिवारी ने काम करने का ढंग बदल दिया था | वह दूर रहते थे और उस लड़की और विडियो वाले को भेजते थे | खैर उस महिला पत्रकार को साक्षात्कार के बाद उठा लिया गया | उसे १२ बजे तक भडाना के रिश्तेदार घुमाते रहे | संजय तिवारी खुद पूरी स्टोरी का रायटर था रात में ही लड़की ने थाने में रपट लिखा दी | केस दर्ज हुआ तो थानेदार बोला यार इतना अच्छा माल होगा तो मन किसी का ख़राब हो सकता है | भाई भडाना के रिश्तेदार पकडे गए और छूट भी गए |

सुना जाता है संजय तिवारी ने इसके बदले में लाखो रूपये भडाना से कमाए थे | उस दिन के बाद उस लड़की ने काम छोड़ दिया | कहानी लम्बी है दोस्तों फिर कभी रोशनी डालते है |

यह लेख सुशील गंगवार ने लिखा है जो पिछले ११ से मीडिया में काम कर रहे है उनसे संपर्क के लिए ०९१६७६१८८६६ बात कर सकते है |



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