नीतीश का एक नया ड्रामा ; ग्रामसभा में जमीन विवाद का निपटारा

नीतीश का एक नया ड्रामा

ग्राम कचहरी में होगा जमीन विवाद का निपटारा

गया के एल आर डी सी नंदकिशोर चौधरी  ने अरबो की जमीन भू माफ़ियाओं के नाम किया

बिहार मीडिया की चुनौती हिम्मत है तो जांच कराये सरकार

लालू के पन्द्रह साल से ज्यादा   की  सरकारी संपति  की लूट नीतीश के छह साल में ।

एक पुरानी कहावत है बिल्ली के भागे छीका टूटा ; बस नीतीश की किस्मत तेज थी , लालू का अंतिम सात वर्ष का फ़ायदा उठाया और आ गयें सता में । जब से आयें हैं , विकास के प्रचार की ऐसी घुटी पिला रहे हैं कि अब विकास नाम की उस घुटी का नाम सुनते हीं उबकाई आने लगती है । नीतीश ने आने के बाद एक से एक कानून बनाना और उसकी उपलब्धि गिनाना शुरु कर दिया । जो उपलब्धि वह गिनाते हैं , वह वस्तुत: उनके प्रशासन यानी राम राज्य वाले सुशासन के अधिकारियों द्वारा उन्हें बताया जाता है । एक कानून लाया था राईट टू सर्विस एक्ट जिसके तहत फ़ार्म भरने के २१ दिन के अंदर आपको जाति से लेकर आय तक का प्रमाणपत्र उपलब्ध करा दिया जायेगा । इस कानून से जहां आम जनता को खुश होना चाहिये वहीं आम जनता रो रही है और ब्लाक का कर्मचारी  प्रसन्न है । पहले १०० रुपये में मिलनेवाले प्रमाणपत्र का दाम अब २०० और अगर २१ दिन के अंदर चाहिये तो ३००-४०० रुपये हो गया है ।

एक और कानून का हाल बताता हूं ; बिहार भूमि विवाद निवारण कानून २००९

गया के एल आर डी सी नंदकिशोर चौधरी का कारनामा

एक और कानून नीतीश के शासन में आया था बिहार भूमि विवाद निवारण कानून २००९ इसके तहत न्यायालयों में मुकदमों की बढती संख्या और खर्च को देखते हुये जमीन विवाद से संबंधित मामलों को देखने का आधिकार एल आर डी सी यानी भूमि सुधार उप समाहर्ता को दे दिया गया । इस कानून के आने के बाद अनेको एल आर डी सी साल भर के अंदर करोडपति हो गए । फ़िलहाल गया के वर्तमान एल आर डी सी नंद किशोर चौधरी के बारे में बताता हूं। जैसे हीं यह कानून आया , चौधरी ने आनन फ़ानन में भू माफ़ियाओं से साठ गांठ करके अरबो रुपये की सरकारी जमीन को उनके नाम कर दिया । नंदकिशोर चौधरी ने कैसे यह कारनामा किया यह भी बताता हूं
बहुत पहले भू हदबंदी कानून आया था । इसके तहत एक निर्धारित सीमा से अधिक जमीन को सरकार ने अधिग्रह्त कर लिया था । इस प्रकार से अधिग्रहित जमीन वर्षो से पडी हुई थी नंदकिशोर चौधरी के यहां माफ़ियाओं ने इस तरह की जमीन से संबंधित मुकदमा दायर किया और इस से संबंधित  मुकदमों में,  पुराने हुकुमनामा के आधार पर, जो फ़र्जी थें , नंद किशोर चौधरी ने माफ़ियाओं के नाम जमीन हस्तांतरित कर दी।
 हुकुमनामा क्या होता है यह भी बता देता हूं । जमींदारी समाप्त होने के पहले जमींदारो के द्वारा अगर किसी को जमीन दी जाती थी तो एक आदेश पत्र निर्गत  होता था , उसे हीं हुकुमनामा कहते हैं। भू हदबंदी कानून के तहत अधिग्रहित जमीन को फ़र्जी हुकुमनामे के आधार पर अपना बताते हुये भू माफ़ियाओं ने एल आर डी सी के न्यायालय में अपना दावा प्रस्तुत किया और एल आर डी सी ने जमीन भू माफ़ियाओं के नाम करने का आदेश पारित कर दिया। हालांकि जमींदारी जाने के बाद , जमींदारों द्वारा रिटन दाखिल करने का नियम था जिसमे उस तरह की जमीन जिसे जमींदार ने किसी को दे दिया है , उल्लेख करना जरुरी था। यहां भी हेराफ़ेरी शुरु हो गई । रेकार्ड रुम में यानी जहां रिर्टन  की प्रति जमा थी , वहां के कर्मचारी को मिलाकर भू माफ़ियाओं ने जमींदारों के पुराने रिर्टन में फ़र्जी नाम को अंकित करवाना शुरु कर दिया। यह रिर्टन भी एक आधार के रुप में प्रयुक्त होने लगा । यह सबकुच एक अपराधिक कर्त्य था जिसके लिये मुकदमा दर्ज करके जांच की जरुरत थी लेकिन जैसे हीं मुकदमा दर्ज होता , भेद खुल जाता और सरकार की बदनामी होती , इसलिए आजतक कोई मुकदमा नहीं दर्ज हुआ और अरबो की सरकारी जमीन भू माफ़ियाओं ने अपने नाम करवा लिया । गया का एल आर डी सी नंद किशोर चौधरी के इस कारनामें की खबर उच्चाधिकारियों सहित सरकार के मुखिया को भी है लेकिन विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायन चौधरी के खासमखास होने के कारण किसी की हिम्मत नंद किशोर चौधरी के खिलाफ़ कार्रवाई करने की नही है । नियमत: एल आर डी सी को किसी जमीन के मालिकाना हक यानी टाईटिल देखने का नही था , उक्त कानून में भी यह जिक्र है कि जमीन के टाईटिल से संबंधित मामलों का निपटारा सिविल कोर्ट करेगा लेकिन कहावत है सैंया भये कोतवाल अब डर काहें का ।

अब एक नया कानून नीतीश लाने जा रहे हैं जिसके तहत ग्राम सभा जमीन के विवाद को न सिर्फ़ निपटायेगी बल्कि जमीन की टाईटिल का भी विवाद का निपटारा ग्राम सभा के द्वारा होगा। नितीश को मालूम है बिहार की ग्राम सभा कितनी भ्रष्ट है । इंदिरा आवास से लेकर आंगनबाडी और पंचायत शिक्षक नियोजन में ग्राम सभाओं का भ्रष्टाचार देखने में आया । आंगनबाडी सेविका की नियुक्ति की दर है ५० हजार से ८० हजार वहीं पंचायत शिक्षको की नियुक्ति में एक लाख रुपया तक लिया गया। नीतीश का शासन भ्रष्टाचार के लिए याद रखा जयेगा । लालू के १५ साल के शासन के दौरान सरकारी खजाने की जितनी लूट नही हुई थी उससे कई गुणा नीतीश के इस छह साल के शासन मे हुई है । लालू के गुंडो ने जितनी सरकारी जमीन नही हथियायी उससे कई गुणा नितीश के शासन में सरकारी  अधिकारियों ने भू माफ़ियाओं को बेच दिया । अब जब ग्राम सभाओं को जमीन के विवाद के निपटारे का अधिकार मिलेगा तो भ्रष्टाचार के नए संस्करण की शुरुआत होगी । फ़िलहाल तो बिहार मीडिया यह चुनौती दे रहा है कि नीतीश गया के एल आर डी सी नंदकिशोर चौधरी के कारनामे और इसका विधान सभाध्यक्ष उदय नारायण चौधरी से संबंधो की जांच करायें। साथ हीं साथ रिटर्न में हुये फ़र्जीवाडे की भी जांच करायें अरबो की सरकारी जमीन भू माफ़ियाओं को दे दी गई है ।


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