वाह! शादीशुदा भी है कथित स्वामी चिन्मयानंद : बीपी गौतम


वाह! शादीशुदा भी है कथित स्वामी चिन्मयानंद : बीपी गौतम

साधवी चिदर्पिता के पति  पत्रकार बीपी गौतम ने अपने ब्लाग पर लिखा है उसे हम यहां दे रहे हैं ,  यह एक नया रहस्योदघाटन है। स्वामी चिन्मयानंद पहले से हीं शादीशुदा हैं ।  

जौनपुर से सांसद रहते हुए कथित स्वामी चिन्मयानंद ने संसद में अपना बायोडाटा भर कर दिया था, उसमें स्वयं को विवाहित दर्शाया गया है, साथ ही उसमें पत्नी का नाम भी स्पष्ट लिखा गया है, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि वह महिला आज कल कहीं दिखाई नहीं दे रही है। कथित स्वामी चिन्मयानंद जनता को बतायें कि वह महिला कहां है कथित स्वामी चिन्मयानंद उर्फ कृष्णपाल सिंह के बारे में संसद से जनसूचना अधिकार अधिनियम-2००5 के तहत प्राप्त बायोडाटा की छायाप्रति में कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं। नाम के स्थान पर स्वामी चिन्मयानंद, भारतीय जनता पार्टी-जौनपुर, उत्तर प्रदेश लिखा है। पिता के रूप में स्वामी धर्मानंद, माता के स्थान पर राम श्री दर्शाया गया है। मेरिड स्टेटस में मेरिड दिखाते हुए पत्नी का भी नाम लिखा है, साथ ही शादी की तारीख 12 मार्च 1999 दर्शाई गयी है। इस छायाप्रति में शिक्षा, पता आदि से जुड़़ी अन्य कई जानकारियां भी हैं। अब सवाल यह है कि उठता है कि वह महिला कहां हैं? सूत्रों का कहना है कि वह महिला काफी दिनों से नहीं देखी जा रही है, वहीं कुछ सूत्रों का कहना है कि महिला गोंडा में किसी स्थान पर रहती है, जिससे एक बच्ची भी पैदा है, जो परमार्थ आश्रम हरिद्वार में रहती है। कथित स्वामी वैसे तो हर लडक़ी को पोती, नातिन, भतीजी आदि ही बताते हैं, पर इस लडक़ी के बारे में सूत्रों का कहना है कि जिस बच्ची को पोती बता रहे हैं, वह कथित स्वामी की ही बेटी है, जो भी हो, मामला जांच के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा, इस लिए इस प्रकरण की गहनता और तत्परता से जांच होनी चाहिए, साथ ही गायब विवाहित महिला को खोज कर पुलिस को अपने सुरक्षा घेरे में तत्काल ले लेना चाहिए, क्योंकि उस महिला का जीवन अब संकट में है। अब सवाल यह भी उठ रहा है कि शंकराचार्य परंपरा में विवाहित पुरुष सन्यासी नहीं रह सकता, तो क्या संत समाज अब कथित स्वामी चिन्यानंद का बहिष्कार करेगा।


Comments

Popular posts from this blog

आलोकधन्वा की नज़र में मैं रंडी थी: आलोक धन्वा : एक कामलोलुप जनकवि भाग ३

भूमिहार :: पहचान की तलाश में भटकती हुई एक नस्ल ।

आलोक धन्वा : एक कामलोलुप जनकवि – भाग १